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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
#78
अपडेट - 12 


दोनो घर के गेट के बाहर ही बैठी थी क्यों कि घर तो लॉक था। लगभग 10-15 मिनट में गिरधारी अपने बेटे और पत्नी के साथ घर पहुंच जाता है।

राज और उसका पूरा परिवार एक साथ घर में प्रवेश करता है।


अब आगे....


राज बड़ी शर्मिन्दगी से चुप-चाप कमरे में चला जाता है। राज अपने बेड पर जा कर बैठ जाता है। और सोचने लगता है कि उसे आखिर हुआ क्या था। अचानक से ऐसा दर्द। अचानक से राज चोंक जाता है। उसे फिर से फ़्लैश बैक याद आता है कि जब उसे दर्द हो रहा था तब वो बक्शा, वो बक्शा चमक रहा था। 

राज बहुत धीरे धीरे चलता हुआ अपने सामान के पास पहुंचता है और वो बक्शा बाहर निकालता है। तभी राज की मम्मी राज को आवाज देती है।


सरिता: राज..... राज ये दरवाजा अंदर से लॉक क्यों किया है अगर फिरसे प्रॉब्लम हुई तो।


[Image: 5cd4859207dd3.jpg] 


राज अचानक से अपनी मम्मी की आवाज सुनकर वो बक्शा अपने बिस्तर के नीचे छिपा देता है। और राज अपने कमरे के दरवाजे की तरफ देखता है। वो दरवाजा तो खुला था अंदर से कोई लॉक नही किया था। और दरवाजा खुलते वक़्त आवाज तक नही करता फर से फंस कैसे गया। राज जैसे ही थोड़ा शांत होता है राज के कमरे का दरवाजा खुद ब खुद खुल जाता है।

सरिता अचानक से राज का दरवाजा खुलने से अंदर की तरफ गिरने वाली हो जाती है । दरअसल सरिता राज के कमरे के दरवाजे के सहारा लेकर खड़ी थी तो अचानक से दरवाजा खुलते ही अंदर की तरफ गिरते गिरते बचती है। लेकिन सरिता खुद को बचाने में अपनी साड़ी का पल्लू नही संभाल पाती जो कि नीचे गिर जाता है। और सरिता की दूधिया चुंचिया उभर कर सामने की तरफ राज को नज़र आने लगती है।

[Image: 5cd48548dd5e0.jpg] 


गनीमत थी कि राज ने ऐसे वैसे ख्याल कभी अपने मन में लाये ही नही इस लिए आज को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा। 

सरिता भी जल्दी से खुद को संभाल कर नीचे की और जाने लगती है। लेकिन जाते जाते राज को खाने के बोलकर उसे नीचे 10 मिनट में आने का आदेश भी दे जाटी है।

राज तुरंत जल्दी जल्दी अपना लोअर और टी-शर्ट पहनता है और नीचे के लिए निकल पड़ता है।

रानी और सोनिया भी राज के लिए परेशान थी। तो दोनों ने सरिता से खूब पूछ ने की कोशिश की, की आखिर राज को हुआ क्या था। लेकिन सरिता दोनो को नार्मल सा पेट दर्द बताया जो कि गैस प्रॉब्लम से हो गया। 

रानी और सोनिया राज की गैस प्रॉब्लम समझ कर राज का मजाक बनाती रही और राज भी हल्के हल्के मुस्कुराता रहा। क्यों कि राज को कम से कम अपनी बहनों के सामने शर्मिंदा नही होना पड़ रहा था।

सभी अपने अपने कमरे में चले गए लेकिन सरिता ने राज को रानी के साथ सोने के लिए रानी के कमरे में भेज दिया। क्यों कि सरिता को डर था कि कहीं फिर से दर्द हुआ तो।

रानी भी हसी खुशी राज को अपने साथ सुलाने के लिए मान जाती है। 


[Image: 5cd485cb8ac30.jpg] 

वही दूसरी और सरिता और गिरधारी मैं बहस चल रही थी कि आखिर सरिता गिरधारी को कुछ बता क्यों नही रही कि राज को क्या हुआ है।


सरिता गिरधारी को अपने हाथ से इशारा करके बोल रही थी कि राज के लिंग का आकार अभी से इसी उम्र में इतना बड़ा हो गया है। जब डॉक्टर ने उसकी जांच की तो वो गहरे पर्पल कलर का था। जैसे किसी ज़हरीले जानवर ने काटा हो।

गिरधारी ये सुनकर चोंक जाता है। लेकिन अगले ही पल गिरधारी सरिता को गले लगाते हुए बोलता है।

गिरधारी: अरे आखिर बेटा किसका है।

सरिता: अच्छा ये बात है। लेकिन उसका तो अभी इसी उम्र में आपके बराबर हो गया। जब राज थोड़ा और बड़ा होगा तो आप तो उसके सामने बच्चे नज़र आएंगे। 

गिरधारी: अरे बड़ा हो भी जाये तो क्या। अपनी बीवी की मेरी तरह चीखें थोड़ी निकलवा सकता है। जैसे मैं आपकी निकलवाता हूँ।

इतना कह कर गिरधारी सरिता को बेड पर लेकर गिर जाता है और सरिता को बेइंतेहा चूमने लगता है।

सरिता गिरधारी के अचानक से रोमांटिक होने से मुस्कुरा पड़ती है लेकिन रह रह कर सरिता के मन में अपने बेटे राज को लेकर कई तरह के ख्याल आया रहे थे। 


जैसे ही गिरधारी और सरिता एक होते है सरिता को ऐसा लगता है जैसे वो गिरधारी के साथ नही राज के साथ हो। अचानक से सरिता के मुह से आहsssss राजsssss निकल जाता है जिसे गिरधारी सुनकर अनदेखा कर देता है लेकिन सरिता अपनी मुह से निकले बोलो को अनदेखा नही कर पाती। 

सरिता अब बहुत ज्यादा भावुक हो रही थी। सरिता ने अचानक से गिरधारी को अपने ऊपर से उठाया और अपने कपड़े पहन लिए और गिरधारी की तरफ पीठ करके सो गई। गिरधारी ने भी सरिता को फ़ोर्स करना ठीक नही समझा। अपना हाथ जगन्नाथ समझ कर गिरधारी भी सो गया।



इसी तरह 2 साल निकल गए। इन दो सालों में राज के 4-5 बार और दर्द होता है लेकिन राज इस बार खुद को एम्बर्समेंट से बचाने के लिए किसी को नही बोलता और खुद बा खुद दर्द सहन करता गया।

वही दूसरी और सरिता और गिरधारी के रिश्ते पर भी कुछ अच्छा असर नही पैड रहा था। हर बार जब जब सरिता गिरधारी से एक होने की कोशिश कर रही थी उसे बार बार राज और राज का लन्ड याद आ जाता जिस कारण से सरिता गिरधारी का बिस्तर पर पूरी तरह से साथ नही दे पाती थी।

वही दूसरी ओर रानी और सानिया अपनी कॉलेज पूरी करके एस. एम. एस. कॉलेज ऑफ मेडिकल साइनस से डॉक्टरी के लिए एडमिशन के चुकी थी। और राज आज पूरे दो साल बाद एक बार फिर से अपनी नानी के गांव लौट आया। 

पिछले दो साल में राज को वो बक्शा खोलने का वक़्त तो मिल गया था लेकिन वो उसकी रहस्य नही समझ पाया।

राज नानी के घर पहुंच कर नानी को प्रणाम करता है। 2-3 दिन तक राज अपने गांव के दोस्तों से नही मिलता राज केवल बक्शे से निकले नक्शे को देखता रहता है। अचानक से राज को वो नक्शा समझ आ जाता है। क्यों की उसमे जो इंस्ट्रक्शन दिए हुए थे वो जगह राज की देखी हुई थी।

राज जब नक्शे को ध्यान से देखता है तो उस नक्शे पर बहुत ही हल्की जैसे कोई तेल जैसा पदार्थ गिराकर कोई चीज बनाई गई थी। राज बस उसी को समझने की कोशिश कर रहा था। 

राज के दिमाग में बार-बार दो सवाल उमड़ रहे थे।

पहला सवाल तो ये की ये अगर कोई संकेत है तो क्या है? ऐसा क्या है जिसे मैं छोड़ रहा हूँ या भूल रहा हूँ? शायद मैं जानता हूँ या शायद नहीं। कहीं ये इस नक्शे से मोदी कोई अहम बात बागी तो हो सकती है। ऊपर से इस नक्शे में इंस्ट्रक्शन दिए हुए है कोई खजाना है या नहीं इस का कोई भी संकेत नही है।

दूसरा सवाल ये है कि कहीं के गलती से गिरा कोई पदार्थ तो नहीं जिसे मैं बेवजह ही इतनी अहमियत दिए जा रहा हूँ। 

पिछले 3-4 दिन से राज रोज नक्शे को समझने के लिए दिमाग आगा रहा था। लेकिन हर बार बात उस तेल जैसे निशान पर आकर रुक जाती थी। दूरी परेशानी की बात ये भी थी कि जिस जगह पर नक्शे का अंतिम लक्ष्य था उस जगह पर हल्का हल्का काले रंग का धब्बा था।


[Image: 5cd48692b46e7.jpg] 

राज ने पिछले 2 साल में नक्शे पढ़ने के निशानों पर बहुत खोज की थी। जिस तरह के ये निशान थे वो सिर्फ तीन चीजो की और इशारा करते थे। 

1: कोई गहरी खाई हो।
2: कोई अंधेरी सुरंग हो।
3: खतरा

राज अपना दिमाग लगा कर देखता है। राज निर्णय बनाता है। वह पर गहरी खाई जैसी कोई चीज नही हो सकती। सुरंग..... नहीं बिल्कुक नहीं उस जमाने में क्या आज के टाइम में भी ऐसी परिस्थिति में सुरंग बनाना नामुमकिन है। खतरा..... हाँ! ये हो सकता है।

लेकिन खतरा? किस तरह का खतरा ? राज हर बार उस काल निशान और तेल के धब्बे पर आकर उलझ जाता था।

बहुत मशक्कत के बाद भी जब राज उस नक्शे को नही सुलझा पाया तो राज ने सोचा ये नक्शा किसी काम का नहीं है। शायद ये गलत नक्शा है इसके बारे में किसी भी किताब में कुछ भी नही है। शायद दादाजी से ये गलत बन गया होगा। इसीलिए इसे ज़मीन में गाड़ दिए। लेकिन दादाजी ने इसे गाड़ा क्यों? इस नक्शे को दादाजी जला भी तो सकते थे ।

राज उस नक्शे को देखते-देखेते अचानक से खुश हो जाता है। 

राज मन ही मन सोचता है:- जलाना... ओह हाँ! जलाना.. अगर मैं नक्शे को आग के पास लेकर जाऊं तो जो इस नक्शे में अस्पष्ट कृतियाँ है वो साफ नजर आ जायेगी। ये मैंने पहले क्यों नही सोचा।

राज जल्दी से बाहर आकर नानी जी से मोमबत्ती के लिए पूछता है। राज की नानी राज को बताती है कि यहां पर मोमबत्ती तो नही है। लेकिन का केरोसिन का लैंप और एक पुरानी चिमनी है। 




राज बिना नानी की पूरी बात सुन जल्दी से चिमनी लेकर कमरे में जाता है और दरवाजा बंद कर लेता है। राज चिमनी जला कर उस नक्शे को देखता है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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RE: द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} - by Rocksanna999 - 10-05-2019, 01:30 AM



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