22-12-2021, 09:05 AM
सातवा राज
मेरे दिमाग में अभी तक पुष्प का वो नंगा बदन घूम रहा था और सोच रहा था की फिर ऐसा कैसे हो सकता है मैं पुष्प के उस नायाब हुस्न का दीदार कैसे करूँ. तभी बड़े जोर से मेरे पेट में मरोड़ सी उठी और दिमाग की बत्ती जल गयी. मैंने पुष्प को आवाज दी भाभी जरा सुनना. उधर पुष्प अपने यौवन को बाथरूम में संवार के एक मस्त फ्रॉक टाइप इनर वियर में ढकके अपने रूम में बेड पर लेते हुए श्री और अपनी उस आधी अधूरी चुदाई के बारे में सोच के गीली हो रही थी.उसके कानो में राजू की आवाज पड़ी.उसने घड़ी की ओर देखा अरे अभी तो साढ़े सात ही बजे है अभी से राजू भैया उठ गए और मुझे क्यों पुकार रहे है चल के देखती हूँ. पुष्प राजू के कमरे की ओर आई और दरवाजा खोल के बोली क्या बात है भैया. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया कितना मीठा बोल रही है लगता ही नहीं की रात में रंडी का रोल प्ले कर रही थी. वो वो .... क्या हुआ अब बोलोगे भी या फिर वो वो ही करते रहोगे. पुष्प खिलखिला दी. उसके हँसते ही कमरे में एक रौनक छा गई.मैंने बोला रक्षाबंधन मुबारक हो मेरी नयी नवेली बहना. पुष्प संजीदा होक मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम के बोली तुम्हे भी मेरे भाई. मैंने बोला पुष्प एक प्रॉब्लम है. वो बोली क्या. मैंने बोला मुझे फ्रेश होना है और ममता आई क्या. पुष्प के माथे पे एक पल को शिकन आई फिर वो वैसे ही पुष्प सुलभ मुस्कराहट के साथ बोली वो नहीं आई तो क्या मैं हूँ न तेरी बहन चलो मैं तुम्हे सहारा देती हूँ. पुष्प ने आगे बढ़कर अपने कंधे का सहारा देने का प्रयास किया और मैंने अपने कमीनेपन का साथ लेते हुए उसके मस्त चिकने और नरम गोस्त को अपने से सटाने का. पुष्प को ख्याल ही नहीं था की मैं उसके जवान बदन का उपभोग कर रहा हूँ वो भी उसको अपनी बहन बनाने के बाद यह सब तो एक चाल थी उसकी नरम और गरम जवानी को नोंचने की. मेरे दिमाग ने एक मस्त प्लान दे दिया था अगर सब कुछ ठीक चलता तो थोड़ी देर बाद ही पुष्प मेरे लंड के आस पास नाचती नज़र आती. मैं पुष्प के हसीं बदन के सहारे से खड़ा हो गया और बोला मैं चल लूँगा पैर थोड़े ही जख्मी है. पुष्प अब बोली सॉरी राजू भैया मेरी वजह से आपको इतनी चोट लगी. मैंने कहा कोई बात नहीं पुष्प सब चलता है तुम इसे दिमाग में मत लाओ. मैं बाथ रूम तक आ गया मैंने वहां आके आवाज लगाई पुष्प इशार आना जरा. आई भैया. पुष्प मेरे पास आ गयी क्या हुआ. अरे पगली अब तेरा काम है मेरे हाथों में चोट की वजह से अपना लोअर भी नहीं हटा पाउँगा इसे हटा दो. मैं मन ही मन बोला साली एक बार मेरे लौड़े का साइज़ देख ले श्री की छुनिया भूल जाएगी. पुष्प ने एक सेकंड भी नहीं सोचा और मेरा लोअर निचे खिंच दिया और उसके दिमाग को झटका लगा उसने क्या कर दिया एक गैर मर्द का लोअर उतारने के समय उसे पता नहीं था की मैंने निचे कच्छा नहीं डाला है मेरा लंड उसकी आँखों के आगे आ गया इतना बड़ा लंड उसने कल्पना भी नहीं की होगी वो मुझे वाश रूम के आगे छोड़ के चली गई. मुझे पूरा यकीं था की उसके दिमाग में मेरे लौड़े की तस्वीर होगी वो अपने कमरे में जाके भी मेरे बारे में ही सोचती होगी. मैंने पेशाब किया और फिर उसे आवाज देदी. पुष्प इधर आना. मैंने देखा इस बार उसका नजरिया ही बदला हुआ था आते ही बोली क्या हुआ क्यों बुलाया मैंने बोला इसे ऊपर कर मैं मूत चूका हूँ. इस बार पुष्प ने लोअर ऊपर करते समय मेरे लौड़े को छुआ और उससे मेरे लोअर में घुसेड दिया. उसका नरम हाथ लगते ही मेरा लंड सर उठाने लगा. पुष्प ने यह सनसनाहट महसूस कर ली उसकी आँखें चौड़ी होने लगी. उसने आगे बढ़के मेरा लोअर फिर निचे खिंच दिया. मैंने पूछा यह क्या किया पुष्प. वो बोली मेरे भैया आज ऐसे ही रहो अभी टॉयलेट के लिए बुलाओगे फिर नहाने को कितनी बार आके तेरा लोअर उतारूंगी. तो एक बार में ही थक जाती हो ऐसे कैसे भाई की सेवा करोगी. पुष्प मेरे नजदीक आ गई मैं उसकी सांसों में भारीपन महसूस करने लगा हमारे संवाद द्विअर्थी हो गए थे. एक बार में तो मैं कभी नहीं थकती चाहो तुम भी आजमा लो. मैंने भी उसके चेहरे के पास चेहरा ले जाके कहा आजमाऊंगा जरुर और देखा जल्दी ही. मैं उसके नजदीक था और मेरा लौड़ा उसकी फ्रॉक के निचे उसकी नंगी टांगों को टच कर रहा था. मैंने देखा की पुष्प गर्म हो रही थी. मैंने अपने लंड को हल्का हल्का हिलाना शुरू किया उसकी गरम रगर से पुष्प की आँखें मुंदने लगी और उसका सीना फूलने लगा मैंने पूरी तरह गर्म होकर कहा पुष्प मेरी बहन अभी अजमाना है क्या. पुष्प ने कुछ नहीं कहा और अपनी टांगों का जोर मेरे लौड़े पर बड़ा दिया. मैंने भी बोल ही दिया पुष्प अगर तुझे अपने भाई का जोर देखना है तो बोल अपने मुंह से बोल मेरी बहना तभी कुछ करूँगा मैं. पुष्प शरमाते हुए बोली मैं इतनी बेशर्म कैसे बन सकती हूँ. मैंने सोचा साली रात का भेद खोलूं क्या. फिर मैंने अभी पहल न करते हुए कहा फिर जाने दे मुझे टॉयलेट करना है जाओ पुष्प मेरे लिए नास्ता बनाओ क्या बनाओगी. पुष्प ने जैस इक झटका खाया वो सपनो की दुनिया से बाहर आ गयी बोली तुम तैयारी’ करो टॉयलेट की मैं तुम्हारी पेटपूजा का इंतजाम करती हूँ. श्री कहाँ है मैंने बोला. वो बाहर गया है दो दिन के लिए. पुष्प ने जवाब दिया जो मुझे पता था फिर भी मैंने पूछा अरे इसका मतलब तुम्हारा बर्थडे. उसे याद है हम लोग लौट के एक दिन बाद इसको सेलिब्रेट करेंगे. ओके कहके मैं टॉयलेट में घुस गया और आगे की प्लानिंग सोचने लगा.
मेरे दिमाग में अभी तक पुष्प का वो नंगा बदन घूम रहा था और सोच रहा था की फिर ऐसा कैसे हो सकता है मैं पुष्प के उस नायाब हुस्न का दीदार कैसे करूँ. तभी बड़े जोर से मेरे पेट में मरोड़ सी उठी और दिमाग की बत्ती जल गयी. मैंने पुष्प को आवाज दी भाभी जरा सुनना. उधर पुष्प अपने यौवन को बाथरूम में संवार के एक मस्त फ्रॉक टाइप इनर वियर में ढकके अपने रूम में बेड पर लेते हुए श्री और अपनी उस आधी अधूरी चुदाई के बारे में सोच के गीली हो रही थी.उसके कानो में राजू की आवाज पड़ी.उसने घड़ी की ओर देखा अरे अभी तो साढ़े सात ही बजे है अभी से राजू भैया उठ गए और मुझे क्यों पुकार रहे है चल के देखती हूँ. पुष्प राजू के कमरे की ओर आई और दरवाजा खोल के बोली क्या बात है भैया. मैंने मन ही मन सोचा साली कुतिया कितना मीठा बोल रही है लगता ही नहीं की रात में रंडी का रोल प्ले कर रही थी. वो वो .... क्या हुआ अब बोलोगे भी या फिर वो वो ही करते रहोगे. पुष्प खिलखिला दी. उसके हँसते ही कमरे में एक रौनक छा गई.मैंने बोला रक्षाबंधन मुबारक हो मेरी नयी नवेली बहना. पुष्प संजीदा होक मेरे पास आई और मेरे माथे को चूम के बोली तुम्हे भी मेरे भाई. मैंने बोला पुष्प एक प्रॉब्लम है. वो बोली क्या. मैंने बोला मुझे फ्रेश होना है और ममता आई क्या. पुष्प के माथे पे एक पल को शिकन आई फिर वो वैसे ही पुष्प सुलभ मुस्कराहट के साथ बोली वो नहीं आई तो क्या मैं हूँ न तेरी बहन चलो मैं तुम्हे सहारा देती हूँ. पुष्प ने आगे बढ़कर अपने कंधे का सहारा देने का प्रयास किया और मैंने अपने कमीनेपन का साथ लेते हुए उसके मस्त चिकने और नरम गोस्त को अपने से सटाने का. पुष्प को ख्याल ही नहीं था की मैं उसके जवान बदन का उपभोग कर रहा हूँ वो भी उसको अपनी बहन बनाने के बाद यह सब तो एक चाल थी उसकी नरम और गरम जवानी को नोंचने की. मेरे दिमाग ने एक मस्त प्लान दे दिया था अगर सब कुछ ठीक चलता तो थोड़ी देर बाद ही पुष्प मेरे लंड के आस पास नाचती नज़र आती. मैं पुष्प के हसीं बदन के सहारे से खड़ा हो गया और बोला मैं चल लूँगा पैर थोड़े ही जख्मी है. पुष्प अब बोली सॉरी राजू भैया मेरी वजह से आपको इतनी चोट लगी. मैंने कहा कोई बात नहीं पुष्प सब चलता है तुम इसे दिमाग में मत लाओ. मैं बाथ रूम तक आ गया मैंने वहां आके आवाज लगाई पुष्प इशार आना जरा. आई भैया. पुष्प मेरे पास आ गयी क्या हुआ. अरे पगली अब तेरा काम है मेरे हाथों में चोट की वजह से अपना लोअर भी नहीं हटा पाउँगा इसे हटा दो. मैं मन ही मन बोला साली एक बार मेरे लौड़े का साइज़ देख ले श्री की छुनिया भूल जाएगी. पुष्प ने एक सेकंड भी नहीं सोचा और मेरा लोअर निचे खिंच दिया और उसके दिमाग को झटका लगा उसने क्या कर दिया एक गैर मर्द का लोअर उतारने के समय उसे पता नहीं था की मैंने निचे कच्छा नहीं डाला है मेरा लंड उसकी आँखों के आगे आ गया इतना बड़ा लंड उसने कल्पना भी नहीं की होगी वो मुझे वाश रूम के आगे छोड़ के चली गई. मुझे पूरा यकीं था की उसके दिमाग में मेरे लौड़े की तस्वीर होगी वो अपने कमरे में जाके भी मेरे बारे में ही सोचती होगी. मैंने पेशाब किया और फिर उसे आवाज देदी. पुष्प इधर आना. मैंने देखा इस बार उसका नजरिया ही बदला हुआ था आते ही बोली क्या हुआ क्यों बुलाया मैंने बोला इसे ऊपर कर मैं मूत चूका हूँ. इस बार पुष्प ने लोअर ऊपर करते समय मेरे लौड़े को छुआ और उससे मेरे लोअर में घुसेड दिया. उसका नरम हाथ लगते ही मेरा लंड सर उठाने लगा. पुष्प ने यह सनसनाहट महसूस कर ली उसकी आँखें चौड़ी होने लगी. उसने आगे बढ़के मेरा लोअर फिर निचे खिंच दिया. मैंने पूछा यह क्या किया पुष्प. वो बोली मेरे भैया आज ऐसे ही रहो अभी टॉयलेट के लिए बुलाओगे फिर नहाने को कितनी बार आके तेरा लोअर उतारूंगी. तो एक बार में ही थक जाती हो ऐसे कैसे भाई की सेवा करोगी. पुष्प मेरे नजदीक आ गई मैं उसकी सांसों में भारीपन महसूस करने लगा हमारे संवाद द्विअर्थी हो गए थे. एक बार में तो मैं कभी नहीं थकती चाहो तुम भी आजमा लो. मैंने भी उसके चेहरे के पास चेहरा ले जाके कहा आजमाऊंगा जरुर और देखा जल्दी ही. मैं उसके नजदीक था और मेरा लौड़ा उसकी फ्रॉक के निचे उसकी नंगी टांगों को टच कर रहा था. मैंने देखा की पुष्प गर्म हो रही थी. मैंने अपने लंड को हल्का हल्का हिलाना शुरू किया उसकी गरम रगर से पुष्प की आँखें मुंदने लगी और उसका सीना फूलने लगा मैंने पूरी तरह गर्म होकर कहा पुष्प मेरी बहन अभी अजमाना है क्या. पुष्प ने कुछ नहीं कहा और अपनी टांगों का जोर मेरे लौड़े पर बड़ा दिया. मैंने भी बोल ही दिया पुष्प अगर तुझे अपने भाई का जोर देखना है तो बोल अपने मुंह से बोल मेरी बहना तभी कुछ करूँगा मैं. पुष्प शरमाते हुए बोली मैं इतनी बेशर्म कैसे बन सकती हूँ. मैंने सोचा साली रात का भेद खोलूं क्या. फिर मैंने अभी पहल न करते हुए कहा फिर जाने दे मुझे टॉयलेट करना है जाओ पुष्प मेरे लिए नास्ता बनाओ क्या बनाओगी. पुष्प ने जैस इक झटका खाया वो सपनो की दुनिया से बाहर आ गयी बोली तुम तैयारी’ करो टॉयलेट की मैं तुम्हारी पेटपूजा का इंतजाम करती हूँ. श्री कहाँ है मैंने बोला. वो बाहर गया है दो दिन के लिए. पुष्प ने जवाब दिया जो मुझे पता था फिर भी मैंने पूछा अरे इसका मतलब तुम्हारा बर्थडे. उसे याद है हम लोग लौट के एक दिन बाद इसको सेलिब्रेट करेंगे. ओके कहके मैं टॉयलेट में घुस गया और आगे की प्लानिंग सोचने लगा.