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Adultery रीमा की दबी वासना
थोड़ी देर की ख़ामोशी के बाद रोहित - तुमने तो यहाँ सबको हिला डाला, कपिल ने मुझे फ़ोन किया था, फुल नशे में था लेकिन उसकी भी हावाईयाँ उड़ रही थी | मुझे बोला यार तुम्ही आकर संभालो इस खूबसूरत अपसरा को, वरना ये हम सबकी वाट लगा देगी | क्या कर दिया तुमने ऐसा ?

रीमा - जग्गू नूतन के साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहा था |
रोहित - वो बड़े बड़े स्तनों वाली ?
रीमा गंभीरता से - रोहित ये मजाक की बात नहीं, वो लड़की की मर्जी के बिना उसके साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहा था |
रोहित भी गंभीरता से - जग्गू के बाप से भी मेरी बात हुई है, रात का नशा उतरने दो, सुबह इस पर बात करेगें |
रीमा मायूसी से - अब बात करने को बचा ही क्या है ? आजकल कल की लड़कियां चार पैसे के लिए कही भी राजी हो जाती है | नूतन पैसे मिलने पर FIR न करने के लिए मान गयी है | पता नहीं कैसी लड़की है चंद पैसो के लिए कोई अपने साथ जबदस्ती करने वालो को कैसे माफ़ कर सकता है |
रोहित - हर कोई तुमारे जैसा नहीं होता, दुनिया भर का ठेका लेकर क्यों बैठी हो, तुमारा जो फर्ज बनता था तुमने किया अब हर कोई रीमा नहीं होता | छोड़ो न | तुमने तो प्रियम की भी लगा दी |
रीमा बस सर घुमाकर रह गयी | रोहित रीमा के डाउन हो गए मूड को बदलने के लिए - अच्छा ये सब छोड़ो, इससे तो सुबह निपतेगें, ये बताओ तुमने पैराडाइज कैसे क्रैक किया | ये पूरा मिशन तो बहुत ही खुफिया तरीके से चलता है |
रीमा शंका की नजरो से - तुम जानते थे इसके बारे में, तुम्हे पहले से सब पता है |
रोहित - अब देखो झूठ नहीं बोलूगा, मै यहाँ दो तीन बार आया हूँ लेकिन ये पिछले साल की बात है |
रीमा - क्या जानते हो पैराडाइज के बारे में, सब बताओ मुझे |
रोहित रीमा के इरादे भांपता हुआ - पहले ये बताओ तुमने पैराडाइज क्रैक कैसे किया, ये किसी आदमी के लिए तो संभव नहीं है फिर औरतो के लिए तो और भी मुश्किल है |
रीमा अपनी पैराडाइज की चाबी मिलने की कहानी बताने लगी, तभी उसे याद आया कि उसे दो मिनट में वो चाभी लौटानी थी वरना उस बेचारे नौकर की नौकरी चली जाएगी | रीमा की चाभी लौटने की बात सुनते ही रोहित बोला - तुम पैराडाइज का सच नहीं जानना चाहोगी |
रीमा ने इस बार झूठ बोलना सही नहीं समझा - देख आई हूँ पैराडाइज का काला सच |
रोहित - तुम समझी नहीं, मैं देखने की नहीं जानने की बात कर रहा हूँ, करीब से, डिटेल में, पैराडाइज के बारे में हर एक सच, तुमारी किस्मत अच्छी है कि तुमने सीधे मास्टर रूम की चाभी पर डाका डाला है | वैसे चाहो तो 17R में भी चल सकते है लेकिन  M01R की बात ही कुछ अलग है |
रीमा - हमें वहां क्यों जाना है ?
रोहित अदा से मुस्कुराता हुआ - तुम वहां गयी क्यों थी ?
रीमा भी उसी अंदाज में - क्योंकि उसने गलत चाभी दे दी थी मुझे, तो मुझे लगा वहां जाकर देखना चाहिए, ये सब के सब मर्द औरते कौन सी मीटिंग करते है |
रोहित - लेकिन चाभी तो उसने तुम्हे 17R पैराडाइज की दी थी फिर तुमने उसे धमकाकर M01R  चाभी क्यों ली |
रीमा - मै तो बस कंप्यूटर स्क्रीन पर लिस्ट देख रही थी, कौन कौन पैराडाइज की चाभी लेकर गया है तभी मेरी नजर मास्टर चाभी पर पड़ी, जो किसी को असाइन नहीं थी तो मैंने उससे उधार मांग ली दो मिनट के लिए |
रोहित - वैरी स्मार्ट, उधार मांग ली | किसे बेवखूफ़ बना रही हो |
रीमा - उधर ही मांगी थी, अब वापस करनी है, वही तो जा रही थी, तब तक तुमारा फ़ोन आ गया |
रोहित - अब मै आ ही गया हूँ तो तुम्हे पैराडाइज का सच बताता हूँ, रही बात चाभी की तो वो मै मैनेग कर लूँगा |
रीमा - नहीं मुझे नहीं जाना वहां अन्दर, मैंने देख लिया वहां क्या होता |
रोहित - तुमने सिर्फ वो देखा जो तुम्हे दिखा, लेकिन ये सब काम कैसे करता है ये नहीं जानना चाहोगी |
रीमा - नहीं मुझे नहीं जानना है, क्या करूँगी उस गन्दगी को जानकर, मुझे पता है वहां सब के सब क्या कर रहे होंगे | सब के सब वही हवस का खिनौना खेल ही तो खेल रहे होंगे |
रोहित - जानने और अनुमान लगाने और साक्षात् आँखों से देखने में जमीं आसमान का अंतर है | एक बार जब करीब से महसूस करोगी तब समझ आएगा इस दुनिया में लोगों कितनी परतो से लिपटकर जीते है | कौन किसके साथ क्या क्या गुल खिला रहा है | किसकी क्या फंतासी है, जो इन अँधेरी रातो में पूरी करने की भरकस कोशिश कर रहा है |
रीमा - हमें क्या मतलब दुसरे किस गन्दगी में लोट रहे है, लोटने दो न |
रोहित मूड बदलता हुआ - लेकिन तुमारी भी तो कोई फंताशी होगी | देखना नहीं चाहोगी, वासना और हवस के इस नंगे नाच के किरदारों को कौन कैसे अदा करता है | दुसरे की सेक्स कहानियां पढ़ना तो तुम्हें बहुत अच्छा लगता था, आज देख भी लो न |
रीमा के बदन में एक तरंग दौड़ गयी, वो अनजाने ही उस जगह पंहुच गयी थी,जहाँ उसे नहीं होना चाहिए था लेकिन वो होना चाहती थी | छिपकर लोगो को सेक्स करते देखना उसके लिए कोई नई बात नहीं थी, ये उसने पहले भी किया था, और इसी चक्कर में मास्टर चाभी लेकर वो पैराडाइज में गयी थी | वो एक जवान औरत थी और एकदम से पार्टी के सारे मर्द औरते गायब हो जाये तो उसके लिए अनुमान लगाना मुश्किल नहीं था की किस उद्देश्य से सब के सब गायब हो गए है | ऊपर से पैराडाइज का सीक्रेट तरीके से काम करने का तरीका उसकी शंका को और बढ़ा गया | उसने अपनी लालसाओ को दबाया नहीं वो जाकर देखना चाहती थी आखिर वहां क्या हो रहा होगा | वो जबदस्ती मास्टर चाभी छीन कर वहां गयी और उसने वही देखा जो उसने अनुमान लगाया था | उसका मन भी तो यही देखने को व्याकुल था, लेकिन फिर नैतिकता के बंधन और कोई देख न ले का डर, कुछ अनहोनी की आशंकाए, सबने मिलकर उसकी लालसा को दबा दिया और वो लौट आई | रोहित का फ़ोन आते ही उसकी टूटी हिम्मत वापस लौटी |  उसके अन्दर रोहित का साथ पाने की लालसा थी अब रोहित पास था तो उसकी दबी लालसाए भी हिम्मत दिखाने लगी | वो निश्चित नहीं थी कि वो अन्दर जाना चाहती है या नहीं | वो अन्दर जाना चाहती थी लेकिन वो खुद को उलझाये रखना चाहती थी ताकि वो अपने नैतिकता के बोध को ये दिखा सके, कि वो अभी भी सही गलत के लिए अपने अन्दर लड़ रही है, लेकिन असल में वो खुद को ही झूठ से बहला रही थी | उसकी चाहते अब पहले से कही ज्यादा प्रबल और मुखर होती थी | वो अब नैतिकता के उस पाषाण बंधन में नहीं बंधी थी, जहाँ ये सब कुछ ही वर्जित था | फिर भी वो मुखर होकर इतना भी स्वछंद नहीं होना चाहती थी कि पुरुष और समाज उसे कुलटा और चारित्रिक भ्रष्ट घोषित कर दे | वो अपनी लालसाए और कामनाये उसी सम्मान के साथ भोगना चाहती थी जैसे एक मर्द करता है | रोहित और उसके बीच कोई दुरी नहीं थी लेकिन उतना ही सम्मान भी था | रीमा किसी भी हाल में दुनिया के किसी स्त्री या पुरुष को ये सम्मान को नियंत्रण करने का अधिकार नहीं देना चाहती थी | ये पूर्ण रूप से उसका अधिकार था और इसे उससे कोई नहीं सिर्फ इसलिए नहीं छीन सकता था क्योंकि वो अपनी कामनाये पूरी करने में सामाजिक नियमो को नहीं मान रही थी |
रोहित रीमा को अच्छी तरह से समझने लगा था, जब रीमा खामोश हो मतलब उसके अन्दर सवालों जवाबो का तुफ्फान चल रहा है | वो दुविधा में है वो संशय में है | ऐसी हालत में वो निर्णय ले पाने में कई बार असमर्थ हो जाती थी और यही एक पल था जब कोई उसका हाथ पकड़कर आगे बढ़ने वाला चाहिए था | इतने सालो के अकेलेपन में इस जगह आकर रीमा हमेशा ठहर जाती थी, हाल फिलहाल में रोहित ने उसका हाथ पकड़कर उसे इस भंवर से बाहर निकाला था और रीमा भी मजबूती से उसका हाथ थामे उसके साथ चल दी थी | उसी तरह से रोहित ने एक बार फिर से उसे सहारा दिया |
रोहित - जब दिमाग में उलझन हो तो इस गुलाम को सेवा का मौका दिया करे मल्लिकाए हुस्न |
रीमा अपने विचारो के भंवर से बाहर आई और रोहित की बात पर मुस्कुरा दी | रोहित - गुलाम हाजिर है सेवा में, वादा करता है मलिक्काए हुस्न को किसी तरह की तकलीफ या परेशानी नहीं होगी |
रीमा ने पलक झपकाई और रोहित के तरफ आत्मियता से हाथ बढ़ा दिया | रोहित ने रीमा के हाथ से पैराडाइज की चाभी ली और उसका हाथ थामकर पैराडाइज वाली कॉटेज की तरफ चल दिया |

इधर प्रियम तो पहले ही नशे में था, जाते ही सो गया, लेकिन नूतन की आँखों में नीद नहीं थी, नूतन अपने बेड पर लेटी थी, वो सिर्फ एक लम्बी बनियान पहने थी जो अभी उसके कमर के ऊपर तक आ गयी थी और उसके गोल गोल बड़े बड़े पहाड़ी की तरह उठे हुए मांसल भारी चूतड़ बिलकुल नंगे थे | बनियान के उपरी हिस्से से दोनों सुडौल पुष्ट  स्तन अपनी अपनी जगह से झांक रहे थे, उन छोटी पहाड़ी नुमा स्तनों के शीर्ष पर हलके गेंहुए इलाके में दो घुंडी नुमा चुंचियां विराजमान  थी |  नूतन के दोनों स्तन सामने की तरफ की तरफ तने हुए थे | नूतन अपने साथ हुए हादसे को लेकर सोच में डूबी हुई थी उसे अपने कपड़ो का होश ही नहीं था | वैसे भी सोते समय जिस्म को खुला रहना ही उसे पसंद था | एक हिसाब से नूतन अधनंगी बेड पर एक करवट लेती हुई थी और उसके दिमाग में अपने हादसे को लेकर बहुत उथलपुथल मची हुई थी |
[Image: bluetanktop-bed-09.jpg]


 बार बार जग्गू के बारे में सोचकर परेशान हो जाती | मन में संतोष था की आज समय रहते रीमा चाची आ गयी जिससे वो जग्गू का शिकार होने से बच गयी | वो हैरान थी कि आदमी वासना में इतना अँधा कैसे हो जाता है कि उसे बस औरत की चूत ही चाहिए | अगर चूत चोदने को न मिली तो जबदस्ती करके चोदेगा | पास में लेटे प्रियम की तरफ देखती हुई | ये भी मर्द है, इसे तो चूत में कोई दिलचस्पी नहीं है जब तक मै राजी न होऊं, इसका भी तो मैंने लंड चूसा, उसका भी चूस देती, क्या फर्क पड़ता था | आखिर झड़ता तो आदमी चूत चोदने के बाद भी है लेकिन पता नहीं क्यों सब के सब चूत को लेकर पगलाए रहते है | इसका वासना से कोई लेना नहीं, ये खालिश मर्दाना सोच है जो औरत पर अपनी धौंस ज़माने को परिलक्षित करती है | वो चाहते है औरत उसके हिसाब से चले, उनके हिसाब से उठे, उनके हिसाब से खाए और उनके हिसाब से ही चुदे | उनके लिए औरत का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है, वो बस मर्दों को जिस्मानी सुख देने को बनी है और जब मर्द की मर्जी होगी औरत को अपनी जांघे खोलनी ही पड़ेगी | सारे मर्द तो ऐसे नहीं होते, प्रियम और राजू तो मेरी मर्जी बिना मुझे छुते तक नहीं, कई बार तो मुझे इन्हें बहलाना फुसलाना पड़ता है | जग्गू एक जानवर है और वो हमेशा जानवरों वाली हरकते ही करेगा | उसे लोगो को काबू में रखने में मजा आता है, उसे शायद ये लगता है, हर लड़की जो कपड़े उतार कर बैठी है वो उससे ही चुदने के लिए बैठी है | मुझे क्या फर्क पड़ता है जग्गू क्या सोचता है क्या नहीं सोचता है | आगे से उससे दूर रहूंगी, भाड़ में जाये वो साला कुत्ता | पैसे भी अच्छे खासे मिल गए है, अब प्रियम और राजू पर भी डोरे डालने की ज्यादा जरुरत नहीं है फिर भी इन पैसो को आगे के लिए जमा करके रखूंगी, अभी तो पॉकेट खर्च यही दोनों चलायेगें | आगे का कॉलेज के खरचे का हिसाब हो गया है, वहां किसी किसी के न लंड चूसने पड़ेगें और न चूंची चुस्वानी पड़ेगी | यही सब सोचते सोचते नूतन की आंख लग गयी |

रीमा और रोहित अन्दर पंहुचे | दोनों के अन्दर घुसते ही मास्टर रूम का दरवाजा बंद हो गया | रोहित ने बदन दबाई और पूरा का पूरा कमरा जगमगा गया | दो तरफ के  शीशो पर प्रोजेक्टर नीचे बने केबिन का लाइव दिखाने लगे | बाकि दो दीवारों में लगे दरवाजे भी खुल गए और पूरा का पूरा कमरा किसी इलेक्ट्रॉनिक कण्ट्रोल रूम की तरह नजर आने लगा | रीमा अचम्भे से ये सब देख रही थी |
रोहित रीमा को मुखातिब होता हुआ - तो जानेमन ये सब केबिन के लोग सिर्फ तालाब की मछलियाँ है और मै हूँ इसका मगरमच्छ | देखो रीमा ये सब पूरा सिस्टम मैंने डिजाईन किया है और मेरी कंपनी ने ही ये सेटअप किया है | पैराडाइज एक बिज़नस है अगर मै नैतिकता के नाते मना कर देता तो कोई और करता | मेरी कंपनी को इस प्रोजेक्ट से हाथ धोना पड़ता | तो मेरे लिए ये खालिश बिज़नस है, हमने ये डिजाईन किया और हमें ढेर सारे पैसे मिले है इसके | यहाँ से तुम्हे बाहर का कोई नहीं देख सकता | लेकिन तुम इस पुरे हाल के चप्पे चप्पे को देख सकती हो | यहाँ लगी दो ग्लास दीवारों पर वाल साइज़ का प्रोजेक्शन होता है, तुम यहाँ किसी भी केबिन का लाइव देख सकती हो | इसके अलावा हर केबिन का मॉनिटर उस तरफ केबिन में लगाये गए है |  सारे केबिन एक दुसरे से अलग है, एक केबिन का आदमी दुसरे केबिन में तब तक नहीं घुस सकता जब तक उसके पास उसकी चाभी न हो | आपको जिस गेट की चाभी दी जाती है उसी के अनुसार गैलरी में आपका रास्ता बन जाता है और बाकि रास्ते बंद हो जाते है जिससे किसी को भी ये अहसास न हो की यहाँ कोई और भी है | तुम्हे चार दरवाजे दिखे होंगे क्योंकि यहाँ चार लेवल के कण्ट्रोल रूम है | सबसे नीचे वाला कंट्रोल रूम हेल्प रूम है जो कस्टमर को लाउन्ज की तरफ से सर्विस प्रोवाइड करता है | अगर कोई अकेला या अकेली है तो यहाँ आकर पूरी निजता के साथ अपनी तन्हाई मिटा सकता है | उसके लिए लड़कियों या लड़को का इंतजाम लाउन्ज करता है | एस्कॉर्ट्स में से किसी को भी चोट पंहुचाने या बुरा बर्ताव  करने पर लाउन्ज के बाउंसर बहुत सख्ती से पेश आते है | दूसरा कण्ट्रोल रूम एस्कॉर्ट को हेल्प देने के लिए है | तीसरा कण्ट्रोल रूम चाभियाँ और एक्सेस मैनेज करता है और मास्टर कण्ट्रोल रूम, जहाँ तुम बैठी हो ये बाकि तीन कण्ट्रोल रूम को कण्ट्रोल करता है | सब कुछ आटोमेटिक है | कोई भी दरवाजा बिना कोड और चाभी के नहीं खुलेगा इसीलिए  कोई अगर इस सिस्टम को हैक भी कर ले तो वो कुछ भी नहीं कर पायेगा | जैसे ही कस्टमर का पेमेंट हो जाता है और पोस्ट सर्विस चेक ओके होता है मतलब कस्टमर संतुष्ट है और पैराडाइज में उन्होंने कोई उलटी सीधे हरकते नहीं करी है | कस्टमर का सारा अपने आप डिलीट हो जाता है |
रीमा हतप्रभ थी |
रोहित ने आगे बोलना जारी रखा - इस रूम में सिर्फ दो लोग आ सकते है, मै और इस लाउन्ज का मालिक | इस लाउन्ज का मालिक यहाँ तभी आ सकता है जब वो हमें पहले इन्फॉर्म करे, हम उसके लिए ये टाइम पीरियड में ये सिस्टम अनलॉक करते है तभी वो यहाँ आ सकता है | ये चूँकि मास्टर कण्ट्रोल रूम है इसलिए हम नहीं चाहते की यहाँ कुछ भी ऊपर नीचे हो और पूरा प्रोसेस फ़ैल हो जाये |
रीमा रोहित की बात सुनती रही - इस कमरे में भी कैमरे लगे है क्या |
रीमा - नहीं यहाँ कोई कैमरा नहीं है |
रोहित - नहीं यहाँ कोई कैमरा नहीं है | हल्का सा मुस्कुराकर ..................ये नहीं पूछोगी की आखिर तुम यहाँ कैसी चली आई |
रीमा ने रोहित को घूरा - पार्टी में तुम आने वाले थे, मतलब तुमने अपने लिए पहले ही सिस्टम अनलॉक कर लिया था, तो क्या तुम भी यहाँ गुल छर्रे उड़ाने वाले थे |
रोहित ने उलटा सवाल पूछ लिया - तुम्हे ऐसा लगता है ?
रीमा ने ताना मारा - तुम कुछ भी कर सकते हो, क्या भरोसा तुमारा, कौन जाने क्या क्या राज दिल में छुपाये बैठे हो |
रोहित हल्का सा भावुक होता हुआ - जब से तुमारी मदहोशी में डूबा हूँ, सारी औरते फीकी लगने लगी है, झूठ नहीं बोलूगा कोशिश करता हूँ दूसरी औरतो के साथ लेकिन एक लिमिट के बाद आगे नहीं बढ़ पाता हूँ |
रीमा - झूठे कही के |
रोहित - अपने तड़पते लंड बहादुर की कसम, हसना मत लेकिन मैंने इसी हफ्ते तुमारे नाम की मुठ मारी है | सोचने बैठता हूँ तो समझ नहीं आता कौन सा जादू कर दिया है तुमने |  काली हो या गोरी हो मैंने कभी देखा ही नहीं, बस लड़की को जन्नत की सैर कराना और खुद करना ही मकसद रहता था मेरा | रोहित जिसने अपनी पहली चूत चुदाई के बाद से अब तक कभी मुठ नहीं मारी, वो आज मुठ मार रहा है |
रीमा रोहित की बातों से थोड़ा बनावटी चिढ़ दिखाते हुए - तुम्हें बड़ा मजा न ऐसी गन्दी गन्दी बाते करते हुए, सब लडकियों से ऐसे ही गन्दी गन्दी बाते करते हो |
रोहित - अपना नियम, जिसको चोदना है ऐसी बाते सिर्फ उसी के साथ |
रीमा - हाँ तो आजकल तो मै ही दिखती हूँ तुम्हे दिन रात | कितनी निपटा चुके हो अब तक |
रोहित - पता नहीं, 18-20 तो हो ही गयी होगी, लेकिन यहाँ आने का मकसद काम करना था, ऑफिस में आजकल टाइम नहीं मिलता तो सोचा था पार्टी के बहाने एक बार मास्टर कण्ट्रोल रूम विजिट कर लूँगा और लोगो की चुदाई देखकर, तुमारे नाम की मुठ मार लूँगा | तुमारा तो पता नहीं मूड हो न हो, मना कर दो इसलिए जाहिर करने से डरता हूँ | अपना भी दिल न टूटे इसलिए हाथ से काम चलाता हूँ |
रीमा - बकवास करवा लो तुमसे बस, मैंने कब मना किया है तुम्हे और मना भी करूंगी तो मानोगे क्या ?
रोहित - मना तो नही किया लेकिन कभी अपनी तरफ से मेरे पास आई भी तो नहीं, तुमारी भी तो उतनी ही ख्वाइश है जितना मेरा मन होता है |
रीमा - अच्छा अब यही बाकि रह गया, इतनी भी आग नहीं लगी है जिस्म में कि दौड़ दौड़ के किसी पराये मर्द के पास जाऊ और बोलू लो मेरी प्यास बुझा दो |
रोहित उसके करीब आता हुआ - मै पराया हूँ |
रीमा - मेरा मतलब वो नहीं था, बात बात में गलती से निकल गया |
रोहित - एक गलती तो हो गयी है एक और कर ले | रोहित रीमा को थामता हुआ अपने आलिगन में भरता हुआ |
रीमा रोहित के बाहुपाश में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे रोहित प्लीज, ये घर नहीं है |
रोहित - पहले ये बताओ क्या मतलब था तुमारा, प्यासी हो तुम, लेकिन कोई तुमारी प्यास नहीं बुझाता | मैंने तुमारी प्यास नहीं बुझाई थी | मै पराया हूँ इसलिए मेरे पास आने में तुम्हे झिझक लगती है |
रीमा - नहीं मै तो बस तुमारे सवाल का जवाब दे रही थी, तुम तो जबान पकड़ के ही बैठ जाते हो | मेरे कहने का वो मतलब नहीं था बाबा |
रोहित रीमा के सांसो में अपनी गरम सांसे घोलता हुआ उसके रस भरे गुलाबी ओंठो के सामने अपने ओंठ करता हुआ | रीमा ने नजरे झुका ली |
रोहित - बोलो न क्या मतलब था, नहीं तो आज के बाद सिर्फ ऊपर ऊपर से ही ...............................| इससे पहले रोहित की बात पूरी होती रीमा ने अपने नरम रसीले गुलाबी ओंठ रोहित के ओंठो से सटा दिए | उसे कसकर चूमने लगी और एक लम्बा किस कर लिया |
रीमा धीमी आवाज में - तुम्हें भी मेरी चाहते और ख्वाइश पता है फिर क्यों इतना सताते हो |
रोहित शिकायत करता हुआ अलग हो गया - ठीक है मै तुम्हे सता रहा हूँ, तो अब मै तुम्हे हाथ भी नहीं लगाऊंगा | मुझे भी अपना काम करना है, मै तो पराया हूँ न |
रीमा समझ गयी उसकी बात से रोहित को ठेस पहुंची है, लेकिन उसे यकीन था वो उसे मना लेगी | आखिर रोहित उससे नाराज हो ही नहीं सकता, उसकी नाराजगी बनावटी है | इस विचार की गुदगुदी ने उसके चेहरे पर एक आत्मीयता भरी मुस्कान ला दी |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 12-05-2019, 11:40 PM



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