12-05-2019, 11:09 AM
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अट्ठाईसवीं फुहार - कामिनी भाभी की सिखाई पढ़ाई
![[Image: mil-bcl.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/mil-bcl.md.jpg)
“भाभी लाइए मैं बेल देती हूँ…”
मैंने हेल्प करने के लिए बोला।
![[Image: tumblr_o3uh3tV9co1rz5mwho1_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/tumblr_o3uh3tV9co1rz5mwho1_500.jpg)
“क्यों आ गया बेलन पकड़ना?”
मुश्कुराकर द्विअर्थी डायलाग भाभी ने बोला।
मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी उसी तरह जवाब दिया-
“पहले नहीं आता था लेकिन अब यहाँ आकर सीख गई हूँ। और कुछ कमी बेसी रही गई हो तो वो आप सिखा दीजियेगा न, आखिर भाभी हैं प्यारी प्यारी मेरी…”
भोली बनकर, अपनी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें गोल-गोल नचाते हुए मैंने भी उसी तरह जवाब दिया।
![[Image: Guddi-cute-86abe94f7a6cc53a092086c041cb964c.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Guddi-cute-86abe94f7a6cc53a092086c041cb964c.jpg)
“एकदम, अच्छी तरह ट्रेन करके भेजूंगी। लम्बा, मोटा कुछ भी पकड़ने में कोई परेशानी नहीं आएगी मेरी प्यारी बिन्नो को…”
भाभी मुश्कुरा के बोलीं।
एक सवाल जो मेरे मन में उमड़ घूमड़ रहा था उसका जवाब भाभी ने बिना पूछे दे दिया।
“जानती है तेरे इस जुबना पे गाँव के सिर्फ लौंडे ही नहीं, मर्द भी मरते हैं। (मुझे मालूम था, इन मर्दों में कामिनी भाभी के वो भी शामिल हैं) और अपनी समौरिया में तेरे ये गद्दर जोबन 20 नहीं 22 होंगे…”
![[Image: Geeta-Chulha.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Geeta-Chulha.jpg)
रोटी सेंकते भाभी बोलीं।
बात भाभी की एकदम सही थी मेरी क्लास में कई के तो अभी ठीक से उभार आये भी नहीं थे, ढूँढ़ते रह जाओगे टाइप, बस।
“लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी ननदिया के 25 हों, जब शहर में लौटे तो बस आग लगा दें, ‘जुबना से गोली मारे, बरछी कटार बन के तोहरे जोबन लौंडन के सीने में’ साइज, कप साइज सब बढ़ जायेगी…”
![[Image: Dress-nips-tumblr_p8r5eer14j1udy23bo1_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Dress-nips-tumblr_p8r5eer14j1udy23bo1_500.jpg)
वो आगे बोलीं।
“किस काम का भाभी, कॉलेज में ऐसे दुपट्टा लेना पड़ता है तीन परत का, और घुसते ही टीचर चेक करती हैं…”
![[Image: college-girls-1601297_608311875909010_1204973416_n.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college-girls-1601297_608311875909010_1204973416_n.jpg)
मैंने बुरा सा मुँह बना के अपनी परेशानी बताई।
कामिनी भाभी जोर से खिलखिलाई, फिर मेरे कड़े-खड़े निपल्स के कान जोर से उमेठ के बोलीं-
“अरे हमार छिनार ननदो, तोहार जोबन तो हम अस कय देब न की लोहे क चादर फाड़ के लौंडन के सीने में छेद करेगी। आई दुपट्टा कौन चीज है? अरे दुपट्टे का तो फायदा उठाया जाता है इस उम्र में…”
फिर अपने आँचल को दुपट्टा बना के वो मुझे सिखाने में जुट गईं, और उसे कस के अपनी गर्दन के चारों ओर लिपटा चिपका के बोलीं-
“देख जोबन का जलवा दिख रहा है न पूरा। लौंडन का फायदा होगा और तुम्हारे साथ की लड़कियां जल के राख हो जाएंगी…”
मेरे सवाल को अच्छी तरह समझ के बिना मेरे पूछे उन्होंने जवाब दिया-
“अरे छैले सब कहाँ मिलते होंगे, तुम्हारी गली के बाहर, कॉलेज के सामने छुट्टी के टाइम, बाजार में, है न?
भाभी की बात सोलहो आने सही थी, जैसे हम लोगों की छुट्टी होती थी, कॉलेज के गेट के बाहर ही 8-10 भौंरे बाहर मंडराते रहते थे, और किसी दिन 1-2 भी कम हो गए तो बड़ा सूना-सूना लगता था। और हम भी आपस में फुसफुसा के कहती थीं, ये तेरा वाला है, ये तेरा वाला है। कई तो जब मैं कॉलेज रिक्शे से किसी सहेली के साथ जाती थी तो साइकिल से कॉलेज तक, और शाम को वापसी में भी…
“बस, तो कॉलेज में टीचर का राज चलेगा न, जैसे ही बाहर निकलो उस समय बस दुपट्टा गले पे और उभार बाहर। जाते समय भी घर से बाहर निकलने के बाद, दुपट्टा उस तरह से ले लो जिसमें तेरा भी फायदा हो और लौंडन का भी, कॉलेज में घुसने के पहले जैसे टीचर कहती हैं वैसे कर लो…”
![[Image: college-girls-11113350_851629891577206_6...2216_n.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college-girls-11113350_851629891577206_6233038114047162216_n.jpg)
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी। भाभी की ट्रिक तो बहुत अच्छी थी।
“अरे ऐसे मस्त जोबन आने का फायदा क्या जब तक दो चार लौंडन रोज बेहोश न हों…”
कामिनी भाभी भी मेरी खिलखिलाहट में शामिल होती बोलीं।
फिर उन्होंने दुपट्टा लेने की दसों ट्रिक सिखाई, लेकिन सबका सारांश यही था की थोड़ा छिपाओ, ज्यादा दिखाओ।
![[Image: college3.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college3.jpg)
अगर कभी मजबूरन पूरी तरह से लेना भी पड़ गया तो बस ऐसे रखो की साइड से पूरा कटाव, उभार, कड़ापन दिखाई दे। कभी पार्टी में, शादी में जाओ तो बस एक कंधे पे, जिससे एक जोबन तो पूरी तरह दिखे और दूसरा भी आधा तीहा।
कपड़ा भी दुपट्टे का झीना-झीना हो जिससे जहाँ पूरा डालना भी पड़े, तो अंदर से झलक तो बिचारों को दिखे…”
मैं बहुत ध्यान से सुन रही थी। असली गुरुआइन मुझे अब मिली थी।
“और टाप खरीदो या कुरता या सिलवाओ, नीचे से और साइड से एकदम टाइट हों, जिससे उभारों का कटाव, साइज और कड़ापन एकदम साफ-साफ दिखे, हाँ और ऊपर से थोड़ा ढीला हो, तो जैसे ही थोड़ा सा भी झुकोगी न, पूरा क्लीवेज, गोलाइयां सब नजर आ जाएंगी और सामने वाले की हालत खराब…”
![[Image: birde-shalwar.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/birde-shalwar.jpg)
भाभी की बात एकदम सही थी।
गाँव में पहले ही दिन, मेले में ये बात सीख ली थी, चन्दा और पूरबी से।
बस दूकान पे जरा सा झुक के मैं अपने जोबन दर्शन कराती थी, और चन्दा और पूरबी फीस वसूल लेती थीं। उसके बात तो मैं पक्की हो गई थी।
![[Image: mil-bcl.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/mil-bcl.md.jpg)
“भाभी लाइए मैं बेल देती हूँ…”
मैंने हेल्प करने के लिए बोला।
![[Image: tumblr_o3uh3tV9co1rz5mwho1_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/tumblr_o3uh3tV9co1rz5mwho1_500.jpg)
“क्यों आ गया बेलन पकड़ना?”
मुश्कुराकर द्विअर्थी डायलाग भाभी ने बोला।
मैं क्यों पीछे रहती, मैंने भी उसी तरह जवाब दिया-
“पहले नहीं आता था लेकिन अब यहाँ आकर सीख गई हूँ। और कुछ कमी बेसी रही गई हो तो वो आप सिखा दीजियेगा न, आखिर भाभी हैं प्यारी प्यारी मेरी…”
भोली बनकर, अपनी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें गोल-गोल नचाते हुए मैंने भी उसी तरह जवाब दिया।
![[Image: Guddi-cute-86abe94f7a6cc53a092086c041cb964c.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Guddi-cute-86abe94f7a6cc53a092086c041cb964c.jpg)
“एकदम, अच्छी तरह ट्रेन करके भेजूंगी। लम्बा, मोटा कुछ भी पकड़ने में कोई परेशानी नहीं आएगी मेरी प्यारी बिन्नो को…”
भाभी मुश्कुरा के बोलीं।
एक सवाल जो मेरे मन में उमड़ घूमड़ रहा था उसका जवाब भाभी ने बिना पूछे दे दिया।
“जानती है तेरे इस जुबना पे गाँव के सिर्फ लौंडे ही नहीं, मर्द भी मरते हैं। (मुझे मालूम था, इन मर्दों में कामिनी भाभी के वो भी शामिल हैं) और अपनी समौरिया में तेरे ये गद्दर जोबन 20 नहीं 22 होंगे…”
![[Image: Geeta-Chulha.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Geeta-Chulha.jpg)
रोटी सेंकते भाभी बोलीं।
बात भाभी की एकदम सही थी मेरी क्लास में कई के तो अभी ठीक से उभार आये भी नहीं थे, ढूँढ़ते रह जाओगे टाइप, बस।
“लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी ननदिया के 25 हों, जब शहर में लौटे तो बस आग लगा दें, ‘जुबना से गोली मारे, बरछी कटार बन के तोहरे जोबन लौंडन के सीने में’ साइज, कप साइज सब बढ़ जायेगी…”
![[Image: Dress-nips-tumblr_p8r5eer14j1udy23bo1_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/Dress-nips-tumblr_p8r5eer14j1udy23bo1_500.jpg)
वो आगे बोलीं।
“किस काम का भाभी, कॉलेज में ऐसे दुपट्टा लेना पड़ता है तीन परत का, और घुसते ही टीचर चेक करती हैं…”
![[Image: college-girls-1601297_608311875909010_1204973416_n.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college-girls-1601297_608311875909010_1204973416_n.jpg)
मैंने बुरा सा मुँह बना के अपनी परेशानी बताई।
कामिनी भाभी जोर से खिलखिलाई, फिर मेरे कड़े-खड़े निपल्स के कान जोर से उमेठ के बोलीं-
“अरे हमार छिनार ननदो, तोहार जोबन तो हम अस कय देब न की लोहे क चादर फाड़ के लौंडन के सीने में छेद करेगी। आई दुपट्टा कौन चीज है? अरे दुपट्टे का तो फायदा उठाया जाता है इस उम्र में…”
फिर अपने आँचल को दुपट्टा बना के वो मुझे सिखाने में जुट गईं, और उसे कस के अपनी गर्दन के चारों ओर लिपटा चिपका के बोलीं-
“देख जोबन का जलवा दिख रहा है न पूरा। लौंडन का फायदा होगा और तुम्हारे साथ की लड़कियां जल के राख हो जाएंगी…”
मेरे सवाल को अच्छी तरह समझ के बिना मेरे पूछे उन्होंने जवाब दिया-
“अरे छैले सब कहाँ मिलते होंगे, तुम्हारी गली के बाहर, कॉलेज के सामने छुट्टी के टाइम, बाजार में, है न?
भाभी की बात सोलहो आने सही थी, जैसे हम लोगों की छुट्टी होती थी, कॉलेज के गेट के बाहर ही 8-10 भौंरे बाहर मंडराते रहते थे, और किसी दिन 1-2 भी कम हो गए तो बड़ा सूना-सूना लगता था। और हम भी आपस में फुसफुसा के कहती थीं, ये तेरा वाला है, ये तेरा वाला है। कई तो जब मैं कॉलेज रिक्शे से किसी सहेली के साथ जाती थी तो साइकिल से कॉलेज तक, और शाम को वापसी में भी…
“बस, तो कॉलेज में टीचर का राज चलेगा न, जैसे ही बाहर निकलो उस समय बस दुपट्टा गले पे और उभार बाहर। जाते समय भी घर से बाहर निकलने के बाद, दुपट्टा उस तरह से ले लो जिसमें तेरा भी फायदा हो और लौंडन का भी, कॉलेज में घुसने के पहले जैसे टीचर कहती हैं वैसे कर लो…”
![[Image: college-girls-11113350_851629891577206_6...2216_n.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college-girls-11113350_851629891577206_6233038114047162216_n.jpg)
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी। भाभी की ट्रिक तो बहुत अच्छी थी।
“अरे ऐसे मस्त जोबन आने का फायदा क्या जब तक दो चार लौंडन रोज बेहोश न हों…”
कामिनी भाभी भी मेरी खिलखिलाहट में शामिल होती बोलीं।
फिर उन्होंने दुपट्टा लेने की दसों ट्रिक सिखाई, लेकिन सबका सारांश यही था की थोड़ा छिपाओ, ज्यादा दिखाओ।
![[Image: college3.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/college3.jpg)
अगर कभी मजबूरन पूरी तरह से लेना भी पड़ गया तो बस ऐसे रखो की साइड से पूरा कटाव, उभार, कड़ापन दिखाई दे। कभी पार्टी में, शादी में जाओ तो बस एक कंधे पे, जिससे एक जोबन तो पूरी तरह दिखे और दूसरा भी आधा तीहा।
कपड़ा भी दुपट्टे का झीना-झीना हो जिससे जहाँ पूरा डालना भी पड़े, तो अंदर से झलक तो बिचारों को दिखे…”
मैं बहुत ध्यान से सुन रही थी। असली गुरुआइन मुझे अब मिली थी।
“और टाप खरीदो या कुरता या सिलवाओ, नीचे से और साइड से एकदम टाइट हों, जिससे उभारों का कटाव, साइज और कड़ापन एकदम साफ-साफ दिखे, हाँ और ऊपर से थोड़ा ढीला हो, तो जैसे ही थोड़ा सा भी झुकोगी न, पूरा क्लीवेज, गोलाइयां सब नजर आ जाएंगी और सामने वाले की हालत खराब…”
![[Image: birde-shalwar.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/12/14/birde-shalwar.jpg)
भाभी की बात एकदम सही थी।
गाँव में पहले ही दिन, मेले में ये बात सीख ली थी, चन्दा और पूरबी से।
बस दूकान पे जरा सा झुक के मैं अपने जोबन दर्शन कराती थी, और चन्दा और पूरबी फीस वसूल लेती थीं। उसके बात तो मैं पक्की हो गई थी।