24-12-2021, 03:17 PM
थोड़ी देर वैसा कर'ने के बाद चूम'ते चूम'ते में पिछे आया और उसकी गर्दन को चूम'ने लगा. फिर में उसकी गर्दन दाएँ से चूम'ते चूम'ते बाई तरफ आया. संगीता दीदी ने झट से अप'नी गर्दन घुमा ली और दाएँ से बाएँ तरफ मूँ'ह कर लिया जैसा मेने उसे दाएँ तरफ चूमा था वैसे ही मेने उस'का बाया गला और ज़ोर से होंठ चूम लिए.
संगीता दीदी के चह'रे को चूम'ते चूम'ते में उप्पर आया और उस'का कंधा चूम'ने लगा. मेरे शरीर का भार मेरे हाथों पर था लेकिन फिर भी में संगीता दीदी के नंगे बदन पर मेरा बदन जितना हो सके उतना घिस रहा था. एक के बाद एक उसके दोनो कंधो को चूम'ने के बाद में उसके हाथों की तरफ मूड गया. उसके दोनो हाथों को एक के बाद एक में चूम'ने लगा. में मेरे होठ उसके बदन पर घुमा रहा था तो कभी उस'को जीभ से चाट रहा था तो कभी उस'को दाँतों से धीरे से काट रहा था.
इस तरह मेने संगीता दीदी के दोनो कंधे, दोनो हाथ और उसकी पूरी पीठ एक के बाद एक चाट ली और चूम ली. बीच बीच में संगीता दीदी के बदन को हलका सा झटका लगता था. उसके मूँ'ह से सिस'कीया निकल'ती थी. कभी कभी उसके बदन पर रोंगटे खड़े हो जाते थे. इस तरह वो चुप'चाप पड़ी थी और जो कुच्छ में कर रहा था उस'का मज़ा ले रही थी.
बाद में मैं उठ गया और संगीता दीदी के पाँव फैलाकर मेने उस में जगह बना ली. फिर में उसके पाँव के बीच में इस तरह अप'ने घुट'ने पर बैठ गया कि झुक'ने के बाद मेरा मूँ'ह उसके चुत्तऱ पर आए. नीचे झुक'कर मेने मेरे होठ उसके भरे हुए चुत्तऱ पर रख दिए. धीरे धीरे में उसके चुत्तऱ को चूम'ने लगा. उसके चुतडो को चूम'ते चूम'ते में उन्हे मसल रहा था. उसके गोरे गोरे चुत्तऱ मेरे मसल'ने से लाल होने लगे. थोड़ी देर उसके दोनो चुत्तऱ को अच्छी तरह से चाट'ने, चूस'ने और काट'ने के बाद में उनके बीच में सरक गया.
संगीता दीदी के दोनो चुतडो के बीच में चूम'ते चूम'ते में उप्पर उसकी कमर तक गया. कुच्छ पल वहाँ चाट'ने के बाद मेने मेरी जीभ उसके चुत्तऱ के बीच वाली खाई में धकेल दी. मेरी जीभ से उसके चुत्तऱ की खाई चाटते चाटते में धीरे धीरे नीचे सर'कने लगा फिर मेने दोनो हाथों से उसके चुत्तऱ बाजू में दबाए जिस'से उसके चुत्तऱ के बीच की खाई और भी चौड़ी हो गई. कमरे की रौश'नी में वो खाई चमक रही थी थोड़ा नीचे उसकी गान्ड का छेद साफ साफ नज़र आ रहा था. मेने मेरी जीभ थोड़ी कड़ी की और उसके चुत्तऱ की वो खाई बड़े प्यार से चाट'ने लगा. चाटते चाटते में नीचे सरक गया और धीरे से मेने उसके गान्ड के छेद पर जीभ का चूमा दी.
उस'से संगीता दीदी के नंगे बदन को अच्छा सा झटका लगा. उसे अनुभव हो गया के मेने उसके गान्ड के हॉल'पर जीभ लगाई है क्योंकी में जब जीभ घुमा रहा था. तब उसकी गान्ड का छेद थोड़ा सिकुड गया ऐसा मुझे अनुभव हुआ. फिर में जल्दी जल्दी उसके चुत्तऱ के बीच का भाग उप्पर से नीचे तक चाट'ने लगा. बीच बीच में जब में उसकी गान्ड के छेद को जीभ लगाता था तब वो पागल हो जाती थी. अब वो अप'ने चुत्तऱ हिलाने लगी थी उसके मूँ'ह से सिस'कीया और हल'की चींखे बाहर निकल'ने लगी थी. इसका मतलब ये था के जो कुच्छ में कर रहा था वो उसे पसंद आ रहा था और उस'से वो उत्तेजीत हो रही थी.
फिर में पूरी तरह से नीचे लेट गया और दोनो हाथों से संगीता दीदी के चुत्तऱ निचोड़ते निचोड़ते उसके बीच की खाई ज़ोर से चूस'ने लगा. उस'को चुसते चुसते बाद में मैं मेरे दोनो हाथ उप्पर ले गया और उसके पीठ और छाती के साइड पर घुमाने लगा. उसकी छाती के उभार उसके बदन के नीचे दब गये थे और में उसके उभारो के साइड से उन्हे सहलाते सहलाते उसके नीचे हाथ डाल'ने लगा लेकिन उसके बदन का वजन उन उभारो पर था जिस'से में हाथ अंदर नही डाल सका.
आख़िर संगीता दीदी ने समझदारी दिखाई और अप'ने हाथों पर वजन लेकर थोड़ी उप्पर उठ गई. मेने झट से मेरे हाथ नीचे से उसकी छाती के उभारो तले डाल दिए और उसके उभार पकड़'कर उन्हे निचोड़'ने लगा. मेने कई बार सपनो में देखी हुई ये एक पोज़ीशन थी संगीता दीदी पेट'पर लेटी हुई है और में उसके पैरो के बीच में लेटा हुआ हूँ. में उसके चुत्तऱ के बीच में मूँ'ह डाल के उसे चाट रहा हूँ और मेरे दोनो हाथ लंबे करके में उसकी छाती दबा रहा हूँ बिल'कुल वैसे ही हो रहा था काफ़ी देर तक में वैसे उसे चाट रहा था और दबा रहा था.
संगीता दीदी के चह'रे को चूम'ते चूम'ते में उप्पर आया और उस'का कंधा चूम'ने लगा. मेरे शरीर का भार मेरे हाथों पर था लेकिन फिर भी में संगीता दीदी के नंगे बदन पर मेरा बदन जितना हो सके उतना घिस रहा था. एक के बाद एक उसके दोनो कंधो को चूम'ने के बाद में उसके हाथों की तरफ मूड गया. उसके दोनो हाथों को एक के बाद एक में चूम'ने लगा. में मेरे होठ उसके बदन पर घुमा रहा था तो कभी उस'को जीभ से चाट रहा था तो कभी उस'को दाँतों से धीरे से काट रहा था.
इस तरह मेने संगीता दीदी के दोनो कंधे, दोनो हाथ और उसकी पूरी पीठ एक के बाद एक चाट ली और चूम ली. बीच बीच में संगीता दीदी के बदन को हलका सा झटका लगता था. उसके मूँ'ह से सिस'कीया निकल'ती थी. कभी कभी उसके बदन पर रोंगटे खड़े हो जाते थे. इस तरह वो चुप'चाप पड़ी थी और जो कुच्छ में कर रहा था उस'का मज़ा ले रही थी.
बाद में मैं उठ गया और संगीता दीदी के पाँव फैलाकर मेने उस में जगह बना ली. फिर में उसके पाँव के बीच में इस तरह अप'ने घुट'ने पर बैठ गया कि झुक'ने के बाद मेरा मूँ'ह उसके चुत्तऱ पर आए. नीचे झुक'कर मेने मेरे होठ उसके भरे हुए चुत्तऱ पर रख दिए. धीरे धीरे में उसके चुत्तऱ को चूम'ने लगा. उसके चुतडो को चूम'ते चूम'ते में उन्हे मसल रहा था. उसके गोरे गोरे चुत्तऱ मेरे मसल'ने से लाल होने लगे. थोड़ी देर उसके दोनो चुत्तऱ को अच्छी तरह से चाट'ने, चूस'ने और काट'ने के बाद में उनके बीच में सरक गया.
संगीता दीदी के दोनो चुतडो के बीच में चूम'ते चूम'ते में उप्पर उसकी कमर तक गया. कुच्छ पल वहाँ चाट'ने के बाद मेने मेरी जीभ उसके चुत्तऱ के बीच वाली खाई में धकेल दी. मेरी जीभ से उसके चुत्तऱ की खाई चाटते चाटते में धीरे धीरे नीचे सर'कने लगा फिर मेने दोनो हाथों से उसके चुत्तऱ बाजू में दबाए जिस'से उसके चुत्तऱ के बीच की खाई और भी चौड़ी हो गई. कमरे की रौश'नी में वो खाई चमक रही थी थोड़ा नीचे उसकी गान्ड का छेद साफ साफ नज़र आ रहा था. मेने मेरी जीभ थोड़ी कड़ी की और उसके चुत्तऱ की वो खाई बड़े प्यार से चाट'ने लगा. चाटते चाटते में नीचे सरक गया और धीरे से मेने उसके गान्ड के छेद पर जीभ का चूमा दी.
उस'से संगीता दीदी के नंगे बदन को अच्छा सा झटका लगा. उसे अनुभव हो गया के मेने उसके गान्ड के हॉल'पर जीभ लगाई है क्योंकी में जब जीभ घुमा रहा था. तब उसकी गान्ड का छेद थोड़ा सिकुड गया ऐसा मुझे अनुभव हुआ. फिर में जल्दी जल्दी उसके चुत्तऱ के बीच का भाग उप्पर से नीचे तक चाट'ने लगा. बीच बीच में जब में उसकी गान्ड के छेद को जीभ लगाता था तब वो पागल हो जाती थी. अब वो अप'ने चुत्तऱ हिलाने लगी थी उसके मूँ'ह से सिस'कीया और हल'की चींखे बाहर निकल'ने लगी थी. इसका मतलब ये था के जो कुच्छ में कर रहा था वो उसे पसंद आ रहा था और उस'से वो उत्तेजीत हो रही थी.
फिर में पूरी तरह से नीचे लेट गया और दोनो हाथों से संगीता दीदी के चुत्तऱ निचोड़ते निचोड़ते उसके बीच की खाई ज़ोर से चूस'ने लगा. उस'को चुसते चुसते बाद में मैं मेरे दोनो हाथ उप्पर ले गया और उसके पीठ और छाती के साइड पर घुमाने लगा. उसकी छाती के उभार उसके बदन के नीचे दब गये थे और में उसके उभारो के साइड से उन्हे सहलाते सहलाते उसके नीचे हाथ डाल'ने लगा लेकिन उसके बदन का वजन उन उभारो पर था जिस'से में हाथ अंदर नही डाल सका.
आख़िर संगीता दीदी ने समझदारी दिखाई और अप'ने हाथों पर वजन लेकर थोड़ी उप्पर उठ गई. मेने झट से मेरे हाथ नीचे से उसकी छाती के उभारो तले डाल दिए और उसके उभार पकड़'कर उन्हे निचोड़'ने लगा. मेने कई बार सपनो में देखी हुई ये एक पोज़ीशन थी संगीता दीदी पेट'पर लेटी हुई है और में उसके पैरो के बीच में लेटा हुआ हूँ. में उसके चुत्तऱ के बीच में मूँ'ह डाल के उसे चाट रहा हूँ और मेरे दोनो हाथ लंबे करके में उसकी छाती दबा रहा हूँ बिल'कुल वैसे ही हो रहा था काफ़ी देर तक में वैसे उसे चाट रहा था और दबा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.