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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
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शाम को मे शादी की तैयारियों में लगा… शहर से लौटा था.. छोटे चाचा के साथ.. बुलेट पर कुच्छ समान लेकर लौटे थे हम दोनो....

मेने जैसे ही अपनी चौपाल पर गाड़ी खड़ी की.. घर के दरवाजे से निकल कर बाहर को आती हुई वो एक हल्की सी काली साड़ी में मेरे सामने खड़ी दिखी…

इससे पहले मेने उसे कभी नही देखा था, भैया की शादी पर मे बहुत छोटा था..बाद में ना मे कभी वहाँ गया, और ना वो कभी हमारे यहाँ आई थी..

मे सारे काम धाम, भूलकर उसकी सुंदरता में खो गया…

वो भी एकटक मुझे ही घूर रही थी…

कुच्छ लोग और भी वहाँ मौजूद थे… जो हम दोनो को एक दूसरे को घूरते हुए ही देखने लगे.. लेकिन कोई कुच्छ बोला नही…

10-15 मिनिट के बाद उसके पीछे से ताली बजने की आवाज़ के साथ भाभी की खिल-खिलाती आवाज़ सुनकर मे चोंक पड़ा.. वो भी हड़बड़ा कर नीचे देखने लगी..

वाउ ! तोता मैना मिलते ही एक दूसरे में गुम हो गये… हँसते हुए भाभी ने तंज़ मारा…

भाभी की बात सुनकर मे झेंप गया और नज़रें झुका कर स्माइल दी.. तब तक भाभी मेरे बगल में आकर खड़ी हो गयी…

मेने फुसफुसा कर कहा – ये कॉन है भाभी…? मेने इसे पहले कभी नही देखा..?

भाभी – इसमें इतने फुसफुसाने की क्या बात है.. तुम खुद ही पूछ लो इससे…

मे – बताओ ना भाभी…! मेरे मूह से भाभी सुनकर वो नज़रें झुकाए मंद मंद हँसने लगी…

भाभी – ये निशा है.. मेरी छोटी बेहन.. तुम्हारी साली है अभी तो…आगे का पता नही… हहेहहे…

और निशा ! ये हैं मेरे लाड्ले देवर, अंकुश उर्फ बुलेट राजा.. हहेहहे..

फर्स्ट एअर में हैं.. यहीं कॉलेज में..… और मेरा कान उमेठ्ते हुए बोली - बस हो गया ना इंट्रो अब चलो अपने काम में लगो….

वहाँ खड़े सभी लोग हँसने लगे.. तब मेरा ध्यान गया.. कि वहाँ मेरी दोनो बुआ मीरा और शांति अपने बच्चों के साथ थीं…!

मीरा बुआ – क्यों भाई छोटे उस्ताद, साली के मोहपाश में ऐसे खो गये, ये भी ध्यान नही दिया कि कोई और भी है यहाँ..

मेने जाकर दोनो बूआओं के पाँव छुये तो आशीर्वाद देते हुए शांति बुआ बोली – अब ये छोटे उस्ताद नही है दीदी.. देख नही रही हो…

हमारे घर में हैं कोई इसके मुकाबले का गबरू जवान…किसी फिल्म का हीरो सा लगता है अपना छोटू….!

मीरा बुआ ने अपने हाथ मेरे उपर उवारे, और माथा चूम कर बोली – किसी की नज़र ना लगे मेरे बेटे को…!

उसके बाद में घर के अंदर चला गया.. भाभी ने मुझे नाश्ता कराया.. उनके पास खड़ी निशा, रूचि को गोद में लिए चोर नज़रों से मेरी ओर देख रही थी…

मे – भाभी ! आपकी बेहन क्या कर रही है आजकल.. ?

भाभी – मुझे क्या तुमने इसका सीक्रेटरी समझ रखा है.. ? जो भी पुच्छना है, सीधे-सीधे उसको ही पुछो ना !

मे – हां तो साली साहिबा ! आजकल क्या कर रही हो..? आइ मीन पढ़ाई लिखाई…

पहली बार उसकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी.. लगा जैसे कोई कोयल कुहकी हो.. 12थ के एग्ज़ॅम दिए थे इस बार… नज़रें झुकाए जबाब दिया उसने.

मे – रिज़ल्ट क्या रहा..? तो वो बोली – पास हो गयी हो.. अच्छे नंबरों से..

मे – आगे का क्या प्लान है.. ?

तो उसने कहा – प्राइवेट फॉर्म भरना है.. बीए का.

मे – भाभी.. इन्हें यहीं बुला लो ना ! अपने कॉलेज में अड्मिशन दिलवा देते हैं..

भाभी – अच्छा जी ! तो साली को पर्मनेंट अपने पास रखना चाहते हो…! तुम तो बड़े चालू हो.. क्यों री निशा.. तू रहेगी यहाँ मेरे पास….

तभी रूचि बोल पड़ी… हां मम्मी.. मौसी भी हमारे पास रहेगी.. मुझे मौसी बहुत अच्छी लगती है…

मे – अरे वाह ! हमारी बिटिया को भी इतना जल्दी अपने बस में कर लिया इन्होने.. वास्तव में ये कोई जादू जानती हैं…

भाभी – तो क्या किसी और को भी बस में कर लिया है इसने..? हाँ !

मे उनकी बात सुनकर हड़बड़ा गया.. और झेन्प्ते हुए बोला – व.व.वो.. मे ..तो.. बस… ऐसे ही बोला.. कि अभी कुच्छ घंटों में ही रूचि अपनी मौसी के फेवर में बोलने लगी…

मेरी हड़बड़ाहट देख कर भाभी और रामा दीदी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और निशा भी दबी आवाज़ में उनका साथ देने लगी… मे अपनी इज़्ज़त बचा कर घर से बाहर चला गया………..!!
रात को खाने के बाद, मे और चाचा लोग बैठक में बाबूजी के पास बैठे हिसाब-किताब कर रहे थे.. क्या-क्या हो गया, क्या-क्या करना वाकी है, कैसे और कौन करेगा यही सब तय कर रहे थे…

तभी रूचि भागती हुई मेरे पास आई और मेरी गोद में आकर बैठते हुए बोली – चाचू… आपको मम्मी बुला रही है…

मेने उसके गाल को चूमा और बोला – अभी चलते हैं… तुम थोड़ी देर चाचू के पास बैठो… तो वो ज़िद करते हुए बोली – नही अभी चलो…

मे उसे और कुच्छ समझाता कि बाबूजी बोले – तू जा बेटा, हम देख लेंगे वाकई का.. वो एक बार ज़िद पकड़ गयी तो फिर किसी की सुनने वाली नही है..

मे उसे गोद में लेकर वहाँ से घर चला आया.. रास्ते में मेने उसे पुछा.. बेटा अभी मम्मी कहाँ हैं..

रूचि – वो मेरे वाले घर में हैं..

मे – तुम्हारे वाले घर में..? वो कहाँ है…?

रूचि – ओह… चाचू ! आप बिल्कुल बुद्धू हो क्या..? मेरा घर नही पता आपको..? अरे वही जहाँ मम्मी और मे रहते हैं…

मे – ओह अच्छा.. ! हां अब याद आया मुझे.. चलो वहीं चलते हैं…

मे रूचि को लिए भाभी के रूम में चला गया.. वहाँ उनके साथ दीदी और निशा दोनो बैठी हुई थी…

मुझे देखते ही भाभी बोली – आओ लल्लाजी.. बैठो.. वो तीनों बॅड पर बैठी हुई थी, मे जाकर बाजू में पड़ी चेयर पर बैठ गया..

रूचि मेरी गोद से उतर कर उन तीनों के बीच जाकर बैठ गयी…

भाभी – हां तो लल्लाजी .. सब तैयारियाँ हो गयीं या अभी कुच्छ वाकी है.. ?

मे – ऑलमोस्ट हो ही गयीं हैं भाभी… बस सुबह जल्दी जाके कस्बे से सब समान उठवा कर लाना है..

भाभी – वो निशा के अड्मिशन वाली बात तुमने ऐसे ही मज़ाक में कही थी या सीरियस्ली बोला था…?

मे – मेने आपसे कभी मज़ाक किया है..?

भाभी – लेकिन अब तो आधा साल निकल गया… अब कॉन अड्मिशन कर लेगा..?

मे – वो आप मुझपर छोड़ दो.. वाकई निशा जी अपना देखें, क्या ये कोर्स कवर कर पाएँगी…?

भाभी ने निशा की तरफ देखा… तो वो उनका आशय समझ कर बोली – ये हेल्प करेंगे तो हो भी सकता है..

फिर भाभी मेरी ओर देखने लगी – मेने कहा.. मे क्या हेल्प कर पाउन्गा.. ज़्यादा से ज़्यादा अपने नोट्स ही शेयर कर सकता हूँ… वाकी तो इनको ही देखना है…!

भाभी – मुझे लगता है निशा, अब बहुत देर हो चुकी है इस सबके लिए.. तू जैसा करना चाहती थी वोही कर…

इतना कह कर भाभी उठ गयी और बोली – चलो रामा तुम मेरे साथ आओ, थोड़ा मिलकर किचेन का काम निपटा लेते हैं..

निशा – मे भी आपके साथ आती हूँ दीदी..

भाभी – नही ! तू यहीं रुक, रूचि के पास.. बातें करो..

उनके साथ मे भी उठ खड़ा हुआ… तो भाभी ने मेरे दोनो हाथ पकड़े और पलंग पर बिठाते हुए बोली – तुम कहाँ चले लल्ला जी…?

थोड़ा साली के साथ बैठ कर समय बतियाओ… मस्ती मज़ाक करो… तुम दोनो का रिश्ता ही ऐसा है.. इसमें झिझकना कैसा… और आज मौका भी है एक दूसरे से बात करने का.. कल तो भीड़ बढ़ जाएगी….

इतना बोलकर वो दोनो निकल गयीं… जाते-2 दीदी ने एक शरारत भरी स्माइल दी, और मुझे थंप्स अप का इशारा करते हुए, भाभी के पीछे चली गयी…

मे पलंग पर बैठा था, रूचि मेरे पास आ गई, और मेरी गोद में बैठ गयी..

निशा पलंग के नीचे खड़ी थी, तो रूचि ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली – आप भी हमारे साथ बैठो ना मौसी…

निशा – नही बेटा.. मे ठीक हूँ, और तुम्हारे पास ही तो हूँ…

मे – बच्ची कह रही है तो बैठ भी जाइए… अब जब भाभी ने बोल ही दिया है जान-पहचान बढ़ने के लिए तो फिर.. ये हिचक क्यों…

वो धीरे से थोड़ा दूरी बनाकर हमारे बगल में बैठ गयी..

निशा अपनी गोद में अपने हाथों को रखे, आपस में अपनी उंगलियों से खेलती नज़रें झुकाए.. सिकुड़ी सिमटी सी बैठी थी…!

मेने रूचि से कहा – बेटा ! अपनी मौसी से पुछो, वो इतना डर क्यों रही है…
क्या हमारे घर में उनको कोई प्राब्लम है… !

वो तपाक से बोली – नही तो मे कहाँ डर रही हूँ, और आपने ऐसा क्यों बोला कि मुझे यहाँ प्राब्लम है..?

मे – वो आप ऐसे सिकुड़ी, सिमटी सी बैठी हो ना इसलिए.. पुछा.. की शायद आप यहाँ अनकंफर्टबल फील कर रही होगी…

वो कुच्छ नही बोली.. और ज़्यादा अपनी उंगलियों से खेलने लगी, .. मेने उसके चेहरे की तरफ गौर किया, तो पाया की वो भी कुछ ज़्यादा लाल हो रहा था, शर्म से उसके होंठों में कंपन जैसा हो रहा था…

मे – शायद आपको ठंड लग रही है.. एक काम करिए, आप कंबल ओढ़ लीजिए..

वो – नही.. नही.. मुझे तुंड नही लग रही.. मे ठीक हूँ.. आपको लग रही हो तो आप ओढ़ लीजिए…

मे – भाई हमें तो लग रही है.. क्यों रूचि बेटा.. कंबल ओढें…? रूचि ने हामी भर दी तो मे पालग पर और उपर की तरफ सरक कर रूचि को गोद में बिठा कर आगे घुटनों पर कंबल डाल लिया..

फिर मेने कहा – देखिए निशा जी.. शर्म या शेखी में कुच्छ नही रखा.. ठंड तो है ही, लीजिए आप भी डाल लीजिए अपने उपर..

अगर एक ही कंबल में आपको कोई प्राब्लम है तो दूसरा ले लीजिए, यही कही रखा होगा.. वैसे ये भी डबल बेड का ही है..

तो कुच्छ सोच कर उसने भी मेरे बगल में बैठ कर अपने पैर सिकोड लिए और पालती मारकर कंबल ओढ़ लिया…..

रूचि मेरी गोद से निकल कर उसकी गोद की तरफ जाने लगी.. तो उसने भी मेरी तरफ झुक कर उसे लेने के लिए हाथ बढ़ाए, इस चक्कर में उसका एक हाथ मेरी जाँघ से टच हो गया…

हाथ लगते ही उसका शरीर कंप-कंपा गया… रूचि को ठीक से बिठा कर उसने अपनी नज़रें झुका ली, और चोरी-2 मेरी ओर देखने लगी…

मेने रूचि के गाल को चूम कर कहा – क्यों बेटा ! मौसी क्या आ गई.. चाचू की गोद अच्छी नही लग रही है अब… मेरी बात सुन वो मुस्कराने लगी…

मेने बात करने की गर्ज से कहा – वैसे निशा जी ! भाभी ने बाहर तोता-मैना कहा था.. उसका क्या मतलब है…?

उसने एक पल के लिए मेरी ओर देखा… मेरी नज़रों से नज़र मिलते ही उसकी सुर्मयि आँखों के दरवाजे फिर से बंद हो गये… और उसने अपनी नज़रें झुका ली…

बताइए ना ! क्या मतालाव है उस बात का…? मेने फिर कहा… तो वो इस बार मेरी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी..

शायद ये जानना चाहती थी कि मे वाकई उस बात से अंजान हूँ, या जानबूझकर पुच्छ रहा हूँ…
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RE: हर ख्वाहिश पूरी की - by nitya.bansal3 - 08-01-2022, 07:01 PM



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