23-12-2018, 09:23 AM
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कुछ सोच कर मैने कहा, “अगर मैं नंगी हो कर आपका मुठ मार (हस्तमैथुन) दूं तो?”
“नही... मैं तुझे चोदना चाहता हूँ, मना मत करना... काफ़ी दीनो बाद मैने तुझ जैसी कमसिन लड़की के नंगे मम्मे और खुले लंबे बॉल देखें हैं... मैं तेरे साथ जाबरदस्ती नही करना चाहता हूँ...”
मैने उपर से नीचे तक भिखारी को देखा| उसके बदन गंदा था और उसके बदन से बदबू भी आ रही थी, मैं ऐसे आदमी को कैसे अपने उपर लेटने दूं? आज तक जीतने लोगों ने मेरे साथ संभोग किया; सब ने मुझे चूमा चाटा... मुझे भी बड़ा मज़ा आया... लेकिन वे सब स्टॅंडर्ड के थे... यह सोचते हुए मैं कुछ देर तक उसको देखती रही|
फिर मुझे याद आया की मैने कुछ हफ्ते पहले परिवार नियोजन वाली बहन जी से निरोध के दस कॉंडम वाला पैकेट लिया था| जिस में से सिर्फ़ दो ही इस्तेमाल हुए थे...
“क्या सोच रही है, लड़की?” मुझे ऐसे सोचते हुए देख कर शायद वह भिखारी थोड़ा उतावला हो रहा था| शायद उसे इस बात की फ़िक्र थी कि मैं मना ना कर दूँ|
“जी कुछ नही...”
“मैं तुझे चोदना चाहता हूँ... मेरी बात समझ रही है ना... तेरी चूत में अपना लौड़ा डाल के...”
“हाँ, हाँ... मैं पहले भी चुद चुकी हूँ...”
"किससे? अपने पति से?"
"जी, नहीं... मैं... वह..." मैं कहते- कहते रुक गई|
“कोई बात नही... तो फिर देर मत कर और चल मेरे साथ...” शायद उस भिखारी को इस बात से कोई मतलब नहीं थी कि मैं किसके साथ सोई हुई हूं.... उसे तो बस अपने दिल का अरमान पूरा करना था|
“ठीक है, मैं आपके साथ चालूंगी, आपके सामने नंगी हो कर बैठ के आप के साथ दारू भी पीउँगी, मेरे पास प्लास्टिक के दो गिलास भी हैं... पर आप मुझे चोदते वक़्त... निरोध का इस्तेमाल करेंगे और... मैं आपकी तरफ पीठ करके घुटनो के बल बैठ के झूक जाउंगी, और आप मुझे पीछे से... चोद देना...”
“मैं तो तुझे अपने नीचे लिटाना चाहता था... पर तू कहती है तो ठीक है... मैं तुझे वैसे ही चोदने के लिए तैयार हूँ... तेरे जैसी लड़की नसीबवालों को ही मिलती है|”
“आप वादा कीजिए, मैंने जैसा कहा आप मुझे वैसे ही चोदेंगे...”
“हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल...”
मैने गाड़ी साइड में पार्क की एक प्लास्टिक के बैग में गाड़ी की चाबी, शराब की बोतल जिसमें करीब करीब तीन चौथाई शराब बाकी थी, सिगरेट का पैकेट, माचिस, दो प्लास्टिक के गिलास और निरोध का पैकेट लेकर भिखारी के साथ चल दी, डाक्टर साहिब की छुयन की गर्मी मेरे बदन में बाकी थी, मैं उसे उतारना चाहती थी| आज अगर और कोई मिला नही तो यह भिखारी ही सही...
मुझे इस बात की फिक्र लगी हुई थी कि उस भखारी के साथ जाते हुए मुझे कोई देख ना ले, इसलिए मैं बार-बार इधर उधर मुड़ मुड़ कर देख रही थी... पर आसपास कोई भी नहीं था... बस माल गाड़ी के डब्बे धीरे धीरे बंद फाटक के पर गुज़र रहे थे...
भिखारी की झोपड़ी पास ही में थी, उसमे कोई दरवाज़ा नही था, सिर्फ़ छोटा सा लकड़ी का बोर्ड ताकि उसके घर में कुत्ता ना घुस जाएँ और किसी पुराने से मैले से बोरे का एक पर्दा...
मैं जैसी ही अंदर घुसी, भिखारी ने कहा, “चल लड़की, अब नंगी हो जा…”
मैने एक आज्ञाकारी लड़की की तरह अपना हॉल्टर उतार दिया, मैने ब्रा नही पहन रखी थी और डाक्टर साहब ने तो मेरी पैंटी फाड़ ही दी थी, हॉल्टर उतारते ही उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई|
भिखारी ने मेरे हाथ से मेरा हॉल्टर छीन कर एक तरफ फेंक दिया|
“आप अपनी लुँगी नही उतरेंगे?”
“मैने लुँगी उतार दी तो मैं भी तेरी तरह नंगा हो जाऊँगा”
“आप मुझे तो चोदने वाले हैं, आप नंगे नहीं होंगे?”
“हां जरूर होऊँगा, लेकिन मैं तुझे चोदने से पहले डराना नहीं चाहता था...” यह कह कर मुस्कुराते हुए भिखारी ने अपनी लुंगी उतर दी… और जो मैने देखा, उसे देख कर मैं दंग रह गई…
“तूने जो देखा तुझे पसंद आया, लड़की?” भिखारी ने पूछा|
क्रमश:
कुछ सोच कर मैने कहा, “अगर मैं नंगी हो कर आपका मुठ मार (हस्तमैथुन) दूं तो?”
“नही... मैं तुझे चोदना चाहता हूँ, मना मत करना... काफ़ी दीनो बाद मैने तुझ जैसी कमसिन लड़की के नंगे मम्मे और खुले लंबे बॉल देखें हैं... मैं तेरे साथ जाबरदस्ती नही करना चाहता हूँ...”
मैने उपर से नीचे तक भिखारी को देखा| उसके बदन गंदा था और उसके बदन से बदबू भी आ रही थी, मैं ऐसे आदमी को कैसे अपने उपर लेटने दूं? आज तक जीतने लोगों ने मेरे साथ संभोग किया; सब ने मुझे चूमा चाटा... मुझे भी बड़ा मज़ा आया... लेकिन वे सब स्टॅंडर्ड के थे... यह सोचते हुए मैं कुछ देर तक उसको देखती रही|
फिर मुझे याद आया की मैने कुछ हफ्ते पहले परिवार नियोजन वाली बहन जी से निरोध के दस कॉंडम वाला पैकेट लिया था| जिस में से सिर्फ़ दो ही इस्तेमाल हुए थे...
“क्या सोच रही है, लड़की?” मुझे ऐसे सोचते हुए देख कर शायद वह भिखारी थोड़ा उतावला हो रहा था| शायद उसे इस बात की फ़िक्र थी कि मैं मना ना कर दूँ|
“जी कुछ नही...”
“मैं तुझे चोदना चाहता हूँ... मेरी बात समझ रही है ना... तेरी चूत में अपना लौड़ा डाल के...”
“हाँ, हाँ... मैं पहले भी चुद चुकी हूँ...”
"किससे? अपने पति से?"
"जी, नहीं... मैं... वह..." मैं कहते- कहते रुक गई|
“कोई बात नही... तो फिर देर मत कर और चल मेरे साथ...” शायद उस भिखारी को इस बात से कोई मतलब नहीं थी कि मैं किसके साथ सोई हुई हूं.... उसे तो बस अपने दिल का अरमान पूरा करना था|
“ठीक है, मैं आपके साथ चालूंगी, आपके सामने नंगी हो कर बैठ के आप के साथ दारू भी पीउँगी, मेरे पास प्लास्टिक के दो गिलास भी हैं... पर आप मुझे चोदते वक़्त... निरोध का इस्तेमाल करेंगे और... मैं आपकी तरफ पीठ करके घुटनो के बल बैठ के झूक जाउंगी, और आप मुझे पीछे से... चोद देना...”
“मैं तो तुझे अपने नीचे लिटाना चाहता था... पर तू कहती है तो ठीक है... मैं तुझे वैसे ही चोदने के लिए तैयार हूँ... तेरे जैसी लड़की नसीबवालों को ही मिलती है|”
“आप वादा कीजिए, मैंने जैसा कहा आप मुझे वैसे ही चोदेंगे...”
“हाँ...हाँ...हाँ... बिल्कुल... बिल्कुल... बिल्कुल...”
मैने गाड़ी साइड में पार्क की एक प्लास्टिक के बैग में गाड़ी की चाबी, शराब की बोतल जिसमें करीब करीब तीन चौथाई शराब बाकी थी, सिगरेट का पैकेट, माचिस, दो प्लास्टिक के गिलास और निरोध का पैकेट लेकर भिखारी के साथ चल दी, डाक्टर साहिब की छुयन की गर्मी मेरे बदन में बाकी थी, मैं उसे उतारना चाहती थी| आज अगर और कोई मिला नही तो यह भिखारी ही सही...
मुझे इस बात की फिक्र लगी हुई थी कि उस भखारी के साथ जाते हुए मुझे कोई देख ना ले, इसलिए मैं बार-बार इधर उधर मुड़ मुड़ कर देख रही थी... पर आसपास कोई भी नहीं था... बस माल गाड़ी के डब्बे धीरे धीरे बंद फाटक के पर गुज़र रहे थे...
भिखारी की झोपड़ी पास ही में थी, उसमे कोई दरवाज़ा नही था, सिर्फ़ छोटा सा लकड़ी का बोर्ड ताकि उसके घर में कुत्ता ना घुस जाएँ और किसी पुराने से मैले से बोरे का एक पर्दा...
मैं जैसी ही अंदर घुसी, भिखारी ने कहा, “चल लड़की, अब नंगी हो जा…”
मैने एक आज्ञाकारी लड़की की तरह अपना हॉल्टर उतार दिया, मैने ब्रा नही पहन रखी थी और डाक्टर साहब ने तो मेरी पैंटी फाड़ ही दी थी, हॉल्टर उतारते ही उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई|
भिखारी ने मेरे हाथ से मेरा हॉल्टर छीन कर एक तरफ फेंक दिया|
“आप अपनी लुँगी नही उतरेंगे?”
“मैने लुँगी उतार दी तो मैं भी तेरी तरह नंगा हो जाऊँगा”
“आप मुझे तो चोदने वाले हैं, आप नंगे नहीं होंगे?”
“हां जरूर होऊँगा, लेकिन मैं तुझे चोदने से पहले डराना नहीं चाहता था...” यह कह कर मुस्कुराते हुए भिखारी ने अपनी लुंगी उतर दी… और जो मैने देखा, उसे देख कर मैं दंग रह गई…
“तूने जो देखा तुझे पसंद आया, लड़की?” भिखारी ने पूछा|
क्रमश:
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