31-12-2021, 12:40 PM
उसकी सिस'कीया बढ़'ने लगी. अब वो हल'की चिन्खो में बदल गई. मेने जान लिया के अब उसके स्त'खलन का समय आया है. 'अहहा' 'उहहाहा' कर'ते कर'ते वो ज़ोर से मेरे लंड पर अप'नी चूत घिस'ने लगी. अचानक उसके मूँ'ह से एक हल'की चीख बाहर निकली और उस'का बदन कड़ा हो गया. उस'का बदन काँप रहा था ये मेने अनुभाव किया. संगीता दीदी झाड़ गई थी! उसकी काम्त्रिप्ती हो गई थी!! धीरे धीरे उसकी गती कम कम होती गई. एक आखरी लंबी साँस छोड़'कर उस'का बदन ढीला हो गया और वो मेरे बदन पर गिर गई. मेने उसकी पीठ'पर मेरे हाथों से आलींगन किया और उसे ज़ोर से बाँहों में भींच लिया. मेरा कड़ा लंड अब भी उसकी चूत में था थोड़ी देर हम दोनो वैसे ही पड़े रहे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
