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Adultery प्यार या धोखा
#41
अध्याय 8
दिन गुजरते गए और मस्तिया चलती रही,सपना अब भी रोहन से नाराज थी और सच बताऊँ तो इससे दिल को बेहद ही सुकून मिलता था,लेकिन फिर भी हर पार्टी में वो साथ रहती,जंहा भी हम जाते वंहा वो साथ ही रहती,उसके सामने रोहन तो कुछ नही करता लेकिन मैं रोहन के होठो में होठ भरने का कोई मौका नही छोड़ती खासकर जब सपना हमारे साथ हो,ऐसी ही कुछ दोस्ती और दुश्मनी थी हमारी की चाहे कुछ भी हो जाए  लेकिन साथ कभी नही छोड़ते थे …
एक अजीब सा लगाव था हमे एक दूसरे से तीनो में कोई एक ना हो तो खाली खाली सा लगता था,चाहे हम कितनी भी दुश्मनी निभा ले लेकिन बचपन का साथ था हमारा,उस दिन रोहन मुझे लेकर सपबना के घर गया,मैं उसके घर नही जाना चाहती थी लेकिन रोहन ने जबरदस्ती की …
हम सपना के कमरे में बैठे थे,कमरा मेरे कमरे जैसा ही था असल में लग यही रहा था की जैसे मेरे कमरे की ही नकल हो ,बड़े से कमरे में एक कोने में सोफा लगा हुआ था,हम वही बैठे थे,सपना कही दिख नही रही थी ,रोहन ने मुझे थोड़ी देर में आने की बात कही और वो बाहर निकल गया ,मैं वंहा अकेली थी समझ नही आ रहा था की आखिर सपना कहा है ,थोड़ी ही देर में सपना और उसके पिता जी वंहा आये ..
मैं खड़ी होई गई ..
“नमस्ते अंकल ..”
वो मुस्कुराए
“नमस्ते बेटा बैठो बैठो..”
सपना मेरे बाजू में बैठ गई वही अंकल दूसरे सोफे में ,
“रोहन कहा चला गया??? “मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर रोहन मुझे यंहा अकेले छोड़कर कहा चला गया है..
“वो थोड़ी देर में आएगा,असल में हमने ही तुम्हे बुलाया था रोहन से बोलकर,अब सपना बोलती तो तुम आने से रही ..”
अंकल अब भी मुस्कुरा रहे थे,,अंकल ने मुझे बुलाया ,अब आखिर ऐसी क्या बात हो गयी ,मैं ध्यान से सुनने लगी ..
“देखो बेटा तुम्हे भी पता है की हमारे परिवार के बीच एक अलग ही युद्ध चलता आ रहा है,मेरे पिता और तुम्हारे दादा जी कट्टर प्रतिद्वंदी थे ,लेकिन क्या तुम्हे पता है की वो दोनों और रोहन के दादा ये तीनो एक ही कॉलेज में एक ही कालेज में पढ़े थे…”
“जी अंकल मैं जानती हु,”
“बात यही खत्म नही हुई ,हमारी दूसरी पीढ़ी यानी मैं तुम्हरे पिता और रोहन के पिताजी तीनो ने भी वो प्रथा कायम रखी,तुम्हारे पिता जी का अगर कोई सब्सेर बड़ा दुश्मन है तो वो मैं हु और वैसे ही मेरे लिये तुम्हारे पिताजी है,”
वो हसने लगे साथ ही मैं भी मुस्कुराने लगी क्योंकि ये बात बिल्कुल ही सही थी लेकिन सपना उदास थी सर झुकाए बैठी थी ..
अंकल फिर से बोलने लगे ..
“देखो बेटा यंहा ऐसे बुलाने के लिए माफी चाहूंगा लेकिन मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा प्यार करता हु ,मैं यंहा तुम्हे कुछ समझने के लिए नही बुलाया हु असल में मैं सपना को कुछ समझाना चाहता हु ..”
उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौकी,उन्होंने बोलना जारी रखा
“देखो बेटा तुम्हारे दादाजी भले ही मेरे पिता के सबसे बड़े कम्पीटिटर थे लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा अपने बेटे की तरह समझा,और तीनो परिवार हमेशा अपनी दूसरी पीढ़ी को अपने बच्चों जैसा प्यार देते आ रहे है,हम कितने भी बड़े दुशमन बन जाए लेकिन हमारे बीच वो दोस्ती कभी नही छूटती जो हममें है दुश्मनी के रूप में,सच कहु तो तुम्हारे पिता जी अगर बीमार भी पड़ जाए ना तो मेरी जान निकल जाती है,क्योंकि साला वो ही नही रहेगा तो मैं लडूंगा किससे ..”
अंकल की बात से मुझे वो घटना याद आयी जब पापा के अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था और मिलने वाले में सबसे पहले अंकल ही थे दूसरे रोहन के पापा थे ,और जब सपना के पिता जी को हार्ट अटैक आया था तो पापा कुछ ज्यादा ही चिंता में रहते थे,बार बार फोन कर उनका हाल चाल जानते उनसे मिलने जाते…
इन सब बातों को याद करके मैं मुस्कुराने लगी
“बेटा तेरे दादा और तेरे पापा दोनों ही जिगर वाले थे दुश्मनी को भी पूरी नजाकत से निभाई उन्होंने लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए मुझे चिंता होती है ,हमने कभी अपने बच्चों को इस दुश्मनी में शामिल नही किया,तुम दोनों दुश्मनों की तरह रहो मुझे कोई प्रॉब्लम नही है लेकिन मैं तुमसे कैसे कोई दुश्मनी निकाल सकता हु ,तुम मेरी बेटी जैसी हो ,रोहन मेरा बेटा है ,मैं तुम्हारे बारे में बुरा नही सोच सकता बेटा,ना ही तुम्हारे रिश्ते के बारे में,लेकिन ये चाहती है की मैं तुम्हारे इसके मामले में आऊ और यही मैं इसे समझने की कोशिश कर रहा हु की हमने कभी एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से नही मिलाया ,हमने बुजुर्गों की इज्जत की और छोटो को प्यार दिया है,यही तो हमारे दशमी की काबिलियत रही है ,हमे इसपर गर्व है कि हमारा दुसहमन इतना पावर फूल है ,और हमने उसके परिवार को हमेशा ही अपना परिवार माना है …”
अंकल की बात सुनकर कई वाकये याद आ गए जब सच में अंकल ने मुझे और मेरे पिता ने सपना को अपने बच्चों की तरह से प्यार दिया था,वो तो हम बड़े होने के बाद एक दूसरे के घर आना जाना छोड़ चुके थे लेकिन जब हम बच्चे थे तो हमारे पिता या दादा ने हमे कभी भी एक दूसरे के घर जाने से नही रोका था ,
“सॉरी अंकल की आपको मुझे बुलाने के लिए रोहन की मदद लेनी पड़ी “मुझे अचानक ही अपनी गलती का अहसास हो गया …
अंकल खड़े होकर मेरे बालो  को सहलाने लगे ,उनके स्पर्श ,के वही प्यार था जो मेरे पापा के स्पर्श में होता है
“बेटा मेरी और तेरे पिता की हमेशा से दो बेटी और एक बेटा है ,हमारी दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही खानदानी है,हा मुझे इस बात का दुख जरूर है की रोहन मेरा नही तुम्हारे पिता का दामाद बना लेकिन मुझे सच में तुम्हारे लिए वो खुसी है जो एक बाप को होनी चाहिए,लेकिन मैं नही चाहता बेटी की तुम अपनी दुश्मनी हम तक पहुचाओ अगर तुम दोनों का प्रॉब्लम है तो तुम दोनों ही इसे अपने लेवल में खत्म करो ,और यही सोच हमारे पिताओं की थी और हमारी भी है,हम तुम्हारे नही तुम्हारे पूर्वजो के दुश्मन है,लड़ाई में जब तक मजा ना हो तो वो लड़ाई नही रहती,तुम्हारे पिता ने हमेशा सपना की माँ से प्यार किया था,वो उसे पा नही पाया लेकिन मैंने उसे पाया फिर भी हम वैसे ही थे जैसे पहले थे,हर एक बात से हमारी दुश्मनी बड़ी लेकिन फिर भी हमने एक दूजे के परिवार को अपना परिवार समझा है क्योंकि हमने अपनी दुश्मनी सिर्फ अपने तक रखी है,लेकिन आज सपना ने मुझे तुम्हारे बारे में कहा की मैं तुम्हारे और रोहन के बीच के प्यार को तोड़ने में उसकी मदद करू..बेटे ये तो मैं नही कर सकता,तुम्हारे पापा भी यही कहते अगर ये तुम्हारी बात होती..मैं बस ये चाहता हु की तुम दोनों अपनी दुश्मनी दिल से निभाओ ताकि उसमें छिपे प्यार को समझ पाओ तुम दोनों अकेले में बात करके फैसला कार्लो की तुम्हे सोहन के बारे में क्या करना है “
अंकल जा रहे थे तभी मैं बोल उठी
“अंकल पापा ने क्या किया था जब आप और आंटी ने एक दूसरे को चुना “
मेरे सवाल से अंकल जोरो से हँस पड़े
“वो साला तो आज भी मेरी बीवी को मुझसे दूर करने की कोशिश करता है लेकन बेटा ये  हमारा कंपीटिशन है जो वो कभी नही जीत पायेगा,और रोहन तुम दोनों का ,हमने कभी तुम्हारा और तुम्हरे दादा दादी का इस्तमाल नही किया तुम्हे भी हमारा इस्तमाल नही करना है,अपनी लड़ाई खुद लड़ो और जीतो,तुम दोनों को ही आल द बेस्ट ‘
अंकल ने मुस्कुराते हुए कमरा छोड़ दिया,उनके लिए दिल में एक सम्मान की भावना मेरे दिल में घर कर गई,सच में ये थड़ी अजीब सी लगाई थी …
मैं सपना की ओर मुड़ी
“समझ आ गया जो अंकल ने कहा “
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा
“साली कुतिया रोहन कभी तेरा नही होगा ,”
वो सुबकते हुए कहा,मैंने सपना को रोते हुए बहुत ही कम ही देखा था,मैं हँस पड़ी
“कुतिया तो मैं हु लेकिन रोहन की ,तू कुछ नही कर पाएगी “
सपना ने मुझे खा जाने वाली नजर से देखा
“वो तो वक्त ही बताएगा ,लेकिन मेरी बात याद रख हम पैदायसी दुशमन है ,तेरे पिता जी आज भी मेरी माँ को पाने में लगे है ,मैं भी कभी तेरा पीछा नही छोडूंगी,जिससे भी तू प्यार करेगी उसे तुझसे छीन कर रहूंगी “
सपना की बातों से मुझे जोरो की हँसी आयी और मैं जोरो से हंसी भी ,
“गेम इस बिगिंग बेटा देखते है , तू मेरे प्यार को कैसे छिनती है”
मैं कमरे से बाहर निकल गई तब तक सपना बस मुझे घूरती रही ...
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RE: प्यार या धोखा - by Chutiyadr - 10-05-2019, 10:00 PM



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