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बरसात की वह रात
#41
मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए लेकिन जब मैं मनीषा से मिला तो मनीषा से मिलकर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मनीषा और मेरी मुलाकात मेरे दोस्त ने एक पार्टी में करवाई थी और उसके बाद मनीषा और मेरी मुलाकात हमेशा ही होने लगी। जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश रहते। मैं मनीषा के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करता हूं। जब भी मनीषा मेरे साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। एक दिन मैं और मनीषा साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो मैं मनीषा के साथ बातें कर रहा था। मुझे उस दिन लगने लगा था कि मुझे मनीषा को अपने प्यार का इजहार कर ही देना चाहिए और मैंने पूरा मन भी बना लिया था। मैंने उस दिन मनीषा को प्रपोज कर दिया और जब मैंने मनीषा को प्रपोज किया तो वह भी मना ना कर सकी। वह मेरे बारे में सब कुछ जानती है और उसे मेरे बारे में सब पता था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: बरसात की वह रात - by neerathemall - 21-12-2021, 02:12 PM



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