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बरसात की वह रात
#55
मनीषा का गदराया हुआ बदन


मेरे कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही मेरी मुलाकात मनीषा से हुई थी हम दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे और हम दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती भी थी लेकिन जब हम दोनों का कॉलेज खत्म हो गया तो मनीषा की फैमिली चंडीगढ़ चली गई थी। मनीषा के पिताजी का ट्रांसफर चंडीगढ़ हो चुका था और वह लोग अब चंडीगढ़ में ही रहने लगे थे और मैं अभी भी दिल्ली में ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली थी और उसके बाद मैं दिल्ली में ही एक अच्छी कंपनी में जॉब करने लगा। जब मेरी जॉब दिल्ली में लग गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हुआ मेरी फैमिली भी इस बात से बड़ी खुश थी कि मैं दिल्ली में ही जॉब कर रहा हूँ। सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था पापा भी अब जल्द ही रिटायर होने वाले थे। जब पापा रिटायर होने वाले थे तो वह चाहते थे कि उससे पहले हम लोग कहीं साथ में घूमने के लिए जाएं।
 
जब इस बारे में पापा ने बड़े भैया से बात की तो वह भी कहने लगे कि हां हम लोगों को कहीं जाना चाहिए। हम लोग जयपुर घूमने के लिए जाना चाहते थे पापा के रिटायरमेंट से कुछ समय पहले ही हम लोग जयपुर चले गए थे। जब हम लोग जयपुर गए तो जयपुर में हमने काफी अच्छा समय साथ में बिताया, हमारी पूरी फैमिली साथ में थी और सब लोग बड़े ही खुश थे। जयपुर में हम लोग करीब पांच दिनों तक रुके और पांच दिन बाद हम लोग वहां से दिल्ली वापस लौट आए थे। मुझे सबके साथ बहुत अच्छा लगा था सब लोग इस बात से खुश थे कि हमारी पूरी फैमिली साथ में घूमने गई थी। एक दिन मैं अपने ऑफिस के लिए जा रहा था तो मुझे उस दिन मनीषा का फोन आया और मनीषा से उस दिन मैंने थोड़ी देर बात की।
 
मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे ऑफिस से फ्री हो जाने के बाद फोन पर बात करता हूं वह कहने लगी ठीक है जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझसे बात करना। जब मैं शाम के वक्त अपने ऑफिस से फ्री हुआ तो मैंने मनीषा को फोन किया और मनीषा ने मुझे बताया कि वह दिल्ली आई हुई थी इसी वजह से वह मुझे फोन कर रही थी। मैंने उसे कहा कि मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं वह कहने लगी कि ठीक है हम लोग कल मिलते हैं और अगले दिन मैं मनीषा को मिलने वाला था। जब अगले दिन मैं मनीषा को मिलने के लिए गया तो मनीषा से काफी लंबे अरसे के बाद मेरी मुलाकात हो रही थी और मुझे बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम लोगों ने एक दूसरे से मुलाकात की थी। मनीषा के साथ मैंने काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था। मनीषा से मैं काफी लंबे सालों बाद मिला था तो उससे मेरी बात भी काफी देर तक हुई और उसके बाद हम दोनों की बात काफी समय तक नहीं हो पाई थी।
 
एक दिन मैंने मनीषा को फोन किया और उससे मैंने फोन पर बातें की। मनीषा और मैं एक दूसरे से फोन पर बातें कर रहे थे हम दोनों की बातें काफी लंबे समय के बाद हुई थी। मनीषा ने मुझे बताया कि वह कुछ समय बाद ही अपने एक रिलेटिव के यहां पर आने वाली है। मैंने उसे कहा कि ठीक है जब तुम दिल्ली आओ तो मुझसे जरुर मिल कर जाना तो वह कहने लगी ठीक है। जब वह दिल्ली आई तो उसने मुझे फोन किया और उस दिन हम लोगों की मुलाकात हुई। जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो मुझे काफी अच्छा लगा मनीषा और मेरे बीच काफी अच्छी दोस्ती है लेकिन अब यह दोस्ती कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ने लगी थी। मैंने कभी मनीषा के बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं था लेकिन जब मनीषा और मैंने अपने रिलेशन को आगे बढ़ाने के बारे में सोचा तो हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। हम एक दूसरे से मिलना भी चाहते थे परंतु हम दोनों की मुलाकात काफी लंबे समय तक हो नहीं पाई थी मनीषा और मेरी सिर्फ फोन पर ही बातें हो पाती थी। हम दोनों जब भी एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हम दोनों को अच्छा लगता था।
 
मनीषा भी अब किसी कंपनी में जॉब करने लगी थी और वह चंडीगढ़ में ही जॉब करती है इसलिए हम दोनों एक दूसरे से शाम के वक्त ही फोन पर बातें किया करते थे। जब भी हम दोनों की बातें होती तो हम दोनों को अच्छा लगता था और अब हमारे रिलेशन को भी काफी लंबा समय हो चुका था। मैं चाहता था कि हम दोनों एक दूसरे को मिले लेकिन हम दोनों की मुलाकात हो नहीं पाई थी ना तो मैं अभी तक मनीषा से मिल पाया था और ना ही मनीषा मुझसे मिल पाई थी। मनीषा अपने ऑफिस के काम के चलते बहुत ज्यादा बिजी थी इसलिए वह मुझसे मिल नहीं पाई थी। मुझे भी अपने ऑफिस में इस बीच काफी ज्यादा काम था इसलिए हम दोनों एक दूसरे को मिल नहीं पाए थे लेकिन अब हम दोनों ने सोच लिया था कि हम एक दूसरे से मुलाकात करेंगे और हम दोनों ने एक दूसरे से मुलाकात करने का फैसला कर लिया था। जब मैं मनीषा को मिलने के लिए चंडीगढ़ गया तो मनीषा से मिलकर मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगा और उसे भी काफी अच्छा लगा। मैं चंडीगढ़ में कुछ दिनों तक रहने वाला था और मनीषा से मिलकर मैं बहुत ही ज्यादा खुश था।
 
जिस तरीके से हम दोनों की मुलाकात हुई और इतने लंबे समय के बाद हम दोनों एक दूसरे से मिले उससे हम दोनों बड़े ही खुश थे। मनीषा और मैंने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगा था जिस तरीके से हम दोनों साथ में थे और एक दूसरे के साथ समय बिता रहे थे। मैं जिस होटल मे रूका था वहां पर मैंने मनीषा को बुला लिया था वह भी मुझसे मिलने आ गई थी। मौसम बडा ही खुशगवार था और हम दोनो साथ मे थे। मै और मनीषा साथ मे बैठे थे और बाते कर रहे थे लेकिन बात करते करते मेरा हाथ उसकी जांघ पर चला गया और मै उसे गरम करने लगा था। मैंने जब मनीषा की जांघो को सहलाया तो वह गरम हो गई थी। वह मचलने लगी थी मैंने मनीषा की जींस मे हाथ डाल दिया वह मजे में आ गई वह मुझे कहने लगी मुझे इतना ना तड़पाओ। मैंने मनीषा से कहा मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने अब मनीषा के गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया था उसके गुलाबी होठों को चूमकर मुझे बड़ा अच्छा लगा था और मैंने उसके होंठों को चूमा तो वह भी अपने कपडे उतारने लगी। मनीषा का नंगा बदन मेरे सामने था।
 
उसके गदराए बदन को देख कर मैं अपने आप को बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहा था। ना मैं अपने आपको रोक पा रहा था ना ही वह अपने आपको रोक पा रही थी। हम दोनों अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। मैंने मनीषा के स्तनो को दबाना शुरू कर दिया था वह पूरी तरीके से मचलने लगी थी। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनो एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। अब हम दोनों पूरी तरीके से गरम हो चुके थे मैंने मनीषा से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मनीषा ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और वह मेरे लंड को हिलाए जा रही थी। मैं बहुत ज्यादा गर्म होने लगा था और वह भी बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी अब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लग थे। हम दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था। मनीषा ने मेरे लंड को मुंह मे ले लिया था वह उसे सकिंग कर रही थी। मैं और मनीषा बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे मैंने उससे कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है।
 
मनीषा ने अपने पैरों को चौड़ा कर लिया था जिसके बाद तो मैं मनीषा कि चूत चूत को चाटना चाहता था। मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया मैं जब उसकी योनि को चाटने लगा मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा था और उसे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे का साथ दे रहे थे। अब हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी हम दोनों गरम हो चुके थे। अब हम दोनों अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रहे थे ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था और ना ही मनीषा अपने आप पर कंट्रोल कर पा रही थी। मैंने मनीषा के पैरो को चौडा किया और उसकी चूत पर अपने लंड को लगा दिया था। उसकी चूत से निकलता हुआ पानी अब और भी ज्यादा बढ़ने लगा था। मेरे लंड पर मनीषा की चूत का पानी लग चुका था मैं और मनीषा गरम हो गए थे। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया था। मनीषा की चूत में मेरा लंड जाते ही उसकी योनि से खून बाहर की तरफ को निकल आया था।
 
उसकी चूत से खून निकलने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैं मनीषा की चूत पर तेजी से प्रहार कर रहा था। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था मैं उसे तेजी से धक्के दिए जा रहा था। मैं जिस तरीके से मनीषा को धक्के दे रहा था उससे हम दोनों को बहुत ही अच्छा लग रहा था। मनीषा की गरम सिसकारियां बढ चुकी थी। अब हम दोनों को बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। हम दोनों ने एक दूसरे का साथ बहुत अच्छे से दिया। मनीषा ने अपने पैरो के बीच मे मुझे जकड लिया था मैंने मनीषा की चूत में अपने वीर्य को गिरा दिया था। वह बहुत खुश थी हम दोनो ने उसके बाद भी सेक्स किया और हम दोनो को मजा आया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:28 PM



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