14-01-2022, 03:55 PM
मुझे हाथ घुसा कर दीदी की चूची दबाने में थोड़ा अटपटा सा लग रहा था और इसलिए मैंने अपने हाथों को दीदी की टॉप में से निकाल कर अपने दोनों हाथों को उनकी कमर के पास रखा और धीरे-धीरे दीदी की टॉप को उठाने लगा और फिर अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा।
दीदी मुझे रोक नहीं रही थीं और मुझे कुछ भी करने का अच्छा मौक़ा था। मैं अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था।
दीदी बस अपने गले से घुटी- घुटी मस्त सिसकारियाँ निकाल रही थीं।
मैं अपने दोनों हाथों को दीदी के पीछे ले गया और उनकी ब्रा के हुक खोलने लगा। जैसे ही मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोला तो ब्रा गिर कर उनके मम्मों पर लटक गईं। दीदी कुछ नहीं बोलीं।
मैं फिर से अपने हाथों को सामने लाया और दीदी की चूचियों पर से ब्रा हटा कर उनकी चूचियों को नंगा कर दिया। मैंने पहली बार दीदी की नंगी चूची पर अपना हाथ रखा। जैसे ही मैं दीदी की नंगी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ा।
दीदी कुछ कांप सी गईं और मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। मैं अब तक बहुत गर्मा गया था और मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था। मुझे बहुत ही उत्तेजना चढ़ गई थी।
मैं सोच रहा था झट से अपने पैंट में से अपना लौड़ा निकालूँ और दीदी के सामने ही मुट्ठ मार लूँ। लेकिन मैं अभी मुट्ठ नहीं मार सकता था। मैं अब ज़ोर-ज़ोर से दीदी की नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था।
मैं दीदी की चूची को दबा रहा था, रगड़-रगड़ कर मसल रहा था और कभी-कभी उनके निप्पलों को अपने उँगलियों में पकड़ कर मसल रहा था।
दीदी के निप्पल इस वक़्त अकड़ कर कड़े हो गए थे। जब-जब मैं निप्पलों को अपने उँगलियों में पकड़ कर उमेठता था, तो दीदी छटपटा उठती।
मैंने बहुत देर तक चूचियों को पकड़ कर मसलने के बाद, अपना मुँह नीचे करके दीदी के एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। दीदी ने अभी भी अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।
जब दीदी की चूची पर मेरा मुँह लगा तो दीदी ने अपनी आँखें खोल दीं और देखा कि मैं उनके एक निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूस रहा हूँ, वो भी गर्मा गईं।
दीदी की साँसे ज़ोर-ज़ोर से चलने लगीं और उनका बदन उत्तेजना से काँपने लगा। दीदी ने मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया।
इस वक़्त मैं उनकी दोनों दूधों को बारी-बारी से चूस रहा था। अब दीदी के गले से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगीं। उन्होंने मुझे कस कर अपनी छाती से लिपटा लिया और थोड़ी देर के बाद शांत हो गईं।
मेरा चेहरा नीचे की तरफ़ था और दीदी की चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। मुझे पर दीदी के पानी की खुशबू आई। ओह माय गॉड! मैंने अपनी दीदी की चूत की पानी सिर्फ़ उनकी चूची चूस-चूस कर निकाल दिया था?
मैं अपना हाथ दीदी की चूची पर से हटा कर उनकी चूचियों को हल्के से पकड़ते हुए उनके होंठों को चूम लिया। मैंने अपना हाथ दीदी के पेट पर रख कर नीचे की तरफ़ ले जाने लगा और धीरे-धीरे मेरा हाथ दीदी की स्कर्ट के हुक तक पहुँच गया।
दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं- अब और नीचे मत ले।
मैंने दीदी से पूछा- क्यों?
दीदी तब मेरे हाथों को और ज़ोर से पकड़ते हुए बोलीं- नीचे अपना हाथ मत ले जाओ, अभी उधर बहुत गंदा है।
दीदी मुझे रोक नहीं रही थीं और मुझे कुछ भी करने का अच्छा मौक़ा था। मैं अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था।
दीदी बस अपने गले से घुटी- घुटी मस्त सिसकारियाँ निकाल रही थीं।
मैं अपने दोनों हाथों को दीदी के पीछे ले गया और उनकी ब्रा के हुक खोलने लगा। जैसे ही मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोला तो ब्रा गिर कर उनके मम्मों पर लटक गईं। दीदी कुछ नहीं बोलीं।
मैं फिर से अपने हाथों को सामने लाया और दीदी की चूचियों पर से ब्रा हटा कर उनकी चूचियों को नंगा कर दिया। मैंने पहली बार दीदी की नंगी चूची पर अपना हाथ रखा। जैसे ही मैं दीदी की नंगी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ा।
दीदी कुछ कांप सी गईं और मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। मैं अब तक बहुत गर्मा गया था और मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था। मुझे बहुत ही उत्तेजना चढ़ गई थी।
मैं सोच रहा था झट से अपने पैंट में से अपना लौड़ा निकालूँ और दीदी के सामने ही मुट्ठ मार लूँ। लेकिन मैं अभी मुट्ठ नहीं मार सकता था। मैं अब ज़ोर-ज़ोर से दीदी की नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था।
मैं दीदी की चूची को दबा रहा था, रगड़-रगड़ कर मसल रहा था और कभी-कभी उनके निप्पलों को अपने उँगलियों में पकड़ कर मसल रहा था।
दीदी के निप्पल इस वक़्त अकड़ कर कड़े हो गए थे। जब-जब मैं निप्पलों को अपने उँगलियों में पकड़ कर उमेठता था, तो दीदी छटपटा उठती।
मैंने बहुत देर तक चूचियों को पकड़ कर मसलने के बाद, अपना मुँह नीचे करके दीदी के एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। दीदी ने अभी भी अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।
जब दीदी की चूची पर मेरा मुँह लगा तो दीदी ने अपनी आँखें खोल दीं और देखा कि मैं उनके एक निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूस रहा हूँ, वो भी गर्मा गईं।
दीदी की साँसे ज़ोर-ज़ोर से चलने लगीं और उनका बदन उत्तेजना से काँपने लगा। दीदी ने मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया।
इस वक़्त मैं उनकी दोनों दूधों को बारी-बारी से चूस रहा था। अब दीदी के गले से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगीं। उन्होंने मुझे कस कर अपनी छाती से लिपटा लिया और थोड़ी देर के बाद शांत हो गईं।
मेरा चेहरा नीचे की तरफ़ था और दीदी की चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। मुझे पर दीदी के पानी की खुशबू आई। ओह माय गॉड! मैंने अपनी दीदी की चूत की पानी सिर्फ़ उनकी चूची चूस-चूस कर निकाल दिया था?
मैं अपना हाथ दीदी की चूची पर से हटा कर उनकी चूचियों को हल्के से पकड़ते हुए उनके होंठों को चूम लिया। मैंने अपना हाथ दीदी के पेट पर रख कर नीचे की तरफ़ ले जाने लगा और धीरे-धीरे मेरा हाथ दीदी की स्कर्ट के हुक तक पहुँच गया।
दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं- अब और नीचे मत ले।
मैंने दीदी से पूछा- क्यों?
दीदी तब मेरे हाथों को और ज़ोर से पकड़ते हुए बोलीं- नीचे अपना हाथ मत ले जाओ, अभी उधर बहुत गंदा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.