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बरसात की वह रात
#46
अ‍ॅब मैंने मनीषा की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो हम दोनों की गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी और हम दोनों बहुत गरम होने लगे थे। मैं और मनीष एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे तरीके से शारीरिक संबंध बनाने लगे थे। हम दोनो को एक दूसरे के साथ में सेक्स कर के बहुत अच्छा लग रहा था और मैं मनीषा की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को बड़ी तेजी से करता जिस से उसकी सिसकारियां बढती जा रही थी। मैंने देखा मनीषा की चूत से खून निकल रहा है और मेरी गर्मी भी बढने लगी है। मैं उसे बहुत ही अच्छे तरीके से चोदता जा रहा था। मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने मनीषा की चूत में अपने वीर्य को गिराया तो मनीषा खुश हो गई वह कहने लगी तुमने आज मेरी इच्छा को पूरा कर दिया है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:15 PM



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