10-05-2019, 04:01 PM
" अ ...अ ...आ..उ..च.......स्स स्स स्स ......स्स स्स स्स .......हाय ...."
मैंने शिकायत भरे आवाज से कहा
" मेरी जान लेगी क्या ..... इतना जोर से काटा ...."
रिया:जोरसे हँसते हुए " आज तो मैं अपनी महक रानी को कच्चा खा जाउंगी "
वो थोडा निचे झुकी ... और आपने जुबान से मेरी नाभि के इर्द गिर्द दायरे बनाने लगी .......
मैं उसके सर को दबाते हुए सिसक ने लगी ....
नाभि की चूमा चाटी करते हुए रियाने मेरे पजामी के नाड़े को एक हल्का सा झटका दिया ......... और मेरी पजामी भरभराकर मेरी पैरो में गिर पड़ी
अब मैं सिर्फ पैंटी में खड़ी थी ....
अब रियाने मुझे पकड़कर खड़ा किया ,
रिया आँखे फाड़े मेरी नग्न शारीर को देखे जा रही थी ..
..जैसे वो आन्खोसेही मुझे पीना चाहती हो....
फिर उसने मुझे धकलते हुए बेड पर लिटाया .......
मैं शर्म से मरी जा रही थी .....
रियासे आँख मिलाने की की भी हिम्मत नहीं हो रही थी ....
रिया तो पूरी नंगी थी ......
वो वैसे ही मुझपे कूद पड़ी
मैं तो पूरी तरह से उसके निचे दब गई ......
उसके होठ मेरे होटोपर थे .....
उसके मस्त स्तन मेरे छोटे स्तनों को दबा रहे थे ......
उसकी ताज़ी झड़ी चूत मेरे चूत पर थी ......
बस बिच में एक महीन सी पैंटी थी…
जैसे उसके शरीर का हर हिस्सा .... मेरी सारे शरीर से प्यार कर रहा था .
अब रिया मेरी कमर दोनों ओर पैर कर के बैठ गयी
वो मेरे स्तन इस तरह मसल रही थी जैसे आटा गुन्दते है .
बिचमे ही वो झुक कर मेरी होटों ... को चूमती और कभी मेरे निप्पल को .. ........
उसकी स्पीड बढती गयी ..... फिर तो उसने कहर ही कर दिया ... .......
उसने मेरे स्तनों को जोरोसे काटना शुरू किया .....
उसके दात मेरे फूलो से कोमल स्तनोमें लाल लाल निशान बनाते जा रहे थे ......
"उफ्फ........ हा .....य......स्स.....स्स स्स स्स ......अ.आ....उ...च..."
मैंने याचनाभरि नजरोसे रिया की तरफ देखा .......
लेकिन वो बड़ी कुटिलता से मुस्कुराई और बोली ......
" आज रात के लिए तू पूरी तरह से मेरी है ..... इतना दर्द तो तुझे सहनाही पड़ेगा ....मेरी बन्नो "
मैं चुप हो गयी ....... वैसे मुझे भी मजा आ रहा था .....
दर्द में भी मजा होता है ..... ये मैंने उसी दिन जाना
फिर उसने अपना मोर्चा मेरी बगलों की तरफ बढ़ाया ......
मेरी बगलों में कई दिनोसे हलके भूरे बाल उगना शुरू हुए थे ... ...
कें उसके रिया की तरह गुच्छे नहीं बने थे .......रियाने उन्हें सुंघा ......
मुझे गुदगुदी हो रही थी .... ..
उसने मेरी बगलों को मन भर के सुंघा और जी भर के चाटा भी
उसने कहा " मेरी महक की बगलों की महक तो जन्नत है .... ... मेरी जान ..... इस महक को मैं कभी नहीं भूलूंगी"
मैंने शिकायत भरे आवाज से कहा
" मेरी जान लेगी क्या ..... इतना जोर से काटा ...."
रिया:जोरसे हँसते हुए " आज तो मैं अपनी महक रानी को कच्चा खा जाउंगी "
वो थोडा निचे झुकी ... और आपने जुबान से मेरी नाभि के इर्द गिर्द दायरे बनाने लगी .......
मैं उसके सर को दबाते हुए सिसक ने लगी ....
नाभि की चूमा चाटी करते हुए रियाने मेरे पजामी के नाड़े को एक हल्का सा झटका दिया ......... और मेरी पजामी भरभराकर मेरी पैरो में गिर पड़ी
अब मैं सिर्फ पैंटी में खड़ी थी ....
अब रियाने मुझे पकड़कर खड़ा किया ,
रिया आँखे फाड़े मेरी नग्न शारीर को देखे जा रही थी ..
..जैसे वो आन्खोसेही मुझे पीना चाहती हो....
फिर उसने मुझे धकलते हुए बेड पर लिटाया .......
मैं शर्म से मरी जा रही थी .....
रियासे आँख मिलाने की की भी हिम्मत नहीं हो रही थी ....
रिया तो पूरी नंगी थी ......
वो वैसे ही मुझपे कूद पड़ी
मैं तो पूरी तरह से उसके निचे दब गई ......
उसके होठ मेरे होटोपर थे .....
उसके मस्त स्तन मेरे छोटे स्तनों को दबा रहे थे ......
उसकी ताज़ी झड़ी चूत मेरे चूत पर थी ......
बस बिच में एक महीन सी पैंटी थी…
जैसे उसके शरीर का हर हिस्सा .... मेरी सारे शरीर से प्यार कर रहा था .
अब रिया मेरी कमर दोनों ओर पैर कर के बैठ गयी
वो मेरे स्तन इस तरह मसल रही थी जैसे आटा गुन्दते है .
बिचमे ही वो झुक कर मेरी होटों ... को चूमती और कभी मेरे निप्पल को .. ........
उसकी स्पीड बढती गयी ..... फिर तो उसने कहर ही कर दिया ... .......
उसने मेरे स्तनों को जोरोसे काटना शुरू किया .....
उसके दात मेरे फूलो से कोमल स्तनोमें लाल लाल निशान बनाते जा रहे थे ......
"उफ्फ........ हा .....य......स्स.....स्स स्स स्स ......अ.आ....उ...च..."
मैंने याचनाभरि नजरोसे रिया की तरफ देखा .......
लेकिन वो बड़ी कुटिलता से मुस्कुराई और बोली ......
" आज रात के लिए तू पूरी तरह से मेरी है ..... इतना दर्द तो तुझे सहनाही पड़ेगा ....मेरी बन्नो "
मैं चुप हो गयी ....... वैसे मुझे भी मजा आ रहा था .....
दर्द में भी मजा होता है ..... ये मैंने उसी दिन जाना
फिर उसने अपना मोर्चा मेरी बगलों की तरफ बढ़ाया ......
मेरी बगलों में कई दिनोसे हलके भूरे बाल उगना शुरू हुए थे ... ...
कें उसके रिया की तरह गुच्छे नहीं बने थे .......रियाने उन्हें सुंघा ......
मुझे गुदगुदी हो रही थी .... ..
उसने मेरी बगलों को मन भर के सुंघा और जी भर के चाटा भी
उसने कहा " मेरी महक की बगलों की महक तो जन्नत है .... ... मेरी जान ..... इस महक को मैं कभी नहीं भूलूंगी"