Thread Rating:
  • 10 Vote(s) - 1.9 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
भीमा के अंदर खुद कामदेव आकर समा गए थे.. अगले आधे घंटे तक उसने मेरी रूपाली दीदी को कामशास्त्र के सारे पाठ से परिचय करवाया...... उसने मेरी दीदी दीदी को लगभग हर आसन में चोदा..... कभी मेरी दीदी की  दोनों टांगे उसके कंधों पर थी और उनकी चूचियां उसकी   हाथों की मजबूत पकड़ में....  कभी मेरी दीदी की एक टांग उसके कंधे पर और दीदी की चूची उतनी ही बेरहमी से  दबाई जा रही थी... उसने मेरी रूपाली दीदी को कभी घोड़ी बनाया तो कभी कुत्तिया... उसने मेरी दीदी को करवट लिटा के उनकी एक टांग हवा में उठा के पीछे से  चोदा... फिर उनको दोहरी करके भी चोदा.. सच तो यह है कि उसके "लण्ड"  ने मेरी रूपाली दीदी  के आगे वाले छेद का कचुंबर निकाल दिया था..
मेरी दीदी भी उसका पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी...मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में है... उनकी 4 साल की बेटी सोनिया बिस्तर के ऊपर सो रही थी.. और मेरी दीदी खुद बेड के नीचे बिल्कुल नंगी अवस्था में देहाती गवार  हजाम भीमा के साथ लिपटकर हवस का गंदा खेल खेल रही थी.. ना जाने कितनी बार मेरी दीदी झड़ चुकी थी..
 भीमा का स्टैमिना और उसकी ताकत देख कर और समझ कर मेरी दीदी हैरान और परेशान थी... वह  अपनी पूरी रफ्तार से मेरी दीदी की खेत की जुताई कर रहा था... आखिरी चरम सीमा की तरफ पहुंचने लगा था  यह खेल...
 भीमा ने  ने अपने लण्ड का  माल मेरी दीदी की कोख में फिर  भर दिया.... मेरी दीदी की बच्चेदानी भीमा के  लोड़े की मलाई से भर गई... कुछ देर तक दोनों कांपते रहे... दोनों पसीने से भीग चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर संतुष्टि थी.... ऐसा लग रहा था जैसे अभी अभी उनके पति ने यानी मेरे जीजू ने मेरी दीदी को भरपूर यौन सुख दिया हो...... दीदी के चेहरे पर कोई भी ग्लानि के बाद दिखाई नहीं दे रहे थे... उनकी आंखें आधी खुली  आधी  बंद थी.... कामुकता की कठिन अग्नि में जलने के बाद मेरी दीदी का चेहरा  शांत लग रहा था...भीमा  लुढ़क कर लेट गया मेरी दीदी के बगल में... उसका काला मोटा हाहाकारी  लोड़ा बिल्कुल गीला था  चमक रहा था.. और धीरे-धीरे मुरझाने भी लगा था... मेरी रूपाली दीदी की हालत तो बहुत ही खराब थी...
मेरी रूपाली दीदी जमीन पर बिखरी पड़ी थी बिल्कुल नग्न ... उनकी दोनों टांगे फैली हुई थी और  गाढ़ा सफेद वीर्य मेरी दीदी की चूत से टपक रहा था... मेरी दीदी को कुछ भी होश नहीं था.. बाल बिखरे हुए, हाथों की चूड़ियां भी टूट गई थी,  सूखे हुए  होठों  एक मुस्कान तैर गई... मेरी दीदी होश में आने लगी थी.. उनको एहसास हुआ था कि अभी अभी उन्होंने क्या किया है, और मेरी दीदी को इस बात के लिए कोई शर्मिंदगी नहीं थी..
  भीमा अभी मेरी बहन को ही देख रहा था...
  भौजी... बड़ा मस्त बाड़ू तू... मजा आ गया  भौजी.. तोहार  बहुत ही ज्यादा टाइट बा छेदा... साला हमार मुसल को  पूरा जकड़  कि हमारा सारा पानी  चूस लिया... इतना टाइट छेद वाली हमको आज तक नहीं मिली थी... बुरचोदी.... बोलते हुए मेरी बहन के होठों पर चुम्मा लिया भीमा ने..
 मेरी दीदी ने भी उसके चुम्मा का जवाब चुम्मा से दिया और उसकी छाती पर प्यार से मुक्का मार कर  बोलने लगी...
 हाय रे भैया जी... कितने जालिम हो आप बिल्कुल भी रहम नहीं किया आपने हम पर... इतने जोर जोर से भी कोई करता है.. देखो तुम मेरा क्या हाल बना दिया है आपने...
 मेरी बहन की बातें सुनकर भीमा मेरी रूपाली दीदी की  गुलाबी चिकनी मुनिया जो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसमें से  भीमा का सफेद वीर्य टपक रहा था, की तरफ देखने लगा और हंसने भी लगा... मेरी दीदी शर्म से लाल हो गई..
 सही बोल रही हो भौजी... आज हमको कुछ ज्यादा ही जोश आ गया था... आप को देख कर तो कोई भी मर्द रुक नहीं सकता है... हम तो पागल हो गया था... और हमारा यह औजार  साला आपको देखने के बाद मान ही नहीं रहा था.. भीमा बोला..
 मेरी बहन उसकी छाती पर सर रखकर सुस्ताने  लगी थी..
 भीमा के देहाती लंड का मोटा हुआ फूला लाल सुपाडा देखकर मेरी दीदी के मुंह में पानी आने लगा था... वह अपने जज्बातों को काबू करने की कोशिश कर रही है लेकिन असफल हो रही थी.. मेरी बहन उसके देहाती मोटे मुसल को अपने हाथों से सहलाने लगी थी... सोनिया तो अभी भी सोई हुई थी... मेरी बहन ने सर उठा कर एक बार सोनिया की तरफ देखा... और निश्चिंत होने के बाद भीमा की चौड़ी छाती पर अपना सर रख के दोबारा से उसके अजगर को जगाने का प्रयास करने  लगी..
 मेरी बहन को अपने ही व्यवहार पर खुद ही आश्चर्य हो रहा था.. एक सती सावित्री औरत होने के नाते उन्होंने अपने आप से कभी भी इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं की थी.. लेकिन आज तो मामला उनके हाथ से ज्यादा ही बाहर निकल गया था.. एक बार बुरी तरह चुद  चुकी मेरी बहन एक बार फिर से वही खेल खेलना चाह रही थी देहाती  मर्द भीमा के साथ..
 लेकिन अपने मुंह से बोलना भी नहीं चाहती थी.. एक भारतीय संस्कारी औरत होने के नाते..
 मेरी रूपाली दीदी की चिकनी चूत  का दर्द उन्हें परेशान कर रहा था... लेकिन इस मीठे दर्द के साथ  उनके गुलाबी छेद में  कीड़ा काटने  लगा था... वासना और हवस का कीड़ा...
 मेरी बहन  अपने कोमल हाथों में  औजार पकड़कर हिलाने लगी थी जोर-जोर से... मेरी दीदी की मेहनत रंग लाई और  गवार भीमा का औजार फिर से पूरी तरह तैयार हो गया 2 मिनट के अंदर में...
 पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.... वह तो खर्राटे मार रहा था.. भीमा नींद की आगोश में जा चुका था.. पहली बार के ही  संभोग से वह पूरी तरह संतुष्ट हो गया था और उसे नींद आ गई थी... उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि मेरी बहन दोबारा करना चाहती है...
 मेरी रूपाली दीदी निराश होकर उसके चेहरे की तरफ देखने लगी.. मेरी बहन ने उसको हिलाया  लेकिन भीमा पर तो कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था...
 एक बार तो मेरी रुपाली दीदी के मन में ख्याल आया क्यों ना देहाती लंड के ऊपर बैठकर खुद ही इसकी सवारी करती हूं, वैसे भी कौन देखने वाला है यहां पर.. लेकिन फिर मेरी दीदी अपनी सोच पर शर्मआ गई... और भीमा के ऊपर चढ़कर उसकी सवारी करने का इरादा भी मेरी बहन ने अपने दिल से निकाल दिया... अपने दिल में और अपने नीचे वाले छेद में एक मीठी सी कसक लेकर मेरी दीदी मुस्कुराते हुए और लड़खड़ाते हुए उठ कर खड़ी हो गई.. नंगी हालत में मेरी रूपाली दीदी खोली के अंदर इधर-उधर घूम घूम के अपने कपड़े ढूंढ रही थी..
चूत से भीमा का वीर्य टपक रहा था और चूची  से दूध.. जैसे तैसे करके मेरी बहन ने अपने सारे कपड़े  पहन लिय  अपनी पेंटी के अलावा... जो भीमा ने फाड़ दी थी...
 कपड़े पहनने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने  झुक कर भीमा के लोड़े को थाम लिया और उसके ऊपर बहुत सारे चुंबन का बौछार कर दिया...
 खुली से बाहर निकल कर मेरी दीदी ने दुकान का शटर बड़ी मुश्किल से उठाया और फिर अपनी बेटी को गोद में लेकर दुकान से बाहर निकल गई...
 मेरी बहन को तकलीफ हो रही थी इस प्रकार से सोनिया को गोद में लिय घर तक पैदल जाना मुश्किल था उनके लिए..
 लेकिन उनकी मुश्किल को आसान बनाने के लिए एक नौजवान मर्द अपना रिक्शा बाहर ही खड़ा किए हुए था..
 यह लड़का और कोई नहीं बल्कि बिल्लू ही था.. बिल्लू की उम्र तकरीबन 22 साल रही होगी... बिल्कुल तंदुरुस्त गबरू जवान मर्द था बिल्लू... उसका रंग काला था पर दिखने में बहुत आकर्षक लगता था... मेरी रूपाली दीदी ने तो उस पर ध्यान ही नहीं दिया था लेकिन उसकी निगाहें मेरी बहन पर ही टिकी हुई थी... भीमा की दुकान पर जाते हुए उसने मेरी बहन को देखा था और अच्छी तरह  पहचान भी लिया था...
 मेम साहब  मैं आपको कहीं पर छोड़ दूं क्या ...बिल्लू ने पूछा..
 हां भैया जी... बोलकर मेरी रूपाली दीदी उसके रिक्शे पर बैठ गई.. सोनिया अभी भी मेरी दीदी की गोद में ही सोई हुई थी..
 हमको ठाकुर रणवीर सिंह के घर पर छोड़ दो... दीदी ने कहा.
 जी मेम साहब.. ठाकुर रणवीर सिंह  बहुत ही भले  इंसान है...  क्या आपके पति हैं ठाकुर साहब.. उसने पूछ लिया मेरी दीदी से....
 मेरी दीदी उसका सवाल सुनकर पहले तो घबरा गई थी.. फिर उन्होंने संयम से काम लिया...
 नहीं वह मेरे पति नहीं है... मैं बस उनके घर में रहती हूं आज कल.. मेरी दीदी ने कहा..
 तो फिर आपके पति कहां रहते हैं... बिल्लू ने अगला सवाल दाग दिया..
 मेरे पति मेरे साथ ही रहते हैं... उनका एक्सीडेंट हो गया था.. इसीलिए ठाकुर साहब के घर में रहकर हम लोग उनका इलाज करवा रहे हैं ...दीदी ने उसको जवाब दिया..
 हमको माफ कीजिए मेम साहब... अब आपके पति की तबीयत कैसी है... बड़ी मासूमियत के साथ बिब्लू ने पूछा.
 मेरे पति अपनी कमर से नीचे अपाहिज हो चुके हैं.. व्हीलचेयर पर पड़े रहते हैं... और कुछ पूछना है तुमको... मेरी रूपाली दीदी बिगड़ कर बोली..
 हमको नहीं पता था मेम साहब.. आप नाराज मत होइए.. भगवान ने चाहा तो सब कुछ ठीक हो जाएगा .. और आपको फिर से अपने पति का सुख मिलना शुरू हो जाएगा...बिब्लू ने बड़ी मासूमियत से डबल मीनिंग में बोला...
 पति का सुख.. किस तरह के सुख की बात कर रहे हो तुम... मेरी रूपाली दीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था...
 मैडम जी.. वही सुख की बात कर रहा हूं.. जो रात को बिस्तर पर एक मर्द अपनी औरत को देता है... उसके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान  थी बोलते हुए..
 दरअसल बिल्लू मेरी रूपाली दीदी को अच्छी तरह जानता था..  मुझे भी अच्छी तरह जानता था... बिल्लू हमारे परिवार की स्थिति के बारे में पूरी तरह से जानता था... वह तो बस नाटक कर रहा था मेरी दीदी के साथ.. इस छोटे से मोहल्ले में किस घर में क्या चल रहा है यह सब को अच्छी तरह पता था...
बिल्लू  की डबल मीनिंग वाली बात सुनकर और उसकी हिमाकत देखकर रुपाली दीदी दांत  पीसटी रह गई गुस्से के मारे.. मुंह से कुछ बोल नहीं पाई..
 काश मेरे पति अपाहिज नहीं होते... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन अपने आप को कोस  रही थी.. और अपनी किस्मत को..  
 क्या हो गया मैडम.. चुप क्यों हो गई.. बुरा तो नहीं मान गई ना... बिल्लू अभी भी मेरी बहन को  परेशान किए हुए जा रहा था.. मेरी दीदी भी परेशान हो रही थी..
 तुम तेज तेज रिक्शा चलाओ ना.. क्यों बेकार की बकवास कर रहे हो... बिल्कुल चुप हो जाओ अब... मेरी रूपाली दीदी ने गुस्से में कहा..
आज मौसम कितना मस्त है ना?
 अरे ऊपर देखो बादल छाये हुए हैं। तुझे भी ऐसा मौसम अच्छा लगता होगा ना?... बिल्लू ने कहा...
 "आप" और मेम साहब से वह मेरी दीदी को तुम कहकर पुकारने लगा था...
 हां मौसम अच्छा है... तुम जल्दी से हमारे घर चलो... मेरी रूपाली दीदी खींज कर  बोली थी... उसके व्यवहार और बातों में परिवर्तन से मेरी दीदी को बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं हुआ था.

 घर क्यों जाना है इतनी जल्दी तुमको.. कौन सा तुम्हारा पति वहां पर इंतजार कर रहा होगा.. उसका तो खड़ा भी नहीं होता होगा... हो सकता है ठाकुर साहब तुम्हारा इंतजार कर रहे हो.. है ना... ठाकुर साहब से मिलने के लिए इतनी बेचैन है ना तू...
बिल्लू ने पीछे मुड़ के मेरी रूपाली दीदी की तरफ देखा और अपनी एक आंख मार  मुस्कुराने लगा.. मेरी बहन तो शर्म से लाल हो गई...
 थोड़ी देर तक मेरी रुपाली  दीदी  बिलकुल चुप हो गई थी..
 मुझे जल्दी घर जाना है.. मेरी छोटी बेटी घर पर  भूखी होगी... मेरी रूपाली दीदी ने कहा..
 तुझे घर पर जाकर अपनी बेटी को दूध पिलाना है... अपना दूध पिला आएगी अपनी बेटी को... मुझे भी दूध पीना है तेरा..मेरा तो मन ऐसे मौसम में तेरी जैसी मस्त आईटम की चूत मारने का करता है..... बिल्लू की बातें सुनकर मेरी रुपाली दीदी के नीचे वाले छेद से पसीना टपकने लगा... उसकी गंदी बातें सुनकर लाख जाने के बावजूद भी मेरी दीदी अपने चेहरे पर गुस्सा नहीं ला पाई... बल्कि शर्म से लाल हो कर दूसरी तरफ देखने लगी..
 मन तो कर रहा है  साली.. यहीं पर रिक्शा रोक तुझे झाड़ी में ले जाकर खूब अच्छी तरह से  तेरी ठुकाई   करने का... चलेगी क्या मेरे साथ झाड़ी के अंदर... बोल ना... बिल्लू बेहद कामुक अंदाज में मेरी बहन को बोल रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी को काटो तो खून नहीं... उनकी तो सांसे अटक गई थी उसकी बातें सुनकर..
 पहली बार मेरी रूपाली दीदी ने  बिल्लू को गौर से देखा था.. रंग  काला था उसका मगर  गबरु जवान  मर्द था वह..  नई जवानी आई थी उसके ऊपर.. मासूम चेहरा था उसका मगर बातें तो कामदेव की तरह कर रहा था... मेरी दीदी उसको अजीब निगाहों से देखने लगी थी...
 नहीं जाना है मुझे तुम्हारे साथ झाड़ी में... मेरी दीदी ने कहा..
 झाड़ी में नहीं जाओगे तो क्या अपने पति के बिस्तर पर  चलोगी मेरे साथ.... वैसे भी तो तुम्हारा पति बेकार हो चुका है.. लिटा कर तुझे अच्छी तरह से लूंगा तेरे पति के बगल में... बिल्लू की बातें सुनकर मेरी दीदी इस प्रकार के दृश्य की कल्पना भी करने लगी थी...
 नहीं नहीं मुझे यह सब नहीं करना है तुम्हारे साथ... मुझे  बस मेरे घर तक पहुंचा दो... मेरी दीदी बोल पड़ी...
 एक शर्त लगाओगी क्या मेरे साथ..  बिल्लू ने पूछा..
 क्या ... मेरी दीदी बोल पड़ी..
 आज की रात ठाकुर साहब जरूर तुम्हारी  ठुकाई करेंगे..ऐसे मौसम में कौन तेरी चूत नहीं मारेगा..बिल्लू ने बड़ी कामुकता के साथ मेरी दीदी को कहा...
 मेरी दीदी शर्म से पानी पानी हो रही थी.. उनके नीचे वाले  छेद  से पानी टपकने लगा था... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी... इसको और ज्यादा भाव देना ठीक नहीं है वरना यह कुछ भी कर सकता है...ये लड़का कुछ ज्यादा ही बोल रहा है और सारी सीमायें लांघ रहा है...
वो फिर पीछे मुड़ कर बोला... मुझ पर तरस खा, आज मुझे भी दे, दे, देख ना इस मौसम में तेरे कारण मेरा लंड खड़ा हो गया  अरे मेरी रानी... मुझे मत तड़पा....
 मेरी बहन तो उसकी बातें सुनकर लाल से मरी जा रही थी..
 मेरी रुपाली  दीदी शरीर के रोम-रोम में एक अजीब सी हलचल हो रही थी.. उनका  पूरा बदन जलने लगा था..
वो फिर पीछे मुड़ा और बोला, बता चलती है क्या, मेरे साथ? मेरे घर में कोई नहीं है..
 नहीं मुझे नहीं जाना तुम्हारे घर पर... मेरी दीदी की आवाज लड़खड़ा रही थी..
 मेरी रूपाली दीदी किसी भी हालत में अपनी सीमायें नहीं लांघ सकती थी.. हालांकि अभी अभी मेरी बहन अपनी सारी सीमाएं लांघ कर आई थी  भीमा के साथ.. लेकिन बीच सड़क पर यह सब कुछ करना उनको मंजूर नहीं था... मेरी दीदी एक गहरे कसम कस में डूबी हुई थी... अचानक बिल्लू ने अपने रिक्शे को रोक दिया... और नीचे उतर कर बगल में खड़ा हो गया..
 क्या हुआ... मेरी रूपाली दीदी ने पूछा..
वो बोला रिक्शे की चैन उतर गई है.. और वो चैन चढ़ाने के लिये  रिक्शे के पीछे आ गया..चैन चढ़ा कर वो बोला, मैं थोड़ा पेशाब कर लेता हूँ और सामने झाड़ियों में चला गया..
 मेरी बहन चुपचाप बैठी रही रिक्शे के ऊपर.. थोड़ी देर बाद जब मेरी रुपाली दीदी ने झाड़ियों के पीछे बिल्लू को देखा तो उनकी आंखें बड़ी हो गई और धड़कनें तेज चलने  लगी..
 दरअसल बिल्लू अपना लोड़ा मेरी रूपाली दीदी को दिखा रहा था और हिला रहा था.... मेरी रूपाली दीदी को बहुत गुस्सा आया उसकी इस हरकत को देखकर...
 इस जगह पर तो कोई भी उनको देख सकता था... फौरन नजरें फेर ली मेरी सुहागन दीदी ने... उनको फिर से गुस्सा आने  लगा था बुरी तरह से...बिल्लू थोड़ी देर बाद झाड़ियों से बाहर निकल कर आ गया...
कैसा लगा उन झाड़ियों में मेरे लंड का नजारा?.. बिल्लू ने मेरी रूपाली दीदी से पूछा..
 तुम तो बहुत अजीब हो.. बिल्कुल बेशर्म हो...तुम पागल हो गये हो क्या? कोई देख लेता तो? कम से कम, अपनी नहीं नहीं तो मेरी इज्जत की तो परवाह करो.. मेरी बहन ने उस को डांटते हुए कहा...
वो थोड़ा सकपका गया और बोला, ओह!सोरी, मुझे माफ कर दो..मुझे इस बात का बिल्कुल भी ध्या्न नहीं रहा..वो रिक्शे पर चढा और रिक्शा चलाने लगा।
कुछ देर तक वो चुपचाप रिक्शा चलाता रहा..
 सब तेरी गलती है बहन की लोड़ी... तुझे देखकर ही मैं पागल हो गया था... पीछे मुड़कर उसने मेरी दीदी को देखते हुए कहा..
 गाली सुनकर मेरी दीदी को बुरा नहीं लगा...
[+] 1 user Likes babasandy's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 13-01-2022, 08:13 PM



Users browsing this thread: 9 Guest(s)