24-12-2021, 03:45 PM
मै एक बार तो खुश हुआ की मेरी वजह से खराब हुआ माहौल फिर ठीक हुआ पर फिर जीजा जी के शब्दो पर ध्यान दिया। क्या उनके कहने का मतलब यह था की वो नीरू को माँ बनायेंगे। उन्होंने कहा था की "नीरू को जो बच्चा होगा वो मेरा ही तो होगा"
मैने इन शब्दो पर ध्यान दिया पर बाकी किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। नीरू तो उलटा खुश होकर अपने जीजा की गोद में ही बैठ गयी थी। दीदी भी अपनी चिंता छोड़कर हलकी मुस्करायी। मै भी सोचने लगा शायद मैंने ही गलत सुना या फिर गलत मतलब निकला होगा। फिलहाल मेरी बीवी अपने जीजा के गले पड़ी थी। हलांकि यह पहला मौका नहीं था जब वो अपने जीजा से इतने करीब थी पर मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा था पर बाकी तीनो को यह सामान्य लग रहा था तो मैंने भी इसको लाइटली लिया। नीरु फिर अपनी जगह आकर बैठी और जीजा साली में टाँग खिचाई और मजाक शुरू हो गया और मैं सिर्फ दर्शक ही बना रहा। ऋतू दीदी बीच में अपने एक्सपर्ट कमेंट कर देती और नीरू को डांट कर समझा भी देती।
हम सब लोगो ने डिनर कर लिया था और फिर साथ बैठे थे। थोड़ देर प्लानिंग के बाद दीदी ने बोला की उनका सामान तो पैक हैं मगर हम लोगो ने पैकिंग की हैं या नहीं। उन्होंने सुझाया की हमें पहले अपने बैग पैक कर लेने चहिये। मेरी लास्ट मिनट पैकिंग ही बाकी थी तो मैं उठ गया। नीरू भी उठ गयी।
नीरु: "जीजा जी मैंने अपनी तरफ से कपडे फाइनल कर लिए हैं पर आप मेरी मदद करो की क्या लेना है। आप मेरे साथ चलो"
दीदी: "तुम लोग पैकिंग फाइनल करो तब तक मैं किचन का काम ख़त्म कर देती हूँ फिर तैयार होंगे"
मै अब अपने बैडरूम में आए और पीछे पीछे नीरू अपने जीजा को लेकर अंदर आयी। मैं अपनी पैकिंग से ज्यादा उन दोनों को आब्जर्वर कर रहा था।
नीरु ने अपना सूटकेस खोल कर जीजाजी को दिखाया। उसमे उसके कपडे पड़े थे। उसने एक एक कर सब बाहर निकाले और जीजाजी को दिखाने लगी की क्या रखा हैं और क्या नहीं। कपडे निकलने के साथ ही सूटकेस में नीचे पड़े नीरू के ब्रा और पेंटी भी दिखने लगे। मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुयी की इस तरह अपने अंदर पहनने के कपडे उसके जीजा जी बैग में देख पा रहे थे पर उन दोनों पर कोई फर्क नहीं था। वो दोनों कपड़ो को फाइनल करने में लगे थे और मेरी पैकिंग हो गयी तो मैं उनको देखता रहा। पैकिंग होते ही हम सब बाहर आ गए। दीदी भी किचन का काम ख़त्म कर बाहर आ गयी थी। टी.वी. चल रहा था पर सिर्फ मैं देख रहा था। बाकी तीनो अपने कल के प्लान बना रहे थे। आधे घंटे बाद दीदी ने आगे के काम ख़त्म करने को कहा। दीदी ने बोला की अब हम तैयार हो जाते है। ख़ास तौर से नीरू को तैयार होने में ज्यादा टाइम लगेगा तो उसको जाने को बोला।
मैने इन शब्दो पर ध्यान दिया पर बाकी किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। नीरू तो उलटा खुश होकर अपने जीजा की गोद में ही बैठ गयी थी। दीदी भी अपनी चिंता छोड़कर हलकी मुस्करायी। मै भी सोचने लगा शायद मैंने ही गलत सुना या फिर गलत मतलब निकला होगा। फिलहाल मेरी बीवी अपने जीजा के गले पड़ी थी। हलांकि यह पहला मौका नहीं था जब वो अपने जीजा से इतने करीब थी पर मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा था पर बाकी तीनो को यह सामान्य लग रहा था तो मैंने भी इसको लाइटली लिया। नीरु फिर अपनी जगह आकर बैठी और जीजा साली में टाँग खिचाई और मजाक शुरू हो गया और मैं सिर्फ दर्शक ही बना रहा। ऋतू दीदी बीच में अपने एक्सपर्ट कमेंट कर देती और नीरू को डांट कर समझा भी देती।
हम सब लोगो ने डिनर कर लिया था और फिर साथ बैठे थे। थोड़ देर प्लानिंग के बाद दीदी ने बोला की उनका सामान तो पैक हैं मगर हम लोगो ने पैकिंग की हैं या नहीं। उन्होंने सुझाया की हमें पहले अपने बैग पैक कर लेने चहिये। मेरी लास्ट मिनट पैकिंग ही बाकी थी तो मैं उठ गया। नीरू भी उठ गयी।
नीरु: "जीजा जी मैंने अपनी तरफ से कपडे फाइनल कर लिए हैं पर आप मेरी मदद करो की क्या लेना है। आप मेरे साथ चलो"
दीदी: "तुम लोग पैकिंग फाइनल करो तब तक मैं किचन का काम ख़त्म कर देती हूँ फिर तैयार होंगे"
मै अब अपने बैडरूम में आए और पीछे पीछे नीरू अपने जीजा को लेकर अंदर आयी। मैं अपनी पैकिंग से ज्यादा उन दोनों को आब्जर्वर कर रहा था।
नीरु ने अपना सूटकेस खोल कर जीजाजी को दिखाया। उसमे उसके कपडे पड़े थे। उसने एक एक कर सब बाहर निकाले और जीजाजी को दिखाने लगी की क्या रखा हैं और क्या नहीं। कपडे निकलने के साथ ही सूटकेस में नीचे पड़े नीरू के ब्रा और पेंटी भी दिखने लगे। मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुयी की इस तरह अपने अंदर पहनने के कपडे उसके जीजा जी बैग में देख पा रहे थे पर उन दोनों पर कोई फर्क नहीं था। वो दोनों कपड़ो को फाइनल करने में लगे थे और मेरी पैकिंग हो गयी तो मैं उनको देखता रहा। पैकिंग होते ही हम सब बाहर आ गए। दीदी भी किचन का काम ख़त्म कर बाहर आ गयी थी। टी.वी. चल रहा था पर सिर्फ मैं देख रहा था। बाकी तीनो अपने कल के प्लान बना रहे थे। आधे घंटे बाद दीदी ने आगे के काम ख़त्म करने को कहा। दीदी ने बोला की अब हम तैयार हो जाते है। ख़ास तौर से नीरू को तैयार होने में ज्यादा टाइम लगेगा तो उसको जाने को बोला।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
