24-12-2021, 03:46 PM
मुझे शक हुआ की रोज के मुकाबले नीरू के मम्मे कुछ ज्यादा ही फुले हुए है। क्या यह सब मेरा भ्रम था या नीरू का जीजा के साथ मस्ती करने से यह हाल हुआ था। या यह भी हो सकता हैं की उनके बीच एक क्विक सेक्स हुआ हो। दिल नहीं मान रहा था पर मन में शक का एक बीज उग गया था। मैं अब कैसे कन्फर्म कर सकता था। मैंने सोचा मैं नीरू की पेंटी में हाथ डालकर उसकी चूत को छू कर देखुंगा। अगर वह गीला हुआ तो मतलब कुछ गड़बड़ है। मै नीरू को देख रहा था जो टॉपलेस होकर सिर्फ एक पेंटी पहने अल्मारी में कपडे देख रही थी। मैं पीछे गया और उस से चिपक गया और उसके मम्मे अपने हाथों से दबाने लगा। नीरु ने मुझको झटका देकर अपने से दूर किया और कहा की अभी ज्यादा रोमांटिक होने की जरुरत नहीं हैं और अभी कुछ नहीं हो सकता हैं क्यों की टाइम नहीं हैं। मैंने भी सोच लिया था की मैं पता करके रहूँगा और मैंने उसको फिर पीछे से दबोच लिया और वो खुद को मुझसे छुड़ाने लगी। मैंने उसको पीछे से पकड़ कर हवा में उठा दिया और वो अपने पाँव साइकिल की तरह चलाते हुए फडफडाने लगी। मैं उसको लेकर बिस्तर पर गिर गया और जबरदस्ती उसकी पेंटी में हाथ डालने की कोशिश करने लगा। वो लगातार मेरा हाथ पकड़ मुझे रोकती रही जैसे उसकी चोरी पकडे जाने वाली हो। मैने आज तक कभी नीरू पर जबरदस्ती नहीं की थी। हालाँकि उसने कई बार जबरदस्ती मेरा मूड न होते हुए भी मेरे साथ चुदाई की थी। मैने अपना हाथ उसकी पेंटी में हाथ डालही दिया और उसकी छूट तक ले गया। उसकी चूत के छोटे छोटे बालो पर ऊँगली छु गयी और थोड़ी गीली हुयी। नीरू ने मेरा हाथ तुरंत बाहर निकाल दिया और उठ खड़ी हुयी।
मैं अपनी गीली ऊँगली के किनारे को देखता रह गया और दिल को धक्का सा लगा। मैं नीरू के चेहरे को पढ़ने लगा की कही चोर तो नहीं छुपा है। मगर वो तो हंस रही थी और चहकते हुए शरमाते बोली।
नीरु: "बड़ी मस्ती चढ़ रही हैं आज! अभी जाना है, कल रात होटल रूम में देखती हूँ की तुम क्या करते हो"
मेरा दिल नहीं मान रहा था और मुझे यह सब गलत फ़हमी ही लगी। हो सकता हैं उसके साथ जो मैं जबरदस्ती कर रहा था उस वजह से उसकी चूत गीली हुयी हो। या फिर ज्यादा से ज्यादा थोड़ी देर पहले जीजाजी उसके साथ जो हँसी मजाक कर रहे थे उस वजह से उसकी चूत गीली हो गयी हो, पर वो जीजाजी के साथ यह गन्दा काम नहीं कर सकती। वो तो सिर्फ मुझे प्यार करती है। फिलहाल उसने दूसरा ब्रा पहन लिया और अपनी घुटनो तक की ड्रेस पहनने को निकाल दि। मैंने उसको कुरता और लेगिंग पहनने को बोला।
नीरु: "जीजाजी ने बोला हैं सफर पर आरामदायक खुले खुले कपडे होने चाहिए इसलिए मैं यही ड्रेस पहनूँगी"
अब अगर जीजा जी ने वो ड्रेस फाइनल की थी तो मेरा बोलने का कोई फायदा नहीं था। नीरू ने वो स्लीवलेस घुटनो तक की ड्रेस पहन ली। हालाँकि वो उस ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही थी, पर हमेशा की तरह मैंने फ़ीका रिस्पांस दिया। मैं भी टी-शर्ट और लोअर पहन कर तैयार था सफर के लिये। रात का सफर था पर फिर भी नीरू हमेशा की तरह मेकअप करने लगी। मैं अब बाहर हॉल में आ गया।
जीजाजी वहाँ नहीं थे, शायद वो भी चेंज करने गए थे। कुछ मिनट्स में ही जीजाजी और ऋतू दीदी अपने कमरे से बाहर आए। ऋतू दीदी ने लूज पजामा और ऊपर एक बटन डाउन शर्ट पहना था। जीजाजी ने अपनी बीवी को तो नीरू की तरह छोटे कपडे नहीं पहनाये थे। जीजाजी ने आते ही नीरू के बारे में पुछा। मैंने बोल दिया की वो मेकअप कर रही है।
नीरज: "अभी रात को मेकअप की क्या जरुरत हैं? रुको मैं नीरू को बाहर लेकर आता हूं। ऋतू तुम तब तक प्रशांत की हेल्प से अपने बैग बाहर ले आओ।"
जीजजी अब मेरे बैडरूम की तरफ बढे और अंदर जाकर दरवाजा जोर से बंद हुआ। उस दरवाजे के बंद होने की आवाज से मेरे दिल को जैसे धक्का लगा। जैसे किसी ने मेरे दिल पर एक मुक्का मार दिया हो। अन्दर से नीरू के चिल्लाने की आवाज आने लगी "नहीं
जीजाजी, नहीं जीजा जी"। मुझे बहुत गुस्सा आया।
मैं अपनी गीली ऊँगली के किनारे को देखता रह गया और दिल को धक्का सा लगा। मैं नीरू के चेहरे को पढ़ने लगा की कही चोर तो नहीं छुपा है। मगर वो तो हंस रही थी और चहकते हुए शरमाते बोली।
नीरु: "बड़ी मस्ती चढ़ रही हैं आज! अभी जाना है, कल रात होटल रूम में देखती हूँ की तुम क्या करते हो"
मेरा दिल नहीं मान रहा था और मुझे यह सब गलत फ़हमी ही लगी। हो सकता हैं उसके साथ जो मैं जबरदस्ती कर रहा था उस वजह से उसकी चूत गीली हुयी हो। या फिर ज्यादा से ज्यादा थोड़ी देर पहले जीजाजी उसके साथ जो हँसी मजाक कर रहे थे उस वजह से उसकी चूत गीली हो गयी हो, पर वो जीजाजी के साथ यह गन्दा काम नहीं कर सकती। वो तो सिर्फ मुझे प्यार करती है। फिलहाल उसने दूसरा ब्रा पहन लिया और अपनी घुटनो तक की ड्रेस पहनने को निकाल दि। मैंने उसको कुरता और लेगिंग पहनने को बोला।
नीरु: "जीजाजी ने बोला हैं सफर पर आरामदायक खुले खुले कपडे होने चाहिए इसलिए मैं यही ड्रेस पहनूँगी"
अब अगर जीजा जी ने वो ड्रेस फाइनल की थी तो मेरा बोलने का कोई फायदा नहीं था। नीरू ने वो स्लीवलेस घुटनो तक की ड्रेस पहन ली। हालाँकि वो उस ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही थी, पर हमेशा की तरह मैंने फ़ीका रिस्पांस दिया। मैं भी टी-शर्ट और लोअर पहन कर तैयार था सफर के लिये। रात का सफर था पर फिर भी नीरू हमेशा की तरह मेकअप करने लगी। मैं अब बाहर हॉल में आ गया।
जीजाजी वहाँ नहीं थे, शायद वो भी चेंज करने गए थे। कुछ मिनट्स में ही जीजाजी और ऋतू दीदी अपने कमरे से बाहर आए। ऋतू दीदी ने लूज पजामा और ऊपर एक बटन डाउन शर्ट पहना था। जीजाजी ने अपनी बीवी को तो नीरू की तरह छोटे कपडे नहीं पहनाये थे। जीजाजी ने आते ही नीरू के बारे में पुछा। मैंने बोल दिया की वो मेकअप कर रही है।
नीरज: "अभी रात को मेकअप की क्या जरुरत हैं? रुको मैं नीरू को बाहर लेकर आता हूं। ऋतू तुम तब तक प्रशांत की हेल्प से अपने बैग बाहर ले आओ।"
जीजजी अब मेरे बैडरूम की तरफ बढे और अंदर जाकर दरवाजा जोर से बंद हुआ। उस दरवाजे के बंद होने की आवाज से मेरे दिल को जैसे धक्का लगा। जैसे किसी ने मेरे दिल पर एक मुक्का मार दिया हो। अन्दर से नीरू के चिल्लाने की आवाज आने लगी "नहीं
जीजाजी, नहीं जीजा जी"। मुझे बहुत गुस्सा आया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
