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Adultery भाभी के साथ प्यार की कहानी.
#12
एक दिन सुबह के करीब नौ बजे का वक्त था। मैं भी नहा-धो कर सज-संवर कर तैयार हुई। चाय लेकर जब उसके कमरे में ग‌ई तो वो सो रहा था मगर उसका बड़ा सा कड़क लौड़ा जाग रहा था। मेरा मतलब कि उसका लौड़ा पजामे के अन्दर खड़ा था और पजामे को टैंट बना रखा था।
 
 मेरा मन उसका लौड़ा देख कर बेहाल हो रहा था। अचानक उसकी आँख खुल ग‌ई। वो अपने लौड़े को देख कर घबरा गया और झट से अपने ऊपर चादर लेकर अपने लौड़े को छुपा लिया। मैं चाय लेकर बैड पर ही बैठ ग‌ई और अपनी कमर उसकी टांगों से लगा दी। वो अपनी टाँगें दूर हटाने की कोशिश कर रहा था मगर मैं ऊपर उठ कर उसके पेट से अपनी गाण्ड लगा कर बैठ ग‌ई।
 
 उसकी परेशानी बढ़ती जा रही थी और शायद मेरे गरम बदन के छूने से उसका लौड़ा भी बड़ा हो रहा था जिसको वो चादर से छिपा रहा था।
 मैंने उसको कहा- विकास उठो और चाय पी लो!
 
 मगर वो उठता कैसे... उसके पजामे में तो टैंट बना हु‌आ था। वो बोला- भाभी! चाय रख दो, मैं पी लूँगा।
 
मैंने कहा- नहीं! पहले तुम उठो, फिर मैं जा‌ऊँगी।
 
तो वो अपनी टांगों को जोड़ कर बैठ गया और बोला- ला‌ओ भाभी, चाय दो।
 
मैंने कहा- नहीं! पहले अपना मुँह धोकर आ‌ओ, फिर चाय पीना।
 
अब तो मानो उसको को‌ई जवाब नहीं सूझ रहा था। वो बोला- नहीं भाभी! ऐसे ही पी लेता हूँतुम चाय दे दो।
 
मैंने चाय एक तरफ़ रख दी और उसका हाथ पकड़ कर उसको खींचते हु‌ए कहा- नहीं! पहले मुंह धोकर आ‌ओ फिर चाय मिलेगी।
 
वो एक हाथ से अपने लौड़े पर रखी हु‌ई चादर को संभाल रहा था और बैड से उठने का नाम नहीं ले रहा था। मैंने उसको पूछा- देवर जी यह चादर में क्या छुपा रहे हो?
 
तो वो बोला- भाभी कुछ नहीं है।
 
मगर मैंने उसकी चादर पकड़ कर खींच दी तो वो दौड़ कर बाथरूम में घुस गया। मुझे उस पर बहुत हंसी आ रही थी। वो काफी देर के बाद बाथरूम से निकला जब उसका लौड़ा बैठ गया।
 
ऐसे ही एक दिन मैंने अपने कमरे के पंखे की तार डंडे से तोड़ दी और फिर विकास को कहा- तार लगा दो।
 
वो मेरे कमरे में आया और बोला- भाभी, को‌ई स्टूल चाहि‌ए... जिस पर मैं खड़ा हो सकूँ।
 
मैंने स्टूल ला कर दिया और विकास उस पर चढ़ गया। मैंने नीचे से उसकी टाँगें पकड़ लीं। मेरा हाथ लगते ही जैसे उसको करंट लग गया हो, वो झट से नीचे उतर गया। 
 
मैंने पूछा- क्या हु‌आ देवर जी? नीचे क्यों उतर गये?
 
तो वो बोला- भाभी जी, आप मुझे मत पकड़ो, मैं ठीक हूँ।
 
जैसे ही वो फिर से ऊपर चढ़ा, मैंने फिर से उसकी टाँगें पकड़ ली। वो फिर से घबरा गया और बोला- भाभी जीआप छोड़ दो मुझे, मैं ठीक हूँ।
 
मैंने कहा- नहीं विकास, अगर तुम गिर गये तो...?
 
वो बोला- नहीं गिरता.. आप स्टूल को पकड़ लीजिये...!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: भाभी के साथ प्यार की कहानी. - by neerathemall - 11-01-2022, 01:31 PM



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