11-05-2019, 02:41 AM
रीमा को उनका इस तरह जाना जरा अजीब लगा, लेकिन वो नूतन के इस फैसले से खिन्न हो गयी | उसके नैतिकता के सारे सिधान्तो को एक पल में नूतन ने ठेंगा दिखा दिया था | आज ही रीमा को पैसे की ताकत पता चली और क्यों लडकियां पैसो के लिए किसी भी नैतिकता और आदर्शो को ठोकर मारने को तैयार है | वही है जो ये सब ढोने की असफल कोशिश कर रही है | कोई नहीं मानता इन खोखली बातो को आजकल | सब बिकाऊ है बस बोली लगाने वाला होना चाहिए | हेय द्रष्टि से नूतन को देखती हुई अगर इसका रेप हो जाता तो उसकी भी ये कीमत वसूल लेती | कैसी है आजकल के ज़माने की लड़कियां | कहाँ एक पल पहले वो नूतन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक उसका साथ देने को तैयार थी और अब उसे नूतन के पास खड़े होने में भी घुटन होने लगी|
खुद को समझती हुई बोली, चल यहाँ से वरना तेरे दिमाग की नशे ये सब सोच सोच कर फट जाएगी | अपने विचारो की उधेड़बुन में खोयी पड़ोस में खड़े प्रियम पर उसकी निगाह गयी | और उसके विचार एक पल में बदल गए | मै कौन होती हूँ किसी को चरित्र प्रमाण पत्र देने वाली, मै भी इसका लंड चूस चुकी हूँ, ये मेरे जिस्म का कोना कोना देख चूका है, मेरी चिकनी गुलाबी चूत न केवल देख चूका बल्कि उसका तो रसपान भी किया | अपने लड़के की उम्र के बच्चे के साथ नंगी होकर मैंने भी तो अपनी प्यास बुझाई थी, कीमत सिर्फ पैसो की ही तो नहीं होती | तुमारी वासना भी तो बेलागाम थी और प्रियम का लोलीपोप लंड चूसकर तुमने उसे बुझाया | आखिर तुमने भी तो रिश्तो की बलि चढ़ा दी, इसके आगे पैसो की कीमत तो बहुत कम है | पराये मर्द का लंड अपनी चूत में लेने वाली मै कौन होती हूँ किसी की चूत को कुलटा का सर्टिफिकेट देने वाली | उसे पैसे की जरुरत है और कमाने का मौका है तो पैसा वसूल रही है | तुम्हे भी तो लंड की जरुरत थी और जब रोहित तुमारे पास आया था तो तुम मना कर सकती थी लेकिन तुमने मना नहीं किया फिर तुम नूतन से अलग कैसे हो | सबकी अपनी अपनी जरूरते है | रीमा के मन के अंतर्द्वंद का कोई अंत नहीं था लेकिन उसकी चेतना मन की गहराई से बाहर निकल वास्तविकता में लौटी, एक पल पहले जो मन नूतन के फैसले पर व्याकुल था वहां अब शांति थी और रीमा का मन स्थिर हो चूका था |
रीमा प्रियम से मुखातिब हुई - कहानी समझ आई या फिर से समझाऊ | चलो इतनी रात को मै वापस शहर नहीं जाउंगी | सुबह जब जग्गू नूतन से मांफी मांग लेगा तभी यहाँ से निकलूंगी | तब तक चलकर सोते है आराम से | एक काम करो तुम दोनों लोग चलो, मै जरा रूम की चाभी लेकर आती हूँ |
नूतन बोली - मै अकेले कंही नहीं जाउंगी |
रीमा - ठीक है एक मिनट रुको, मै (हाल के कोने में बने काउंटर पर बैठे आदमी की तरफ इशारा करके ) चाभी लेकर आती हूँ |
काउंटर पर बैठ आदमी फ़ोन में गौर से एकटक कुछ देखने में बिजी था | रीमा काउंटर पर गयी - गेस्ट कोड 17R के रूम की चाभी देना | उस आदमी में एक बड़ा सी चाभियो से भरी ड्रोर से दो चाभी निकाली और रीमा को दे दी | रीमा उसको थैंक्यू बोलकर बस आगे ही बढ़ी थी, पीछे से काउंटर पर बैठे आदमी ने उसे रोका - सॉरी मैडम, वो मैंने आपको एक गलत चाभी दे दी | एक आपके रूम की चाभी है, दूसरी मैंने आपको गलती से दे दी है |
असल में फ़ोन पर वो कुछ अश्लील फिल्म देख रहा था, इसलिए उसका पूरा ध्यान वही लगा हुआ था | रीमा की तेज निगाहे से उसका फ़ोन बच नहीं पाया | उसने सकपकाते हुए फ़ोन ऑफ किया | वो समझ गयी की ये फ़ोन पर क्या देख रहा था रीमा ने एक बार उस आदमी को घूर कर देखा और एक बार चाभी को, काउंटर पर बैठे आदमी ने चाभी लेने के लिए हाथ आगे किया | रीमा ने उसकी तरफ ध्यान देने की बजाय चाभी को ध्यान से देखा,चाभी पर 17R नंबर पड़ा था, उसने पहले वाली चाभी को देखा उस पर भी 17R पड़ा था |
रीमा ने दोनों चाभी को गौर से देखा, एक चाभी के दूसरी तरफ पैराडाइज लिखा था | रीमा ने पूछ लिया - दोनों चाभियो पर नंबर तो एक जैसा ही पड़ा है |
वो आदमी सकपकाया - मैडम वो मीटिंग रूम की चाभी है |
रीमा - मीटिंग रूम, जहाँ ये कपिल मीटिंग करने गया है |
स्टाफ - जी वो हमें नहीं मालूम |
रीमा - तुम्हें मालूम नहीं है तो यहाँ क्यों बैठो हो, जिसको पता है उसको बैठाओ यहाँ पर |
स्टाफ - मैडम, हमें जितना बताया जाता है उतना ही कर सकते है | आपकी चाभी ये है, वो पैराडाइज वाली चाभी आप वापस कर दीजिये |
रीमा चाभी को देखती हुई - ये पैराडाइज क्या है ?
स्टाफ - मैडम मुझे नहीं पता है, मुझे बस इस कंप्यूटर स्क्रीन पर आता है किस गेस्ट को कौन सी चाभी देनी है, मै उसे निकालकर दे देता हूँ |
रीमा - तुम्हे नहीं पता है तो किसको पता होगा ? उसका नाम बतावो नहीं तो मै तो दोनों चाभियाँ रखूंगी |
स्टाफ गिडगिडाने लगा - आप मेरे सुपरवाइजर से बात कर लो मैडम, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता |
रीमा - सुपरवाइजर कौन है उसे यहाँ बुलाओ |
स्टाफ सरेंडर की मुद्रा में आ गया - मैडम मै आपकी फ़ोन पर बात करा सकता हूँ, मैडम आप समझ नहीं रही है मेरी नौकरी चली जाएगी | मालिक का सख्त आदेश है, किसी से जरा सी भी गड़बड़ हो तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दो |
रीमा ने स्टाफ की रोनी सी शक्ल देखि फिर चाभी को गौर से देखा, एक बार को उसने पैराडाइज वाली चाभी वापस करने को हाथ आगे भी बढ़ा दिया, फिर तेजी से वापस पीछे खीच लिया | रीमा ने प्रियम को इशारे से बुलाया, उसे अपने रूम की चाभी दी और बिल्डिंग में जाकर सोने को बोला | उसने प्रियम से थोड़ी देर में आने को बोला, वो बस दूसरी चाभी वाला मसला दूर करके आ जाएगी | साथ ही हिदायत दी नूतन को कही भी अकेला न छोड़े | साथ में लेकर सीधे रूम में जाये |
प्रियम नूतन चले गए | रीमा अब इस चाभी का सच जानना चाहती थी |
रीमा - दोनों चाभी एक जैसी, फिर मै इस चाभी को अपने साथ क्यों नहीं ले जा सकती | ये बताओ कपिल ले गया है ऐसी चाभी |
स्टाफ वाला बंदा कुछ सकुचाया, रीमा ने घुड़का - कंप्यूटर में देखकर बताते हो या फ़ोन वाली बात बताऊ तुमारे मालिक को और हाँ मै ये चाभी लेकर जा रही हूँ |
स्टाफ बस रीमा के पैरो में गिरने को रह गया था - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी |
रीमा - नहीं बताएगा, नौकरी तो तेरी वैसे भी जानी है |
स्टाफ बहुत ही धीमी आवाज में - हाँ मैडम, जिसको मीटिंग करनी होती है उसको ये चाबी दी जाती है और मीटिंग करने सब बड़े लोग आते है, हमें तो बस अपना काम करना होता है | मैडम प्लीज किसी को बताना मत की मैंने ये बात आपको बताई है |
इससे पहले वो कुछ समझ पाता, रीमा ने मॉनिटर की स्क्रीन अपनी तरफ मोड़ ली | पार्टी में आये गेस्ट में से जिनको भी वो जानती थी सबको पैराडाइज वाली चाभी भी असाइन थी | मजे की बात सॉफ्टवेर में मास्टर की भी दिख रही थी | रीमा ने मास्टर की का नंबर देखा, मॉनिटर स्क्रीन वापस उस बन्दे की तरफ घुमाते हुए - मै ये चाभी तुम्हें वापस कर दूँगी लेकिन एक शर्त पर, ये बतावो मै तुम्हें कैसी लगती हूँ |
वो भौचंका सा रीमा को देख रहा, वो कुछ समझ ही नहीं पाया, क्या बोले, क्या रियेक्ट करे |
रीमा - देखो मुझे M01R पैराडाइज चाहिए, मुझे पता है तुम पोर्न देख रहे थे और तुमने मुझे गलत चाभी भी दी है अब अगर मै अभी तुमारे बॉस को बुला लू या इस लाउन्ज के मालिक को तो तुमारी छुट्टी पक्की है | मै तुम्हे ये चाभी वापस कर दूँगी लेकिन M01R पैराडाइज चाभी चाहिए |
स्टाफ वाला बंदा हलकान हो गया, किर्तव्य विमूढ़ सा बैठा, क्या करे क्या न करे |
रीमा - देखो मेरे पास टाइम नहीं है, मुझे बस जाना है और वापस आना है २ मिनट लगेगे | मै थक गयी हूँ फिर मुझे सोने जाना है | ये चाभी मेरे हाथ में है, जल्दी से सोच लो |
स्टाफ - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी, मै सड़क पर आ जाऊंगा |
रीमा - नौटंकी मत कर ये ड्यूटी पर बैठकर पोर्न देखने से पहले सोचना चाहिए था | चल निकाल कर चाभी दे, नहीं तो अपने ऊपर वाले को फ़ोन लगा |
स्टाफ - मैडम आप दो मिनट में आ जाएँगी न |
रीमा - पक्का लेकिन जब चाभी देगा तब तो वापस आउंगी |
स्टाफ के बन्दे ने कांपते हाथो से ड्रोर से चाभी का गुच्छा निकाला, रीमा ने उसके हाथ से गुच्छा झपट लिटा और पलक झपकते ही चाभियाँ पलट पलट कर M01R दूंढ निकाली |
चाभी हाथ में आते ही - किधर जाना है, जल्दी बोल |
स्टाफ - मैडम वो मुझे नहीं पता, वो सिर्फ मेरे सुपरवाइजर को पता है |
रीमा - तू न बहुत बड़ा नौटंकी है, फ़ोन कर और पूँछ कर बता |
स्टाफ - मैडम मै नहीं पूँछ सकता, मालिक का सख्त आदेश है पैराडाइज के बारे स्टाफ में कोई भी किसी तरह की बात नहीं करेगा, न ही कोई जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा | मैडम हमें कुछ नहीं पता, हम बस चाभी मैनेज करते है |
रीमा को लगा इस पर टाइम खराब करने से अच्छा है खुद ही ढूंढ ले | वो चाभी ले तेजी से बाहर निकली | स्टाफ - मैडम जल्दी आना, वरना मेरी नौकरी चली जाएगी | बाहर निकलते ही रीमा पहले गेस्ट के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग की ओर चली लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ कौंधा | जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे की तरफ जा रही थी | तभी एक कॉटेज में तीन चार लड़कियां जाती दिखाई दी थी, जब तक रीमा उनके करीब पंहुचती कॉटेज बंद हो चूका था | जहाँ तक रीमा को याद है वो उस पार्टी में कही नहीं दिखी थी | कॉटेज के गेट पर एक हैंडल लॉक था और गेट पर लाइट्स जल रही थी, लेकिन कॉटेज का गेट खुलने और बंद होने के बीच कॉटेज में से कोई लाइट निकलती नहीं दिखाई दी | रीमा अच्छे से याद करके उस तरफ बढ़ी | लान की लाइट्स या तो बंद हो चुकी थी या डिम कर दी गयी थी | जब रीमा उस कॉटेज के पास पंहुची तो वहां घनघोर अँधेरा था | उसके आस पास की लाइट्स अब बंद हो गयी थी | रीमा कॉटेज के दरवाजे में लगे हैंडल को मोबाईल की रौशनी में देखने से पहचान गयी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था, इसका अहसास मंजिल के इतने करीब आकर हुआ | पता नहीं क्या हो रहा होगा अन्दर | मुझे क्यों अन्दर जाना चाहिए | जिसको जो करना है करे, मुझसे क्या मतलब | मै क्यों फालतू में किसी के लफड़े में पडू | अगर यहाँ किसी ने देख लिया, हाय मै तो शर्म से पानी पानी हो जाउंगी, क्या मुहँ दिखाउंगी इन सबको | अभी सबके सामने शान से छाती उठकर चलती हूँ, पता नहीं अन्दर क्या होगा, कौन होगा, क्यों फ्री फंड में मुसीबत को खुद ही दावत दे रही हूँ | इतने समझाने के बाद भी रीमा के मन के सवाल जस के तस थे | आखिर सबको पैराडाइज की चाभी क्यों दी गयी है सिवाय मुझे छोड़कर | क्या ये सब पहले भी आते रहे है या मै रोहित के बदले चली आई इसलिए | आखिर ये सब के सब औरते भी कौन सी मीटिंग कर रहे है | सिर्फ मै ही क्यों अकेले छोड़ दी गयी | मुझे अन्दर जाकर एक बार पता तो लगाना ही चाहिए | लेकिन अन्दर जाते हुए किसी ने मुझे देख लिया तो कितनी शर्मिंदगी होगी |
खुद को आस्वस्त करने और अपने अन्दर हिम्मत जुटाने में उसे कुछ समय लगा | आशंकित मन और कांपते हाथो से उसने हैंडल लॉक में टटोल कर मास्टर की लगायी और लॉक खुल गया | रीमा घटाटोप अँधेरे में अन्दर घुसी, जैसे ही उसने दरवाजा बंद किया, दरवाजा लॉक हो गया | दरवाजा लॉक होते ही एक कीपैड चमका और कीपैड से आवाज आई, इंटर योर कोड | रीमा को कुछ समझ न आया तो कुछ देर उलझन में उसी अँधेरे में शंकित नजरो से कीपैड को देखती रही, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, रीमा को समझ नहीं आया क्या टाइप करे, करे या न करे, वापस भाग चले | लेकिन सवाल था अब वापस भी कैसे जाएगी | दरवाजा तो लॉक हो चूका है | कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, आर प्रेस यच फॉर हिंट | रीमा ने यच प्रेस किया, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, योर कोड इज योर की नंबर | रीमा ने फटाफट M01R टाइप किया, कॉटेज के अन्दर बने 4 दरवाजो में से एक अनलॉक हो गया और हल्की सी रौशनी जल गयी, जहाँ से उसको नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां दिखाई दी | रीमा धड़कते दिल और आइस्ता कदमो से सीढियों से नीचे उतरने लगी | नीचे जाते ही उसे हलकी रौशनी में चार दरवाजे फिर दिखाई पड़े, सब पर उनका कोड पड़ा था | रीमा ने M01R वाले दरवाजे में चाभी लगायी और दरवाजा खोलते ही फिर सीढियां दिखाई दी जो पांच कदम चलते ही खतम हो गयी | उसके बाद था एक आलिशान सा कमरा, जिसमे सोफा, बेड, टीवी और कुर्सी सब मौजूद था | कमरे में आगे बढ़ने पर उसके दोनों छोरो पर एक एक बड़ा सा शीशा लगा था जिसमे से बाहर की तरफ तो देखा जा सकता था लेकिन बाहर वाला अन्दर नहीं देख सकता था | शीशे के किनारे पंहुचते ही रीमा को समझ आ गया आखिर क्यों इसको मास्टर रूम कहा जाता है | शीशे से रीमा ने जो नजारा देखा, उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी, उसने सपने में भी नहीं सोचा था यहाँ आकर ऐसा कुछ भी देखने को मिल सकता है, वो तो यहाँ कुछ और ही सोचकर आई थी लेकिन उसने ये सब तो कभी नहीं सोचा था |
रीमा की आँखों के सामने जो भी था वो रीमा के लिए एक 440 वोल्ट के झटके से कम नहीं था |
खुद को समझती हुई बोली, चल यहाँ से वरना तेरे दिमाग की नशे ये सब सोच सोच कर फट जाएगी | अपने विचारो की उधेड़बुन में खोयी पड़ोस में खड़े प्रियम पर उसकी निगाह गयी | और उसके विचार एक पल में बदल गए | मै कौन होती हूँ किसी को चरित्र प्रमाण पत्र देने वाली, मै भी इसका लंड चूस चुकी हूँ, ये मेरे जिस्म का कोना कोना देख चूका है, मेरी चिकनी गुलाबी चूत न केवल देख चूका बल्कि उसका तो रसपान भी किया | अपने लड़के की उम्र के बच्चे के साथ नंगी होकर मैंने भी तो अपनी प्यास बुझाई थी, कीमत सिर्फ पैसो की ही तो नहीं होती | तुमारी वासना भी तो बेलागाम थी और प्रियम का लोलीपोप लंड चूसकर तुमने उसे बुझाया | आखिर तुमने भी तो रिश्तो की बलि चढ़ा दी, इसके आगे पैसो की कीमत तो बहुत कम है | पराये मर्द का लंड अपनी चूत में लेने वाली मै कौन होती हूँ किसी की चूत को कुलटा का सर्टिफिकेट देने वाली | उसे पैसे की जरुरत है और कमाने का मौका है तो पैसा वसूल रही है | तुम्हे भी तो लंड की जरुरत थी और जब रोहित तुमारे पास आया था तो तुम मना कर सकती थी लेकिन तुमने मना नहीं किया फिर तुम नूतन से अलग कैसे हो | सबकी अपनी अपनी जरूरते है | रीमा के मन के अंतर्द्वंद का कोई अंत नहीं था लेकिन उसकी चेतना मन की गहराई से बाहर निकल वास्तविकता में लौटी, एक पल पहले जो मन नूतन के फैसले पर व्याकुल था वहां अब शांति थी और रीमा का मन स्थिर हो चूका था |
रीमा प्रियम से मुखातिब हुई - कहानी समझ आई या फिर से समझाऊ | चलो इतनी रात को मै वापस शहर नहीं जाउंगी | सुबह जब जग्गू नूतन से मांफी मांग लेगा तभी यहाँ से निकलूंगी | तब तक चलकर सोते है आराम से | एक काम करो तुम दोनों लोग चलो, मै जरा रूम की चाभी लेकर आती हूँ |
नूतन बोली - मै अकेले कंही नहीं जाउंगी |
रीमा - ठीक है एक मिनट रुको, मै (हाल के कोने में बने काउंटर पर बैठे आदमी की तरफ इशारा करके ) चाभी लेकर आती हूँ |
काउंटर पर बैठ आदमी फ़ोन में गौर से एकटक कुछ देखने में बिजी था | रीमा काउंटर पर गयी - गेस्ट कोड 17R के रूम की चाभी देना | उस आदमी में एक बड़ा सी चाभियो से भरी ड्रोर से दो चाभी निकाली और रीमा को दे दी | रीमा उसको थैंक्यू बोलकर बस आगे ही बढ़ी थी, पीछे से काउंटर पर बैठे आदमी ने उसे रोका - सॉरी मैडम, वो मैंने आपको एक गलत चाभी दे दी | एक आपके रूम की चाभी है, दूसरी मैंने आपको गलती से दे दी है |
असल में फ़ोन पर वो कुछ अश्लील फिल्म देख रहा था, इसलिए उसका पूरा ध्यान वही लगा हुआ था | रीमा की तेज निगाहे से उसका फ़ोन बच नहीं पाया | उसने सकपकाते हुए फ़ोन ऑफ किया | वो समझ गयी की ये फ़ोन पर क्या देख रहा था रीमा ने एक बार उस आदमी को घूर कर देखा और एक बार चाभी को, काउंटर पर बैठे आदमी ने चाभी लेने के लिए हाथ आगे किया | रीमा ने उसकी तरफ ध्यान देने की बजाय चाभी को ध्यान से देखा,चाभी पर 17R नंबर पड़ा था, उसने पहले वाली चाभी को देखा उस पर भी 17R पड़ा था |
रीमा ने दोनों चाभी को गौर से देखा, एक चाभी के दूसरी तरफ पैराडाइज लिखा था | रीमा ने पूछ लिया - दोनों चाभियो पर नंबर तो एक जैसा ही पड़ा है |
वो आदमी सकपकाया - मैडम वो मीटिंग रूम की चाभी है |
रीमा - मीटिंग रूम, जहाँ ये कपिल मीटिंग करने गया है |
स्टाफ - जी वो हमें नहीं मालूम |
रीमा - तुम्हें मालूम नहीं है तो यहाँ क्यों बैठो हो, जिसको पता है उसको बैठाओ यहाँ पर |
स्टाफ - मैडम, हमें जितना बताया जाता है उतना ही कर सकते है | आपकी चाभी ये है, वो पैराडाइज वाली चाभी आप वापस कर दीजिये |
रीमा चाभी को देखती हुई - ये पैराडाइज क्या है ?
स्टाफ - मैडम मुझे नहीं पता है, मुझे बस इस कंप्यूटर स्क्रीन पर आता है किस गेस्ट को कौन सी चाभी देनी है, मै उसे निकालकर दे देता हूँ |
रीमा - तुम्हे नहीं पता है तो किसको पता होगा ? उसका नाम बतावो नहीं तो मै तो दोनों चाभियाँ रखूंगी |
स्टाफ गिडगिडाने लगा - आप मेरे सुपरवाइजर से बात कर लो मैडम, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता |
रीमा - सुपरवाइजर कौन है उसे यहाँ बुलाओ |
स्टाफ सरेंडर की मुद्रा में आ गया - मैडम मै आपकी फ़ोन पर बात करा सकता हूँ, मैडम आप समझ नहीं रही है मेरी नौकरी चली जाएगी | मालिक का सख्त आदेश है, किसी से जरा सी भी गड़बड़ हो तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दो |
रीमा ने स्टाफ की रोनी सी शक्ल देखि फिर चाभी को गौर से देखा, एक बार को उसने पैराडाइज वाली चाभी वापस करने को हाथ आगे भी बढ़ा दिया, फिर तेजी से वापस पीछे खीच लिया | रीमा ने प्रियम को इशारे से बुलाया, उसे अपने रूम की चाभी दी और बिल्डिंग में जाकर सोने को बोला | उसने प्रियम से थोड़ी देर में आने को बोला, वो बस दूसरी चाभी वाला मसला दूर करके आ जाएगी | साथ ही हिदायत दी नूतन को कही भी अकेला न छोड़े | साथ में लेकर सीधे रूम में जाये |
प्रियम नूतन चले गए | रीमा अब इस चाभी का सच जानना चाहती थी |
रीमा - दोनों चाभी एक जैसी, फिर मै इस चाभी को अपने साथ क्यों नहीं ले जा सकती | ये बताओ कपिल ले गया है ऐसी चाभी |
स्टाफ वाला बंदा कुछ सकुचाया, रीमा ने घुड़का - कंप्यूटर में देखकर बताते हो या फ़ोन वाली बात बताऊ तुमारे मालिक को और हाँ मै ये चाभी लेकर जा रही हूँ |
स्टाफ बस रीमा के पैरो में गिरने को रह गया था - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी |
रीमा - नहीं बताएगा, नौकरी तो तेरी वैसे भी जानी है |
स्टाफ बहुत ही धीमी आवाज में - हाँ मैडम, जिसको मीटिंग करनी होती है उसको ये चाबी दी जाती है और मीटिंग करने सब बड़े लोग आते है, हमें तो बस अपना काम करना होता है | मैडम प्लीज किसी को बताना मत की मैंने ये बात आपको बताई है |
इससे पहले वो कुछ समझ पाता, रीमा ने मॉनिटर की स्क्रीन अपनी तरफ मोड़ ली | पार्टी में आये गेस्ट में से जिनको भी वो जानती थी सबको पैराडाइज वाली चाभी भी असाइन थी | मजे की बात सॉफ्टवेर में मास्टर की भी दिख रही थी | रीमा ने मास्टर की का नंबर देखा, मॉनिटर स्क्रीन वापस उस बन्दे की तरफ घुमाते हुए - मै ये चाभी तुम्हें वापस कर दूँगी लेकिन एक शर्त पर, ये बतावो मै तुम्हें कैसी लगती हूँ |
वो भौचंका सा रीमा को देख रहा, वो कुछ समझ ही नहीं पाया, क्या बोले, क्या रियेक्ट करे |
रीमा - देखो मुझे M01R पैराडाइज चाहिए, मुझे पता है तुम पोर्न देख रहे थे और तुमने मुझे गलत चाभी भी दी है अब अगर मै अभी तुमारे बॉस को बुला लू या इस लाउन्ज के मालिक को तो तुमारी छुट्टी पक्की है | मै तुम्हे ये चाभी वापस कर दूँगी लेकिन M01R पैराडाइज चाभी चाहिए |
स्टाफ वाला बंदा हलकान हो गया, किर्तव्य विमूढ़ सा बैठा, क्या करे क्या न करे |
रीमा - देखो मेरे पास टाइम नहीं है, मुझे बस जाना है और वापस आना है २ मिनट लगेगे | मै थक गयी हूँ फिर मुझे सोने जाना है | ये चाभी मेरे हाथ में है, जल्दी से सोच लो |
स्टाफ - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी, मै सड़क पर आ जाऊंगा |
रीमा - नौटंकी मत कर ये ड्यूटी पर बैठकर पोर्न देखने से पहले सोचना चाहिए था | चल निकाल कर चाभी दे, नहीं तो अपने ऊपर वाले को फ़ोन लगा |
स्टाफ - मैडम आप दो मिनट में आ जाएँगी न |
रीमा - पक्का लेकिन जब चाभी देगा तब तो वापस आउंगी |
स्टाफ के बन्दे ने कांपते हाथो से ड्रोर से चाभी का गुच्छा निकाला, रीमा ने उसके हाथ से गुच्छा झपट लिटा और पलक झपकते ही चाभियाँ पलट पलट कर M01R दूंढ निकाली |
चाभी हाथ में आते ही - किधर जाना है, जल्दी बोल |
स्टाफ - मैडम वो मुझे नहीं पता, वो सिर्फ मेरे सुपरवाइजर को पता है |
रीमा - तू न बहुत बड़ा नौटंकी है, फ़ोन कर और पूँछ कर बता |
स्टाफ - मैडम मै नहीं पूँछ सकता, मालिक का सख्त आदेश है पैराडाइज के बारे स्टाफ में कोई भी किसी तरह की बात नहीं करेगा, न ही कोई जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा | मैडम हमें कुछ नहीं पता, हम बस चाभी मैनेज करते है |
रीमा को लगा इस पर टाइम खराब करने से अच्छा है खुद ही ढूंढ ले | वो चाभी ले तेजी से बाहर निकली | स्टाफ - मैडम जल्दी आना, वरना मेरी नौकरी चली जाएगी | बाहर निकलते ही रीमा पहले गेस्ट के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग की ओर चली लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ कौंधा | जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे की तरफ जा रही थी | तभी एक कॉटेज में तीन चार लड़कियां जाती दिखाई दी थी, जब तक रीमा उनके करीब पंहुचती कॉटेज बंद हो चूका था | जहाँ तक रीमा को याद है वो उस पार्टी में कही नहीं दिखी थी | कॉटेज के गेट पर एक हैंडल लॉक था और गेट पर लाइट्स जल रही थी, लेकिन कॉटेज का गेट खुलने और बंद होने के बीच कॉटेज में से कोई लाइट निकलती नहीं दिखाई दी | रीमा अच्छे से याद करके उस तरफ बढ़ी | लान की लाइट्स या तो बंद हो चुकी थी या डिम कर दी गयी थी | जब रीमा उस कॉटेज के पास पंहुची तो वहां घनघोर अँधेरा था | उसके आस पास की लाइट्स अब बंद हो गयी थी | रीमा कॉटेज के दरवाजे में लगे हैंडल को मोबाईल की रौशनी में देखने से पहचान गयी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था, इसका अहसास मंजिल के इतने करीब आकर हुआ | पता नहीं क्या हो रहा होगा अन्दर | मुझे क्यों अन्दर जाना चाहिए | जिसको जो करना है करे, मुझसे क्या मतलब | मै क्यों फालतू में किसी के लफड़े में पडू | अगर यहाँ किसी ने देख लिया, हाय मै तो शर्म से पानी पानी हो जाउंगी, क्या मुहँ दिखाउंगी इन सबको | अभी सबके सामने शान से छाती उठकर चलती हूँ, पता नहीं अन्दर क्या होगा, कौन होगा, क्यों फ्री फंड में मुसीबत को खुद ही दावत दे रही हूँ | इतने समझाने के बाद भी रीमा के मन के सवाल जस के तस थे | आखिर सबको पैराडाइज की चाभी क्यों दी गयी है सिवाय मुझे छोड़कर | क्या ये सब पहले भी आते रहे है या मै रोहित के बदले चली आई इसलिए | आखिर ये सब के सब औरते भी कौन सी मीटिंग कर रहे है | सिर्फ मै ही क्यों अकेले छोड़ दी गयी | मुझे अन्दर जाकर एक बार पता तो लगाना ही चाहिए | लेकिन अन्दर जाते हुए किसी ने मुझे देख लिया तो कितनी शर्मिंदगी होगी |
खुद को आस्वस्त करने और अपने अन्दर हिम्मत जुटाने में उसे कुछ समय लगा | आशंकित मन और कांपते हाथो से उसने हैंडल लॉक में टटोल कर मास्टर की लगायी और लॉक खुल गया | रीमा घटाटोप अँधेरे में अन्दर घुसी, जैसे ही उसने दरवाजा बंद किया, दरवाजा लॉक हो गया | दरवाजा लॉक होते ही एक कीपैड चमका और कीपैड से आवाज आई, इंटर योर कोड | रीमा को कुछ समझ न आया तो कुछ देर उलझन में उसी अँधेरे में शंकित नजरो से कीपैड को देखती रही, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, रीमा को समझ नहीं आया क्या टाइप करे, करे या न करे, वापस भाग चले | लेकिन सवाल था अब वापस भी कैसे जाएगी | दरवाजा तो लॉक हो चूका है | कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, आर प्रेस यच फॉर हिंट | रीमा ने यच प्रेस किया, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, योर कोड इज योर की नंबर | रीमा ने फटाफट M01R टाइप किया, कॉटेज के अन्दर बने 4 दरवाजो में से एक अनलॉक हो गया और हल्की सी रौशनी जल गयी, जहाँ से उसको नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां दिखाई दी | रीमा धड़कते दिल और आइस्ता कदमो से सीढियों से नीचे उतरने लगी | नीचे जाते ही उसे हलकी रौशनी में चार दरवाजे फिर दिखाई पड़े, सब पर उनका कोड पड़ा था | रीमा ने M01R वाले दरवाजे में चाभी लगायी और दरवाजा खोलते ही फिर सीढियां दिखाई दी जो पांच कदम चलते ही खतम हो गयी | उसके बाद था एक आलिशान सा कमरा, जिसमे सोफा, बेड, टीवी और कुर्सी सब मौजूद था | कमरे में आगे बढ़ने पर उसके दोनों छोरो पर एक एक बड़ा सा शीशा लगा था जिसमे से बाहर की तरफ तो देखा जा सकता था लेकिन बाहर वाला अन्दर नहीं देख सकता था | शीशे के किनारे पंहुचते ही रीमा को समझ आ गया आखिर क्यों इसको मास्टर रूम कहा जाता है | शीशे से रीमा ने जो नजारा देखा, उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी, उसने सपने में भी नहीं सोचा था यहाँ आकर ऐसा कुछ भी देखने को मिल सकता है, वो तो यहाँ कुछ और ही सोचकर आई थी लेकिन उसने ये सब तो कभी नहीं सोचा था |
रीमा की आँखों के सामने जो भी था वो रीमा के लिए एक 440 वोल्ट के झटके से कम नहीं था |