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Incest शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा
#88
फिर दीदी चुप हो गईं और अपने सामने अख़बार को फैला कर अख़बार पढ़ने लगीं। मैं भी चुपचाप अपना हाथ दीदी के दाहिने बगल के ऊपर नीचे किया और फिर थोड़ा सा झुक कर मैं अपना हाथ दीदी की दाहिने चूची पर रख दिया।

जैसे ही मैं अपना हाथ दीदी के दाहिने चूची पर रखा दीदी कांप गईं मैं भी तब इत्मिनान से दीदी की दाहिने वाली चूची अपने हाथ से मसलने लगा।

थोड़ी देर दाहिना चूची मसलने के बाद मैं अपना दूसरा हाथ से दीदी बाईं तरफ़ वाली चूची पाकर लिया और दोनो हाथों से दीदी की दोनो चूचियों को एक साथ मसलने लगा।

दीदी कुछ नहीं बोलीं और वो चुप चाप अपने सामने अख़बार फैलाए अख़बार पढ़ती रही। मैं दीदी की टी शर्ट को पीछे से उठाने लगा। दीदी की टी शर्ट दीदी के चूतड़ों के नीचे दबी थी और इसलिए वो ऊपर नहीं उठ रही थी।

मैं ज़ोर लगाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दीदी को मेरे दिमाग की बात पता चल गया। दीदी झुक कर के अपना चूतड़ को उठा दिया और मैंने उनका टी शर्ट धीरे से उठा दिया। अब मैं फिर से दीदी के पीठ पर अपना ऊपर नीचे घूमना शुरू कर दिया और फिर अपना हाथ टी शर्ट के अंदर कर दिया। वो! क्या चिकना पीठ था दीदी का।

मैं धीरे धीरे दीदी की पीठ पर से उनका टी शर्ट पूरा का पूरा उठा दिया और दीदी की पीठ नंगी कर दिया। अब अपने हाथ को दीदी की पीठ पर ब्रा के ऊपर घूमना शुरू किया। जैसे ही मैंने ब्रा को छुआ दीदी कांपने लगीं।

फिर मैं धीरे से अपने हाथ को ब्रा के सहारे सहारे बगल के नीचे से आगे की तरफ़ बढा दिया। फिर मैं दीदी की दोनो चूचियों को अपने हाथ में पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा।

दीदी की निप्पल इस समय तनी तनी थी और मुझे उसे अपने उँगलेओं से दबाने में मजा आ रहा था। मैं तब आराम से दीदी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगा और कभी कभी निप्पल खींचने लगा।

माँ अभी भी किचन में खाना पका रही थी। हम लोगों को माँ साफ़ साफ़ किचन में काम करते दिखलाई दे रही थी। मैं यह सोच सोच कर खुश हो रहा था कि दीदी कैसे मुझे अपनी चूचियों से खेलने दे रही है और वो भी तब जब माँ घर में मौजूद हैं।

मैं तब अपना एक हाथ फिर से दीदी के पीठ पर ब्रा के हुक तक ले आया और धीरे धीरे दीदी की ब्रा की हुक को खोलने लगा।

दीदी की ब्रा बहुत टाईट थी और इसलिए ब्रा का हुक आसानी से नहीं खुल रहा था। लेकिन जब तक दीदी को यह पता चलता मैं उनकी ब्रा की हुक खोल रहा हूँ, ब्रा का हुक खुल गया और ब्रा की स्ट्रेप उनकी बगल तक पहुँच गया।

दीदी अपना सर घुमा कर मुझसे कुछ कहने वाली थी कि माँ किचन में से हॉल में आ गईं, मैंने जल्दी से अपना हाथ खींच कर दीदी की टी शर्ट नीचे कर दिया और हाथ से टी शर्ट को ठीक कर दिया।

माँ हॉल में आ कर कुछ ले रही थी और दीदी से बातें कर रही थी।
दीदी भी बिना सर उठाए अपनी नज़र अख़बार पर रखते हुए माँ से बात कर रही थी। माँ को हमारे कारनामों का पता नहीं चला और फिर से किचन में चली गईं।

जब माँ चली गईं तो दीदी ने दबी जुबान से मुझसे बोलीं- सोनू, मेरी ब्रा की हुक को लगा!
“क्या? मैं यह हुक नहीं लगा पाऊँगा।” मैं दीदी से बोला।

“क्यों, तू हुक खोल सकता है और लगा नहीं सकता? दीदी मुझे झिड़कते हुए बोलीं।
“नहीं, यह बात नहीं है दीदी। तुम्हारा ब्रा बहुत टाईट है!” मैं फिर दीदी से कहा।

दीदी अख़बार पढ़ते हुए बोलीं, मुझे कुछ नहीं पता, तुमने ब्रा खोला है और अब तुम ही इसे लगाओगे।” दीदी नाराज़ होती बोलीं।

“लेकिन दीदी, ब्रा की हुक को तुम भी तो लगा सकती हो?” मैंने दीदी से पूछा।
“बुद्धू, मैं नहीं लगा सकती, मुझे हुक लगाने के लिए अपने हाथ पीछे करने पड़ेंगे और माँ देख लेंगी तो उन्हें पता चल जाएगा कि हम लोग क्या कर रहे थे।” दीदी मुझसे बोलीं।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं अपना हाथ दीदी के टी शर्ट नीचे से दोनों बगल से बढ़ा दिया और ब्रा के स्ट्रेप को खींचने लगा। जब स्ट्रेप थोड़ा आगे आया तो मैंने हुक लगाने की कोशिश करने लगा।

लेकिन ब्रा बहुत ही टाईट था और मुझसे हुक नहीं लग रहा था। मैं बार बार कोशिश कर रहा था और बार बार माँ की तरफ़ देख रहा था।

माँ ने रात का खाना क़रीब क़रीब पका लिया था और वो कभी भी किचन से आ सकती थी।
दीदी मुझसे बोलीं, यह अख़बार पकड़, अब मुझे ही ब्रा के स्ट्रेप को लगाना पड़ेगा।

“मैंने बगल से हाथ निकल कर दीदी के सामने अख़बार पकड़ लिया और दीदी अपनी हाथ पीछे करके ब्रा की हुक को लगाने लगीं।

मैं पीछे से ब्रा का हुक लगाना देख रहा था। ब्रा इतनी टाईट थी कि दीदी को भी हुक लगाने में दिक्कत हो रहीं थी। आख़िरकार दीदी ने अपनी ब्रा की हुक को लगा लिया।

जैसे ही दीदी ने ब्रा की हुक लगा कर अपने हाथ सामने किए माँ कमरे में फिर से आ गईं माँ बिस्तर पर बैठ कर दीदी से बातें करने लगीं।
मैं उठ कर टॉयलेट की तरफ़ चल दिया, क्योंकि मेरा लंड बहुत गरम हो चुका था और मुझे उसे ठंडा करना था।

दूसरे दिन जब मैं और दीदी बालकोनी पर खड़े थें तो दीदी मुझसे बोलीं- हम कल रात क़रीब क़रीब पकड़ लिए गए थे। मुझे बहुत शरम आ रही थी।
“मुझे पता है और मैं कल रात की बात से शर्मिंदा हूँ। तुम्हारी ब्रा इतनी टाईट थी कि मुझसे उसकी हुक नहीं लगी.” मैंने दीदी से कहा।

दीदी तब मुझसे बोलीं- मुझे भी बहुत दिक्कत हो रहीं थी और मुझे अपने हाथ पीछे करके ब्रा की स्ट्रेप लगाने में बहुत शरम आ रही थी.
“दीदी तुम अपनी ब्रा रोज़ कैसे लगाती हो?” मैंने दीदी से धीरे से पूछा।
दीदी बोलीं- हम लोग! फिर दीदी समझ गईं की मैं दीदी से मजाक कर रहा हूँ तब बोलीं- तू बाद में अपने आप समझ जाएगा।

फिर मैंने दीदी से धीरे से कहा- मैं तुमसे एक बात कहूँ?
“हाँ!” दीदी तपाक से बोलीं।

“दीदी तुम सामने हुक वाली ब्रा क्यों नहीं पहनती, मैंने दीदी से पूछा?
दीदी तब मुस्कुरा कर बोलीं, सामने हुक वाली ब्रा बहुत महँगी है। मैं तपाक से दीदी से कहा- कोई बात नहीं, तुम पैसे के लिए मत घबराओ, मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा।

मेरे बातों को सुनकर दीदी मुस्कुराते हुए बोलीं- तेरे पास इतने सारे पैसे हैं, चल मुझे एक 100 का नोट दे।
मैं भी अपना पर्स निकाल कर दीदी से बोला- तुम मुझसे 100 का नोट ले लो दीदी!
मेरे हाथ में 100 का नोट देख कर बोलीं- नहीं, मुझे रुपया नहीं चाहिए। मैं तो यूँही मजाक कर रही थी।

“लेकिन मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ। दीदी तुम ना मत करो और यह रुपये तुम मुझसे ले लो.” और मैं ज़बरदस्ती दीदी के हाथ में वो 100 का नोट थमा दिया।

दीदी कुछ देर तक सोचती रहीं और वो नोट ले लिया और बोलीं- मैं तुम्हें उदास नहीं देख सकती, और मैं यह रुपये ले रही हूँ। लेकिन याद रखना सिर्फ़ इस बार ही रुपये ले रही हूँ।

मैं भी दीदी से बोला- सिर्फ़ काले रंग की ब्रा ख़रीदना। मुझे काले रंग की ब्रा बहुत पसंद है और एक बात याद रखना, काले रंग के ब्रा के साथ काले रंग की पेंटी भी ख़रीदना दीदी।
दीदी शर्मा गईं और मुझे मारने के लिए दौड़ीं लेकिन मैं अंदर भाग गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा - by neerathemall - 14-01-2022, 03:54 PM



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