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Adultery बर्बादी को निमंत्रण
अपडेट - 18



समीर अपना माल खाली करके एक क्रीम निकालता है और उसे अपने लंड पर मलने लगता है। देखते ही देखते समीर का लन्ड एक बार फिर से खड़ा हो जाता है। लेकिन इस बार उसका लन्ड अजीब सा लग रहा था। दरअसल ये भी एक ड्रग ही था। ये लन्ड को ड्राई करने के साथ साथ सेक्सुअल इरेक्शन भी देता है। समीर अपने लंड को हल्का सा लुब्रिकेटे करता है तो देखता है कि 5 से 8 सेकंड मैं उसका लन्ड फिर से ड्राई हो जाता है।


समीर हल्की सी मुस्कान के साथ चनाचल कि दोनों टांगों के बीच जाकर अपने लन्ड को चँचल की चूत पर रगड़ने लगता है। ड्रग के कारण चँचल की चूत बार बार पानी छोड़ रही थी। और समीर के लैंड को गीला कर रही थी। समीर भी देख रहा था कि उसका लन्ड गीला होने के बाद फिर से धीरे धीरे सुख रहा है। समीर चँचल की गर्दन ऊपर उठा कर उसकी आँखों मे आंखें डाल कर देखता है। चँचल की आंखें इस वक़्त सुर्ख लाल थी। ऐसा लग रहा था जैसे चँचल आने वाले लम्हों के लिए पूरी तरह से तैयार थी। समीर ने अपने लन्ड के  सुपडे को चँचल की पानी छोड़ती चूत के मुंह पर लगा दिया। चँचल की कमर समीर के लन्ड के स्पर्श मात्र से हवा में उठ गई।



अब आगे......



समीर बार - बार चंचल की चूत पर अपना लन्ड रगड़ता है। समीर लन्ड के सुपडे को चंचल की चूत के मुहाने से उसके क्लीट तक रगड़ता है।  


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समीर के बार बार ऐसा करने पर चंचल परेशान हो जाती है। चंचल को इस वक़्त सिर्फ और सिर्फ सेक्स की चाहत थी। 


चंचल एक पल को अपनी आंखें खोल कर समीर को देखती है।  समीर भी चंचल की आंखों में झांक कर देखता है। चंचल की आंखें इस वक़्त सुर्ख लाल थी। चंचल इस वक़्त पूरी तरह से होश में भी नही थी। चंचल की ये हालत ड्रग के कारण थी।

[Image: 5cd88f32eaac5.jpg] 

 समीर थोड़ी देर इंतजार करके चंचल की आंखों में देखते हुए अपने लन्ड के सुपडे को चंचल की चूत के मुह पर टिका कर हल्के हल्के की और खिसकने लगता है। समीर चंचल की चूत में कोई धक्का नहीं मरता बल्कि अपने लन्ड को धीरे धीरे चंचल की चूत में स्लिप करवा रहा था जिस से चंचल की चूत की दीवारें रगड़ खा रही थी। 

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समीर की इस हरकत से चंचल की जांघें कांप जाती है और चंचल का पानी छूट जाता है। चंचल की चूत झड़ते वक़्त समीर के लन्ड को ऐसे जकड़ रखी थी जैसे शेर हिरनी को अपने जबड़े मैं फंसा लेता है। 



तकरीब डेड मिनट तक चंचल झड़ती रही। चंचल जैसे ही झाड़ कर शांत हुई समीर के लन्ड ने अपना काम करना शुरू कर दिया। समीर के लन्ड पर जो ड्रग लगा था उसकी वजह से चंचल की चूत का चिकना पानी अब धीरे धीरे गाड़ा होता जा रहा था। या फिर यूँ कहूँ की अब चंचल की चूत हल्की हल्की ड्राई हो गयी थी। समीर को ऐसा महसूस होती है एक हल्की सी मुस्कान के साथ समीर अपना लन्ड ठीक वैसे ही धीरे धीरे बाहर की और खींचता है। इस बार जब समीर ने अपना लैंड बाहर की और खींचा तो चंचल की चूत भी जैसे बाहर को आने को हो गयी। एक दम समीर के लन्ड के चिपक कर। 


ये ड्रग जो समीर के लन्ड पर लगा था ये एक्सट्रा टाइटनेस का काम करता है। लन्ड में भी और चूत में भी। चंचल को हल्की सी जलन होती है लेकिन सेक्स के नशे में चूर चंचल को बस सेक्स चाहिए था। एक बार झड़ने के बाद चंचल फिर से गर्म हो चुकी थी।

समीर चंचल के चेहरे की तरफ झुक कर चंचल से बोलता है। 

समीर: तो मेरी स्लेव को कैसा लग रहा है?

चंचल: उम्मम आह कैसे बताऊ। बस करते रहो।

समीर: फिर आज के बाद तो ऐसा मौका नही मिलेगा ना।

चंचल कोई जवाब नही देती। ड्रग के कारण चंचल का शरीर उसके बस में नहीं था लेकिन दिमाग समीर की हर बात समझ रहा था। 

समीर एक गहरा धक्का चंचल की चूत में मारता है और पूछता है।


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समीर: बोलो ना?

चंचल: क्या पता शायद मिल जाये।

समीर चंचल के ये बात सुन कर 3-4 गहरे धक्के चंचल की चूत में लगाता है।  इन धक्कों के कारण चंचल पूरी तरह से सेक्स के नशे में डूब जाती है। चंचल को समीर और अपने पति के बीच हुई चुदाई याद आती है। लेकिन उसे हर बार सिर्फ और सिर्फ समीर ही दिखाई देता है।

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अब समीर चंचल को बुरी तरह से चोदने लगता है। जिस से चंचल की सिसकारियां सुरेश के ऑफिस को पूरी तरह से गुंजा देती है।

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समीर बुरी तरह से चंचल की चूत को चोद रहा था। और चंचल समीर के हर प्रहार का जवाब दे रही थी। अचानक से चंचल का बदन अकड़ने लगता है और चंचल झड़ जाती है। चंचल झड़ने के साथ ही एक डूबी हुई सी चीख मारती है जो उस आफिस की चार दिवारी में ही कहीं गुम हो जाती है।


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चंचल की यह आह से पूरा आफिस गूंज उठा था। तभी समीर अपना लन्ड बाहर निकाल कर चंचल के चेहरे के ऊपर अपना माल खाली करने लगता। अब समीर का भी काम हो चुका था। चंचल गहरी गहरी सांस ले रही थी। इसी बीच समीर के लन्ड से माल निकलना शुरू हुआ तो ऐसा लग रहा था जैसे वीर्य की बरसात हो रही हो। चंचल का पूरा चेहरा समीर के वीर्य से भर चुका था।


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चंचल और समीर दोनों वही करीब 20 मिनट तक आराम करके अपनी सांसे दुरुस्त करते है। चंचल का पूरा बदन पूरी तरह से टूट रहा था। और समीर भी लगभग थक चुका था। समीर चंचल को पकड़ कर बाथरूम में ले जाता है। और चंचल के पूरे बदन को साफ करता है। ठंडे पानी के स्पर्श से चंचल को हल्का सा होश आता है। चंचल को अब एहसास हो चुका था कि उसका सब कुछ लूट लिया गया है। लेकिन चंचल इस के लिए खुद को जिम्मेदार मान रही थी।


हालांकि चंचल को इस बात का एहसास तक नही था कि चंचल की समीर ने सेक्स ड्रग दिया था। इसी लिए चंचल खुद को इसके लिए माफ नही कर पा रही थी। और वहीं शावर की बूंदों में उसके आंसू बह गए। समीर चंचल का बदन पौंछ कर चंचल को कपड़े पहनने में मदद करता है और खुद भी तैयार हो जाता है। चंचल को चलने में हल्की सी तकलीफ हो रही थी । 


चंचल आफिस से बाहर निकलने लगती है समीर चंचल का हाथ पकड़ कर चंचल को सोफे पर बिठा देता है। चंचल समीर से नज़रें नहीं मिला पा रही थी। समीर अपनी कोट की जेब से 2 टेबलेट निकाल कर चंचल को देता है।


समीर: ये ले लो । पेनकिलर है। दर्द ठीक हो जाएगा। और चलने में तकलीफ नहीं होगी। वरना इस हालत में बाहर निकलोगी तो लोग सब समझ जाएंगे।

चंचल को समीर का ऐसा सोचना अच्छा लगता है। चंचल को यकीन हो गया था कि समीर चंचल की इज्जत की बहोत परवाह करता है। चंचल चुपचाप वो गोलिया पानी के साथ ले लेती है।


समीर: और हां , कल उस लड़की की बारी है। वैसे तुमने मुझे सिर्फ उसकी फोटो दिखाई है उसके बारे में कुछ बताया नहीं। इसलिए मुझे खुलकर उसके परिवार के बारे में सब बताओ। 

चंचल और समीर दोनो क़रीब 30 मिनट तक उस कच्ची कली के बारे में बातें करते है। समीर उसके बारे में सब कुछ जान लेता है। 


समीर: तुम देखना चाहोगी उस लड़की को कैसा तैयार करता हूँ इस  शहर की टॉप माल बनने में?

चंचल: हाँ....


ये पहला शब्द था जो समीर के साथ हुई चुदाई के बाद चंचल में नार्मल हाव  भाव में दिया था। ना तो चंचल इस वक़्त समीर के साथ हुई चुदाई के ग़म में थी और ना ही अपने बदले की भावना से ग्रस्त। वो इस समय फिर से तड़प रही थी।

समीर : तो फिर ठीक है , कल तुम आफिस नहीं जाओगी बल्कि मेरे फार्म हाउस पर मिलोगी। और हां उस लड़की को तुम ही अपने साथ लाओगी वो भी सुबह जल्दी ठीक उसके कॉलेज के टाइम में। मुझे काम से कम 8 घंटे चाहिए। और हां रही बात उसकी कॉलेज की और किसी की तो तुम उसकी टेंशन मत करना बस काल से किसी भी हाल में फार्म हाउस ले आना । उसे लेकर आने की जिम्मेदारी तुम्हारी है। बाकी सब मैं देख लूंगा। 

अचानक से घड़ी की बेल बज पड़ती है। शाम के 7.30 बज रहे है। 

समीर: लो तुम्हारा घर जाने का वक़्त हो  गया। और तुम्हारा दर्द भी अब तो 100%, सही हो गया होगा। है ना?

चंचल: (शर्म से ) हम्म

समीर: तो चलो मैं निकलता हूँ। मेरे जाने के ठीक 10 मिनट बाद तुम निकल जाना।


समीर निकल जाता है आने फार्महाउस ओर चंचल निकल जाती हैअपने घर।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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RE: बर्बादी को निमंत्रण - by Rocksanna999 - 13-05-2019, 03:18 AM



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