21-12-2021, 02:32 PM
(21-12-2021, 02:31 PM)neerathemall Wrote:मनीषा की चूत का पानी
लखनऊ से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं दिल्ली आ गया था और दिल्ली में ही मैं नौकरी करने लगा। दिल्ली में मेरी एक कंपनी में नौकरी लग गई और कुछ समय तक मैंने दिल्ली में जॉब की और फिर मैं नौकरी करने के लिए कोलकाता चला गया। कोलकाता से मुझे एक अच्छी कंपनी में जॉब करने का मौका मिला और मैं कोलकाता में नौकरी करने लगा। मैं कोलकाता में जॉब करने लगा था मैं काफी खुश था और बहुत ही जल्द मेरा प्रमोशन भी हो गया था। कोलकाता में ही मेरे ऑफिस में काम करने वाली मनीषा के साथ मेरा अफेयर चलने लगा हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे लेकिन मनीषा पहले से ही शादीशुदा थी और उसका तलाक कुछ समय पहले ही उसके पति से हुआ था। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते थे इसलिए मुझे और मनीषा को एक दूसरे का साथ काफी अच्छा लगता।
मैं चाहता था कि मैं मनीषा के साथ ही शादी करुं लेकिन मनीषा के जीवन में कई सारी परेशानियां थी इसलिए वह मुझसे दूर हो गई। मैं काफी ज्यादा परेशान था मनीषा और मेरे बीच काफी ज्यादा दूरियां हो चुकी थी और अब शायद हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा दूर हो चुके थे इसलिए मैं काफी ज्यादा परेशान रहने लगा था। मैं चाहता था कि मैं वापस लखनऊ चला जाऊं कुछ समय के लिए मैं लखनऊ चला गया और जब मैं लखनऊ गया तो लखनऊ में मुझे काफी अच्छा लगा। काफी समय बाद मैं अपने पापा और मम्मी के साथ में अच्छा समय बिता पाया था। अपने पापा और मम्मी से मिलकर मैं बड़ा खुश था जिस तरीके से उन लोगों से इतने लंबे समय के बाद मेरी मुलाकात हुई थी उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और पापा मम्मी भी बहुत ज्यादा खुश थे। कुछ दिनों तक लखनऊ में रहने के बाद मैं वापस कोलकाता लौट आया।
जब मैं कोलकाता वापस लौटा तो यह भी एक अजीब इत्तेफाक था, जब मैं मनीषा से मिला तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मनीषा को भी बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे से बात की। मनीषा कोलकाता में ही रहती है और उसने मुझे बताया कि वह कोलकाता पिछले 5 महीनों से रह रही है। मैंने उससे पूछा कि क्या तुम यहीं जॉब करती हो तो उसने मुझे बताया हां मैं कोलकाता में ही नौकरी करती हूं। मनीषा मेरे दोस्त की बहन है और उससे मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मनीषा का ऑफिस मेरे ऑफिस के पास ही था इसलिए हम दोनों एक दूसरे से हर रोज मिला करते थे। मैं जब भी मनीषा से मिलता तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगता। मेरी जिंदगी से मनीषा दूर हो चुकी थी मैं मनीषा को भुलाने की कोशिश कर रहा था। मैं मनीषा को भुला चुका था मैं और मनीषा एक दूसरों को हर रोज मिलने लगे थे और जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मनीषा मेरे इतने करीब आ जाएगी कि हम दोनों का रिलेशन चलने लगेगा। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे और इसी वजह से हम दोनों हर रोज एक दूसरे को मिलते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
