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Adultery भाभी के साथ प्यार की कहानी.
#13
मैंने फिर से शरारत भरी हंसी हसंते हु‌ए कहा- अरे स्टूल गिर जाये तो गिर जायेमैं अपने प्यारे देवर को नहीं गिरने दूंगी...! 
 
मेरी हंसी देख कर वो समझ गया कि भाभी मुझे नहीं छोड़ेंगी और वो चुपचाप फिर से तार ठीक करने लगा। 
 
मैं धीरे-धीरे उसकी टांगों पर हाथ ऊपर ले जाने लगी जिससे उसकी हालत फिर से पतली होती मुझे दिख रही थी। मैं धीरे-धीरे अपने हाथ उसकी जाँघों तक ले आ‌ई मगर उसके पसीने गर्मी से कम मेरा हाथ लगने से ज्यादा छुट रहे थे। वो जल्दी से तार ठीक करके बाहर जाने लगा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली- देवर जी, आपने मेरा पंखा तो ठीक कर दियाअब बोलो मैं आपकी क्या सेवा करूँ?
 
तो वो बोला- नहीं भाभीमैं को‌ई दुकानदार थोड़े ही हूँ जो आपसे पैसे लूँगा।
 
मैंने कहा- तो मैं कौन से पैसे दे रही हूँ, मैं तो सिर्फ सेवा के बारे में पूछ रही हूँ, जैसे आपको कुछ खिला‌ऊँ या पिला‌ऊँ?
 
वो बोला- नहीं भाभी, अभी मैंने कुछ नहीं पीना! और बाहर भाग गया। 
 
मैं उसको हर रोज ऐसे ही सताती रहती जिसका कुछ असर भी दिखने लगा क्योंकि उसने चोरी-चोरी मुझे देखना शुरू कर दिया। मैं जब भी उसकी ओर अचानक देखती तो वो मेरी गाण्ड या मेरी छाती की तरफ नजरें टिकाये देख रहा होता और मुझे देख कर नजर दूसरी ओर कर लेता। मैं भी जानबूझ कर उसको खाना खिलाते समय अपनी छाती झुक-झुक कर दिखातीक‌ई बार तो बैठे-बैठे ही उसकी पैंट में तम्बू बन जाता और मुझसे छिपाने की कोशिश करता। 
 
मेरा खुद का हाल भी बहुत खराब था। वो जितना मुझसे दूर भागताउसके लिये मेरी प्यास उतनी ही ज्यादा भड़क रही थी। उसके लण्ड की कल्पना करके दिन रात मुठ मारती। मैं तो उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसवाने के लि‌ए इतनी बेक़रार थी, अगर सास-ससुर का डर न होता तो अब तक मैंने ही उसका बलात्कार कर दिया होता।  
 
मैं भूखी शेरनी की तरह उस पर नज़र रखे हुए मौके के इंतज़ार में थी। मगर जल्दी मुझे ऐसा मौका मिल गया। एक दिन हमारे रिश्तेदारों में किसी की मौत हो ग‌ई और मेरे सास ससुर को वहाँ जाना पड़ गया। 
 
मैंने आपने मन में ठान ली थी कि आज मैं इस लौन्डे से चुद कर ही रहूंगी... चाहे मुझे उसके साथ कितनी भी जबरदस्ती करनी पड़े, उसके कुँवारे लण्ड से अपनी चूत की आग बुझा कर ही रहुँगी। जो होगा बाद में देखा जायेगा। 
 
सास-ससुर के जाते ही विकास भी मुझसे बचने के लि‌ए बहाने की तलाश में था। पहले तो वो काफी देर तक घर से बाहर रहा। एक घंटे बाद जब मैंने उसके मोबा‌इल पर फोन किया और खाना खाने के लि‌ए घर बुलाया तब जाकर वो घर आया। 
 
उसके आने के पहले ही मैं फटाफट तैयार हुई। उसे रिझाने के लिये मैंने नेट का बहुत ही झीना और कसा हुआ सलवार-कमीज़ पहन लिया। मेरी कमीज़ का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था उर उसके नीचे मेरी ब्रा की झलक बिल्कुल साफ नज़र आ रही थी। अपनी टांगों और गाण्ड की खूबसूरती बढ़ाने के लिये ऊँची ऐड़ी की सैंडल भी पहन ली और थोड़ा मेक-अप भी किया। फिर मूड बनाने के लिये शराब का पैग भी मार लिया।
 
जब वो आया तो मैं अपना और उसका खाना अपने कमरे में ही ले ग‌ई और उसको अपने कमरे में बुला लिया। मगर वो अपना खाना उठा कर अपने कमरे की ओर चल दिया। मेरे लाख कहने के बाद भी वो नहीं रुका तब मैं भी अपना खाना उसके कमरे में ले ग‌ई और बिस्तर पर उसके साथ बैठ ग‌ई। 
 
वो फिर भी मुझसे शरमा रहा था। मैंने अपना दुपट्टा भी अपनी छाती से हटा लिया मगर वो आज मुझसे बहुत शरमा रहा था। उसको भी पता था कि आज मैं उसको ज्यादा परेशान करूँगी। 
 
मैंने उससे पूछा- विकास.. मैं तुम को अच्छी नहीं लगती क्या...?
 
तो वो बोला- नहीं भाभीआप तो बहुत अच्छी हैं...!
 
मैंने कहा- तो फिर तुम मुझसे हमेशा भागते क्यों रहते हो...?
 
वो बोला- भाभीमैं कहाँ आपसे भागता हूँ?
 
मैंने कहा- फिर अभी क्यों मेरे कमरे से भाग आये थेशायद मैं तुम को अच्छी नहीं लगतीतभी तो तुम मुझसे ठीक तरह से बात भी नहीं करते! 
 
नहीं भाभीअभी तो मैं बस यूँ ही अपने कमरे में आ गया था.. आप तो बहुत अच्छी हैं
 
मैंने थोड़ा डाँटते हुए कहा- झूठ मत बोलो! मैं तुम को अच्छी नहीं लगतीतभी तो मेरे पास भी नहीं बैठते। अभी भी देखो कैसे दूर होकर बैठे हो? अगर मैं सच में तुम को अच्छी लगती हूँ तो मेरे पास आकर बैठो....!
 
मेरी बात सुन कर वो थोड़ा सा मेरी ओर सरक गया। 
 
यह देख कर मैं बिलकुल उसके साथ जुड़ कर बैठ ग‌ई जिससे मेरी गाण्ड उसकी जांघ को और मेरी छाती के उभार उसकी बाजू को छूने लगे।
 
मैंने कहा- ऐसे बैठते हैं देवर भाभियों के पास.... अब बोलो ऐसे ही बैठो करोगे या दूर दूर...?
 
वो बोला- भाभीऐसे ही बैठूँगा मगर मौसी मुझसे गुस्सा तो नहीं होगी? क्योंकि लड़कियों के साथ ऐसे को‌ई नहीं बैठता।
 
मैंने कहा- अच्छा अगर तुम अपनी मौसी से डरते हो तो उनके सामने मत बैठना। मगर आज वो घर पर नहीं है इसलि‌ए आज जो मैं तुम को कहूँगी वैसा ही करना।
 
उसने भी शरमाते हु‌ए हाँ में सर हिला दिया।
 
अब हम खाना खा चुके थे, मैंने उसे कहा- अब मेरे कमरे में आ जा‌ओ...  वहाँ एयर-कन्डिशनर है!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाभी के साथ प्यार की कहानी. - by neerathemall - 11-01-2022, 01:32 PM



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