31-12-2021, 11:44 AM
फिर संगीता दीदी अप'नी टाँगों के बीच में अपना हाथ ले गयी और उस'ने मेरा लंड पकड़ लिया. अपना एक पाँव थोड़ा उप्पर करके उस'ने मेरे लंड का सुपाड़ा अप'नी चूत के छेद में घुसाते हुए सही जगह रख दिया. जैसे जैसे में धक्का देने लगा वैसे वैसे मेरा लंड मेरी बहन की चूत में लूप्त हो गया. (खेली खाई थी ) जाहिर था के वो काफ़ी उत्तेजीत थी जिस'से उसकी चूत अच्छी ख़ासी गीली हो गई थी और इसी लिए मेरा लंड उसकी चूत में बड़ी आसानी से घुस गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
