24-12-2021, 03:47 PM
इन सब के बीच लगातार अंदर से नीरू के चीख़ने और जीजा जी के जोर से खिलखिला कर हंसने की आवाज आती रही और साथ ही नीरू भी बीच बीच में हंस रही थी। दीदी अपने रूम में बढ़ी और मैं दौड कर अपने बैडरूम के दरवाजे तक बढा और सांस रोक कर तेजी से दरवाजा खोल कर अंदर के नज़ारे को देखने के लिए तैयार था। तभी दरवाजा खुला और सामने जीजा ही खड़े थे एक चौड़ी स्माइल के साथ, जैसे मुझे चिढा रहे हो की मैं उनको नहीं पकड़ पाया और वो पहले ही मेरी बीवी के मजे ले चुके है। जीजाजी दरवाजे के बाहर निकले और मैं अंदर गया और वो दरवाजा बंद कर चले गए। मैंने देखा नीरू बिस्तर पर पेट के बल उलटी लेटी हुयी है। उसने अपनी घुटनो तक की ड्रेस पहनी हुयी थी। उसके चेहरे पर खुले बाल बिखरे थे और टाँगे घुटनो से मुड़कर ऊपर छत की तरफ खड़ी थी। मैं आगे बढा और जाकर एक हाथ उसकी गांड पर रख दिया। वो एकदम पलट कर बोली "जीजाजी" और मुझे देख जैसे उसको सदमा लगा। वो अपने जीजाजी को एक्सपेक्ट कर रही थी और मैं आउट ऑफ सिलेबस आ गया था।
प्रशांत: "क्या हुआ? तुम तो मेकअप कर रही थी फिर यहाँ क्यों लेटी हो?"
नीरु अब उठ कर बैठ गयी थी और अपने कपडे एडजस्ट करने लगी।
नीरु: "मैं तो मेकअप ही कर रही थी पर जीजाजी करने ही नहीं दे रहे थे और जबरदस्ती खिंच कर ड्रेसिंग टेबल से बिस्तर पर ले आए। सफर पर जाने से पहले भी तो मेकअप कर ही सकते है, मैं तो करुँगी"
यह कहते हुए वो फिर उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपना मेकअप दुरुस्त करने लगी और मैं बैग पकड़ कर बाहर खिंच लाया।
दीदी और जिजाजी सोफे पर बैठे थे और बैग पास में ही पड़े थे।
नीरज: "क्या हुआ? नीरू फिर मेकअप करने लगी? मैं जाऊं वापिस"
ऋतू: "रहने दो उसको, उसकी इच्छा हैं तो करने दो मेकअप, क्यों परेशान करते हो"
५-१० मिनट्स के बाद नीरू बाहर आ गयी और जीजा उसको देख उसकी तारीफो के पूल बाँधने लगे। नीरू ख़ुशी से फूली नहीं समां रही थी। मुझे देख आँखें दिखा रही थी की जीजाजी से सीखो कैसे तारीफ़ करते है। मैने टैक्सी मंगवायी और हम लोग स्टेशन पहुचे। पहली बार मैं फर्स्ट क्लास से सफर कर रहा था। आज तक ३टिएर ए.सी. या नॉन ए.सी. स्लीपर में ही सफर किया था। हम अपने कम्पार्टमेंट में पहुचे। हमारे केबिन में आमने सामने, ऊपर नीचे चार ही बर्थ थे सोने के लिये। मैंने पुछा हम लोगो को नॉन-ए.सी. से ही जाना था तो नॉन ए.सी. स्लीपर से जा सकते थे।
प्रशांत: "क्या हुआ? तुम तो मेकअप कर रही थी फिर यहाँ क्यों लेटी हो?"
नीरु अब उठ कर बैठ गयी थी और अपने कपडे एडजस्ट करने लगी।
नीरु: "मैं तो मेकअप ही कर रही थी पर जीजाजी करने ही नहीं दे रहे थे और जबरदस्ती खिंच कर ड्रेसिंग टेबल से बिस्तर पर ले आए। सफर पर जाने से पहले भी तो मेकअप कर ही सकते है, मैं तो करुँगी"
यह कहते हुए वो फिर उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपना मेकअप दुरुस्त करने लगी और मैं बैग पकड़ कर बाहर खिंच लाया।
दीदी और जिजाजी सोफे पर बैठे थे और बैग पास में ही पड़े थे।
नीरज: "क्या हुआ? नीरू फिर मेकअप करने लगी? मैं जाऊं वापिस"
ऋतू: "रहने दो उसको, उसकी इच्छा हैं तो करने दो मेकअप, क्यों परेशान करते हो"
५-१० मिनट्स के बाद नीरू बाहर आ गयी और जीजा उसको देख उसकी तारीफो के पूल बाँधने लगे। नीरू ख़ुशी से फूली नहीं समां रही थी। मुझे देख आँखें दिखा रही थी की जीजाजी से सीखो कैसे तारीफ़ करते है। मैने टैक्सी मंगवायी और हम लोग स्टेशन पहुचे। पहली बार मैं फर्स्ट क्लास से सफर कर रहा था। आज तक ३टिएर ए.सी. या नॉन ए.सी. स्लीपर में ही सफर किया था। हम अपने कम्पार्टमेंट में पहुचे। हमारे केबिन में आमने सामने, ऊपर नीचे चार ही बर्थ थे सोने के लिये। मैंने पुछा हम लोगो को नॉन-ए.सी. से ही जाना था तो नॉन ए.सी. स्लीपर से जा सकते थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
