24-12-2021, 03:23 PM
आख़िर में उठ गया और संगीता दीदी को पीठ'पर सीधा कर'ने लगा. वो घूम गई और अप'ने पीठ'पर सो गई. उसकी आँखें बंद थी. में उसके बाजू में लेट गया और उसके माथे पर मेने मेरे होठ रख दिए. में उसके माथे को धीरे धीरे चूम'ने लगा और नीचे सर'काने लगा. उस'का माथा, आइब्रो, आँखें, नाक, गाल. एक एक कर'ते में उसके पूरे चह'रे को चूम'ने लगा. उसकी दाढी का भाग था उसे मेने हलके से काट लिया.
उसके गालों पर मेरे गाल घिस लिए फिर में उसके होठों पर आया. थोड़ी देर उसके होठों को उप्पर ही उप्पर चूम'ने के बाद में उस'पर मेरी जीभ घुमाने लगा. फिर मेने जीभ उसके होठों के बीच डाल दी और उसके दाँत चाट'ने लगा. अप'ने आप उस'ने अपना मूँ'ह खोल दिया और उस'ने मेरी जीभ को अप'नी जीभ लगा दी.
तो फिर क्या! हम दोनो भाई-बहेन की जीभ का एक दूसरे के मूँ'ह में तांडव न्रित्य चालू हो गया और चाटना, चूमना, चूसना चालू हो गया. जित'नी देर हम भाई-बहेन फ्रेंच किसींग कर रहे थे उत'नी देर में मेरी बहन के नंगे बदन पर मेरी हल'की उंगलीया फिरा रहा था. उसके बड़े बड़े छाती के उभारो पर, उसके उप्पर के निप्पल पर, उसके पेट पर, उसकी नाभी पर, उसकी चूत पर, उसके चूत के बालो पर, उसकी जांघों पर.. सब जगह मेरी उंगलीया जादुई छड़ी की तराहा फिर रही थी जिस'से संगीता दीदी का रोम रोम जाग उठा था.
संगीता दीदी उत्तेजीत हो रही थी और मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. अचानक उस'ने मेरा सर ज़ोर से पकड़ लिया और वो मेरा ज़ोर से चुंबन लेने लगी. मेने उसकी छाती के उभारो पर मेरे हाथ लाए और में उन्हे मसल'ने लगा. हमारे चुंबन की गती बढ़ गई. मेरा उसके बदन'पर ज़ोर बढ़ गया. मेने उसकी छाती को छोड़ दिया और ज़ोर से उसे मेरी बाँहों में भर लिया. उस'ने भी मेरी गर्दन पर अपना हाथ डाल'कर मुझे ज़ोर से कस लिया.
काफ़ी देर वैसे चुंबन लेने के बाद मेने उसे छोड़ दिया और नीचे सरक गया. वो मुझे छोड़ नही रही थी लेकिन मेने मेरे होठ उसके होंठो से हटाए तो उसे मुझे छोड़ना पड़ा. अब मेने पोज़ीशन बदल दी और उसकी टाँगों के बीच लेट गया. में ऐसे लेटा था के उसकी चूत मेरे पेट के नीचे थी और मेरा मूँ'ह उसके छाती के उभारो पर था.
पह'ले तो मेने उसके दोनो उभारो के बीच की खाई को अच्छी तरह से चाट लिया और उस जगह चूम लिया फिर में उसके छाती के उभारो पर आया. में फिर उसके उभारो के उपर के अरोला को धीरे से चाट'ने लगा और उसकी गोलाई पर गोल गोल जीभ घुमाने लगा.
मेरे ऐसे चाट'ने से संगीता दीदी के रोंगटे खड़े हो गये और उस'का अरोला बिल'कुल कड़क हो गया. उस अरोला के उप्पर के हलके बाल भी उत्तेजना से खड़े हो गये थे. जब में जीभ से उस'का निप्पल चाट'ने लगा तो उस'का निप्पल और अरोला और भी कड़ा हो गया. कभी में उसके निप्पल को चूमता था तो कभी चाटता था कभी उन्हे काट'ता था तो कभी होंठो में पकड़'कर दबाता था. बाद में मेरा पूरा मूँ'ह खोल के में उसके छाती का उभार अप'ने मूँ'ह में हो सके उतना भरके उसे चूस'ता रहा. हाथ से उभारो के नीचे का भाग दबाते दबाते में उप्पर का भाग चूस'ता रहा.
में संगीता दीदी के दोनो छाती के उभारो का एक के बाद एक स्वाद ले रहा था. मुझे मेरे बहन की छाती को छोड़'ने का दिल नही कर रहा था लेकिन फिर भी में नीचे सरक गया उसके पेट को, उसकी नाभी को, उसकी कमर के भाग को चूम'ते चूम'ते में उसकी टाँगों पर आया. एक एक कर के मेने उसकी दोनो टाँगें, उसकी जाँघ से लेकर उसके पाँव की उंगलीयों तक चाट लिए और चूम लिए अब तक उसकी चूत को छोड़'कर मेने लग'भग उसके पूरे नंगे बदन को चूमा था, चाटा था.
उसके गालों पर मेरे गाल घिस लिए फिर में उसके होठों पर आया. थोड़ी देर उसके होठों को उप्पर ही उप्पर चूम'ने के बाद में उस'पर मेरी जीभ घुमाने लगा. फिर मेने जीभ उसके होठों के बीच डाल दी और उसके दाँत चाट'ने लगा. अप'ने आप उस'ने अपना मूँ'ह खोल दिया और उस'ने मेरी जीभ को अप'नी जीभ लगा दी.
तो फिर क्या! हम दोनो भाई-बहेन की जीभ का एक दूसरे के मूँ'ह में तांडव न्रित्य चालू हो गया और चाटना, चूमना, चूसना चालू हो गया. जित'नी देर हम भाई-बहेन फ्रेंच किसींग कर रहे थे उत'नी देर में मेरी बहन के नंगे बदन पर मेरी हल'की उंगलीया फिरा रहा था. उसके बड़े बड़े छाती के उभारो पर, उसके उप्पर के निप्पल पर, उसके पेट पर, उसकी नाभी पर, उसकी चूत पर, उसके चूत के बालो पर, उसकी जांघों पर.. सब जगह मेरी उंगलीया जादुई छड़ी की तराहा फिर रही थी जिस'से संगीता दीदी का रोम रोम जाग उठा था.
संगीता दीदी उत्तेजीत हो रही थी और मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. अचानक उस'ने मेरा सर ज़ोर से पकड़ लिया और वो मेरा ज़ोर से चुंबन लेने लगी. मेने उसकी छाती के उभारो पर मेरे हाथ लाए और में उन्हे मसल'ने लगा. हमारे चुंबन की गती बढ़ गई. मेरा उसके बदन'पर ज़ोर बढ़ गया. मेने उसकी छाती को छोड़ दिया और ज़ोर से उसे मेरी बाँहों में भर लिया. उस'ने भी मेरी गर्दन पर अपना हाथ डाल'कर मुझे ज़ोर से कस लिया.
काफ़ी देर वैसे चुंबन लेने के बाद मेने उसे छोड़ दिया और नीचे सरक गया. वो मुझे छोड़ नही रही थी लेकिन मेने मेरे होठ उसके होंठो से हटाए तो उसे मुझे छोड़ना पड़ा. अब मेने पोज़ीशन बदल दी और उसकी टाँगों के बीच लेट गया. में ऐसे लेटा था के उसकी चूत मेरे पेट के नीचे थी और मेरा मूँ'ह उसके छाती के उभारो पर था.
पह'ले तो मेने उसके दोनो उभारो के बीच की खाई को अच्छी तरह से चाट लिया और उस जगह चूम लिया फिर में उसके छाती के उभारो पर आया. में फिर उसके उभारो के उपर के अरोला को धीरे से चाट'ने लगा और उसकी गोलाई पर गोल गोल जीभ घुमाने लगा.
मेरे ऐसे चाट'ने से संगीता दीदी के रोंगटे खड़े हो गये और उस'का अरोला बिल'कुल कड़क हो गया. उस अरोला के उप्पर के हलके बाल भी उत्तेजना से खड़े हो गये थे. जब में जीभ से उस'का निप्पल चाट'ने लगा तो उस'का निप्पल और अरोला और भी कड़ा हो गया. कभी में उसके निप्पल को चूमता था तो कभी चाटता था कभी उन्हे काट'ता था तो कभी होंठो में पकड़'कर दबाता था. बाद में मेरा पूरा मूँ'ह खोल के में उसके छाती का उभार अप'ने मूँ'ह में हो सके उतना भरके उसे चूस'ता रहा. हाथ से उभारो के नीचे का भाग दबाते दबाते में उप्पर का भाग चूस'ता रहा.
में संगीता दीदी के दोनो छाती के उभारो का एक के बाद एक स्वाद ले रहा था. मुझे मेरे बहन की छाती को छोड़'ने का दिल नही कर रहा था लेकिन फिर भी में नीचे सरक गया उसके पेट को, उसकी नाभी को, उसकी कमर के भाग को चूम'ते चूम'ते में उसकी टाँगों पर आया. एक एक कर के मेने उसकी दोनो टाँगें, उसकी जाँघ से लेकर उसके पाँव की उंगलीयों तक चाट लिए और चूम लिए अब तक उसकी चूत को छोड़'कर मेने लग'भग उसके पूरे नंगे बदन को चूमा था, चाटा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.