14-05-2019, 09:43 AM
एक लड़की
मैंने बड़ी हिम्मत कर पहला पन्ना , खोला
और मुझे बहुत जोर का गुस्सा लगा , बस धड़कन नहीं रुकी ,
सच में एक लड़की थी ,... १६ -१७ साल की ,...
लेकिन , और कौन?
मैं।
पहले पन्ने पर ही ,..
एक खूब सुन्दर डिजाइन और उसके बीच , हमारे उनके पहले मिलन की निशानी ,... जो बीड़ा मैंने उन्हें मारा था वही , इत्ता सम्हाल के उन्होंने रखा था , एक ट्रांसपरेंट पैकेट में , लैमिन्टेड ,...
धड़कते दिल से मैंने अगला पन्ना खोला ,और धक् से रह गयी ,
एक स्केच , ... मेरा हूबहू , ...लेकिन मैं इस स्केच में इतनी प्यारी लग रही थी , जितना जिंदगी में कभी नहीं लगी रही होउंगी।
मुझसे मेरी बहनों ने बताया था की उनके जीजू ,... लेकिन मैं सिर्फ चिढ़ाती थी , अरे पेन्सिल से एक दो लाइन खींच लेते होंगे ,
मेरे बीड़ा मारते समय का स्केच , ... मेरे चेहरे का एक एक भाव , झुकी हुई मैं ,..
मेरा गुस्सा रुक नहीं रहा था , अपने पर ,... मैंने सोचा कैसे ,... मेरे अलावा ,
पर गुस्सा इनपर भी आ रहा था , ...
चोर बदमाश डाकू
अगले पन्नों पर ,...स्क्रैप बुक की तरह थी डायरी ,...
मेरी हाईकॉलेज की कालेज मैगजीन में मेरी एक ग्रुप फोटो थी , वो ,...
क्लास आठ में मेरा एक लेख कॉलेज की मैगजीन में छपा था , वो
पिछले साल रीजनल रैली में बैडमिंटन और स्वीमिंग में मुझे मेडल मिला था , उस की फोटो ,...
मैंने उन की ओर देखा ,
मारे डर के घबड़ाहट के उनकी आँखे अभी भी बंद थी जैसे उनकी कोई बहुत बड़ी चोरी पकड़ी गयी हो।
और साथ साथ हर दो चार पेज के बाद शादी में जहाँ हम पहली बार मिले थे , ...
जब मैं चुन चुन के उनका नाम ले के गारी गा रही थी , ढोलक बजा रही थी ,
पहली बार बड़ी हिम्मत कर के उन्होंने मेरा नाम पूछा था , ...
और शाम को मेरा नाम बताया था और मैंने जोर से उन्हें डांटा था , कोमल जी नहीं कोमल
और फोटुएं भी ,
मैंने उनके हाथ में मोबाइल तो नहीं देखा था पर उनकी कजिन्स , फ्रेंड्स ,... बीसों फोटो ,..
मेरी बचपन की फोटुएं , ...
गुस्स्से की तो बात ही थी , मेरी दोनों बहने अपने जीजू से मिल गयी थीं , वरना ये सब फोटुएं उन्हें कहाँ मिलती ,
लेकिन इस लड़के ने कितनी मेहनत की होगी ,...
और उसके बाद कवितायें ,... रोज के हिसाब से ,..
और मेरे बालों से लेकर पैरों तक कोई अंग बचा नहीं था ,... उनका जो सबसे फेवरिट पार्ट , जिसे देख कर वो बेचारा हदम ललचाता रहता था , मेरे किशोर उरोज , ... दर्जन भर , ... देखने में ये एकदम सीधे लगते थे , लेकिन सब की सब ऐसी एरोटिक,
वो बोला-
“रोज तुम मुझे सपने में आकर तंग करती थी। इसलिये जैसा तुम दिखती थी, नख सिख वर्णन, सारे अंगों के…”
मैं प्यार से लताड़ के बोली-
“क्या सारे अंगों के?”
वो हँसकर बोला-
“हाँ पढ़ो तो… सारे अंगों के। मुझसे क्या छुपाव, दुराव…”
मैंने बड़ी हिम्मत कर पहला पन्ना , खोला
और मुझे बहुत जोर का गुस्सा लगा , बस धड़कन नहीं रुकी ,
सच में एक लड़की थी ,... १६ -१७ साल की ,...
लेकिन , और कौन?
मैं।
पहले पन्ने पर ही ,..
एक खूब सुन्दर डिजाइन और उसके बीच , हमारे उनके पहले मिलन की निशानी ,... जो बीड़ा मैंने उन्हें मारा था वही , इत्ता सम्हाल के उन्होंने रखा था , एक ट्रांसपरेंट पैकेट में , लैमिन्टेड ,...
धड़कते दिल से मैंने अगला पन्ना खोला ,और धक् से रह गयी ,
एक स्केच , ... मेरा हूबहू , ...लेकिन मैं इस स्केच में इतनी प्यारी लग रही थी , जितना जिंदगी में कभी नहीं लगी रही होउंगी।
मुझसे मेरी बहनों ने बताया था की उनके जीजू ,... लेकिन मैं सिर्फ चिढ़ाती थी , अरे पेन्सिल से एक दो लाइन खींच लेते होंगे ,
मेरे बीड़ा मारते समय का स्केच , ... मेरे चेहरे का एक एक भाव , झुकी हुई मैं ,..
मेरा गुस्सा रुक नहीं रहा था , अपने पर ,... मैंने सोचा कैसे ,... मेरे अलावा ,
पर गुस्सा इनपर भी आ रहा था , ...
चोर बदमाश डाकू
अगले पन्नों पर ,...स्क्रैप बुक की तरह थी डायरी ,...
मेरी हाईकॉलेज की कालेज मैगजीन में मेरी एक ग्रुप फोटो थी , वो ,...
क्लास आठ में मेरा एक लेख कॉलेज की मैगजीन में छपा था , वो
पिछले साल रीजनल रैली में बैडमिंटन और स्वीमिंग में मुझे मेडल मिला था , उस की फोटो ,...
मैंने उन की ओर देखा ,
मारे डर के घबड़ाहट के उनकी आँखे अभी भी बंद थी जैसे उनकी कोई बहुत बड़ी चोरी पकड़ी गयी हो।
और साथ साथ हर दो चार पेज के बाद शादी में जहाँ हम पहली बार मिले थे , ...
जब मैं चुन चुन के उनका नाम ले के गारी गा रही थी , ढोलक बजा रही थी ,
पहली बार बड़ी हिम्मत कर के उन्होंने मेरा नाम पूछा था , ...
और शाम को मेरा नाम बताया था और मैंने जोर से उन्हें डांटा था , कोमल जी नहीं कोमल
और फोटुएं भी ,
मैंने उनके हाथ में मोबाइल तो नहीं देखा था पर उनकी कजिन्स , फ्रेंड्स ,... बीसों फोटो ,..
मेरी बचपन की फोटुएं , ...
गुस्स्से की तो बात ही थी , मेरी दोनों बहने अपने जीजू से मिल गयी थीं , वरना ये सब फोटुएं उन्हें कहाँ मिलती ,
लेकिन इस लड़के ने कितनी मेहनत की होगी ,...
और उसके बाद कवितायें ,... रोज के हिसाब से ,..
और मेरे बालों से लेकर पैरों तक कोई अंग बचा नहीं था ,... उनका जो सबसे फेवरिट पार्ट , जिसे देख कर वो बेचारा हदम ललचाता रहता था , मेरे किशोर उरोज , ... दर्जन भर , ... देखने में ये एकदम सीधे लगते थे , लेकिन सब की सब ऐसी एरोटिक,
वो बोला-
“रोज तुम मुझे सपने में आकर तंग करती थी। इसलिये जैसा तुम दिखती थी, नख सिख वर्णन, सारे अंगों के…”
मैं प्यार से लताड़ के बोली-
“क्या सारे अंगों के?”
वो हँसकर बोला-
“हाँ पढ़ो तो… सारे अंगों के। मुझसे क्या छुपाव, दुराव…”