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बरसात की वह रात
#44
हम दोनों जब साथ में गए तो मनीषा के दोस्तों को भी मेरे और मनीषा के रिलेशन के बारे में पता चल चुका था और फिर हम लोगों ने वहां पर उस पार्टी का खूब इंजॉय किया। हम दोनों को ही बड़ा अच्छा लगा जिस तरीके से हम लोग उस दिन साथ में थे। क्योंकि उस दिन मुझे और मनीषा को काफी लेट हो चुकी थी इसलिए हम दोनों से बाहर ही रूकना चाहते थे। मनीषा ने काफी ज्यादा ड्रिंक भी कर ली थी जिस वजह से वह घर जाने की हालत में भी नहीं थी। हम दोनों एक होटल में ही साथ में रुके थे। मैं और मनीषा  एक दूसरे से बातें कर रहे थे। मैंने अपने हाथ को मनीषा की जांघ पर रख दिया था। जब मैंने उसकी जांघों पर अपने हाथ को रखा तो वह मचलने लगी थी। मै उसकी गर्मी को बढाने लगा था। मनीषा इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने जब मनीषा को गरम करना शुरू किया तो उसे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। जब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होने लगे थे तो मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया मैंने मनीषा के बदन से कपड़े उतार दिए थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:14 PM



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