14-05-2019, 10:39 PM
“प्यार का झरना -3”
अब आगे....
इधर उधर की बाते करते करते शाम हो गई. मेरा साला और ससुर भी फैक्ट्री से वापस आ गए. सब ने खाना खाया और फिर हॉल में बैठ कर गप्पे मर रहे थे...
मने मौका देख कर वाइफ को बोला आज रात तुम्हारी बगल में खाली जगह रखना... आज रात तुम्हारी चूची को पीना है....तो मुझे जवाब मिला नहीं हो सकता मेरी बाजु में काजल सोइ होगी अगर वो जाग जाएगी तो क्या सोचिगी. मेने बोला कुछ नहीं सोचेगी बस तेरी चुदाई को देख कर खुद भी गरम होगी और फिर अपना ही हाथ उसकी चूत में डाल कर खुद को शांत करगी या फिर तेरे भाई के ऊपर चढ़ कर उसकी घोड़ेसवारी करेगी. मेने बात आगे बढ़ाते हुई मेरी जानू को पूछा केसी लगी मेरी चॉइस तो जानू बोली मुझे नहीं पता खुद ही पूछ लेना काजल को...
में भी पीछे हटने वालो मेसे नहीं था मेने भी बोल दिया ठीक है में खुद ही पूछ लेता हु. मेरा जवाब सुनकर गुस्से में आकर एक घुसा मेरे पेट में मरती है. मेने बोला ठीक हे आज रात के लिये तैयार रहना, इतना बोलकर में बहार हॉल में आ गया और सब के साथ गप्पे लगाने लगा.
रात के करीब ११ बज रहे थे सब एक के बाद एक सोने जा रहे थे... मेरे साले को पता था हम तीनो जल्दी नहीं सोते इसलिए वो उठा और बोला में ऊपर के कमरे में सोनेजा रहा हु आप तीनो निचे सो जाना.
मेरा साला, ससुरजी और सासुमा ऊपर की मंजिल पर चले गए. काजल और मेरी जानू निचे के रूम में चली गई. और मेरी जानू को बोला थोड़ी देर टीवी देख कर आता हु तेरी खबर लेने तैयार रहना....
करीब १ घंटे तक में टीवी देखता रहा और फिर में उसके बाद कपडे बदल कर अंदर रूम में गया. रूम में पूरा अँधेरा था मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था की मेरी जानू कहा पर सोइ हे. मैंने खाली जगह देखि और वही पर लेट गया, सोचा की शायद मेरी जानू ने मेरे लिए जगह बना कर राखी होगी.
मेरी जानू सो रही थी, आज उसने ऊपर टॉप और निचे पायजामी पहनी थी. मेने उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर किया और हाथ अंदर डाल दिया. मेरा हाथ सीधा मेरी जानू की चूची तक पहोच गया बिना किसी रूकावट के..... मुझे समझते देर नहीं लगी की आज उसने ब्रा नहीं पहनी. उसकी एक चूची के ऊपर हाथ घुमाने लगा. मुझे कुछ दिख नहीं पा रहा था पर मज़ा बहोत आ रहा था.
में एकदम उसके नज़दीक सरक गया अब मेरा भी लंड धेरी धेरी कड़क होने लगा और सीधा कपडे के ऊपर से उसकी गांड की दरार में जा घुसा. मेंने दूसरा हाथ उसकी पायजामी में डाल दिया. मेरी जानू ने निचे पेंटी भी नहीं पहनी थी. मेरी तो जैसे लॉटरी निकल पड़ी...
वो भी मेरा साथ देने लगी उसका हाथ मेरे लंड पर चला जाता हे और मेरे लंड से खेलने लगती हे. मेरा एक हाथ अभी भी उसकी टॉप के अंदर था और में उसकी दोनों चूची को बारी बारी मसल रहा था
मेने टॉप को ऊपर कर दिया अब उसकी खुली पीठ मेरी आँखों के सामने थी मेने उसकी पीठ चूमने लगा. थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद वो कसमसाने लगी पर में कहा उसे छोड़ने वाला था.
उसकी पीठ को चूमते वक़्त मेने उसकी पायजामी को निचे सरका दिया फिर मेरा एक हाथ लेजाकर चूत पर रख दिया और हलके हाथ से चूत की मालिश करने लगा. वो इस तरह का दो तरफ़ा हमला सह नहीं पारहि थी.
बहार बहोत तेज़ बारिश हो रही थी और मौसम पूरा ठंडा हो गया था पर मेरी जानू तो पसीने से लथबथ थी और बदन पूरा भट्टी की तरह तप रहा था.
मेने आगे बढ़ कर कहा क्या हुवा... मज़ा नहीं आ रहा क्या तो वो कुछ बोली नहीं सिर्फ ना में सर हिलाया. में आगे बढ़ा और एक ऊँगली मेरी जानू की चूत में डालदी और धीरे धीरे उसे अंदर बहार करने लगा. वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने की कोशिश कर रही थी पर नाकाम रही. दूसरे हाथ से उसकी एक चूची पकड़ कर मसलने लगा, अब चूची की घुंडी को भी मसल ना चालू किया थी की मेरी जानू के मुँह से हलकी हलकी सिसकारी निकलने लगी
अब आगे....
इधर उधर की बाते करते करते शाम हो गई. मेरा साला और ससुर भी फैक्ट्री से वापस आ गए. सब ने खाना खाया और फिर हॉल में बैठ कर गप्पे मर रहे थे...
मने मौका देख कर वाइफ को बोला आज रात तुम्हारी बगल में खाली जगह रखना... आज रात तुम्हारी चूची को पीना है....तो मुझे जवाब मिला नहीं हो सकता मेरी बाजु में काजल सोइ होगी अगर वो जाग जाएगी तो क्या सोचिगी. मेने बोला कुछ नहीं सोचेगी बस तेरी चुदाई को देख कर खुद भी गरम होगी और फिर अपना ही हाथ उसकी चूत में डाल कर खुद को शांत करगी या फिर तेरे भाई के ऊपर चढ़ कर उसकी घोड़ेसवारी करेगी. मेने बात आगे बढ़ाते हुई मेरी जानू को पूछा केसी लगी मेरी चॉइस तो जानू बोली मुझे नहीं पता खुद ही पूछ लेना काजल को...
में भी पीछे हटने वालो मेसे नहीं था मेने भी बोल दिया ठीक है में खुद ही पूछ लेता हु. मेरा जवाब सुनकर गुस्से में आकर एक घुसा मेरे पेट में मरती है. मेने बोला ठीक हे आज रात के लिये तैयार रहना, इतना बोलकर में बहार हॉल में आ गया और सब के साथ गप्पे लगाने लगा.
रात के करीब ११ बज रहे थे सब एक के बाद एक सोने जा रहे थे... मेरे साले को पता था हम तीनो जल्दी नहीं सोते इसलिए वो उठा और बोला में ऊपर के कमरे में सोनेजा रहा हु आप तीनो निचे सो जाना.
मेरा साला, ससुरजी और सासुमा ऊपर की मंजिल पर चले गए. काजल और मेरी जानू निचे के रूम में चली गई. और मेरी जानू को बोला थोड़ी देर टीवी देख कर आता हु तेरी खबर लेने तैयार रहना....
करीब १ घंटे तक में टीवी देखता रहा और फिर में उसके बाद कपडे बदल कर अंदर रूम में गया. रूम में पूरा अँधेरा था मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था की मेरी जानू कहा पर सोइ हे. मैंने खाली जगह देखि और वही पर लेट गया, सोचा की शायद मेरी जानू ने मेरे लिए जगह बना कर राखी होगी.
मेरी जानू सो रही थी, आज उसने ऊपर टॉप और निचे पायजामी पहनी थी. मेने उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर किया और हाथ अंदर डाल दिया. मेरा हाथ सीधा मेरी जानू की चूची तक पहोच गया बिना किसी रूकावट के..... मुझे समझते देर नहीं लगी की आज उसने ब्रा नहीं पहनी. उसकी एक चूची के ऊपर हाथ घुमाने लगा. मुझे कुछ दिख नहीं पा रहा था पर मज़ा बहोत आ रहा था.
में एकदम उसके नज़दीक सरक गया अब मेरा भी लंड धेरी धेरी कड़क होने लगा और सीधा कपडे के ऊपर से उसकी गांड की दरार में जा घुसा. मेंने दूसरा हाथ उसकी पायजामी में डाल दिया. मेरी जानू ने निचे पेंटी भी नहीं पहनी थी. मेरी तो जैसे लॉटरी निकल पड़ी...
वो भी मेरा साथ देने लगी उसका हाथ मेरे लंड पर चला जाता हे और मेरे लंड से खेलने लगती हे. मेरा एक हाथ अभी भी उसकी टॉप के अंदर था और में उसकी दोनों चूची को बारी बारी मसल रहा था
मेने टॉप को ऊपर कर दिया अब उसकी खुली पीठ मेरी आँखों के सामने थी मेने उसकी पीठ चूमने लगा. थोड़ी देर की चूमा चाटी के बाद वो कसमसाने लगी पर में कहा उसे छोड़ने वाला था.
उसकी पीठ को चूमते वक़्त मेने उसकी पायजामी को निचे सरका दिया फिर मेरा एक हाथ लेजाकर चूत पर रख दिया और हलके हाथ से चूत की मालिश करने लगा. वो इस तरह का दो तरफ़ा हमला सह नहीं पारहि थी.
बहार बहोत तेज़ बारिश हो रही थी और मौसम पूरा ठंडा हो गया था पर मेरी जानू तो पसीने से लथबथ थी और बदन पूरा भट्टी की तरह तप रहा था.
मेने आगे बढ़ कर कहा क्या हुवा... मज़ा नहीं आ रहा क्या तो वो कुछ बोली नहीं सिर्फ ना में सर हिलाया. में आगे बढ़ा और एक ऊँगली मेरी जानू की चूत में डालदी और धीरे धीरे उसे अंदर बहार करने लगा. वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने की कोशिश कर रही थी पर नाकाम रही. दूसरे हाथ से उसकी एक चूची पकड़ कर मसलने लगा, अब चूची की घुंडी को भी मसल ना चालू किया थी की मेरी जानू के मुँह से हलकी हलकी सिसकारी निकलने लगी


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