12-05-2019, 11:29 PM
रीमा जिस कमरे में अभी थी, वहां मध्यम लाइट जल रही थी लेकिन बाहर से अन्दर दिखने का कोई चांस नहीं थी | कमरा काफी बड़ा था और साथ में अटैच्ड एक आलिशान बड़ा बाथरूम था | कमरे में एक तरफ छोटा सा केबिन भी बना हुआ था, जिसमे कम से कम एक दर्जन स्क्रीन लगी हुई थी | मास्टर रूम के चारो तरफ 8 फीट नीचे चारो तरफ एक दर्जब खुला केबिन बने हुए थे, जो लगभग लगभग उसके रूम की डिजाईन के ही थे लेकिन उनका साइज़ इससे छोटा था | हर केबिन में वही सारा सामान था जो मास्टर केबिन में था बस फर्क ये था उन सब की छत सीमेंट की नहीं थी | हर केबिन की छत पर एक वही शीशा लगा हुआ था जो मास्टर रूम में था, बस फर्क ये था उसमे केबिन की अन्दर वाला कुछ भी बाहर का नहीं देख सकता था, उसे छत की तरफ देखने पर ये अहसास भी नहीं होता की छत पारदर्शी है, लेकिन मास्टर रूम के दोनों छोरो पर शीशे से झांकते इंसान को उन केबिन की सुई तक दिख सकती थी | मास्टर केबिन की लाइट डिम थी लेकिन केबिन में लाइट बहुत थी और ऊपर से सब कुछ दिखाई दे रहा था | इसके अलावा मास्टर केबिन में बना साइड केबिन जिसमे हर केबिन की हरकत देखने को मॉनिटर लगे थे, वहां से भी केबिन में क्या हो रहा है इस पर नजर रखी जा सकती थी |
रीमा ने जो कुछ उन केबिन में होता देखा, उसके होश उड़ गए | उसे लगा कोई केबिन से उसे यहाँ खड़ा इस तरह देख न ले इसलिए पीछे हटकर बेड पर बैठ गयी | हर केबिन की एक अपनी कहानी थ, यहाँ कोई मीटिंग नहीं हो रही थी | ये एक अय्याशी का खुफिया अड्डा था इसलिए यहाँ सिर्फ उन्ही को आने की इजाजत थी जिन्होंने इसके लिए पैसे भरे थे | मास्टर केबिन और उसके आस पास के केबिन ऐसे डिजाईन किये गए थे, की किसी को भी भनक न लगे की पड़ोस में क्या हो रहा है और मास्टर केबिन में बैठा इंसान सब कुछ देख ले | जबकि केबिन का आदमी सिर्फ केबिन में ही मस्त रहे | मास्टर केबिन में एक बड़ा सा पर्दा था रीमा को समझ नहीं आया ये क्या है | वो बेड पर बैठी बस चारो तरफ केबिन का जायजा ले ही रही थी | मन में डर और आशंका के साथ एक अनचाही सी लालसा भी थी, वो क्या थी पता नहीं | रीमा शंकाओं से घिरी हुई थी, उसने केबिन में जो भी होता देखा वो उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं था | वो ये सब देखकर कुछ भी सोच पाने में असफल थी | कैसी है ये दुनिया, कैसे है ये लोग | उसके अन्दर दुविधा, हीनता, अविश्वास और सबसे ज्यादा शर्म घर करती जा रही थी | उसने यहाँ का जो नजारा देखा उसके बाद यहाँ से जाने का फैसला कर लिया | वो इस गन्दगी से जीतनी जल्दी हो सके दूर जाना चाहती थी | उसने चाभी हाथ में थामी और तेजी से बेड से उठी और अपने केबिन के दरवाजे को उन लॉक किया और बाहर निकल गयी | जीतनी शांति से वो यहाँ आई थी उतनी ही शांति से वो यहाँ से चली गयी | वो कॉटेज से बाहर निकली ही थी, रोहित का फ़ोन आ गया | एक बरगी को रोहित का नाम देखकर चौंक गयी लेकिन उसे लगा शायद रोहित उसके और प्रियम के लिए चिंतित होगा, इसलिए फ़ोन किया होगा |
रीमा - हेल्लो रोहित |
रोहित - कैसी हो रीमा |
रीमा - बढ़िया |
रोहित - पार्टी एन्जॉय करी |
रीमा - अरे कहाँ ??
रोहित - झूठ क्यों बोल रही हो, मैंने सुना है तुमने वहां भी झंडे गाड़ दिए है | हर कोई तुमारा दीवाना हो गया है |
रीमा - जस्ट शट उप, .............................वैसे कौन बोल रहा है, किसी ने फ़ोन किया तुम्हे |
रोहित - अरे मुझे कौन नहीं जानता उस पार्टी में, कोई होगा मेरा शुभ चिन्तक |
रीमा - बाते न बनावो, कौन है वो ?
रोहित - अपने ख़ुफ़िया सूत्रों का खुलासा नहीं किया जाता |
रीमा - ठीक है फिर बाय, मुझे बात नहीं करनी तुमसे |
रोहित - अरे रुको रुको ......तुम तो नाराज हो गयी, वैसे क्या प्लान है |
रीमा - मै इतनी रात को नहीं आउंगी, सोने जा रही हूँ, थक गयी |
रोहित - और थकावट किस बात की है ????
रीमा भांप गयी रोहित मस्ती के मूड में - क्या बात है आज साहब जी का मूड बदला हुआ लग रहा है |
रोहित - तुमने प्रियम को थप्पड़ मारा, मुझे अच्छा लगा कि तुम्हे प्रियम को देखकर बुरा लग रहा था |
रीमा - उसने शराब पी रखी थी मेरे मना करने के बावजूद |
रोहित - इसलिए तुम्हे बुरा लगा न |
रीमा खामोश रही, रोहित आगे बोला - अच्छा वो सब सेंटीमेंटल बाते छोड़ो ये बताओ अभी हो कहाँ पर |
रीमा - कहाँ पर का क्या मतलब है |
रोहित - रिवर लाउन्ज में कहाँ पर हो |
रीमा - ये जानकर तुम क्या करोगे, वैसे में सोने के लिए गेस्ट रूम वाली बिल्डिंग में जा रही हूँ |
रोहित उसे रोकता हुआ बोला - अरे अरे रुको वहां मत जाना |
रीमा - क्यों ????
रोहित - पहले तुम अपनी लोकेशन बताओ. रिवर लाउन्ज के अन्दर एक्चुअली तुम कहाँ हो |
रीमा - नहीं रोहित, नहीं ये नहीं हो सकता, नो नो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | इतनी रात को इस सुनसान जंगल में आने का कोई मतलब नहीं है रोहित, नो वे, तुम्हे यहाँ आने की कोई जरुरत नहीं है |
रोहित - रीमा रीमा रीमा तुम मुझे इतने सालो से जानती हो फिर भी ........................... आने का सवाल छोड़ो, मै आलरेडी आ चूका हूँ |
रीमा के अन्दर आश्चर्य और ख़ुशी दोनों का मिश्रण था, लेकिन उसका मन ये मानने को तैयार ही नहीं था, उसे लगा रोहित मजाक कर रहा है - नहीं ये नहीं हो सकता |
रोहित - मै रोहित हूँ, मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा का मन ये मानने को तैयार नहीं था लेकिन उसका अंतर्मन की चाहत अन्दर से इतनी तेज वेग से बाहर निकली, की रीमा का मानसिक संयम धराशायी हो गया | रीमा के अन्दर अचानक से रोहित पास में होने की लालसा जगी और उसने रोहित जो अपनी लोकेशन बता - मै पैराडाइज कॉटेज की तरफ से मैंन हाल की तरफ जा रही हूँ ?
रोहित - ओह माय गॉड, क्या मैंने भी वही सुना जो तुमने कहाँ , पैराडाइज आर यू क्रेजी ..........................|
रीमा को रोहित का रिएक्शन अजीब लगा, उसे लगा शायद रोहित इसके बारे में जानता है - तुम जानते हो इसके बारे में |
रोहित को एक पल लगा रीमा के पैराडाइज वाली बात को हजम करने में - यकीं नहीं होता, तुम पैराडाइज इतनी जल्दी कैसे पता लगा सकती हो, तुम क्रेजी हो पूरी तरह से क्रेजी |
रीमा ने थोड़ा मासूम बनने की कोशिश की - तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो, जैसे मैंने अजूबा देख लिया हो | कुछ भी तो नहीं था, मैंने रिसेप्शन पर चाभी मांगी, उसने मुझे पैराडाइज की चाभी दे दी, तो पूछते पूछते पैराडाइज चली गयी लेकिन वहां तो घनघोर अँधेरा है, मुझे डर लग रहा था तो वही से वापस आकर मैंन हाल में वापस जा रही हूँ, उसको हड्काने |
रोहित - झूठ मत बोलो, तुमने सचमुच वहां कुछ नहीं देखा |
रीमा - वहां था क्या ऐसा देखने लायक, अँधेरे में कहाँ जाती, आगे का कुछ दीखता तो जाती न |
रोहित - चाभी नंबर क्या है तुमारा, बताओगी ?????
रीमा - पहले ये बताओ , ऐसा क्या खास है वहां, तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो ??
रोहित - पहले चाभी नंबर ?
रीमा - ओके बाबा, तुम हमेशा अपनी मनवा कर ही मानते हो, चाभी नंबर है M01R |
रोहित - नो नो नो नो शिट, ये तुमने क्या कर दिया रीमा, तुम्हे पता भी है इसका मतलब |
रीमा - क्या क्या कहना चाहते हो, क्या खास है इस चाभी में ऐसा, एक नंबर पड़ी चाभी ही तो है |
रीमा अब जान बूझकर नाटक कर रही थी ताकि रोहित के मुहँ से उगलवा सके |
रोहित - वही रुक जाओ, वहां से हिलना मत, मै बस एक मिनट में आया | रोहित ने फ़ोन काट दिया |
बिना कुछ किये रीमा के चलते कदम ठहर गए | रीमा फ़ोन कान में लगाये - हेलो हेलो रोहित हेलो हेलो करती रही | वो समझ गयी रोहित ने फ़ोन काट दिया | रीमा सरप्राइज थी की रोहित यहाँ आ गया था | उसके मन में हजारो सवाल थे लेकिन रोहित के अपने पास होने की लालसा सब पर भारी थी | रोहित यहाँ क्यों आया है, किसने उसको फ़ोन किया था, रोहित पैराडाइज के बारे में क्या जानता है, कब से जानता है | क्या कभी रोहित भी पैराडाइज के अन्दर गया है | क्या रोहित पहले भी यहाँ ऐसी पार्टियों में आता रहा है | उसके दिमाग में सवालो की झड़ी लगी पड़ी थी | इस सबके बीच वो एक बात को लेकर निश्चिन्त थी रोहित से झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं, उसने जो कुछ भी अन्दर देखा, सब का सब रोहित को बता देगी | रोहित से उसका सिर्फ एक रिश्ता था विस्वास का और वो उसे नहीं तोडना चाहती थी | रोहित भी कई बार मर्दों वाली बात रीमा को बता देता था जो के आमतौर पर औरतो के बताने से नुकसान हो सकता है | इस मामले में रीमा थोड़ी अलग थी, उसके अन्दर नैतिकता की दुहाई पर जीने वाली रीमा भी थी तो उसका एक डार्क शेड में था, जहाँ सारे नियम कानूनों से परे वो कुछ भी करने को आजाद थी | रीमा इन्ही विचारो की उधेड़बुन में खोयी हुई थी और पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हल्का सा स्पर्श किया | रीमा के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी | रोहित का स्पर्श, उसके अन्दर की कामना पूरी हुई, रोहित उसके पास था, उसके पीछे था | अन्दर से उमड़ रहे भावनाओं के ज्वार को काबू करते हुए पीछे की तरफ घूमी | रोहित और रीमा गले मिले | रोहित ने रीमा को एक गुलदस्ता दिया | एक पल को दोनों की नजरे मिली, दोनों मुस्कुराये |
रोहित - खूबसूरत लग रही हो हमेशा की तरह |
रीमा ने भी हाजिरजवाबी पेश की - तुम भी हैण्डसम लग रहे हो हमेशा की तरह |
रीमा ने जो कुछ उन केबिन में होता देखा, उसके होश उड़ गए | उसे लगा कोई केबिन से उसे यहाँ खड़ा इस तरह देख न ले इसलिए पीछे हटकर बेड पर बैठ गयी | हर केबिन की एक अपनी कहानी थ, यहाँ कोई मीटिंग नहीं हो रही थी | ये एक अय्याशी का खुफिया अड्डा था इसलिए यहाँ सिर्फ उन्ही को आने की इजाजत थी जिन्होंने इसके लिए पैसे भरे थे | मास्टर केबिन और उसके आस पास के केबिन ऐसे डिजाईन किये गए थे, की किसी को भी भनक न लगे की पड़ोस में क्या हो रहा है और मास्टर केबिन में बैठा इंसान सब कुछ देख ले | जबकि केबिन का आदमी सिर्फ केबिन में ही मस्त रहे | मास्टर केबिन में एक बड़ा सा पर्दा था रीमा को समझ नहीं आया ये क्या है | वो बेड पर बैठी बस चारो तरफ केबिन का जायजा ले ही रही थी | मन में डर और आशंका के साथ एक अनचाही सी लालसा भी थी, वो क्या थी पता नहीं | रीमा शंकाओं से घिरी हुई थी, उसने केबिन में जो भी होता देखा वो उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं था | वो ये सब देखकर कुछ भी सोच पाने में असफल थी | कैसी है ये दुनिया, कैसे है ये लोग | उसके अन्दर दुविधा, हीनता, अविश्वास और सबसे ज्यादा शर्म घर करती जा रही थी | उसने यहाँ का जो नजारा देखा उसके बाद यहाँ से जाने का फैसला कर लिया | वो इस गन्दगी से जीतनी जल्दी हो सके दूर जाना चाहती थी | उसने चाभी हाथ में थामी और तेजी से बेड से उठी और अपने केबिन के दरवाजे को उन लॉक किया और बाहर निकल गयी | जीतनी शांति से वो यहाँ आई थी उतनी ही शांति से वो यहाँ से चली गयी | वो कॉटेज से बाहर निकली ही थी, रोहित का फ़ोन आ गया | एक बरगी को रोहित का नाम देखकर चौंक गयी लेकिन उसे लगा शायद रोहित उसके और प्रियम के लिए चिंतित होगा, इसलिए फ़ोन किया होगा |
रीमा - हेल्लो रोहित |
रोहित - कैसी हो रीमा |
रीमा - बढ़िया |
रोहित - पार्टी एन्जॉय करी |
रीमा - अरे कहाँ ??
रोहित - झूठ क्यों बोल रही हो, मैंने सुना है तुमने वहां भी झंडे गाड़ दिए है | हर कोई तुमारा दीवाना हो गया है |
रीमा - जस्ट शट उप, .............................वैसे कौन बोल रहा है, किसी ने फ़ोन किया तुम्हे |
रोहित - अरे मुझे कौन नहीं जानता उस पार्टी में, कोई होगा मेरा शुभ चिन्तक |
रीमा - बाते न बनावो, कौन है वो ?
रोहित - अपने ख़ुफ़िया सूत्रों का खुलासा नहीं किया जाता |
रीमा - ठीक है फिर बाय, मुझे बात नहीं करनी तुमसे |
रोहित - अरे रुको रुको ......तुम तो नाराज हो गयी, वैसे क्या प्लान है |
रीमा - मै इतनी रात को नहीं आउंगी, सोने जा रही हूँ, थक गयी |
रोहित - और थकावट किस बात की है ????
रीमा भांप गयी रोहित मस्ती के मूड में - क्या बात है आज साहब जी का मूड बदला हुआ लग रहा है |
रोहित - तुमने प्रियम को थप्पड़ मारा, मुझे अच्छा लगा कि तुम्हे प्रियम को देखकर बुरा लग रहा था |
रीमा - उसने शराब पी रखी थी मेरे मना करने के बावजूद |
रोहित - इसलिए तुम्हे बुरा लगा न |
रीमा खामोश रही, रोहित आगे बोला - अच्छा वो सब सेंटीमेंटल बाते छोड़ो ये बताओ अभी हो कहाँ पर |
रीमा - कहाँ पर का क्या मतलब है |
रोहित - रिवर लाउन्ज में कहाँ पर हो |
रीमा - ये जानकर तुम क्या करोगे, वैसे में सोने के लिए गेस्ट रूम वाली बिल्डिंग में जा रही हूँ |
रोहित उसे रोकता हुआ बोला - अरे अरे रुको वहां मत जाना |
रीमा - क्यों ????
रोहित - पहले तुम अपनी लोकेशन बताओ. रिवर लाउन्ज के अन्दर एक्चुअली तुम कहाँ हो |
रीमा - नहीं रोहित, नहीं ये नहीं हो सकता, नो नो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | इतनी रात को इस सुनसान जंगल में आने का कोई मतलब नहीं है रोहित, नो वे, तुम्हे यहाँ आने की कोई जरुरत नहीं है |
रोहित - रीमा रीमा रीमा तुम मुझे इतने सालो से जानती हो फिर भी ........................... आने का सवाल छोड़ो, मै आलरेडी आ चूका हूँ |
रीमा के अन्दर आश्चर्य और ख़ुशी दोनों का मिश्रण था, लेकिन उसका मन ये मानने को तैयार ही नहीं था, उसे लगा रोहित मजाक कर रहा है - नहीं ये नहीं हो सकता |
रोहित - मै रोहित हूँ, मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा का मन ये मानने को तैयार नहीं था लेकिन उसका अंतर्मन की चाहत अन्दर से इतनी तेज वेग से बाहर निकली, की रीमा का मानसिक संयम धराशायी हो गया | रीमा के अन्दर अचानक से रोहित पास में होने की लालसा जगी और उसने रोहित जो अपनी लोकेशन बता - मै पैराडाइज कॉटेज की तरफ से मैंन हाल की तरफ जा रही हूँ ?
रोहित - ओह माय गॉड, क्या मैंने भी वही सुना जो तुमने कहाँ , पैराडाइज आर यू क्रेजी ..........................|
रीमा को रोहित का रिएक्शन अजीब लगा, उसे लगा शायद रोहित इसके बारे में जानता है - तुम जानते हो इसके बारे में |
रोहित को एक पल लगा रीमा के पैराडाइज वाली बात को हजम करने में - यकीं नहीं होता, तुम पैराडाइज इतनी जल्दी कैसे पता लगा सकती हो, तुम क्रेजी हो पूरी तरह से क्रेजी |
रीमा ने थोड़ा मासूम बनने की कोशिश की - तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो, जैसे मैंने अजूबा देख लिया हो | कुछ भी तो नहीं था, मैंने रिसेप्शन पर चाभी मांगी, उसने मुझे पैराडाइज की चाभी दे दी, तो पूछते पूछते पैराडाइज चली गयी लेकिन वहां तो घनघोर अँधेरा है, मुझे डर लग रहा था तो वही से वापस आकर मैंन हाल में वापस जा रही हूँ, उसको हड्काने |
रोहित - झूठ मत बोलो, तुमने सचमुच वहां कुछ नहीं देखा |
रीमा - वहां था क्या ऐसा देखने लायक, अँधेरे में कहाँ जाती, आगे का कुछ दीखता तो जाती न |
रोहित - चाभी नंबर क्या है तुमारा, बताओगी ?????
रीमा - पहले ये बताओ , ऐसा क्या खास है वहां, तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो ??
रोहित - पहले चाभी नंबर ?
रीमा - ओके बाबा, तुम हमेशा अपनी मनवा कर ही मानते हो, चाभी नंबर है M01R |
रोहित - नो नो नो नो शिट, ये तुमने क्या कर दिया रीमा, तुम्हे पता भी है इसका मतलब |
रीमा - क्या क्या कहना चाहते हो, क्या खास है इस चाभी में ऐसा, एक नंबर पड़ी चाभी ही तो है |
रीमा अब जान बूझकर नाटक कर रही थी ताकि रोहित के मुहँ से उगलवा सके |
रोहित - वही रुक जाओ, वहां से हिलना मत, मै बस एक मिनट में आया | रोहित ने फ़ोन काट दिया |
बिना कुछ किये रीमा के चलते कदम ठहर गए | रीमा फ़ोन कान में लगाये - हेलो हेलो रोहित हेलो हेलो करती रही | वो समझ गयी रोहित ने फ़ोन काट दिया | रीमा सरप्राइज थी की रोहित यहाँ आ गया था | उसके मन में हजारो सवाल थे लेकिन रोहित के अपने पास होने की लालसा सब पर भारी थी | रोहित यहाँ क्यों आया है, किसने उसको फ़ोन किया था, रोहित पैराडाइज के बारे में क्या जानता है, कब से जानता है | क्या कभी रोहित भी पैराडाइज के अन्दर गया है | क्या रोहित पहले भी यहाँ ऐसी पार्टियों में आता रहा है | उसके दिमाग में सवालो की झड़ी लगी पड़ी थी | इस सबके बीच वो एक बात को लेकर निश्चिन्त थी रोहित से झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं, उसने जो कुछ भी अन्दर देखा, सब का सब रोहित को बता देगी | रोहित से उसका सिर्फ एक रिश्ता था विस्वास का और वो उसे नहीं तोडना चाहती थी | रोहित भी कई बार मर्दों वाली बात रीमा को बता देता था जो के आमतौर पर औरतो के बताने से नुकसान हो सकता है | इस मामले में रीमा थोड़ी अलग थी, उसके अन्दर नैतिकता की दुहाई पर जीने वाली रीमा भी थी तो उसका एक डार्क शेड में था, जहाँ सारे नियम कानूनों से परे वो कुछ भी करने को आजाद थी | रीमा इन्ही विचारो की उधेड़बुन में खोयी हुई थी और पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हल्का सा स्पर्श किया | रीमा के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी | रोहित का स्पर्श, उसके अन्दर की कामना पूरी हुई, रोहित उसके पास था, उसके पीछे था | अन्दर से उमड़ रहे भावनाओं के ज्वार को काबू करते हुए पीछे की तरफ घूमी | रोहित और रीमा गले मिले | रोहित ने रीमा को एक गुलदस्ता दिया | एक पल को दोनों की नजरे मिली, दोनों मुस्कुराये |
रोहित - खूबसूरत लग रही हो हमेशा की तरह |
रीमा ने भी हाजिरजवाबी पेश की - तुम भी हैण्डसम लग रहे हो हमेशा की तरह |