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बरसात की वह रात
#59
उस दिन हम दोनों साथ में घूमने के लिए गए और रात में हम लोगों ने अपने घर के पास ही एक रेस्टोरेंट है वहां पर हम लोगों ने डिनर किया फिर हम लोग घर लौट आए। अगले दिन हम दोनों को ही ऑफिस जाना था इसलिए हम दोनों जल्दी ही सो गए थे और अगले दिन हम दोनों अपने ऑफिस चले गए। उस दिन जब हम लोग घर लौटे तो मैंने और मनीषा ने उस दिन सेक्स के बारे मे सोचा और हम दोनो उस रात डिनर करने के बाद जब साथ मे लेटे थे तो हम दोनो तडप रहे थे। मेरा हाथ मनीषा के स्तनो पर था और मैं उसके स्तनो को चूसना चाहता था। जब मैंने मनीषा के कपडो को खोलकर उसके स्तनो को चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आ रहा था और वह मेरा साथ देने लगी थी। जब मैं और मनीषा एक दूसरे को गरम कर रहे थे तो मुझे मजा आ रहा था। मनीषा मेरे लंड को चूसने के लिए तडप रही थी। मैंने मनीषा के सामने लंड को किया तो मनीषा मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे लंड से पानी निकलने लगा। मनीषा मेरे लंड को कठोर बना चुकी थी और मुझे लग चुका था वह अब रह नहीं पाएगी इसलिए मैंने मनीषा की चूत को भी चाटना शुरु किया।

 
मनीषा की चूत से उसका गिला पदार्थ निकल रहा था। मैंने मनीषा की चूत को अच्छे से चाटा। मुझे मनीषा की चूत को बहुत देर तक चाटा मेरी गर्मी बहुत बढ चुकी थी। मैं मनीषा की चूत को बहुत देर तक चाटता रहा। मुझे अब मनीषा को पूरी तरह गरम कर दिया था वह मेरे लंड को चूत मे लेने को तरस रही थी। मैंने मनीषा की चूत के अंदर लंड डाला। मेरा लंड मनीषा की चूत की दीवार तक जा चुका था और मैं मनीषा को तेजी से चोदने लगा। मनीषा भी अपने पैरो को चौडा करने लगी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं मनीषा की चूत के मजे ले रहा था और मुझे बहुत अच्छा लगता जिस तरह से मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करता जा रहा था। अब मनीषा और मैं पूरे जोश मे आ चुके थे। मनीषा मुझे बोली और तेजी से चोदते जाओ। मैं मनीषा के पैरो को अपने कंधे पर रख चुका था और मनीषा की चूत मारने मे मुझे मजा आ रहा था। मेरा लंड आसानी से मनीषा की चूत के अंदर बाहर होता तो वह भी मेरा पूरा साथ देती।
 
मनीषा की चूत के अंदर से निकलता हुआ पानी मेरे लंड को और भी गरम करता जा रहा था। अब मनीषा मुझे अपने पैरो के बीच मे जकडने की कोशिश कर रही थी। मैं मनीषा की चूत पर तेजी से प्रहार कर रहा था और मेरी गर्मी मनीषा की चूत के अंदर बाहर होती जिस से मेरी आग बढने लगी और मनीषा की चूत से निकलता पानी बहुत अधिक हो चुका था। मैंने मनीषा की चूत मे अपने माल को गिराया और उसकी चूत से लंड को बाहर निकाला तो वह उसे चूसने लगी। वह मेरे लंड को जिस तरह से चूस रही थी उस से मुझे मजा आ रहा था और मैं खुश था। उसने मेरे लंड पर लगे माल को चाट लिया था और अब हम दोनो साथ मे लेटे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:33 PM



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