13-05-2019, 01:47 AM
एक लड़की दूसरी औरत को चोद रही थी, ये सामान्य चुदाई का नियम तो नहीं लेकिन जिनका अनुभव् असली लंड से अच्छा नहीं रहता वो अपनी प्यास बुझाने का नया रास्ता दूंढ ही लेती है | मालविका ने भी वो नया रास्ता दूंढ लिया था, लड़की बेतहाशा धक्के लगा रही थी और मालविका भी उतनी ही शिद्दत से लंड घोट रही थी | एक के मुहँ से आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह की सिसकारी बंद नहीं हो रही थो तो दूसरी सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस का सीत्कार भर रही थी | वासना की महफ़िल में हवस से भरे दो जिस्म अपने अन्दर की आग बुझाने में पूरी तरह से रमे हुई थे | उनके उत्तेजित शरीर इस आग को बुझाने को कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे | आखिर हवस में डूबे तपते बदन कभी तो ठन्डे पड़ेगें | आखिर कभी तो ये जिस्म को दहकाने वाली आग बुझेगी | दोनों ही अपने जिस्मो की आग को बुझाने में कसकर रमी हुई थी, मालविका ने अपनी उंगलिया स्तनों को मसलने से हटाकर चूत पर ले आई | उसकी उंगलियाँ चूत दाने पर रपटने लगी | मालविका अब जोर जोर से आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स की आवाजे निकाल रही थी | लड़की ने भी इस इशारे को समझकर अपने झटके तेज कर दिए, जीतनी तेज वो लंड मालविका की चूत में ठेल सकती थी ठेल रही थी | उसकी कराहे भी चरम पर पंहुच गयी थी | उसकी कमर में जीतनी ताकत थी उतनी ताकत से वो मालविका को चरम सुख की ओर ले जा रही थी | मालविका को भी अपने बदन की हरकतों का अहसास होने लगा | वासना की भट्ठी में तपता उसका बदन अब अकड़ने लगा | उसके शरीर में मादक तरंगो के ज्वार उठने गिरने लगे | उसकी जांघो में कम्पन बढ़ गया | उसके भरी भरकम चुतड थर थराने लगे, उसकी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसके पसीने से लथपथ ठोस उरोज पत्थर की तरह अकड़ गए | उसके मन मस्तिष्क में एक उत्तेजना का एक तूफ़ान सा गया, उसकी चूत झरने लगी, उसकी चूत का फौव्वारा फुट पड़ा और उसके जिस्म में जल रही हवस की आग को बुझाने लगा | उसके तपते जिस्म में एक तूफ़ान आया और सब कुछ बहाने लगा | उस तूफ़ान में मालविका सब कुछ छोड़कर पानी की तरह बहने लगी | उसका अकड़ता शरीर अनचाहे कम्पन से हिलकर शांत हो गया | वो एक लम्बी मादक कराह आआआआआआआह्हह्हह्हह ईईईईईईईईईइ के साथ ढेर हो गयी | उसका तपता बदन का कांपना थमने लगा, शरीर की अकडन नरम हो गयी और कठोर हो गए उरोज नरम होने लगे | वो पसीने से लथपथ हो गयी, सांसे बेकाबू सी हो रही थी, दिल जोरो से धड़क रहा था और हर गुजरते पल के साथ सब कुछ थमता नजर आ रहा था | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, शिथिल होकर सांसे काबू में करने लगी | लगातर धकापेल लंड पेलने की कारन लड़की की सांसे भी धौकनी की तरह तेज थी वो भी बुरी तरह हांफ रही थी | लड़की भी अपनी सांसे काबू करती हुई पड़ोस में लुढ़क गयी, मालविका ने उसे अपनी बांहों में भर लिया | दोनों के पसीने से लथपथ शरीर का पसीना के दुसरे में मिलने लगा | एक दुसरे की बांहों में कैद दोनों अपनी सांसे काबू में करने लगी |
लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |
वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |
आइस्ते आइस्ते लड़की ने अपनी कमर हिलाकर मालविका की गांड मारनी शुरू कर दी | धीरे धीरे मालविका की गांड का छल्ला खुलने लगा था और उसकी गांड में होने वाला दर्द भी थमने लगा | लड़की अभी भी आइस्ते आइस्ते ही अपनी कमर हिला रही थी | मालविका अब दर्द बर्दाश्त करने की स्थिति में थी | मालविका ने अपनी दर्द से थरथराई गांड में मोटा बेजान लंड लिए हुए ही लड़की का हाथ थामा और उसे अपनी पीठ पर लाद लिया | खुद बिस्तर पर घुटनों के बल कुतिया की पोजीशन में आ गयी | अब उसकी गाड़ भारी भरकम मांसल सुडौल चुताड़ो के साथ पूरी तरह से ऊपर को उठी हुई थी और उसमे रबर का मोटा लंड धंसा हुआ था | लड़की को पोजीशन एडजस्ट करने में थोडा टाइम लगा लेकिन उसने कमर हिलानी बंद नहीं की | उसने अपने हाथों और पैरो पर खुद को उल्टा टिकाया और जोर लगाकर मालविका की गांड में लंड पेलने लगी | मालविका को इस तरह से अन्दर तक गहराई तक गांड में लंड जाने से दर्द हो रहा था लेकिन मुट्ठी भींचकर वो बर्दाश्त कर रही थी | उसने अपना मुहँ बिस्तर में घुसेड़ रखा था | मालविका की गांड का छेद टाइट था और उसमे रबर का लंड पेलने के लिए लड़की को चूत में लंड पेलने से ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था, इतना जोर लगाना पड़ रहा था उसके पैर पंजो पर टिक जाते थे लेकिन वो भी कहाँ हार मानने वाली थी | उसने भी मालविका की गांड में हचक हचक के लंड पेल कर उसको दर्द भरी वो सनसनाहट दी जिसको वो भूखी थी | मालविका दर्द भरी कामुक तरंगे अपने बदन में महसूस करने लगी थी | मालविका अपनी गांड की गहराई में उस बेजान लंड को महसूस कर रही थी | मालविका मादकता भरे दर्द से कराह रही थी और लड़की जोर जोर से हांफते हुए बिना रुके मालविका की गांड मार रही थी | इतना आसन नहीं होता लगातर बिना रुके किसी की कसी गांड को इस तरह से चोदना | लड़की का स्टैमिना अच्छा था लेकिन उसकी भी सांसे उखड़ने लगी थी, मुहँ से हांफती उसकी गरम सांसे मालविका की गर्दन को छु रही थी |
मालविका - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ लगता है तुम थक गयी हो, बहुत मेहनत लगती है इसमें | थोड़ा आराम कर लो | गांड में लंड पेलने में दम निकल जाता है इतना जोर लगाना पड़ता है |
मालविका के इशारे पर लड़की ने लंड निकाल लिया और मालविका की गाड़ का खुला हुआ गुलाबी छेद दिखने लगा | गाड़ के चारो तरफ गुलाबी लालिमा लिए हुए घेरा और उसके बाद मोटे बेजान लंड से बुरी तरह फैलाकर कर चौड़ा किया गया मालविका की गांड का सख्त छेद पूरी तरह से खुला हुआ था | छेद इतना खुल गया था की बाहर से ही मालविका की गांड की सुरंग की गुलाबी लालिमा साफ़ दिख रही थी |
मालविका ने लड़की को बांहों में भर कर एक लम्बा किस किया, ये एक तरह से थैंक्यू किस था जो मालविका ने उसकी गांड को इतनी अच्छी तरह चोदने के लिए दिया था | गांड में जाते मोटे बेजान लंड की सनसनाहट से उसकी कमर चूतड़ मन मस्तिष्क दिली दिमाग सब झूम उठे थे | उसकी गांड का दर्द चुताड़ो से लेकर जांघो तक फैला हुआ था | उसके गांड की खुजली भी अब शांत ही थी फिर भी मालविका अपने को पूरी तरह संतुष्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने लड़की को पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर आ गयी | उसकी कमर के ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ टिकाकर उसके लंड के ठीक सामने खुद को पोजीशन कर लिया | लड़की ने लंड को बिलकुल मालविका की गांड के सामने तान दिया था | मोटा सा बेजान लंड मालविका अपनी चौड़े चुताड़ो के खुले गांड के छेद में लेने लगी | उसने अपने जबड़े सख्त किये और लंड पर बैठने लगी | लंड में बिना किसी दिक्कत के उसकी गुलाबी गांड के चौड़े छेद धसने लगा |
एक ही बार में मालविका की खुली गांड पूरा का पूरा लंड जड़ तक घोट गयी | मालविका ने एक लम्बी कराह और हुंकार एक साथ भरी, जैसे कोई जंग जीत ली हो | अब उसकी बारी गांड की बची कुची खुजली मिटाने की थी | उसने ऊपर नीचे होना शुरू किया और उसी के साथ वो मोटा बेजान लंड उसकी गांड का मर्दन करने लगा | सब कुछ मालविका के नियंत्रण में था, जीतनी स्पीड में खुद की गांड मारना चाहती थी, जितनी गहराई तक मारना चाहती थी, सब कुछ उसी पर निर्भर था | मालविका भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने फुल स्पीड में लड़की के ऊपर उछलना शुरू किया और मोटा बेजान लंड भी उसी तेजी से मालविका की गुलाबी कसी गांड को चीर कर उसकी गुलाबी सुरंग में सरपट दौड़ने लगा, मालविका की गांड की गुलाबी दीवारों को रौदने लगा | जिस स्पीड में मालविका अपनी कसी गांड में लंड ठुसने में लगी थी, उससे रबर का लंड झुक जा रहा था | नीचे लड़की ने बेजान लंड को कसकर थाम लिया ताकि वो मोटा सा रबर लंड मालविका की गांड की गहराई तक जा सके, और उसकी गांड की सुरंग की दीवारों के हर कोने को रगड़ सके | जिससे मालविका की गांड की खुजली दूर हो सके और उसके जिस्म को एक अनोखा सा वासना का सुखद अनुभव हो सके | मालविका के जिस्म के कोने कोने में आग लगी हुई थी और गांड में जाते मोटे लंड के स्पंदन ही उसे बुझा सकते थे | मालविका भी पूरा जोर लगाये पड़ी थी | जीतनी तेज झटका होगा, उतनी तेज लंड गांड में घुसेगा और उतनी तेज ही गांड में कम्पन उठेगा, जो उसके चुताड़ो जांघो पिंडलियों पेट पीठ कमर छाती सर दिल और दिमाग सबको हिला देगा और गांड से निकलने वाली दर्द भरी उत्तेजना की तरंगे उसके शरीर के कोने कोने की प्यास बुझा देगी, उसके जिस्म की नस नस को कंपा देगी | मालविका बस उत्तेजना से तपते शरीर और वासना से नहाये दिलो दिमाग को ध्यान में रखकर बेतहाशा अपनी गांड में मोटा सा रबर लंड ले रही थी | खुद ही खुद की गांड मार रही थी और वासना में सिसकारियो के साथ कुछ भी बडबडा रही थी | इतनी तेज चुदाई से उसकी सांसे भी धौकनी की तरह चलने लगी थी | वो बुरी तरह हांफने लगी थी, जाहिर सी बात है इसका असर उसके धक्को पर पड़ रहा था, उसके तेज हांफने के कारन उसकी गांड में लंड जाने की स्पीड भी कम हो गयी थी जबकि इस समय तो चरम पाने के लिए बेतहाशा धक्को की जरुरत थी |
इस बार लड़की बोली - मैडम आप थक गयी है, क्या मै आपको अच्छा फील करा सकती हूँ |
लड़की की बात मालविका को सही लगी | मालविका झट से उसके ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और पीठ के बल लेटकर अपनी जांघे हवा में उठा दी | लड़की भी उसी फुर्ती से बिस्तर से उठी और मालविका की जांघो के बीचो बीच अपनी जगह बनाकर उसकी गांड में बेदर्दी से लंड घुसेड दिया | अब दर्द की परवाह न मालविका को थी न उस लड़की को इस बात का ख्याल रखना था | अब तो सारी जद्दोजहद अपने जिस्म की आग बुझाने की थी उसके लिए चाहे मुसल लंड से चुदना पड़े या गांड फड़वानी पड़े | लड़की ने जड़ से बेजान लंड को कसकर थाम रखा था और मालविका की गांड के टाइट छेद में बेतहाशा पेल रही थी | मालविका भी अपनी जांघो को अपने हाथो में फंसाए अपनी चूत को बेतहाशा रगड़ रही थी | दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रही थी | मालविका गांड में जाते मोटे लंड के कारन उत्तेजना से लम्बी लम्बी सिसकारियां भर रही थी और मादकता से कराह रही थी | लड़की ने पूरी ताकत लगाकर पूरा लंड मालविका की गांड में घुसेड़ कर चार पांच करारे पुरे पुरे झटके दे मारे | पूरा का पूरा लंड हर झटके के साथ मालविका की गांड में घुस गया और उसके आखिरी छोर पर जोरदार ठोकरे मारी | लंड मालविका की गांड की गुलाबी सुरंग के उपरी हिस्से में जाकर टकराया और दर्द के एक तीखी तरंग उसके चुताड़ो, जांघो और पिंडलियों को हिला गयी | इतनी देर से मालविका अपने जिस्म को कठोर करके अपनी गांड मोटे लंड को ले रही थी लेकिन इन करारे झटको और उसके बाद उठने वाली दर्द भरी तरंग मालविका के हाथ पाँव ढीले कर दिए | मोटे लंड को अपनी जलती गांड में लेने की और ज्यादा सहने की शक्ति मालविका के शरीर में नहीं बची थी | मोटा लंड जैसे ही गांड की सुरंग के उपरी हिस्से से टकराया था मालविका दर्द से बेहाल हो गयी उसके शरीर ने हाथ खड़े कर दिए , उसकी जांघे लंड के झटके से बने कम्पन से थरथराने लगी, उसके चूतड़ अपने आप हिलने लगे | मालविका का उसके शरीर में नियंत्रण समाप्त हो गया | मालविका ने गांड मरवाकर कर भी अपने चरम सुख को पा लिया | मालविका के हाथ पाँव ढीले पड़ने लगे | उसका शरीर निढाल होने लगा | उसके चुताड़ो का दर्द कम होने लगा, मालविका ने अपनी चूत को रगड़ना छोड़ लड़की को अपनी बांहों में भर लिया | उसे बेतहाशा चूमने लगी, अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी |
लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |
वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |
आइस्ते आइस्ते लड़की ने अपनी कमर हिलाकर मालविका की गांड मारनी शुरू कर दी | धीरे धीरे मालविका की गांड का छल्ला खुलने लगा था और उसकी गांड में होने वाला दर्द भी थमने लगा | लड़की अभी भी आइस्ते आइस्ते ही अपनी कमर हिला रही थी | मालविका अब दर्द बर्दाश्त करने की स्थिति में थी | मालविका ने अपनी दर्द से थरथराई गांड में मोटा बेजान लंड लिए हुए ही लड़की का हाथ थामा और उसे अपनी पीठ पर लाद लिया | खुद बिस्तर पर घुटनों के बल कुतिया की पोजीशन में आ गयी | अब उसकी गाड़ भारी भरकम मांसल सुडौल चुताड़ो के साथ पूरी तरह से ऊपर को उठी हुई थी और उसमे रबर का मोटा लंड धंसा हुआ था | लड़की को पोजीशन एडजस्ट करने में थोडा टाइम लगा लेकिन उसने कमर हिलानी बंद नहीं की | उसने अपने हाथों और पैरो पर खुद को उल्टा टिकाया और जोर लगाकर मालविका की गांड में लंड पेलने लगी | मालविका को इस तरह से अन्दर तक गहराई तक गांड में लंड जाने से दर्द हो रहा था लेकिन मुट्ठी भींचकर वो बर्दाश्त कर रही थी | उसने अपना मुहँ बिस्तर में घुसेड़ रखा था | मालविका की गांड का छेद टाइट था और उसमे रबर का लंड पेलने के लिए लड़की को चूत में लंड पेलने से ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था, इतना जोर लगाना पड़ रहा था उसके पैर पंजो पर टिक जाते थे लेकिन वो भी कहाँ हार मानने वाली थी | उसने भी मालविका की गांड में हचक हचक के लंड पेल कर उसको दर्द भरी वो सनसनाहट दी जिसको वो भूखी थी | मालविका दर्द भरी कामुक तरंगे अपने बदन में महसूस करने लगी थी | मालविका अपनी गांड की गहराई में उस बेजान लंड को महसूस कर रही थी | मालविका मादकता भरे दर्द से कराह रही थी और लड़की जोर जोर से हांफते हुए बिना रुके मालविका की गांड मार रही थी | इतना आसन नहीं होता लगातर बिना रुके किसी की कसी गांड को इस तरह से चोदना | लड़की का स्टैमिना अच्छा था लेकिन उसकी भी सांसे उखड़ने लगी थी, मुहँ से हांफती उसकी गरम सांसे मालविका की गर्दन को छु रही थी |
मालविका - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ लगता है तुम थक गयी हो, बहुत मेहनत लगती है इसमें | थोड़ा आराम कर लो | गांड में लंड पेलने में दम निकल जाता है इतना जोर लगाना पड़ता है |
मालविका के इशारे पर लड़की ने लंड निकाल लिया और मालविका की गाड़ का खुला हुआ गुलाबी छेद दिखने लगा | गाड़ के चारो तरफ गुलाबी लालिमा लिए हुए घेरा और उसके बाद मोटे बेजान लंड से बुरी तरह फैलाकर कर चौड़ा किया गया मालविका की गांड का सख्त छेद पूरी तरह से खुला हुआ था | छेद इतना खुल गया था की बाहर से ही मालविका की गांड की सुरंग की गुलाबी लालिमा साफ़ दिख रही थी |
मालविका ने लड़की को बांहों में भर कर एक लम्बा किस किया, ये एक तरह से थैंक्यू किस था जो मालविका ने उसकी गांड को इतनी अच्छी तरह चोदने के लिए दिया था | गांड में जाते मोटे बेजान लंड की सनसनाहट से उसकी कमर चूतड़ मन मस्तिष्क दिली दिमाग सब झूम उठे थे | उसकी गांड का दर्द चुताड़ो से लेकर जांघो तक फैला हुआ था | उसके गांड की खुजली भी अब शांत ही थी फिर भी मालविका अपने को पूरी तरह संतुष्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने लड़की को पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर आ गयी | उसकी कमर के ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ टिकाकर उसके लंड के ठीक सामने खुद को पोजीशन कर लिया | लड़की ने लंड को बिलकुल मालविका की गांड के सामने तान दिया था | मोटा सा बेजान लंड मालविका अपनी चौड़े चुताड़ो के खुले गांड के छेद में लेने लगी | उसने अपने जबड़े सख्त किये और लंड पर बैठने लगी | लंड में बिना किसी दिक्कत के उसकी गुलाबी गांड के चौड़े छेद धसने लगा |
एक ही बार में मालविका की खुली गांड पूरा का पूरा लंड जड़ तक घोट गयी | मालविका ने एक लम्बी कराह और हुंकार एक साथ भरी, जैसे कोई जंग जीत ली हो | अब उसकी बारी गांड की बची कुची खुजली मिटाने की थी | उसने ऊपर नीचे होना शुरू किया और उसी के साथ वो मोटा बेजान लंड उसकी गांड का मर्दन करने लगा | सब कुछ मालविका के नियंत्रण में था, जीतनी स्पीड में खुद की गांड मारना चाहती थी, जितनी गहराई तक मारना चाहती थी, सब कुछ उसी पर निर्भर था | मालविका भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने फुल स्पीड में लड़की के ऊपर उछलना शुरू किया और मोटा बेजान लंड भी उसी तेजी से मालविका की गुलाबी कसी गांड को चीर कर उसकी गुलाबी सुरंग में सरपट दौड़ने लगा, मालविका की गांड की गुलाबी दीवारों को रौदने लगा | जिस स्पीड में मालविका अपनी कसी गांड में लंड ठुसने में लगी थी, उससे रबर का लंड झुक जा रहा था | नीचे लड़की ने बेजान लंड को कसकर थाम लिया ताकि वो मोटा सा रबर लंड मालविका की गांड की गहराई तक जा सके, और उसकी गांड की सुरंग की दीवारों के हर कोने को रगड़ सके | जिससे मालविका की गांड की खुजली दूर हो सके और उसके जिस्म को एक अनोखा सा वासना का सुखद अनुभव हो सके | मालविका के जिस्म के कोने कोने में आग लगी हुई थी और गांड में जाते मोटे लंड के स्पंदन ही उसे बुझा सकते थे | मालविका भी पूरा जोर लगाये पड़ी थी | जीतनी तेज झटका होगा, उतनी तेज लंड गांड में घुसेगा और उतनी तेज ही गांड में कम्पन उठेगा, जो उसके चुताड़ो जांघो पिंडलियों पेट पीठ कमर छाती सर दिल और दिमाग सबको हिला देगा और गांड से निकलने वाली दर्द भरी उत्तेजना की तरंगे उसके शरीर के कोने कोने की प्यास बुझा देगी, उसके जिस्म की नस नस को कंपा देगी | मालविका बस उत्तेजना से तपते शरीर और वासना से नहाये दिलो दिमाग को ध्यान में रखकर बेतहाशा अपनी गांड में मोटा सा रबर लंड ले रही थी | खुद ही खुद की गांड मार रही थी और वासना में सिसकारियो के साथ कुछ भी बडबडा रही थी | इतनी तेज चुदाई से उसकी सांसे भी धौकनी की तरह चलने लगी थी | वो बुरी तरह हांफने लगी थी, जाहिर सी बात है इसका असर उसके धक्को पर पड़ रहा था, उसके तेज हांफने के कारन उसकी गांड में लंड जाने की स्पीड भी कम हो गयी थी जबकि इस समय तो चरम पाने के लिए बेतहाशा धक्को की जरुरत थी |
इस बार लड़की बोली - मैडम आप थक गयी है, क्या मै आपको अच्छा फील करा सकती हूँ |
लड़की की बात मालविका को सही लगी | मालविका झट से उसके ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और पीठ के बल लेटकर अपनी जांघे हवा में उठा दी | लड़की भी उसी फुर्ती से बिस्तर से उठी और मालविका की जांघो के बीचो बीच अपनी जगह बनाकर उसकी गांड में बेदर्दी से लंड घुसेड दिया | अब दर्द की परवाह न मालविका को थी न उस लड़की को इस बात का ख्याल रखना था | अब तो सारी जद्दोजहद अपने जिस्म की आग बुझाने की थी उसके लिए चाहे मुसल लंड से चुदना पड़े या गांड फड़वानी पड़े | लड़की ने जड़ से बेजान लंड को कसकर थाम रखा था और मालविका की गांड के टाइट छेद में बेतहाशा पेल रही थी | मालविका भी अपनी जांघो को अपने हाथो में फंसाए अपनी चूत को बेतहाशा रगड़ रही थी | दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रही थी | मालविका गांड में जाते मोटे लंड के कारन उत्तेजना से लम्बी लम्बी सिसकारियां भर रही थी और मादकता से कराह रही थी | लड़की ने पूरी ताकत लगाकर पूरा लंड मालविका की गांड में घुसेड़ कर चार पांच करारे पुरे पुरे झटके दे मारे | पूरा का पूरा लंड हर झटके के साथ मालविका की गांड में घुस गया और उसके आखिरी छोर पर जोरदार ठोकरे मारी | लंड मालविका की गांड की गुलाबी सुरंग के उपरी हिस्से में जाकर टकराया और दर्द के एक तीखी तरंग उसके चुताड़ो, जांघो और पिंडलियों को हिला गयी | इतनी देर से मालविका अपने जिस्म को कठोर करके अपनी गांड मोटे लंड को ले रही थी लेकिन इन करारे झटको और उसके बाद उठने वाली दर्द भरी तरंग मालविका के हाथ पाँव ढीले कर दिए | मोटे लंड को अपनी जलती गांड में लेने की और ज्यादा सहने की शक्ति मालविका के शरीर में नहीं बची थी | मोटा लंड जैसे ही गांड की सुरंग के उपरी हिस्से से टकराया था मालविका दर्द से बेहाल हो गयी उसके शरीर ने हाथ खड़े कर दिए , उसकी जांघे लंड के झटके से बने कम्पन से थरथराने लगी, उसके चूतड़ अपने आप हिलने लगे | मालविका का उसके शरीर में नियंत्रण समाप्त हो गया | मालविका ने गांड मरवाकर कर भी अपने चरम सुख को पा लिया | मालविका के हाथ पाँव ढीले पड़ने लगे | उसका शरीर निढाल होने लगा | उसके चुताड़ो का दर्द कम होने लगा, मालविका ने अपनी चूत को रगड़ना छोड़ लड़की को अपनी बांहों में भर लिया | उसे बेतहाशा चूमने लगी, अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी |