14-05-2019, 07:15 PM
(This post was last modified: 14-05-2021, 05:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
***** *****कन्या रस
![[Image: lez-luv.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-luv.jpg)
कामिनी भाभी के साथ चीजें इतने सहज ढंग से होती थीं की पता ही नहीं चला कब हम दोनों के कपड़े हमसे दूर हुए, कब बातें चुम्बनों में और चुम्बन सिसकियों में बदल गए। पहल उन्होंने ही की लेकिन कुछ देर में ही उन्होंने खुद मुझे ऊपर कर लिया, जैसे कोई नई नवेली दुल्हन उत्सुकतावश विपरीत रति करने की कोशिश में, खुद अपने पति के ऊपर चढ़ जाती है।
![[Image: Lez-Gu-9239736.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-Gu-9239736.gif)
मैंने कन्या रस सुख पहले भी लिया था, लेकिन आज की बात अलग ही थी। आज तो जैसे 100 मीटर की दौड़ दौड़ने वाला, मैराथन में उतर जाय। कुछ देर तक मेरे होंठ उनके होंठों का अधर रस लेते रहे, उंगलियां उनके दीर्घ स्तनों की गोलाइयां नापने का जतन करती रहीं,
![[Image: nips-rub-lez-tumblr_ozl9tgbDTb1wf2484o1_400.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/nips-rub-lez-tumblr_ozl9tgbDTb1wf2484o1_400.jpg)
लेकिन कुछ ही देर में हम दोनों को लग गया की कौन ऊपर होना चाहिए और कौन नीचे।
कामिनी भाभी, हर तरह के खेल की खिलाड़िन, काम शास्त्र प्रवीणा मेरे ऊपर थीं लेकिन आज उन्हें भी कुछ जल्दी नहीं थी। उनके होंठ मेरे होंठ को सहला रहे थे, दुलरा रहे थे। कभी वो हल्के से चूम लेतीं तो कभी उनकी जीभ चुपके से मुँह से निकल के उसे छेड़ जाती और मेरे होंठ लरज के रह जाते।
![[Image: Lez-kiss-17097327.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-kiss-17097327.gif)
मेरे होंठों ने सरेंडर कर दिया था। बस, अब जो कुछ करना है, वो करें।
और उनके होंठों ने खेल तमाशा छोड़कर, मेरे होंठों को गपुच लिया अधिकार के साथ, कभी वो चुभलातीं, चूसतीं अधिकार के साथ तो कभी हल्के से अपने दांतों के निशान छोड़ देती। और इसी के साथ अब कामिनी भाभी के खेले खाए हाथ भी मैदान में आ गए। मेरे उभार अब उन हाथों में थे, कभी रगड़तीं कभी दबाती तो कभी जोर-जोर से मिजतीं। मैं गिनगिना रही थी, सिसक रही थी अपने छोटे-छोटे चूतड़ पटक रही थी।
लेकिन कामिनी भाभी भी न, तड़पाने में जैसे उन्हें अलग मजा मिल रहा था। मेरी जांघें अपने आप फैल गई थीं, चुनमुनिया गीली हो रही थी। लेकिन वो भी न… लेकिन जब उन्होंने रगड़ाई शुरू की तो फिर, मेरी दोनों खुली जाँघों के बीच उनकी जांघें, मेरी प्यासी गीली चुनमुनिया के ऊपर उनकी भूखी चिरैया, फिर क्या रगड़ाई उन्होंने की? क्या कोई मर्द चोदेगा जैसे कामिनी भाभी चोद रही थीं।
![[Image: Lez-pussy-rubbing-18174544.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-pussy-rubbing-18174544.gif)
और कुछ ही देर में वो अपने पूरे रूप में आ गईं, दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन का रस ले रहे थे, दबा रहे थे, कुचल रहे थे, कभी निपल्स को फ्लिक करते तो कभी जोर से पिंच कर देते, और होंठ किसी मदमाती पगलाई तितली की तरह कभी मेरे गुलाल से गालों पे, तो कभी जुबना पे, और साथ में गालियों की बौछार, जिसके बिना ननद भाभी का रिश्ता अधूरा रहता है।
किसी लता की तरह मैं उनसे चिपकी थी, धीरे-धीरे अपने नवल बांके उभार भाभी के बड़े-बड़े मस्त जोबन से हल्के-हल्के रगड़ने की कोशिश कर रही थी।
![[Image: pussy-19999992.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/pussy-19999992.jpg)
मेरी चुनमुनिया जोर-जोर से फुदक रही थी, पंखे फैलाके उड़ने को बेताब थी। मैं पनिया रही थी। 8-10 मिनट, हालांकि टाइम का अहसास न मुझे था न मेरी भौजी को। मैं किनारे पर पहुँच गई, पहली बार नहीं, दूसरी तीसरी बार, लेकिन अबकी भाभी ने बजाय मुझे पार लगाने के, एकदम मझधार में छोड़ दिया।
शाम से ही यही हो रहा था, बंसती, गुलबिया और कामिनी भौजी, लेकिन अगले पल पता चला की हमला बंद नहीं हुआ, सिर्फ और घातक हो गया था। हम दोनों 69 की पोज में हो गए थे, भौजाई ऊपर और मैं नीचे।
और वहां भी वो शोले भड़का रही थीं। बजाय सीधे ‘वहां’ पहुँचने के उनके रसीले होंठों ने मेरी फैली खुली रेशमी जाँघों को टारगेट बनाया और कभी हल्के से लम्बे-लम्बे चाटना और कभी हल्के से किस, और बहुत बहुत धीमे-धीमे उनके होंठ मेरे आनद द्वार की ओर पहुँच गए, लेकिन कामिनी भाभी की गीली जीभ मेरे निचले होंठों के बाहरी दरवाजे के बाहर, बस हल्के-हल्के एक लाइन सी खींचती रही।
मैंने मस्ती से आँखें बंद कर ली थी, हल्के-हल्के सिसक रही थी। जोर से मेरी मुट्ठियों ने चादर दबोच रखी थी।
और जैसे कोई बाज झपट्टा मार के किसी नन्ही गौरैया को दबोच ले, बस वही हालत मेरी चुनमुनिया की हुई।
![[Image: pussy-licking-lesb-8.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/pussy-licking-lesb-8.jpg)
भाभी ने तो अपनी जीभ की नोक मेरी कसी-कसी रसीली गुलाबी चूत की फांकों के बीच डालकर दोनों होंठों को अलग कर दिया। उनकी जीभ प्रेम गली के अंदर थी, कभी सहलाती, कभी हल्के से प्रेस करती। मैं पनिया रही थी, गीली हो रही थी। फिर भाभी के दोनों होंठ… उन्होंने एक झपट्टे में दोनों फांको को दबोच लिया।
मैं सोच रही थी की वो अब चूस-चूसकर, लेकिन नहीं… उनके होंठ बस मेरे निचले होंठों को हल्के-हल्के दबाते रहे। रगड़ते रहे। लेकिन मेरी चूत में घुसी उनकी जीभ ने शैतानी शुरू कर दी। चूत के अंदर, कभी आगे-पीछे, कभी अंदर-बाहर, तो कभी गोल।
![[Image: lez-pussy-lick18077314.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-pussy-lick18077314.gif)
जवाब मेरे होंठों ने उनकी बुर पे देना शुरू किया लेकिन वहां भी वही हावी थीं। जोर-जोर से रगड़ना, मेरे होंठों को बंद कर देना… हाँ, कभी-कभी जब वो चाहती थीं की उनकी छुटकी ननदिया उनके छेड़ने का जवाब दे, तो पल भर के लिए मेरे होंठ आजाद हो जाते थे।
कामिनी भाभी की जाँघों की पकड़ का अहसास मुझे अच्छी तरह हो गया था, किसी मजबूत लोहे की सँड़सी की पकड़ से भी तेज, मेरा सर उनकी जाँघों के बीच दबा था, और मैं सूत भर भी हिल नहीं सकती थी। और नीचे उसी मजबूती से उनके दोनों हाथों ने मेरी दोनों जांघों को कस के फैला रखा था।
उन्होंने इतनी जोर से चूसा की मैं काँप गई और साथ में हल्के से क्लिट पे जो उन्होंने बाइट ली की, बस लग रहा था अब झड़ी तब झड़ी।
![[Image: lez-tumblr_mfr04hf2jv1rxgcceo1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-tumblr_mfr04hf2jv1rxgcceo1_500.gif)
बस मन कर रहा था की जैसे कोई मोटा लम्बा आके, मेरी चूत की चूल चूल ढीली कर दे, लेकिन भौजी मेरी झड़ने दे तब न… जैसे ही मैं किनारे पे पहुँची, उन्होंने मेरी चूत पर से अपने होंठ हटा लिए और जबरदस्त गाली दी-
“काहें ननदी छिनार, भाईचोदी, तेरे सारे खानदान की गाण्ड मरवाऊँ तोहरे भैया से, तोहरी चूत को चोद-चोद के भोसड़ा न बनाय दिया तो तुहारे भैया ने…”
मैं भी कौन कम थी, अपनी भाभी की चुलबुली ननद, मैंने भी मुँह बना के जवाब दिया-
“भौजी आपके मुँह में घी शक्कर लेकिन भैया हैं कहाँ?”
![[Image: lez-luv.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-luv.jpg)
कामिनी भाभी के साथ चीजें इतने सहज ढंग से होती थीं की पता ही नहीं चला कब हम दोनों के कपड़े हमसे दूर हुए, कब बातें चुम्बनों में और चुम्बन सिसकियों में बदल गए। पहल उन्होंने ही की लेकिन कुछ देर में ही उन्होंने खुद मुझे ऊपर कर लिया, जैसे कोई नई नवेली दुल्हन उत्सुकतावश विपरीत रति करने की कोशिश में, खुद अपने पति के ऊपर चढ़ जाती है।
![[Image: Lez-Gu-9239736.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-Gu-9239736.gif)
मैंने कन्या रस सुख पहले भी लिया था, लेकिन आज की बात अलग ही थी। आज तो जैसे 100 मीटर की दौड़ दौड़ने वाला, मैराथन में उतर जाय। कुछ देर तक मेरे होंठ उनके होंठों का अधर रस लेते रहे, उंगलियां उनके दीर्घ स्तनों की गोलाइयां नापने का जतन करती रहीं,
![[Image: nips-rub-lez-tumblr_ozl9tgbDTb1wf2484o1_400.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/nips-rub-lez-tumblr_ozl9tgbDTb1wf2484o1_400.jpg)
लेकिन कुछ ही देर में हम दोनों को लग गया की कौन ऊपर होना चाहिए और कौन नीचे।
कामिनी भाभी, हर तरह के खेल की खिलाड़िन, काम शास्त्र प्रवीणा मेरे ऊपर थीं लेकिन आज उन्हें भी कुछ जल्दी नहीं थी। उनके होंठ मेरे होंठ को सहला रहे थे, दुलरा रहे थे। कभी वो हल्के से चूम लेतीं तो कभी उनकी जीभ चुपके से मुँह से निकल के उसे छेड़ जाती और मेरे होंठ लरज के रह जाते।
![[Image: Lez-kiss-17097327.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-kiss-17097327.gif)
मेरे होंठों ने सरेंडर कर दिया था। बस, अब जो कुछ करना है, वो करें।
और उनके होंठों ने खेल तमाशा छोड़कर, मेरे होंठों को गपुच लिया अधिकार के साथ, कभी वो चुभलातीं, चूसतीं अधिकार के साथ तो कभी हल्के से अपने दांतों के निशान छोड़ देती। और इसी के साथ अब कामिनी भाभी के खेले खाए हाथ भी मैदान में आ गए। मेरे उभार अब उन हाथों में थे, कभी रगड़तीं कभी दबाती तो कभी जोर-जोर से मिजतीं। मैं गिनगिना रही थी, सिसक रही थी अपने छोटे-छोटे चूतड़ पटक रही थी।
लेकिन कामिनी भाभी भी न, तड़पाने में जैसे उन्हें अलग मजा मिल रहा था। मेरी जांघें अपने आप फैल गई थीं, चुनमुनिया गीली हो रही थी। लेकिन वो भी न… लेकिन जब उन्होंने रगड़ाई शुरू की तो फिर, मेरी दोनों खुली जाँघों के बीच उनकी जांघें, मेरी प्यासी गीली चुनमुनिया के ऊपर उनकी भूखी चिरैया, फिर क्या रगड़ाई उन्होंने की? क्या कोई मर्द चोदेगा जैसे कामिनी भाभी चोद रही थीं।
![[Image: Lez-pussy-rubbing-18174544.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/Lez-pussy-rubbing-18174544.gif)
और कुछ ही देर में वो अपने पूरे रूप में आ गईं, दोनों हाथ मेरे गदराये जोबन का रस ले रहे थे, दबा रहे थे, कुचल रहे थे, कभी निपल्स को फ्लिक करते तो कभी जोर से पिंच कर देते, और होंठ किसी मदमाती पगलाई तितली की तरह कभी मेरे गुलाल से गालों पे, तो कभी जुबना पे, और साथ में गालियों की बौछार, जिसके बिना ननद भाभी का रिश्ता अधूरा रहता है।
किसी लता की तरह मैं उनसे चिपकी थी, धीरे-धीरे अपने नवल बांके उभार भाभी के बड़े-बड़े मस्त जोबन से हल्के-हल्के रगड़ने की कोशिश कर रही थी।
![[Image: pussy-19999992.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/pussy-19999992.jpg)
मेरी चुनमुनिया जोर-जोर से फुदक रही थी, पंखे फैलाके उड़ने को बेताब थी। मैं पनिया रही थी। 8-10 मिनट, हालांकि टाइम का अहसास न मुझे था न मेरी भौजी को। मैं किनारे पर पहुँच गई, पहली बार नहीं, दूसरी तीसरी बार, लेकिन अबकी भाभी ने बजाय मुझे पार लगाने के, एकदम मझधार में छोड़ दिया।
शाम से ही यही हो रहा था, बंसती, गुलबिया और कामिनी भौजी, लेकिन अगले पल पता चला की हमला बंद नहीं हुआ, सिर्फ और घातक हो गया था। हम दोनों 69 की पोज में हो गए थे, भौजाई ऊपर और मैं नीचे।
और वहां भी वो शोले भड़का रही थीं। बजाय सीधे ‘वहां’ पहुँचने के उनके रसीले होंठों ने मेरी फैली खुली रेशमी जाँघों को टारगेट बनाया और कभी हल्के से लम्बे-लम्बे चाटना और कभी हल्के से किस, और बहुत बहुत धीमे-धीमे उनके होंठ मेरे आनद द्वार की ओर पहुँच गए, लेकिन कामिनी भाभी की गीली जीभ मेरे निचले होंठों के बाहरी दरवाजे के बाहर, बस हल्के-हल्के एक लाइन सी खींचती रही।
मैंने मस्ती से आँखें बंद कर ली थी, हल्के-हल्के सिसक रही थी। जोर से मेरी मुट्ठियों ने चादर दबोच रखी थी।
और जैसे कोई बाज झपट्टा मार के किसी नन्ही गौरैया को दबोच ले, बस वही हालत मेरी चुनमुनिया की हुई।
![[Image: pussy-licking-lesb-8.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/pussy-licking-lesb-8.jpg)
भाभी ने तो अपनी जीभ की नोक मेरी कसी-कसी रसीली गुलाबी चूत की फांकों के बीच डालकर दोनों होंठों को अलग कर दिया। उनकी जीभ प्रेम गली के अंदर थी, कभी सहलाती, कभी हल्के से प्रेस करती। मैं पनिया रही थी, गीली हो रही थी। फिर भाभी के दोनों होंठ… उन्होंने एक झपट्टे में दोनों फांको को दबोच लिया।
मैं सोच रही थी की वो अब चूस-चूसकर, लेकिन नहीं… उनके होंठ बस मेरे निचले होंठों को हल्के-हल्के दबाते रहे। रगड़ते रहे। लेकिन मेरी चूत में घुसी उनकी जीभ ने शैतानी शुरू कर दी। चूत के अंदर, कभी आगे-पीछे, कभी अंदर-बाहर, तो कभी गोल।
![[Image: lez-pussy-lick18077314.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-pussy-lick18077314.gif)
जवाब मेरे होंठों ने उनकी बुर पे देना शुरू किया लेकिन वहां भी वही हावी थीं। जोर-जोर से रगड़ना, मेरे होंठों को बंद कर देना… हाँ, कभी-कभी जब वो चाहती थीं की उनकी छुटकी ननदिया उनके छेड़ने का जवाब दे, तो पल भर के लिए मेरे होंठ आजाद हो जाते थे।
कामिनी भाभी की जाँघों की पकड़ का अहसास मुझे अच्छी तरह हो गया था, किसी मजबूत लोहे की सँड़सी की पकड़ से भी तेज, मेरा सर उनकी जाँघों के बीच दबा था, और मैं सूत भर भी हिल नहीं सकती थी। और नीचे उसी मजबूती से उनके दोनों हाथों ने मेरी दोनों जांघों को कस के फैला रखा था।
उन्होंने इतनी जोर से चूसा की मैं काँप गई और साथ में हल्के से क्लिट पे जो उन्होंने बाइट ली की, बस लग रहा था अब झड़ी तब झड़ी।
![[Image: lez-tumblr_mfr04hf2jv1rxgcceo1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/12/20/lez-tumblr_mfr04hf2jv1rxgcceo1_500.gif)
बस मन कर रहा था की जैसे कोई मोटा लम्बा आके, मेरी चूत की चूल चूल ढीली कर दे, लेकिन भौजी मेरी झड़ने दे तब न… जैसे ही मैं किनारे पे पहुँची, उन्होंने मेरी चूत पर से अपने होंठ हटा लिए और जबरदस्त गाली दी-
“काहें ननदी छिनार, भाईचोदी, तेरे सारे खानदान की गाण्ड मरवाऊँ तोहरे भैया से, तोहरी चूत को चोद-चोद के भोसड़ा न बनाय दिया तो तुहारे भैया ने…”
मैं भी कौन कम थी, अपनी भाभी की चुलबुली ननद, मैंने भी मुँह बना के जवाब दिया-
“भौजी आपके मुँह में घी शक्कर लेकिन भैया हैं कहाँ?”