05-01-2022, 03:38 PM
बीना कातर निगाहों से नीरज को देखने लगी. नीरज की आंखों में उठे हर सवाल का जवाब वह अपनी आंखों से देने की कोशिश करती.
थोड़ी देर तक वहां सन्नाटा पसरा रहा, तभी सामने की चटाई हिली और भरीभरकम शरीर का आदमी दाखिल हुआ. वे सफेद अचकन और चूड़ीदार पाजामा पहने हुए थे. साथ ही, उन के साथ 17-18 साल का एक लड़का भी अंदर आया.
आते ही उस आदमी ने नीरज का कौलर पकड़ कर उठाया और दोनों लोग नीरज को काफी बुराभला कहने लगे.
नीरज एकदम अचकचा गया. उस ने संभलने की कोशिश की, तभी उस में से एक आदमी ने पीछे से वार कर दिया और वह फिर वहीं गिर गया.
शबीना कुछ समझ पाती, इस से पहले ही उस के अब्बू चिल्ला कर बोले, ‘‘खबरदार, जो इस लड़के से मिली. तुझे शर्म नहीं आती… वह एक * लड़का है और तू *…’’ नीरज की तरफ मुखातिब हो कर बोले, ‘‘आज के बाद शबीना की तरफ आंख उठा कर मत देखना, वरना तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का वह हाल करेंगे कि प्यार का सारा भूत उतर जाएगा.’’
नीरज ने समय की नजाकत को समझते हुए चुपचाप चले जाना ही उचित समझा.
अब्बू ने शबीना का हाथ झटकते हुए अम्मी की तरफ धक्का दिया और गरजते हुए बोले, ‘‘नफीसा, शबीना का ध्यान रखो और देखो अब यह लड़का कभी शबीना से न मिले. इस किस्से को यहीं खत्म करो,’’ और यह कहते हुए वे उलटे पैर वापस चले गए.
अब्बू के जाते ही जो शबीना अभी तक तकरीबन बेहोश सी पड़ी थी, तेजी से खड़ी हो गई और अम्मी से बोली, ‘‘अम्मी, यह सब क्या है? आप ने इन लोगों को क्यों बुलाया? अरे, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि ये इतने सालों में कभी तो हमारा हाल पूछने नहीं आए. हम मर रहे हैं या जी रहे हैं, पेटभर खाना खाया है कि नहीं, कैसे हम जिंदगी गुजार रहे हैं. दोदो पैसे कमाने के लिए हम ने क्याक्या काम नहीं किया.
‘‘बोलो न अम्मी, तब ये कहां थे? जब हमारी जिंदगी में चंद खुशियां आईं, तो आ गए बाप का हक जताने. मेरा बस चले, तो आज मैं उन का सिर फोड़ देती.’’
थोड़ी देर तक वहां सन्नाटा पसरा रहा, तभी सामने की चटाई हिली और भरीभरकम शरीर का आदमी दाखिल हुआ. वे सफेद अचकन और चूड़ीदार पाजामा पहने हुए थे. साथ ही, उन के साथ 17-18 साल का एक लड़का भी अंदर आया.
आते ही उस आदमी ने नीरज का कौलर पकड़ कर उठाया और दोनों लोग नीरज को काफी बुराभला कहने लगे.
नीरज एकदम अचकचा गया. उस ने संभलने की कोशिश की, तभी उस में से एक आदमी ने पीछे से वार कर दिया और वह फिर वहीं गिर गया.
शबीना कुछ समझ पाती, इस से पहले ही उस के अब्बू चिल्ला कर बोले, ‘‘खबरदार, जो इस लड़के से मिली. तुझे शर्म नहीं आती… वह एक * लड़का है और तू *…’’ नीरज की तरफ मुखातिब हो कर बोले, ‘‘आज के बाद शबीना की तरफ आंख उठा कर मत देखना, वरना तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का वह हाल करेंगे कि प्यार का सारा भूत उतर जाएगा.’’
नीरज ने समय की नजाकत को समझते हुए चुपचाप चले जाना ही उचित समझा.
अब्बू ने शबीना का हाथ झटकते हुए अम्मी की तरफ धक्का दिया और गरजते हुए बोले, ‘‘नफीसा, शबीना का ध्यान रखो और देखो अब यह लड़का कभी शबीना से न मिले. इस किस्से को यहीं खत्म करो,’’ और यह कहते हुए वे उलटे पैर वापस चले गए.
अब्बू के जाते ही जो शबीना अभी तक तकरीबन बेहोश सी पड़ी थी, तेजी से खड़ी हो गई और अम्मी से बोली, ‘‘अम्मी, यह सब क्या है? आप ने इन लोगों को क्यों बुलाया? अरे, मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि ये इतने सालों में कभी तो हमारा हाल पूछने नहीं आए. हम मर रहे हैं या जी रहे हैं, पेटभर खाना खाया है कि नहीं, कैसे हम जिंदगी गुजार रहे हैं. दोदो पैसे कमाने के लिए हम ने क्याक्या काम नहीं किया.
‘‘बोलो न अम्मी, तब ये कहां थे? जब हमारी जिंदगी में चंद खुशियां आईं, तो आ गए बाप का हक जताने. मेरा बस चले, तो आज मैं उन का सिर फोड़ देती.’’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
