13-05-2019, 01:02 AM
उसने आते ही मालविका को डीप किस किया और बांहों में भरकर बारी बारी से उसके जिस्म को चूमने लगी | उसके जिस्म का नरम नमी भरा स्पर्श मालविका को अपने गरम बदन पर बढ़ा सुखद लग रहा था | दोनों हसीन गोरे जिस्म एक में गुथम गुथा हो गए | कभी मालविका लड़की के जिस्म को चटाने लगती, कभी लड़की मालविका के जिस्म पर अपनी गीली जीभ फिराने लगती | लड़की के हाथ मालविका के रेशमी मांसल बदन पर फिसलते फिसलते उसके वर्जित चूत त्रिकोण में जा पंहुचे | मालविका ने के लम्बी आह भरी सिसकारी ली | लड़की उसकी चूत को रगड़ने लगी और फिर खिसकते खिसकते उसकी चूत के इलाके में अपने ओंठ पंहुचा दिए | इससे पहले मालविका वासना की मादक कराहे ले पाती लड़की ने अपनी रसीले ओंठ मालविका के चूत के मुहाने पर रख दिए | एक ही बार में स्ट्राबेरी के तरह उसके चूत दाने को मुहँ में ले लिया और चूसने लगी | मालविका के शरीर में एक मादकता की लहर दौड़ गयी उसने अपनी आंखे बंद कर ली और सेक्स के इस जादुई पल को अपने दिलो दिमाग सहित पुरे बदन में महसूस करने लगी | मालविका का बदन वासना की उत्तेजना से भर कर गरम हो गया था, उसकी गरम सांसे उसके तपते बदन की कहानी बयां कर रही थी |
मालविका मस्ती से भर गयी थी उसे लड़की का चूत चुसना बहुत अच्छा लग रहा था तभी लड़की झट से अगल हुई और तेजी से अपने साथ लाये स्ट्रैप और रबर के लंड को थाम लिया | इससे पहले मालविका अपनी मादकता की वासना के भंवर से बाहर आ पाती, लड़की ने फिर मालविका के पास पंहुचकर उसके सुडौल उरोजो को मसलना शुरू कर दिया | एक हाथ से एक उरोज के निप्पल को मसल रही थी, दुसरे हाथ की हथेली में पूरा का पूरा उरोज ही भर लिया और दबाने लगी | लड़की के नरम हाथो से रुई की तरह नरम उरोज को मसलने की अनुभूति ही कुछ और थी | मालविका के मुहँ से मादक भरी आह ही बस निकल रही थी | मालविका की सांसे तेज थी और बदन में गर्मी बढ़ गयी थी, वही हाल लड़की का भी हो चला था लेकिन लड़की एन्जॉय करने नहीं एन्जॉय कराने आई थी इसलिए, न तो उसके हाथ रुक रहे थे और न ही उसके ओंठ | दोनों ही बखूबी मालविका के जिस्म के सवेंदनशील अंगो को छेड़ रहे थे, मसल रहे थे, चिकोट रहे थे और मालविका को जन्नत की सैर करा रहे थे | कमरे में ख़ामोशी छाई थी बस दोनों की गरम सांसो और कराहों की ही आवाजे आ रही थी | कमरे का म्यूजिक कब का बंद हो चूका था | लड़की अपनी मालकिन को वासना के सागर में आनंद के गोते लगवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही थी | मालविका के ओंठ हो, गर्दन हो,कान हो ठोड़ी हो, स्तन हो निप्पल हो या उसकी नाभि हो, सबको बखूबी चाट और चूम रही थी | उसकी जीभ का गीला खुरदुरा स्पर्श मालविका के गरम बदन पर किसी तपते रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा था | मालविका उसकी इस काबिलियत की फैन हो गयी |
लड़की ने अपने मुहँ में मालविका के निप्पल लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चुसना शुरू कर दिया | दुसरे हाथ से फिर से मालविका की गुलाबी चूत जो गीली होने लगी थी उसके खूबसूरत ओंठो को मसलने लगी | मालविका तो आनंद के सागर में गोते लगाते हुए बस लड़की के हर एक स्पर्श को समेटने में लगी थी | वासना की लहरे उसके शरीर में बार बार उठ गिर रही थी और उन तरंगो के कारन शरीर में बनने वाली लय के कारन मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे कमरे में गूँज रही थी | मालविका का जिस्म वासना की आग में तपने लगा था | उसे अब और कुछ ज्यादा की जरुरत महसूस होने लगी | उसने बस इशारा किए और लड़की ने वो रबर का लंड अपनी कमर में बांधकर, उसको सीधा करते हुए, उसका चिकना बेजान सुपाडा मालविका के मुहँ के सामने कर दिया | मालविका ने भी देर नहीं की, उसने झट से उसे अपने मुहँ में ले लिया और असली लंड की तरह सर आगे पीछे हिलाकर उसे चूसने लगी, मुहँ के अन्दर लेने लगी |
लड़की अपने नरम ठोस उरोजो को मसलने लगी | उसके बदन की गर्मी भी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी, उसके ओंठ भी हवस की प्यास में सूखने लगे | उसके ओंठो की लालिमा सुर्ख हो चली और अपने ओंठो की सुर्खी मिटाने को बार बार वो अपनी गीली गुलाबी जुबान अपने सूखे ओंठो पर फिराती | इधर मालविका ने बड़ी शिद्धत से रबर के लंड का कोना कोना नाप डाला, लंड की जड़ हो या सुपाडा, उसकी गीली खुरदुरी जीभ से कुछ नहीं बचा था | दोनों के बदन की गर्मी अब चरम पर पंहुच गयी थी, मालविक के लिए अब रुक पाना नामुनकिन था | वो बिस्तर पर लेटकर अपनी जांघे फ़ैलाने वाली ही थी ताकि लड़की अपने रबर लंड से उसको जमकर चोद सके, लेकिन लड़की की कमर में बंधे उसके रबर लंड के नीचे उसकी चूत की गुलाबी फांके देखकर मालविका के ओंठो की प्यास जाग उठी | उसकी गुलाबी चूत को चूसने की लालसा में उसके ओंठ सुर्ख होने लगे | उसकी कमर में बंधा वो रबर का ठोस लंड और उसके नीचे किसी नयी गुलाबी कली की तरह चमकती उसकी चूत, जिसके दोनों गुलाबी फांके एक दुसरे से अलग हो चुके थे |
मालविका की चूत में तड़प बढ़ती जा रही थी, वो अपने अन्दर एक लंड की फरमाइश कर रही थी लेकिन सामने लड़की की चूत देख उससे रहा न गया, उसने चूत को कुछ देर और इन्तजार कराने की ठानी और लपक कर लड़की को थाम लिया | उसे बेड पर गिरा दिया, उसकी जांघे दोनों ओर को फैलाकर चौड़ी कर दी और उसकी जांघो के बीच में अपना सर घुसा दिया | उसने रबर के लंड को हाथ से पकड़ा थोड़ा ऊपर खिसका दिया ताकि उस मखमली गुलाबी चूत को चूसने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद उसने अपने सुर्ख गुलाबी ओठ, उसकी चूत रस से पनियाई गीली चूत पर सटा दिए | लड़की मादक कराह भर कर रह गयी | मालविका जीभ निकाल उसकी चूत चटाने लगी, अपने ओंठो से उसके लाल चूत दाने को चूमने चटाने लगी | लड़की भी मालविका की इस हरकत से वासना से नहा गयी | उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका क्लाइंट ऐसा कुछ करेगी, लेकिन इस काम में उसको कुछ भी अप्रत्याशित का सामना करना पड़ सकता था, फिलहाल जो हो रहा था वो अप्रत्याशित था लेकिन सुखद भी था | मालविका अपने ओंठो की प्यास बुझाती रही और लड़की अपने ओरोजो को मसलती रही | लड़की के मुहँ से मादक सिसकारियां फूटती रही | मालविका उसकी जांघो के बीच झुकी उसकी चूत को चूसती रही | कुछ देर बाद मालविका के ओंठो की प्यास कुछ कम हुई तो वो बिस्तर पर आ गयी और उसने अपनी गोरी जांघे फैला दी | लड़की को एक पल लगा अपनी सांसे काबू करने में फिर उसने भी पोजीशन ले ली | उसने अपने मुहँ की लार निकाली और मालविका की चूत के मुहाने पर मल दी | फिर रबर के लंड का सुपाडा उसकी मखमली चूत के गरम मुहाने पर लगाया, उसे लगा की रबर का लंड थोड़ा ढीला बंधा है उसकी कमर में, तो उसने अपनी कमर की बेल्ट थोड़ी टाइट करी | अब रबर के लंड की जड़ उसके चूत त्रिकोण के चिकने जंगली इलाके से सट कर चिपक गयी थी | लंड उसके शरीर ने 90 डिग्री का कोण बनाने लगा था | लड़की ने अपनी कमर को हल्का सा झटका दिया और रबर का लंड मालविका की गीली गरम गुलाबी चूत में धंसने लगा |
लंड का सुपाडा मालविका की चूत में घुस गया | मालविका की मखमली चूत की चिपकी गुलाबी दीवारे फैलने लगी और मालविका हलके दर्द से कराह उठी | मालविका की चूत में अभी भी गीलेपन की थोड़ी कमी थी शायद इसलिए लंड उसकी दीवारों को सुखा ही चीर रहा था | लड़की एक पल को थम गयी वो मालविका की चूत दाने को जोर जोर से रगड़ने लगी | लड़की अपने क्लाइंट को किसी तरह का कोई बुरा अनुभव देकर नहीं जाना चाहती थी | वो नहीं चाहती थी जो दर्द मर्द के लंड की चुदाई से औरत अनुभव करती है वो यहाँ हो, वहां पुरुष का आकर्षण, उसकी गंध और भी बहुत कुछ होता है जो यहाँ नहीं था इसलिए यहाँ मालविका के जिस्म के अन्दर के वासना की उत्तेजना का लेवल कभी कम न हो और उसका रिमोट मालविका का चूत दाना था | चूत दान रगड़ने से औरत उत्तेजित रहती है और बड़े से बड़ा लंड भी आसनी से चूत में घुस जाता है | मालविका वासना से भरी हुई थी, लड़की के चूत दाना रगड़ते ही वो भी रियेक्ट करने लगी उसकी आंखे मस्ती में बंद थी लेकिन बाकि बदन पूरी तरह से चुदाई को समर्पित था | उसकी लय में घूमती कमर से लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारों की अपने आप ही मालिश किये दे रहा था | आह आह आह आह बस यही मुहँ से निकल रहा था | मालविका के जिस्म की प्रतिक्रिया बता रही थी वो लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी चूत भी अच्छे से चूत रस छोड़ने लगी थी |
लड़की को लगा मालविका पूरी तरह तैयार है रबर का लंड घोटने को, उसने हल्का सा कमर को पीछे खीचा और आगे को एक जोरदार धक्का दिया | मालविका की गरम चूत की गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड मालविका की मखमली सुरंग में अन्दर तक धंस गया | फिर क्या था, लड़की ने लंड बाहर खीचा फिर से मारा जोर का झटका और लंड फिर सटाक से अन्दर | मालविका की चुदाई शुरू हो गयी थी, एक लड़की नकली रबर का लंड लगाकर उसे चोद रही थी | मालविका जोर जोर से अपने खूबसूरत सुडौल स्तनों को मसलने लगी साथ ही साथ लय में कमर हिला हिलाकर चुदने लगी | लड़की और मालविका दोनों ही कराह रहे थे | हर बार मालविका की चूत में घुसते लंड की ठोकर लड़की को अपने चूत त्रिकोण पर भी महसूस होती और उसका पूरा इलाका इस ठोकर से कम्पन से भर जाता | कई बार उसके रबर के लंड की जड़ , उसके चूत दाने को मसल जाती | इस चुदाई में दोनों ही वासना की आग में तप रही थी | दोनों के बदन उत्तेजित थे और पसीने से तर बतर हो चुके थे | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी और दोनों ही मुहँ से मादक कराहे निकाल रही थी | दोनों ही इस चुदाई का जमकर मजा लूट रहे थे | दोनों के जवान जिस्म इस जवानी को भरपूर भोग रहे थे |
मालविका मस्ती से भर गयी थी उसे लड़की का चूत चुसना बहुत अच्छा लग रहा था तभी लड़की झट से अगल हुई और तेजी से अपने साथ लाये स्ट्रैप और रबर के लंड को थाम लिया | इससे पहले मालविका अपनी मादकता की वासना के भंवर से बाहर आ पाती, लड़की ने फिर मालविका के पास पंहुचकर उसके सुडौल उरोजो को मसलना शुरू कर दिया | एक हाथ से एक उरोज के निप्पल को मसल रही थी, दुसरे हाथ की हथेली में पूरा का पूरा उरोज ही भर लिया और दबाने लगी | लड़की के नरम हाथो से रुई की तरह नरम उरोज को मसलने की अनुभूति ही कुछ और थी | मालविका के मुहँ से मादक भरी आह ही बस निकल रही थी | मालविका की सांसे तेज थी और बदन में गर्मी बढ़ गयी थी, वही हाल लड़की का भी हो चला था लेकिन लड़की एन्जॉय करने नहीं एन्जॉय कराने आई थी इसलिए, न तो उसके हाथ रुक रहे थे और न ही उसके ओंठ | दोनों ही बखूबी मालविका के जिस्म के सवेंदनशील अंगो को छेड़ रहे थे, मसल रहे थे, चिकोट रहे थे और मालविका को जन्नत की सैर करा रहे थे | कमरे में ख़ामोशी छाई थी बस दोनों की गरम सांसो और कराहों की ही आवाजे आ रही थी | कमरे का म्यूजिक कब का बंद हो चूका था | लड़की अपनी मालकिन को वासना के सागर में आनंद के गोते लगवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही थी | मालविका के ओंठ हो, गर्दन हो,कान हो ठोड़ी हो, स्तन हो निप्पल हो या उसकी नाभि हो, सबको बखूबी चाट और चूम रही थी | उसकी जीभ का गीला खुरदुरा स्पर्श मालविका के गरम बदन पर किसी तपते रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा था | मालविका उसकी इस काबिलियत की फैन हो गयी |
लड़की ने अपने मुहँ में मालविका के निप्पल लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चुसना शुरू कर दिया | दुसरे हाथ से फिर से मालविका की गुलाबी चूत जो गीली होने लगी थी उसके खूबसूरत ओंठो को मसलने लगी | मालविका तो आनंद के सागर में गोते लगाते हुए बस लड़की के हर एक स्पर्श को समेटने में लगी थी | वासना की लहरे उसके शरीर में बार बार उठ गिर रही थी और उन तरंगो के कारन शरीर में बनने वाली लय के कारन मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे कमरे में गूँज रही थी | मालविका का जिस्म वासना की आग में तपने लगा था | उसे अब और कुछ ज्यादा की जरुरत महसूस होने लगी | उसने बस इशारा किए और लड़की ने वो रबर का लंड अपनी कमर में बांधकर, उसको सीधा करते हुए, उसका चिकना बेजान सुपाडा मालविका के मुहँ के सामने कर दिया | मालविका ने भी देर नहीं की, उसने झट से उसे अपने मुहँ में ले लिया और असली लंड की तरह सर आगे पीछे हिलाकर उसे चूसने लगी, मुहँ के अन्दर लेने लगी |
लड़की अपने नरम ठोस उरोजो को मसलने लगी | उसके बदन की गर्मी भी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी, उसके ओंठ भी हवस की प्यास में सूखने लगे | उसके ओंठो की लालिमा सुर्ख हो चली और अपने ओंठो की सुर्खी मिटाने को बार बार वो अपनी गीली गुलाबी जुबान अपने सूखे ओंठो पर फिराती | इधर मालविका ने बड़ी शिद्धत से रबर के लंड का कोना कोना नाप डाला, लंड की जड़ हो या सुपाडा, उसकी गीली खुरदुरी जीभ से कुछ नहीं बचा था | दोनों के बदन की गर्मी अब चरम पर पंहुच गयी थी, मालविक के लिए अब रुक पाना नामुनकिन था | वो बिस्तर पर लेटकर अपनी जांघे फ़ैलाने वाली ही थी ताकि लड़की अपने रबर लंड से उसको जमकर चोद सके, लेकिन लड़की की कमर में बंधे उसके रबर लंड के नीचे उसकी चूत की गुलाबी फांके देखकर मालविका के ओंठो की प्यास जाग उठी | उसकी गुलाबी चूत को चूसने की लालसा में उसके ओंठ सुर्ख होने लगे | उसकी कमर में बंधा वो रबर का ठोस लंड और उसके नीचे किसी नयी गुलाबी कली की तरह चमकती उसकी चूत, जिसके दोनों गुलाबी फांके एक दुसरे से अलग हो चुके थे |
मालविका की चूत में तड़प बढ़ती जा रही थी, वो अपने अन्दर एक लंड की फरमाइश कर रही थी लेकिन सामने लड़की की चूत देख उससे रहा न गया, उसने चूत को कुछ देर और इन्तजार कराने की ठानी और लपक कर लड़की को थाम लिया | उसे बेड पर गिरा दिया, उसकी जांघे दोनों ओर को फैलाकर चौड़ी कर दी और उसकी जांघो के बीच में अपना सर घुसा दिया | उसने रबर के लंड को हाथ से पकड़ा थोड़ा ऊपर खिसका दिया ताकि उस मखमली गुलाबी चूत को चूसने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद उसने अपने सुर्ख गुलाबी ओठ, उसकी चूत रस से पनियाई गीली चूत पर सटा दिए | लड़की मादक कराह भर कर रह गयी | मालविका जीभ निकाल उसकी चूत चटाने लगी, अपने ओंठो से उसके लाल चूत दाने को चूमने चटाने लगी | लड़की भी मालविका की इस हरकत से वासना से नहा गयी | उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका क्लाइंट ऐसा कुछ करेगी, लेकिन इस काम में उसको कुछ भी अप्रत्याशित का सामना करना पड़ सकता था, फिलहाल जो हो रहा था वो अप्रत्याशित था लेकिन सुखद भी था | मालविका अपने ओंठो की प्यास बुझाती रही और लड़की अपने ओरोजो को मसलती रही | लड़की के मुहँ से मादक सिसकारियां फूटती रही | मालविका उसकी जांघो के बीच झुकी उसकी चूत को चूसती रही | कुछ देर बाद मालविका के ओंठो की प्यास कुछ कम हुई तो वो बिस्तर पर आ गयी और उसने अपनी गोरी जांघे फैला दी | लड़की को एक पल लगा अपनी सांसे काबू करने में फिर उसने भी पोजीशन ले ली | उसने अपने मुहँ की लार निकाली और मालविका की चूत के मुहाने पर मल दी | फिर रबर के लंड का सुपाडा उसकी मखमली चूत के गरम मुहाने पर लगाया, उसे लगा की रबर का लंड थोड़ा ढीला बंधा है उसकी कमर में, तो उसने अपनी कमर की बेल्ट थोड़ी टाइट करी | अब रबर के लंड की जड़ उसके चूत त्रिकोण के चिकने जंगली इलाके से सट कर चिपक गयी थी | लंड उसके शरीर ने 90 डिग्री का कोण बनाने लगा था | लड़की ने अपनी कमर को हल्का सा झटका दिया और रबर का लंड मालविका की गीली गरम गुलाबी चूत में धंसने लगा |
लंड का सुपाडा मालविका की चूत में घुस गया | मालविका की मखमली चूत की चिपकी गुलाबी दीवारे फैलने लगी और मालविका हलके दर्द से कराह उठी | मालविका की चूत में अभी भी गीलेपन की थोड़ी कमी थी शायद इसलिए लंड उसकी दीवारों को सुखा ही चीर रहा था | लड़की एक पल को थम गयी वो मालविका की चूत दाने को जोर जोर से रगड़ने लगी | लड़की अपने क्लाइंट को किसी तरह का कोई बुरा अनुभव देकर नहीं जाना चाहती थी | वो नहीं चाहती थी जो दर्द मर्द के लंड की चुदाई से औरत अनुभव करती है वो यहाँ हो, वहां पुरुष का आकर्षण, उसकी गंध और भी बहुत कुछ होता है जो यहाँ नहीं था इसलिए यहाँ मालविका के जिस्म के अन्दर के वासना की उत्तेजना का लेवल कभी कम न हो और उसका रिमोट मालविका का चूत दाना था | चूत दान रगड़ने से औरत उत्तेजित रहती है और बड़े से बड़ा लंड भी आसनी से चूत में घुस जाता है | मालविका वासना से भरी हुई थी, लड़की के चूत दाना रगड़ते ही वो भी रियेक्ट करने लगी उसकी आंखे मस्ती में बंद थी लेकिन बाकि बदन पूरी तरह से चुदाई को समर्पित था | उसकी लय में घूमती कमर से लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारों की अपने आप ही मालिश किये दे रहा था | आह आह आह आह बस यही मुहँ से निकल रहा था | मालविका के जिस्म की प्रतिक्रिया बता रही थी वो लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी चूत भी अच्छे से चूत रस छोड़ने लगी थी |
लड़की को लगा मालविका पूरी तरह तैयार है रबर का लंड घोटने को, उसने हल्का सा कमर को पीछे खीचा और आगे को एक जोरदार धक्का दिया | मालविका की गरम चूत की गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड मालविका की मखमली सुरंग में अन्दर तक धंस गया | फिर क्या था, लड़की ने लंड बाहर खीचा फिर से मारा जोर का झटका और लंड फिर सटाक से अन्दर | मालविका की चुदाई शुरू हो गयी थी, एक लड़की नकली रबर का लंड लगाकर उसे चोद रही थी | मालविका जोर जोर से अपने खूबसूरत सुडौल स्तनों को मसलने लगी साथ ही साथ लय में कमर हिला हिलाकर चुदने लगी | लड़की और मालविका दोनों ही कराह रहे थे | हर बार मालविका की चूत में घुसते लंड की ठोकर लड़की को अपने चूत त्रिकोण पर भी महसूस होती और उसका पूरा इलाका इस ठोकर से कम्पन से भर जाता | कई बार उसके रबर के लंड की जड़ , उसके चूत दाने को मसल जाती | इस चुदाई में दोनों ही वासना की आग में तप रही थी | दोनों के बदन उत्तेजित थे और पसीने से तर बतर हो चुके थे | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी और दोनों ही मुहँ से मादक कराहे निकाल रही थी | दोनों ही इस चुदाई का जमकर मजा लूट रहे थे | दोनों के जवान जिस्म इस जवानी को भरपूर भोग रहे थे |