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बरसात की वह रात
#43
मैंने एक दिन मनीषा को अपने घर पर सब से मिलाने का फैसला किया और उस दिन जब मैंने मनीषा को सब लोगों से मिलवाया तो वह लोग बड़े ही खुश हुए। हम दोनों को भी इस बात की खुशी थी कि अब हम दोनों के रिश्ते को हमारे घर वालों की रजामंदी मिल चुकी है। मनीषा ने भी अपनी फैमिली में इस बारे में बता दिया था। उसके परिवार में पहले इस बात को लेकर कोई तैयार नहीं था लेकिन समय के साथ-साथ वह लोग भी तैयार हो गये। जब मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ में होते तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। मुझे और मनीषा को बहुत ही अच्छा लगता जब भी हम लोग एक दूसरे के साथ में होते हैं और एक दूसरे के साथ में समय बिताया करते है। एक दिन मनीषा के किसी दोस्त की पार्टी थी तो मनीषा ने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा, पहले तो मैंने मनीषा को मना किया। मैंने उसे कहा कि मैं वहां पर किसी को भी नहीं जानता हूं परंतु मनीषा की जिद करने की वजह से मुझे उसकी बात माननी पड़ी और मुझे मनीषा के दोस्त की पार्टी में जाना पड़ा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:13 PM



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