31-12-2021, 12:53 PM
संगीता दीदी थक गई थी और वापस मेरे बदन पर पड़ी थी. वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. मेने धीरे से उसे मेरी बाएँ तरफ धकेल दिया. उसकी चूत से मेरा लंड बाहर निकाला और वो मेरे बाजू में पीठ'पर गिर गई. में उठा और संगीता दीदी के पैरो तले घुट'ने पर खड़ा रहा. पह'ले तो में उसके नंगे बदन को निहार'ने लगा. अप'ने आप मेरा हाथ मेरे कड़े लंड की तरफ गया लेकिन संगीता दीदी के चूत रस से मेरा लंड गीला हो गया था इस'लिए मेने मेरा लंड जड़ पर पकड़ा लिया और हिल'ने लगा. मुझे मेरा लंड वैसे ही उसकी चूत रस से गीला रखना था ताकी उसे वापस चोदते सम'य उसकी चूत में लंड डाल'ने में आसा'नी हो.
अप'नी सुधबूध खो कर संगीता दीदी पड़ी थी. उस'का दायां पैर घुट'ने में मुड़ा था और बाया पैर तिरछा हो गया था उस'का दायां हाथ बाजू में सीधा पड़ा था और बाया हाथ उसके सर की दिशा में मुड़ा हुआ था. उसकी आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. साँसों के ताल पर उसकी भरी हुई छाती उप्पर नीचे हो रही थी.
उसके निप्पल कड़े हो गये थे. उसकी जांघों के बीच उसके चूत के भूरे बाल का जंगल चूत रस से गीला होकर चमक रहा था. मेरी बहन एक रंडी की तरह मेरे साम'ने नंगी पड़ी थी और में किसी मस्त सांड़ की तरह लंड कड़ा करके उसे चोद'ने के मूड में था.
अब मुझ'से रहा ना गया. मेने नीचे झुक के संगीता दीदी का बाया सीधा पाँव उप्पर कर के मोड़ लिया और उसके पैरो के बीचवाली जगह में मैं सरक गया. जब मेने उस'का पाँव पकड़ा तब उस'ने अप'नी आँखें खोल दी. उसकी समझा में आया के अब क्या होनेवाला है. खैर! उसे मालूम था के में उसे चोद'नेवाला हूँ इस'लिए उसे अजीब अनुभव नही हुआ और वो शांत पड़ गयी.
में और आगे हो गया. संगीता दीदी के पैर और थोड़ा फैलाकर मेने उसकी चूत को अच्छी तरह से खोल कर, एक हाथ से मेरा लंड पकड़'कर मेने उसे उसकी चूत'पर उप्पर नीचे घिसा. फिर उसकी छेद में सुपाड़ा डाल'कर चूत के छेद का जायज़ा लिया और धीरे से धक्का लगाया. उसकी चूत में मेरा लंड घुस'ने लगा. जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में पूरा समा गया वैसे में उसके बदन'पर लेट गया. मेरे शरीर का भार मेरे हाथों पर था जो उसकी बगल से मेने उसके कंधे के नीचे रखे थे.
थोड़ी देर मेरी बहन की चूत में लंड डाले में चुप'चाप पड़ा रहा और उसके होंठो को चूम'ने लगा. चूम'ते चूम'ते उस'ने अपना मूँ'ह खोला और फिर उसकी जीभ को चुसते चुसते में कमर हिलाने लगा और उसे चोद'ने लगा. में उसे हलके से धक्के देकर चोद रहा था. फिर मेने उसे अप'ने हाथ से ज़ोर से कस लिया और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक रख के में उप्पर नीचे होने लगा. जिस'से उस'का चूत'दाना मेरे लंड के उप्परी भाग से घिस'ने लगा.
मेरा वैसे चोदना संगीता दीदी को पसंद आया!! क्योंकी उस'ने धीरे से आँखें खोल के मेरी तरफ एक मादक नज़र से देखा और हंस'ते हंस'ते वो भी मेरा साथ देने लगी. उस'ने अप'ने पैरो से मेरी कमर को जाकड़ लिया था और उप्पर नीचे होकर वो अप'नी चूत मेरे लंड पर घिस'ने लगी. मेरी बहन को वैसे चोद'कर उसे वापस काम उत्तेजीत कर'ना ही मेरा मकसद था. मुझे और एक बार उसे काम्त्रिप्त कर'ना था. में चाहता था उसके अंदर इस कामसुख की प्यास हमेशा के लिए जाग उठे. इस'लिए जान बुझ'कर में उसे इस तरह चोद रहा था जिस'से उस'का चूत'दाना घिस जाए.
और वैसे ही हुआ!! संगीता दीदी उत्तेजीत होकर ज़ोर ज़ोर से हिल'ने लगी और थोड़े ही समय में वो वापस झड़ गई. जैसे ही वो काम्त्रिप्त हो गई वैसे वो वापस थक कर शांत पड़ गयी. फिर में बड़े उत्साह के साथ संगीता दीदी को चोद'ने लगा. अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसे चोद रहा था. मेरा लग'भग पूरा लंड उसकी चूत से बाहर निकाल'कर में वापस अंदर धास देता था. उसे तकलीफ़ हो रही थी के नही क्या मालूम.. लेकिन वो शिकायत नही कर रही थी और चुप'चाप मेरे धक्के सह रही थी.
बीच बीच में मैं नीचे झुक के उसके छाती के उभारो को चूस'ता रहा और कभी कभी उन्हे हाथ से दबाते दबाते उसे चोद रहा था.
मेरे लंड में प्रेशर बन'ने लगा! झड़'ने की भावनाएँ मेरे लंड के अंदर उच्छल'ने लगी. में संगीता दीदी के बदन'पर पूरी तरह से लेट गया और उसे ज़ोर ज़ोर से चोद'ने लगा. में मेरी बहन को चोद रहा था और अब उसकी चूत में मेरा पहेला पानी छोड़'ने वाला था. ये भावना मुझे पागल कर रही थी. में हो सके उत'नी ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजना से उसकी चूत में पानी छोड़ना चाहता था और मेरी उत्तेजना और बढ़े इस'लिए में बड़बड़ा'ने लगा
अप'नी सुधबूध खो कर संगीता दीदी पड़ी थी. उस'का दायां पैर घुट'ने में मुड़ा था और बाया पैर तिरछा हो गया था उस'का दायां हाथ बाजू में सीधा पड़ा था और बाया हाथ उसके सर की दिशा में मुड़ा हुआ था. उसकी आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. साँसों के ताल पर उसकी भरी हुई छाती उप्पर नीचे हो रही थी.
उसके निप्पल कड़े हो गये थे. उसकी जांघों के बीच उसके चूत के भूरे बाल का जंगल चूत रस से गीला होकर चमक रहा था. मेरी बहन एक रंडी की तरह मेरे साम'ने नंगी पड़ी थी और में किसी मस्त सांड़ की तरह लंड कड़ा करके उसे चोद'ने के मूड में था.
अब मुझ'से रहा ना गया. मेने नीचे झुक के संगीता दीदी का बाया सीधा पाँव उप्पर कर के मोड़ लिया और उसके पैरो के बीचवाली जगह में मैं सरक गया. जब मेने उस'का पाँव पकड़ा तब उस'ने अप'नी आँखें खोल दी. उसकी समझा में आया के अब क्या होनेवाला है. खैर! उसे मालूम था के में उसे चोद'नेवाला हूँ इस'लिए उसे अजीब अनुभव नही हुआ और वो शांत पड़ गयी.
में और आगे हो गया. संगीता दीदी के पैर और थोड़ा फैलाकर मेने उसकी चूत को अच्छी तरह से खोल कर, एक हाथ से मेरा लंड पकड़'कर मेने उसे उसकी चूत'पर उप्पर नीचे घिसा. फिर उसकी छेद में सुपाड़ा डाल'कर चूत के छेद का जायज़ा लिया और धीरे से धक्का लगाया. उसकी चूत में मेरा लंड घुस'ने लगा. जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में पूरा समा गया वैसे में उसके बदन'पर लेट गया. मेरे शरीर का भार मेरे हाथों पर था जो उसकी बगल से मेने उसके कंधे के नीचे रखे थे.
थोड़ी देर मेरी बहन की चूत में लंड डाले में चुप'चाप पड़ा रहा और उसके होंठो को चूम'ने लगा. चूम'ते चूम'ते उस'ने अपना मूँ'ह खोला और फिर उसकी जीभ को चुसते चुसते में कमर हिलाने लगा और उसे चोद'ने लगा. में उसे हलके से धक्के देकर चोद रहा था. फिर मेने उसे अप'ने हाथ से ज़ोर से कस लिया और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक रख के में उप्पर नीचे होने लगा. जिस'से उस'का चूत'दाना मेरे लंड के उप्परी भाग से घिस'ने लगा.
मेरा वैसे चोदना संगीता दीदी को पसंद आया!! क्योंकी उस'ने धीरे से आँखें खोल के मेरी तरफ एक मादक नज़र से देखा और हंस'ते हंस'ते वो भी मेरा साथ देने लगी. उस'ने अप'ने पैरो से मेरी कमर को जाकड़ लिया था और उप्पर नीचे होकर वो अप'नी चूत मेरे लंड पर घिस'ने लगी. मेरी बहन को वैसे चोद'कर उसे वापस काम उत्तेजीत कर'ना ही मेरा मकसद था. मुझे और एक बार उसे काम्त्रिप्त कर'ना था. में चाहता था उसके अंदर इस कामसुख की प्यास हमेशा के लिए जाग उठे. इस'लिए जान बुझ'कर में उसे इस तरह चोद रहा था जिस'से उस'का चूत'दाना घिस जाए.
और वैसे ही हुआ!! संगीता दीदी उत्तेजीत होकर ज़ोर ज़ोर से हिल'ने लगी और थोड़े ही समय में वो वापस झड़ गई. जैसे ही वो काम्त्रिप्त हो गई वैसे वो वापस थक कर शांत पड़ गयी. फिर में बड़े उत्साह के साथ संगीता दीदी को चोद'ने लगा. अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसे चोद रहा था. मेरा लग'भग पूरा लंड उसकी चूत से बाहर निकाल'कर में वापस अंदर धास देता था. उसे तकलीफ़ हो रही थी के नही क्या मालूम.. लेकिन वो शिकायत नही कर रही थी और चुप'चाप मेरे धक्के सह रही थी.
बीच बीच में मैं नीचे झुक के उसके छाती के उभारो को चूस'ता रहा और कभी कभी उन्हे हाथ से दबाते दबाते उसे चोद रहा था.
मेरे लंड में प्रेशर बन'ने लगा! झड़'ने की भावनाएँ मेरे लंड के अंदर उच्छल'ने लगी. में संगीता दीदी के बदन'पर पूरी तरह से लेट गया और उसे ज़ोर ज़ोर से चोद'ने लगा. में मेरी बहन को चोद रहा था और अब उसकी चूत में मेरा पहेला पानी छोड़'ने वाला था. ये भावना मुझे पागल कर रही थी. में हो सके उत'नी ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजना से उसकी चूत में पानी छोड़ना चाहता था और मेरी उत्तेजना और बढ़े इस'लिए में बड़बड़ा'ने लगा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.