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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा और नूतन दोनों मैंन हाल की तरफ भाग निकले, एक अच्छी खासी दूर आने के बाद नूतन ने जैसे तैसे अपने बदन पर कपडे डाले | उसके बाद दोनों मैंन हाल की तरफ चलते रहे | बीच बीच में नूतन अपने अस्त व्यस्त बालो को ठीक करने लगती लेकिन अभी भी उसे पूरा होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है , उसके टॉप से उसके बड़े बड़े स्तन बाहर को साफ़ झलक रहे थे  | उसके बाल उलझे थे, चेहरे का मेकउप अस्त व्यस्त हो गया था, आँखों से आंसू निकलने के कारन काजल बहकर गालो तक आ गया था | दोनों तेज तेज भागते हुए मैंन हाल की तरफ पंहुच गए, बाहर लान में लाइट जल रही थी लेकिन धीमी धीमी, जबकि अन्दर हाल पूरा रौशनी से जगमग था | रीमा ने बाहर से ही हाल की तरफ देखा, जिसमे शीशे के बड़े बड़े दरवाजे लगे, उसे हाल में कोई दिखाई नहीं दिया | वह नूतन को वही एक कोने में खड़ी  रहने को कहकर तेजी से अन्दर गयी, वहां कोई नहीं दिखा, उसे समझ नहीं आया कि लोग ऐसे कैसे गायब हो गए, कहाँ गए सब के सब | उसने वहां सर्व कर रहे एक वेटर से भी पुछा | उसने अनभिज्ञता जाहिर की | उसने वेटर से पानी की दो बोतले ली और नूतन को पकड़कर बाथरूम की तरफ चली गयी | बाथरूम जाकर उसका अच्छे से मुहँ धोया, नूतन के कपड़े ठीक करने लगी | नूतन की भी चेतना लौटने लगी थी | नूतन भी खुद को सँभालने लगी | नूतन ने अपना मुहँ पोछा, बाल ठीक किये और शीशे में खुद को देखने लगी | उसके चेहरे पर डर और सदमे दोनों के भाव थे | वो बस फिर से रोने वाली ही थी, रीमा ने हाथ पकड़कर मजबूत आवाज में - रोना मत नूतन, उस हरामी के पिल्लो को आज सबक सिखाकर ही यहाँ से जायेगें | अगर तूने रो दिया तो वो साला दो टके का लौंडा जग्गू और उसके अन्दर का जानवर जीत जायेगें | चल अभी तो उसकी फाड़ने की बारी है |

उधर जग्गू नशे और वासना में धुत , उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है, उसके हाथ पर नूतन के दांतों के खुनी निशान बन गए थे, वो दर्द से बिलबिला रहा था, लंड उसका पहले की तरह ही अकड़ा हुआ था |  इधर जग्गू जब तक अपनी पेंट संभालता और उसमे अपने पूरी तरह से तने कठोर मुसल लंड, जो खून के तेज दौरान से फड़क रहा था, को हाथ से मसलता हुआ, नशे में हिलता हुआ, अपने हाथ को सहलाता हुआ, नूतन के दांतों के बने निशान देखकर कराहता हुआ  जैसे ही रीमा और नूतन को पकड़ने/रोकने हट गेट के बाहर निकला, उसे रीमा और नूतन मैंन हाल की तरफ भाग कर जाती दिखाई दी |  नशे में होने के बावजूद वो उनके पीछे भागा, उसकी पेंट और अंडरवियर घुटनों से खिसकती हुई पंजो की तरफ जा रही थी, जब उसकी पेंट और चड्ढी ही उसके कदमो में फसने लगी तो वो झुंझलाकर कुछ कदम दौड़कर रुक गया | नशे में भी उसका दिमाग काम कर रहा था, वो समझ गया मैंन हाल में उसका बाप होगा और ये जालिम कमसिन बेशुमार हुस्न की मलिक्का रीमा चाची पता नहीं  क्या करने वाली है | उसने अपने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि वहां क्या होने वाला होगा | वो हाल की तरफ भागती जा रही रीमा के उठते गिरते थलर थलर होते  और नूतन के अध् खुले बड़े बड़े मांसल उठे हुए चुतड़ो तब तक देखता रहा जब  तक उसकी नजरो से वो मंजर ओझल नहीं हो गया |  रीमा और आधी नंगी नूतन उसकी पलको के सामने से एक पल में ओझल हो गयी | जग्गू कभी अपने हाथ पर बने दांतों के घाव को देखता कभी खून से भरे तने कठोर लंड को | क्या करे क्या न करे ये सब उसकी समझ से दूर था | अपने घाव वाले हाथ को दुसरे हाथ से थामे, दर्द को सहता हुआ, पैरो के पंजो तक सरक कर पंहुची अंडरवियर और पेंट में फंसे पैरो से दो चार कदम और आगे की ओर चला, लेकिन  रीमा और नूतन गायब हो गए थे, जहाँ तक उसे बल्बों की रौशनी दिख रही थी, सन्नाटा था, कोई नहीं था, उसके आगे घटाटोप अँधेरा | हारे हुए जुंआरी की तरह थका हारा जग्गू  पीछे की तरफ लौटा, जैसे ही उसके कदम पीछे की तरफ घूमे उसे अपनी हालात का ख्याल आया | एक पल को वो तेजी से पीछे हटा, हाथ के दर्द को बर्दाश्त करते हुए, किसी तरह अपनी अंडरवियर और पेंट को ऊपर को चढ़ाया, और हट की तरफ भागा | हट के अन्दर आते ही जोर से चीखना चाहता था लेकिन चीख नहीं सका, अपने लंड को जोर जोर से मुठीयाने लगा, लेकिन शायद वक्त और माहौल को उससे ज्यादा उसका लंड भांप चूका था, उसने अपनी अकडन छोड़ नरम होना शुरू कर दिया, उसके अन्दर की वासना मर चुकी थी, उसके मन मस्तिष्क उसके हाथो का साथ नहीं दे रहा था | बेतहाशा मुठीयाने के बावजूद लंड मुरझाता ही जा रहा था | 
[Image: semi-hard-penis.jpg]
आखिर हारकर उसने उसे अपनी अंडरवियर और पेंट में कैद कर दिया |  उसे पता था मैंन हाल में जाना बेवकूफी है और प्रियम राजू ने भी उससे अपना राज शेयर नहीं किया था | कुछ देर अपने आधे होशो हवास में वो सोचते सोचते वही बैठा रहा फिर आखिरकार थके बोझिल लड़खड़ाते कदमो से हारे हुए योद्धा की तरह  पार्किंग की तरफ चल दिया | वहां उसकी गाड़ी में लेटे उसके ड्राईवर को भगाकर उसमे लेट गया | ड्राईवर को जग्गू के इस तरह के व्यवहार की आदत थी, वो जाकर जान पहचान वाले एक ड्राईवर के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया |



रीमा और नूतन बाथरूम  से मेकअप करके  हाल में लौटी, लेकिन यहाँ पहले की तरह ही घनघोर सन्नाटा था | रीमा को कुछ समझ नहीं आया आखिर लोग गए कहाँ, वो इस तरह की शहर से दूर, नदी के किनारे जंगल के बीचो बीच में  होने वाली पार्टियों में नहीं आती थी | रोहित ने एक दो बार उससे पुछा भी लेकिन उसने मना कर दिया था | ये पहला मौका था जब वो इस अनजान जगह आई थी | उसने वेटर से कपिल का नाम लेकर पुछा, वेटर ने इनकार कर दिया लेकिन जाते जाते वो एक सीनियर स्टाफ की तरफ इशारा कर गया- आप उनसे जाकर पूछ लीजिये | रीमा नूतन का हाथ थामे थामे उस तरफ बढ़ गयी |

रीमा सीनियर स्टाफ के बन्दे  पास पंहुच कर कपिल के बारे में पूछताछ करने लगी | उसने गौर से रीमा को देखा और फिर नूतन को, वो पहले थोड़ा सकुचाया बताने में की कपिल कहाँ है लेकिन रीमा के जोर डालने उसने एक लोकल एक्सटेंशन नंबर मिलाया, बात होने के बाद रीमा को बोला - साहब अभी बिजी है आप मेसेज छोड़ दीजिये | रीमा का पारा चढ़ गया | वो सीनियर स्टाफ के बन्दे पर बरसने लगी, रीमा के तेवर देखकर उस बन्दे ने फिर फ़ोन मिलाया - इससे पहले वो दूसरी तरफ से बन्दे से अपनी बात पूरी कर पाता, रीमा ने उसके हाथ से फ़ोन रिसीवर छीन लिया और लगी धमकाने - व्हाट एवर यू मिस्टर, आई वांट टू टॉक टू मिस्टर कपिल राईट नाउ, राईट नाउ मीन्स राईट नाउ, इट्स लाइक इमरजेंसी, एनी वे टेल मी वेयर ही इस, आई ऍम कमिंग देयर |
सामने वाला बंदा गिडगिडाने लगा - मैडम गिव मी अ मिनट, मिस्टर कपिल टोल्ड अस डोंट डिस्टर्ब हिम एंड हिज फ्रेंड .............. लेट मी टॉक टू हिम एंड इ विल कन्फर्म यू, मैडम प्लीज जस्ट वेट फॉर अ सेकंड |
रीमा - बेटर ........................|
फ़ोन वाले बन्दे ने किसी से फ़ोन पर बात करी और कुछ देर बात रीमा को बोला - मैडम कपिल सर आपके पास 5 मिनट में आ जायेगें |
रीमा को ये सब बड़ा अजीब लगा | एकदम से कपिल और बाकि सारे मेहमानों का गायब होना, फिर पांच मिनट में कपिल का उसके पास आना | रीमा इस पर ज्यादा सोचने के बजाय जग्गू को सबक सिखाने के बारे में ज्यादा सोच रही थी | उसने इस घटनाक्रम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन उसके दिमाग के कोने में कीड़ा कुलबुला रहा था |
उधर कपिल को अंदाजा हो गया था कुछ सीरियस मैटर है इसलिए जल्दी से वहां से भागा, उसके साथ साथ लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप भी साथ हो लिया | असल में सब के सब रीमा के बेमिशाल हुस्न पर अपनी आंखे सेकना चाहते थे | इस पार्टी में रीमा ही नई थी जो पहले कभी उनकी पार्टी में नहीं आई, बाकि सारी हुस्न परियों को वो पहले ही देख चुके थे, लगभग सभी के साथ वो फैमिलेअर थे और मौका मिलने पर उनके साथ फ्लर्ट करने से बाज नहीं आते थे | जो सेट हो गयी उनके साथ सोना तो इनका पंसदीदा शगल था | इन्हें पता था रीमा एक बहुत ही कठिन औरत है खासकर फ्लर्टिंग को लेकर, फिर भी उसके हुस्न का दीदार करने में क्या जाता है और शराब के नशे में थोड़ी आजादी लेकर रीमा के साथ गपशप करने में क्या बुराई है | यही सोचकर अपना जरुरी काम छोड़कर रीमा के एक फ़ोन पर मैंन हाल में तीनो हाजिर हो गए  तीनो का  साथ में आने का और कोई मकसद नहीं था | जग्गू का बाप इस रिवर लाउन्ज के मुख्य मालिक के साथ बिज़नस में हिस्सेदार था |
रीमा ने तीनो को आते देखा तो थोड़ा अजीब लगा | उनके पास आते ही समझ गयी तीनो नशे में फुल है, चूँकि  पुराने पियक्कड़ है इसलिए इतनी शराब गले के नीचे उतारने के बाद भी फुल कण्ट्रोल में है | तीनो के ओंठ सुख रहे है और नशे में आंखे सुर्ख लाल है, आते ही तीनो रीमा को घूरने लगे | इससे पहले रीमा असहज हो कपिल बोल पड़ा - एक्स्चुज अस, बताइए रीमा जी, आपने मुझे क्यों याद किया है, कपिल आपकी सेवा में हाजिर है | ये गुलाम आपकी क्या खिदमद कर सकता है | 
बाकि दोनों कभी रीमा को देखते कभी नूतन को | दोनों को बारी बारी से देखकर कुछ समझने की कोशिश में लगे थे, लेकिन डिकोड कर पाने में अक्षम थे |
आखिर सच रीमा के मुहँ से निकलने के बाद ही पता चला |  रीमा ने तेज आवाज में में चिल्ला चिल्लाकर बताया, ताकि पुरे हाल में आवाज सुनाई पड़े  - जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे हट की तरफ गयी थी तो वहां शराब जग्गू नूतन का रेप करने की कोशिश कर रहा था |
नशे में होने के बावजूद सभी ने वही सुना जो रीमा ने कहा | किसी को भी यकीन नहीं हुआ | जग्गू का बाप अपने बेटे को जानता था, ड्रग्स का मामला होता या मारपीट का तो समझ में आता उसके लेकिन रेप, वो भी उस लड़की का जिसे वो रोज कॉलेज में मिलता है | जग्गू का बाप भी नूतन को जानता था | तीनो का नशा काफूर सा हो गया | तीनो में से किसी को भी रीमा की बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल था | सभी हैरान थे, ऐसा हो कैसे गया | तीनो क्या सोचकर आये थे, की मौका मिलते ही थोडा बहुत रीमा के साथ मटरगस्ती करेगें लेकिन यहाँ तो सावन में रेगिस्तान वाला हाल हो गया | 
रीमा की बात सुनकर, नूतन के हाव भाव देखकर कपिल समझ गया कुछ तो गलत हुआ है, वो एकदम से गंभीर हो गया - दिस इस शॉकिंग, अनएक्सेप्टबल | क्या मैंने जो सुना वही तुमने कहा |
रीमा ने अपनी बात फिर से दोहरा दी | कपिल और लाउन्ज के मालिक की नज़ारे नूतन की तरफ चली गयी | नूतन अब अपने आंसू नहीं रोक पायी, सिबुकने लगी | रीमा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर ढाढस बंधाया |
कुछ देर तक तीनो नशे में धुत होने के बावजूद घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते रहे और बार बार रीमा और नूतन की बातो को चुपचाप अपने अनुभव कि कसौती पर कसते रहे |
 लाउन्ज का मालिक ज्यादा अनुभवी था, जग्गू का बाप उसका बिज़नस पार्टनर, ऐसे आंख बंद करके रीमा के कहे को सच मान लेने की बजाय उसने सच को परखना जरुरी समझा, नूतन के पास जाकर, उसके सर पर हाथ फेरा  - बोलो बेटा, कुछ गलत किया जग्गू ने तुमारे साथ, डरो मत, हम सब तुमारे साथ है, ये जग्गू का बाप है, वो इसका बेटा हुआ तो क्या हुआ तुम बस सच बतावो उसकी ये हड्डी पसली एक कर देगा |
अब तक बमुश्किल सिबुकती नूतन अपने आंसू लेकर नूतन फफकने लगी, जोर जोर से रोने लगी | ये देखकर तीनो की हवा टाइट हो गयी, उन्हें मामले की गंभीरता समझ गई |
जग्गू का बाप - रो मत बेटी, मै एक बेटे का बाप हूँ तो दो बेटियों का बाप भी, टांगे चीर दूंगा उस जग्गू की, सच सच बोल, तेरे साथ क्या हुआ |
नूतन ने रोते रोते, सिबुकते हुए पूरी कहानी बताई, लेकिन कहानी का पहला भाग (राजी और प्रियम की लंड चुसाई) नहीं बताया | इसकी जगह वो बोली, उसे कुछ देर एकांत में रहना था तो वो पीछे की तरफ चली गयी | वहां कुछ कीचड़ था जो वो देख नहीं पाई, और उसके कपड़े में कीचड़ लग गयी, पास में कॉटेज था इसलिए उसके अन्दर बदलने चली गयी और इतने में पता नहीं कहाँ से जग्गू आ गया | उसके साथ जबरदस्ती करने लगा |  नूतन की कहानी पर लाउन्ज का मालिक सवाल जवाब करना चाहता था लेकिन उसके बोलने से पहले ही जग्गू का बाप नशे में ही दहाड़ा - उसे कुत्ते के बच्चे को मै छोड़ूगा नहीं, जहाँ देखो वहां मेरी नाक कटवाता रहता है, समाज में  कही जाने लायक नहीं छोड़ा है | इसलिए लिए इस सुवर को कही ले नहीं जाता हूँ | कहाँ है साला, ढूंढ के लावो, आज इसकी हड्डी पसली एक करता हो |
लाउन्ज का मालिक बीच में बोला - बेटा जहाँ तक मुझे पता है, पीछे कही कीचड़ है ही नहीं |
जग्गू का बाप - यार लड़की की हालत देख तुझे लगा रहा है कि ये झूठ बोल सकती है, तूने ज्यादा पी रखी है, तू चुप रह, मै इससे बात कर रहा हूँ न | नूतन बेटी तू बोल .............|
नूतन - अंकल उसने मेरे बाल खीचे, दो बार मुझे जमीन पर पटका, किसी तरह से मै जान बचाकर भागी हूँ, अगर आपको यकींन हो तो उसके हाथ पर मेरे दांतों के निशान देख सकते है | मैंने बहुत जोर से काटा था और फिर अपनी इज्जत बचाकर भागी हूँ वहां से | बाहर आते ही मुझे रीमा औंटी मिल गयी | रीमा नूतन के शरीर पर के चोट के निशान दिखाते हुए - ये देखो सबुत |
लाउन्ज का मालिक फिर से कुछ पूछने जा रहा था, उसे जग्गू के बाप ने फटकारा -  क्या यार तू भी व्योमकेश बक्शी हो रहा है, जग्गू को ढूंढ के ला, दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा | लड़की की हालत से नहीं लगा रहा तुझे कि इसके साथ कुछ  गलत करने की कोशिश हुई है | जग्गू को ढूढ़ के ला यहाँ | जब लाउन्ज स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने चला तो रीमा ने प्रियम को भी ढूंढ कर लाने को कहा |

जग्गू अपने बाप का इकलौता लड़का था फिर भी जग्गू का बाप उसको लेकर बहुत सख्त रहता था | जग्गू का बाप एक झोपड़ पट्टी में पैदा हुआ वही पला बढ़ा | आगे चलकर उसने ड्रग्स, फिरौती वसूलना, गुंडा गर्दी सब कुछ कुछ किया, फिर उसे एक लड़की से प्यार हो गया और वो लड़की शादी के लिए इसी शर्त पर राजी हुई की वो ये सब मारपीट गुंडागर्दी छोड़कर एक शरीफों वाली जिंदगी जियेगा | तब से जग्गू का बाप एक सफेदपोश बिज़नस मैंन बन गया | अन्दर खाने उसके कुछ पुराने धंधे चलते रहे कुछ बंद हो गए, लेकिन उसने पहले के कमाए पैसो से रियल स्टेट के बिज़नस में काफी पैसा लगाया और शहर के पह्चानदार लोगो में अपनी जगह बना ली | वो नहीं चाहता था की जग्गू उसकी तरह कम पढ़ा लिखा रहे, गुंडा गर्दी करे मावली गिरी करे, इसीलिए उसकी माँ से ज्यादा वो सख्त रहता था | यहिकरण था बाप बेटे का रिश्ता बहुत ज्यादा मधुर नहीं था | ऐसा नहीं था जग्गू का बाप उसे प्यार नहीं करता था, आखिर अकेला लड़का किसको प्यारा नहीं होता, फिर भी उसे अपराध की दुनिया से बचाकर एक अच्छा सिविल इंसान बनाना उसकी पहली प्राथमिकता थी और इसीलिए जग्गू को किसी भी गलत काम की सजा देने में उसे कोई हिचक महसूस नहीं होती, इसके उलट उसकी बेटियां न केवल पढने में तेज थी बल्कि आज्ञाकारी भी थी यही बात जग्गू के बाप को और परेशान कर देती इसीलिए कभी कभी वो जग्गू पर और ज्यादा कठोर हो जाता | 

लाउन्ज के आदमी जग्गू को ढूढ़ने में लग गए | लाउन्ज में ठहरने का भी इंतजाम था | मैंन हाल के उत्तरी सिरे पर दो मजिल के बेहतरीन सुविधाओं से लैस कम से कम ३० कमरे थे |  प्रियम, राजू और उसकी मंडली उसी बिल्डिंग की छत पर अपने में मस्ती कर रही थी | उन दोनों को होश की नहीं था की इतनी देर बाद बाद नूतन यहाँ नहीं आई और न ही उनका दोस्त जग्गू यहाँ मौजूद है | स्टाफ का आदमी पता लगाते लगाते बिल्डिंग की छत पर पंहुच गया | जब प्रियम को पता चला की उसे मैंन हाल में बुलाया गया है, तब उसे होश आया, की कॉटेज से निकलने के बाद नूतन कहाँ रह गयी | उसे रीमा चाची का ध्यान आया, उसने स्टाफ से मामला जानने की कोशिश की लेकिन स्टाफ ने अनभिज्ञता दर्शायी | प्रियम नशे में अब पहले से ज्यादा धुत था | जब स्टाफ के साथ प्रियम हाल में पंहुचा तो वहां रीमा चाची और नूतन को देखते ही सकपका गया | नूतन और रीमा चाची एक साथ ............. क्या रीमा चाची को उनका भी सच पता चल गया, लगता है नूतन ने सब बता दिया  | अब तो गजब हो जायेगा , रीमा चाची सबको बता देगी और फिर हमारे बाप हम दोनों को कच्चा चबा जायेगें | अब क्या होगा, उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी |
रीमा ने प्रियम की हालत देखी, उसे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था, जग्गू का भी पता लगाया जा रहा था | रीमा ने स्टाफ के वहां से जाने के बाद तीनो लोगो से कहा - क्या वो एक मिनट के लिए पीठ करके खड़े हो जायेगे | सभी ने एक दुसरे को अचम्भे से देखा, चूँकि रीमा का तीनो को ये पहला अनुरोध था, इसलिए आँखों हो आँखों में इशारा हुआ और बिना किसी सवाल जवाब के तीनो घूम गए | उनका घूमना था कि तड़ाक की आवाज से पूरा हाल गूँज उठा - आज के बाद जब मेरे साथ आना तो ये दोबारा कभी मत करना |
तीनो जन चौंक गए, अचानक मुड़कर देखा तो रीमा गुस्से से लाल पीली प्रियम को घूर रही है और प्रियम अपने गाल पर हाथ रखे अपने असहनीय दर्द को छिपाने की नाकाम कोशिश करता हुआ, रीमा को देख रहा है |
प्रियम को लगा रीमा चाची को सब पता चल गया है, अब तो उसका मरण तय है, उसकी आँखों में तेज पड़े झापड़ के दर्द के कारन आंसू छलक आये |
रीमा दांत पीसती हुई - मैंने मना किया था न शराब पीने से |
यहाँ सबके सामने वो कॉटेज की हरकत के लिए नहीं मार सकती थी, रीमा को गुस्सा इस बात का नहीं था की कॉटेज में वो नूतन से अपना लंड चुसवा रहा था, उसे गुस्सा इस बात का था कि नूतन ने दोनों के लंडो को जमकर चूसा, उन्होंने भी उसके मुहँ को जमकर चोदा, नूतन दोनों को जितना सुख दे सकती थी दिया, फिर अपने अपने लंड से पिचकारी निकलते ही दोनों ने अपने कपड़े सही किये और नूतन को वही छोड़कर बेपरवाह निकल गए | वासना का बुखार उतरते ही उनकी दिलचस्पी नूतन में ख़त्म  हो गयी | वो बस नूतन के जिस्म के सहारे अपनी किशोरवय वासना बुझाना चाहते थे या उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था, और ये उन्हें नूतन ने ऑफर किया था, फिर भी दोनों को फर्ज बनता था कि अपने लंड मुरझाने के बाद भी थोड़ी देर नूतन के साथ बिताते, उसके साथ बाते करते और कायदे से जब तीनो साथ साथ आये थे तो उन्हें नूतन को साथ लेकर ही वहां से निकलना चाहिए था |  अगर वो दोनों अपने साथ नूतन को लेकर निकलते तो ये नौबत नहीं आती या जग्गू के आने पर वो दोनों वहां मौजूद होते तो भी ये नहीं होता जो हुआ | प्रियम ने एक लम्बी साँस ली, ये राहत की साँस थी - थैंक गॉड रीमा चाची ने शराब के लिए थप्पड़ मारा |
प्रियम - आई ऍम सॉरी |
रीमा - अभी तुमारी इतनी भी उम्र नहीं है जो शराब पियो, एन्जॉय वो करो जो शरीर बर्दाश्त कर सके |
जग्गू का बाप - आप बिलकुल सही बोली है रीमा जी, आजकल के लड़के इसी नशे में तो बर्बाद है |
रीमा बेरुखी से - नशे की बात आप तो न ही करिए .......................|
कपिल ने उसे कुछ इशारा किया, जग्गु का बाप कुछ बोलना चाहता था लेकिन चुप हो गया, फिर दहाड़ा - अरे भाई कहाँ है जग्गू, इतनी देर हो गयी है और तुम लोग उसे ढूंढ नहीं पा रहे हो, साला सबकी पगार आधी करवा दूंगा  |
कपिल भी स्टाफ से कहने लगा - जल्दी करो, हम लेट हो रहे है, मीटिंग ख़तम हो जाएगी |
रीमा - रात को १० बजे कौन सी मीटिंग होती है |
कपिल - सॉरी मीटिंग नहीं डीलिंग | मीटिंग तो ऑफिस में ही कर लेते है, लेकिन ऑफिस में तो सिर्फ मीटिंग मीटिंग करनी है ये बिज़नस डीलिंग ऐसी पार्टियों में ही होती है | तुम नहीं समझोगी |
रीमा - हूंम्मम्मम्म |
जग्गू के बाप को भी मीटिंग की देर हो रही थी - उसने किसी को फ़ोन मिलाया, बात की | उसके बाद रीमा और नूतन को मुखातिब होकर बोला - हमारे लड़के ने बड़ी गलती कर दी है, हमें माफ़ कर दो | नूतन बेटा मेरा वादा है जग्गू सुबह सब मेहमानों के सामने  तुमारे पैरो में नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांगेगा | उस नालायक की हरकत के लिए एक दो बेटियों का बाप तुमसे मांफी मांगता है | इतना कहकर नूतन के सामने कमर तक झुक गया | नूतन असहज हो गयी, जब उसकी बाप की उम्र का आदमी उसके सामने हाथ जोड़कर कमर तक झुककर खड़ा हो जाये | 
रीमा और नूतन को ये समझने में कुछ वक्त लगा, आखिर फ़ोन पर बात करने के बाद जग्गू का बाप एकदम से सरेंडर मोड में क्यों आ गया | असल में जब लाउन्ज का स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने में नाकाम रहा तो उसने अपने ड्राईवर को फ़ोन मिलाया और ड्राईवर ने न केवल जग्गू के गाड़ी में सोने की बात बताई, बल्कि जाकर उसके हाथ पर दांतों का निशान भी चेक किया | इसलिए जग्गू का बाप रीमा और नूतन के सामने झुककर मांफी मांगने लगा |  अभी वो नशे में धुत सो रहा था इसलिए जग्गू के बाप ने सुबह तक रुकने की रिक्वेस्ट करी | लाउन्ज के मालिक भी रीमा और नूतन से मिन्नतें करने लगा, कुछ भी हो जाये ये बात बाहर पब्लिक को पता नहीं चलनी चाहिए | उसने FIR न करने के लिए स्पेशल रिक्वेस्ट करी | उसने पैसे से लेकर सबके सामने जग्गू से माफ़ी मांगने का वादा भी कर दिया | जग्गू के बाप ने भी वादा किया वो सुबह सबके सामने जग्गू से माफ़ी मंगवायेगा |
पैसो का नाम सुनते ही नूतन थोड़ा नरम पड़ गयी, एक गरीब परिवार से थी इसलिए पैसो की अहमियत उससे ज्यादा कौन जान सकता था, ऊपर से अगर जग्गू उससे जबदस्ती न करता तो शायद चुदाई को छोड़कर वो अन्य तरह के सारे सुख जग्गू को भी दे सकती थी | फिलहाल उसकी इज्जत पर कोई आंच नहीं आई थी, लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप दोनों उसके सामने नतमस्तक थे ऊपर से अच्छा खासा पैसा भी मिल रहा था | नूतन जैसी महत्वकांक्षी लड़की को और क्या चाहिए था |
कपिल रीमा के थोड़ा करीब जाकर कान के पास - रीमा जी, इस लड़की से बोलिए थोड़ा कोआपरेट करे | ये लोग माफ़ी मांगने के साथ साथ पैसा भी अच्छा खासा देने को तैयार है | 
रीमा हैरानी से कपिल को देखती हुई, कुछ सोचकर - इसका फैसला मै कैसे ले सकती हूँ, नूतन ........ बोलो | रीमा को लगा था नूतन नहीं झुकेगी, क्योंकि उसकी जगह वो होती तो शर्तिया जग्गू को जेल भिजवाती , लेकिन नूतन की तरफ से हामी भरते ही रीमा सकते में आ गयी |  नूतन की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही तीनो ऐसे भागे, जैसे कोई ट्रेन छुट रही हो | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 11-05-2019, 12:51 AM



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