11-05-2019, 10:32 PM
(This post was last modified: 03-09-2020, 12:01 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उनका झंडा
" चलती हूं , अभी सारा सामान अनपैक करना है , फ्रेश भी होना है "
और ये कहते हुए वो उठ खड़ी हुई लेकिन चलने के पहले उन्होंने अपने दामाद को देखा जैसे अपने सवाल का जवाब पूछ रही हों और वो भी , उनके मुंह से हाँ निकल ही गया।
विजय भरी मुस्कान से उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने दामाद को ललचाते हुए बड़े बड़े कसे नितम्ब मटकाते , अपने कमरे की ओर चल दीं।
बिचारे वो ,उनकी तो हालत खराब थी , कुलबुलाते छटपटाते दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां इस तड़पती हालत में उन्हें छोड़ के उनकी सास चली गई।
उनकी हालत देख के, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पतली रजाई पलट दी और उनका झंडा अभी भी वैसे ही कड़ा ,खड़ा था , भूखा प्यासा।
मैंने उसे अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में दबोच लिया और लगी रगड़ने मसलने ,
" बहुत कस के खड़ा है , अब क्या करोगे? मैं बोलूं , वो जो मेरी छिनार ननद है न तेरी चूतमरानो ममेरी बहन गुड्डी , बस उसी की चूत में पेल दो। एकदम मस्त माल है , सोचो न उसकी उठी हुई सुंदर लम्बी लम्बी टांगे तेरे कंधे पे , खूब फैली हुई गोरी गोरी चिकनी मांसल जाँघे ,... उसकी कच्ची कमसिन टाइट किशोर चूत में दरेरता रगड़ता फाड़ता घुसता तेरा ये मोटा लण्ड , कितना मजा आएगा न , सोचो तुम उस छिनार को हचक हचक के चोद रहे हो , , फचाफच फचाफच,... "
और साथ में मैंने उनके मुठीयाने की रफ़्तार बढ़ा दी ,
लण्ड का सुपाड़ा अभी भी खुला था और मेरा अंगूठा उस पे हल्के से टैप कर रहा था।
मेरे मुठीयाने के साथ अब वो खुद अपना चूतड़ उठा उठा के धक्के वो मार रहे थे जैसे सच में अपनी बहन की कच्ची चूत चोद रहे हों।
मैंने और आग लगाई ,
" बस अब कुछ दिन की ही तो बात है , तुझे ले चलूंगी न तेरे मायके। मिलवाऊंगी तेरे उस माल से , ... तो उसे ऐसे ही हचक हचक के , उसके कच्चे टिकोरे पकड़ के पेलना।
बहुत कसी है चूत उसकी
लेकिन देखना हंस हंस के घोंटेगी अपनी चूत में वो , ... पक्की चुदवासी है वो ,"
और इसके साथ ही मैंने एक उंगली और अंगूठे से उनके मांसल खूब फूले कड़े सुपाड़े को हल्के से दबाया , दो बूंद प्री कम की छलक आई। मेरी मंझली उंगली का लम्बा शार्प नाखून उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) में और दूसरे हाथ का अंगूठा सीधे उनके गांड के छेद में ,
वो उचक गए , और दो चार बूंदे प्री कम की फिर से सुपाड़े से बरस पड़ीं।
मैने उसे तरजनी में लपेटा और उन्हें दिखा के चिढ़ाते हुए चाट लिया और उठ गई , तब तक मम्मी की आवाज उनके कमरे से आई ,
" चल न मम्मी बुला रही है "
और मैं उन्हें उसी हालात में खींच के उस कमरे में ले आई जिसे मॉम के लिए इत्ते प्यार से उन्होंने तैयार किया था।
……………………
" चलती हूं , अभी सारा सामान अनपैक करना है , फ्रेश भी होना है "
और ये कहते हुए वो उठ खड़ी हुई लेकिन चलने के पहले उन्होंने अपने दामाद को देखा जैसे अपने सवाल का जवाब पूछ रही हों और वो भी , उनके मुंह से हाँ निकल ही गया।
विजय भरी मुस्कान से उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने दामाद को ललचाते हुए बड़े बड़े कसे नितम्ब मटकाते , अपने कमरे की ओर चल दीं।
बिचारे वो ,उनकी तो हालत खराब थी , कुलबुलाते छटपटाते दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां इस तड़पती हालत में उन्हें छोड़ के उनकी सास चली गई।
उनकी हालत देख के, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पतली रजाई पलट दी और उनका झंडा अभी भी वैसे ही कड़ा ,खड़ा था , भूखा प्यासा।
मैंने उसे अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में दबोच लिया और लगी रगड़ने मसलने ,
" बहुत कस के खड़ा है , अब क्या करोगे? मैं बोलूं , वो जो मेरी छिनार ननद है न तेरी चूतमरानो ममेरी बहन गुड्डी , बस उसी की चूत में पेल दो। एकदम मस्त माल है , सोचो न उसकी उठी हुई सुंदर लम्बी लम्बी टांगे तेरे कंधे पे , खूब फैली हुई गोरी गोरी चिकनी मांसल जाँघे ,... उसकी कच्ची कमसिन टाइट किशोर चूत में दरेरता रगड़ता फाड़ता घुसता तेरा ये मोटा लण्ड , कितना मजा आएगा न , सोचो तुम उस छिनार को हचक हचक के चोद रहे हो , , फचाफच फचाफच,... "
और साथ में मैंने उनके मुठीयाने की रफ़्तार बढ़ा दी ,
लण्ड का सुपाड़ा अभी भी खुला था और मेरा अंगूठा उस पे हल्के से टैप कर रहा था।
मेरे मुठीयाने के साथ अब वो खुद अपना चूतड़ उठा उठा के धक्के वो मार रहे थे जैसे सच में अपनी बहन की कच्ची चूत चोद रहे हों।
मैंने और आग लगाई ,
" बस अब कुछ दिन की ही तो बात है , तुझे ले चलूंगी न तेरे मायके। मिलवाऊंगी तेरे उस माल से , ... तो उसे ऐसे ही हचक हचक के , उसके कच्चे टिकोरे पकड़ के पेलना।
बहुत कसी है चूत उसकी
लेकिन देखना हंस हंस के घोंटेगी अपनी चूत में वो , ... पक्की चुदवासी है वो ,"
और इसके साथ ही मैंने एक उंगली और अंगूठे से उनके मांसल खूब फूले कड़े सुपाड़े को हल्के से दबाया , दो बूंद प्री कम की छलक आई। मेरी मंझली उंगली का लम्बा शार्प नाखून उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) में और दूसरे हाथ का अंगूठा सीधे उनके गांड के छेद में ,
वो उचक गए , और दो चार बूंदे प्री कम की फिर से सुपाड़े से बरस पड़ीं।
मैने उसे तरजनी में लपेटा और उन्हें दिखा के चिढ़ाते हुए चाट लिया और उठ गई , तब तक मम्मी की आवाज उनके कमरे से आई ,
" चल न मम्मी बुला रही है "
और मैं उन्हें उसी हालात में खींच के उस कमरे में ले आई जिसे मॉम के लिए इत्ते प्यार से उन्होंने तैयार किया था।
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