22-12-2018, 09:22 PM
रीमा ने अपना सारा संकोच शर्म हया सब किनारे रख दी थी , उसका सिर्फ एक ही मकसद था प्रियम का लंड चूस कर उसे चरम सुख देना | उसने अपना शरीर और आत्मा सब कुछ बस अपने भतीजे प्रियम के लंड चूसने में झोक दिया था, दिल आत्मा मन शरीर सब कुछ लगाकर वो बस अपने भतीजे का पूरा का पूरा लंड अपने मुहँ की गहराई तक ले रही थी | अब तो बस उसका एक ही मकसद था भतीजे के सख्त फूले लंड को मुहँ से चोद चोद के उसको अपने मुहँ में झड्वाना | वो उसकी मलाईको अपने मुहँ में लेना चाहती थी और उसकी एक एक बूँद से उसे इतना प्यार था कि वो उसकी मलाई की एक बूँद भी बेकार नहीं जाने देना चाहती थी | उसे प्रियम की पूरी मलाई अपने मुहँ के अन्दर ही चाहिए, आखिर बूंद तक | उसने अपना पूरा ध्यान इस पर लगाया की जब प्रियम झाड़ेगा तो उसे भरपूर आनंद मिलना चाहिए | उसने गलगलाकर अपना गला ठीक करने की कोशिश की लेकिन प्रियम की चुदाई के चलते ठीक से साफ नहीं कर पाई | प्रियम के लंड पर उसके ओठो का कसाव अभी भी उतना ही तगड़ा था, उसके ओठो के कसाव को चीरते हुए प्रियम का लंड बार बार रीमा के मुहँ में गले तक आ जा रहा था | इतने सलीके से इतनी गहराई तक अपने जीवन में प्रियम शायद ही किसी लड़की का मुहँ चोद पाए, ये सुख उसको सिर्फ उसकी चाची ही दे सटी थी | वैसे भी नौसखिये लडको का शादीशुदा या अनुभवी औरतो को चोदना ज्यादा मजेदार होता है, क्योंकि वो सब सिखाती बताती है और उनके नखरे भी नहीं होते, और नए लंड को भरपूर सुख भी देती है |
रीमा काफी देर से बेड पर झुके हुए प्रियम का लंड चूस रही थी इसलिए उसकी गर्दन और कंधे दर्द करने लगे थे लेकिन उसको इसकी कोई परवाह ही नहीं थी | वो प्रियम के लंड को और ज्यादा कसकर पकड़कर आक्रामक और वाइल्ड तरीके से चूसने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे सालो से इस लंड की भूखी हो |
प्रियम आनद में गोते लगाते हुए- आह चाची बहुत मजा आ रहा है, क्या लंड चूसती हो आप | आह आह आह...और जोर से , और अन्दर तक लेकर चूसो आह आह अह्ह्ह्ह |
उधर वासना के जूनून में डूबी रीमा भी उत्तेजना में कुछ बडबडा रही थी लेकिन पता नहीं वो क्या बोल रही थी | प्रियम ने इसी बीच देखा की रीमा चाची की स्कर्ट अभी भी एक तरफ से कमर पर पलटी पड़ी है, जिससे उनकी पैंटी साफ साफ दिख रही है | उनकी झीनी पारदर्शी पैंटी से उनकी चूत के ऊपर के काले बालो की एक झलक मिल रही है | वासना से भरे भूखे आदमी की तरह रीमा के कसमसाते नितम्बो को देखकर प्रियम ने अपने लंड के धक्के रीमा के नरम गीले मुहँ में और तेज कर दिए | फिर खुद को न रोक पाते हुए उसने कापते हुए एक हाथ रीमा के नितम्ब की तरफ बढ़ाया |
रीमा के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी जब प्रियम ने उसके गोलाकार ठोस मांसल चुतड पर एक हलकी चपत मरी और फिर पुरे हाथ में उसके बड़े से मांसल ठोस गोल चुतड को भरने की असफल कोशिश करने लगा | उसके बाद उसने स्कर्ट को ऊपर की ओर और ज्यादा पलट दिया अब जांघो के बीच में उसकी पैंटी के अलावा कुछ नहीं था | रीमा ने फूले हुए लंड चूसते चूसते बीच में एक लम्बी साँस ली, और एक पल को ठहर सी गयी, जब उसे अहसाह हुआ की प्रियम की उंगलियाँ उसके चुतड की दरार के बीच नाच रही है | उसने खुद को पूरी तरह से परिस्थितियों पर छोड़ दिया, जो हो रहा था उसने होने दिया, जब प्रियम की उंगलियाँ उसकी जांघो के बीच जाकर नाचने लगी, तो उसके शरीर की वासना का जंगलीपन जाग उठा | रीमा ने लंड चूसने के रफ़्तार और बढ़ा दी | इस तरह का कामुक समर्पण और काम पीड़ा उसके अन्दर भी है उसे तो पता ही नहीं था | अब उसका सालो से चुदाई से दूर रहे मांसल गोरा शरीर का एक एक इंच चूमना चाटना सहलाना मसलना कुचलना रगड़ना मागने लगा | प्रियम के लंड चूसने के बदले उसके शरीर को अब कुछ चाहिए, प्रियम को झाड़ने के अलावा अब उसकी इक्षा होने लगी की उसको भी तृप्ति मिले वो भी चरम को प्राप्त करे | उसके शरीर का रोम रोम अब उसके खुद के झड़ने की मांग करने लगा | ओ नो ये क्या हो रहा है मुझे, ये नहीं होना चाहिए | उसने प्रियम के लंड को और ज्यादा आक्रामक तरीके से मुहँ में लेना शुरू कर दिया. इससे उसके मुहँ में चोट भी लग सकती थी लेकिन उसे परवाह ही नहीं थी |
उधर प्रियम की उंगलिया जांघो के अन्दर घुस कर उसकी पैंटी से नीचे की तरफ जांघो को सहला रही थी | वो कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी, कपड़ो के नाम पर एक छोटी सी झीनी सी पैंटी थी जो बड़ी मुश्किल से उसके चूतडो के आधे हिस्से को ढक पा रही थी थी इसके अलावा उसकी चिकनी गीली हो चुकी चूत को ढके हुए थे जिस पर के काले बाल इधर उधर से बाहर झांक रहे थे, इसके अलावा पैंटी के हल्की पारदर्शी होने के कारन उसकी चूत के बाल पैंटी के ऊपर से भी दिख रहे थे | लेकिन रीमा को सबसे ज्यादा डर प्रियम के उन हाथो का था जो उसकी जांघो के बीच की घाटी में जाकर उसको सहला रही थी, इससे रीमा का खुद पर से बचा खुचा नियंत्रण भी समाप्त हो रहा था | रीमा पूरी गति से प्रियम को लंड को चूस रही थी, उसका हाथ और ओठ लंड पर ऊपर नीचे तेजी से हो रहे थे, और उधर प्रियम की उंगलिया रीमा की पैंटी की इलास्टिक पार करके, चूत के घने काले जंगल में विचरण कर रही थी | जैसे जैसे वो रीमा की चूत के बाल सहला रह था वैसे वैसे चूत के ओठ उत्तेजना से कम्पित होने लगे |
उसके बाद एक तेज सिसकारी रीमा के मुहँ से निकली, प्रियम की एक उंगली ने चूत के गीले हो चुके ओठ पर से गुजरते हुए, ठोस खून से भरे लाल, उत्तेजना से फडकते, कली नुमा चूत के दाने को छु लिया | रीमा के नितम्ब अपने आप ही हिलने लगे, उसको गोरी चिकनी गुदाज जांघे कापने लगी |
रीमा ने महसूस किया की प्रियम का दूसरा हाथ धीरे धीरे पैंटी की इलास्टिक को पकड़कर नीचे खीच रहा है | उसने चूतडो पर आधी दूर तक पैंटी खिसका भी दी है |
जब प्रियम की मिडिल फिंगर रीमा के चूतडो की दारार को सहलाती हुई गांड के छेद पर से गुजरी तो प्रियम ने मिडिल फिंगर से गांड के छेद पर हल्का दबाव डाला और आगे सहलाते हुए चला गया | रीमा के शरीर में पहले से भी ज्यादा तेज सिहरन दौड़ गयी | रीमा ने अब पागलो की तरह प्रियम का लंड चूसना शुरू कर दिया | और उत्तेजना के मारे लंड पर दांत भी गड़ाने लगी, फिर और जोरदार तरीके से लंड को चूसने लगी | रीमा जिस तरह से प्रियम के लंड पर पूरी तरह झुककर तेजी से पागलो की तरह लंड को बेतहाशा मुहँ में पूरा का पूरा ले रही थी, इससे प्रियम की कराहने की आवाज और बढ़ गयी | कराहते हुए प्रियम ने एक बार फिर अपना ध्यान रीमा चाची के लगभग नंगे हो चुके चुतड और घने काले बालो से घिरी चूत की तरफ लगाया | उसकी मिडिल उंगली गांड के छेद से हटकर रीमा की चूत पर आ गयी और नीचे से ऊपर की तरफ चूत के ओठो को रगड़ने लगी | उगली रगड़ते रगड़ते चूत के फूले दाने के पास तक जाती और फिर नीचे आ जाती | कभी कभी दाने को भी छु लेती आयर तभी रीमा के पुरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती | इसके बाद प्रियम ने रीमा के चूत के ओठो अलग करते हुए, अपनी उंगली रीमा की गरम गीली मखमली गुलाबी चूत के अन्दर घुसा दी | प्रियम का पूरा शरीर चूत के स्पर्श से रोमांचित हो गया | इधर रीमा ने भी प्रियम का लंड चूसने में कोई कोर कसर बाकि नहीं रखी |
प्रियम – ओह ओह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चाची
प्रियम ने अपने अब तक के जीवन में ऐसा कुछ कभी अनुभव नहीं किया था | उसे पता था अब कभी भी रीमा चाची के लंड चूसते मुहँ के अन्दर उसके अन्दर उबल रहे गरम लावे की शूटिंग शुरू हो सकती है | उसके लंड पर रीमा चाची के जीभ और ओठो का गीला नरम स्पर्श उसके चरम आनंद की अनुभूति करा रहा था | उसे पता था अब उसका नियंत्रण कभी भी टूट सकता है वो कभी भी रीमा चाची के मुहँ में झड़ना शुरू कर सकता है | प्रियम की टांगे तनने लगी चुतड सिकुड़ने लगे, अब उसका खुद को काबू में रखना असंभव था, फिर भी रीमा चाची की चूत से खेलने के लालच में उसने खुद को थोड़ी देर और रोकने की नाकाम कोशिश करने लगा | जितना देर वो खुद को रोक लेगा उतनी ही ज्यादा देर वो रीमा चाची की चूत से खेल पायेगा | लेकिन रीमा अपनी पूरी स्पीड से प्रियम के लंड को चूस रही थी, इसलिए उसका अब ज्यादा देर तक रुक पाना असंभव था | इससे पहले किसी भी औरत ने उसके लंड को छुवा भी नहीं था इसलिए इतनी भयानक त्रीव उत्तेजना नाजुक से बच्चे के सँभालने भर की नहीं थी | प्रियम को अहसाह होने लगा था अब गरम सफ़ेद गाढ़ा लावा बस निकलने ही वाला है और दुनिया में कोई भी तरीका ऐसा नहीं जो इसे रोक सके | अब उसे झड़ना ही है, अगर चाची ने इसी स्पीड से चूसना जारी रखा तो मै इनके मुहँ में ही झड जाऊगा | रीमा ने महसूस किया की प्रियम का शरीर अकड़ने लगा है और वो भी बेतहाशा तरीके से चूस चूस के थक चुकी थी इसलिए जल्दी से फ्री होना चाहती थी, उसको भी अब जल्दी मची थी और उसे पता था अब प्रियम को झड़ने में बस कुछ ही सेकंड बचे है | उसने भी अपनी जांघे और कुल्हे जोर जोर से झटकने शुरू कर दिए, वो प्रियम की चूत में घुसी उंगली के इर्द गिर्द अपनी कमर और कुल्हे हिलाने लगी , ताकि उसकी गीली चिकनी मखमली चूत भी साथ में झड जाये |
प्रियम- ओह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मै झड़ने वाला हूँ चाची, मै तुमारे मुहँ में झड़ने वाला हूँ | ओ गॉड गॉड ओह्ह्ह | अब मै और नहीं रोक सकता
प्रियम का कुल्हा पहले ऊपर उठा फिर नीचे गिरा | रीमा समझ गयी ये क्या करना चाहता है | प्रियम को कोई अनुभव नहीं था इसलिये उसके साथ ये सब कभी हुआ नहीं | जैसा की प्रियम से रीमा बोली की वो उसका लंड चूसेगी तो उसने पुरे तन मन और आत्मा से वो किया, अब वो प्रियम का रस अपने मुहँ में ही गिराना चाहती है ताकि एक भी बूँद बेकार न जाये तो वो ये भी करेगी | प्रियम नौसखियो की तरह इधर उधर हिल रहा था, लेकिन रीमा ने कठोरता से उसका लंड थामे रखा और मुहँ में गले की गहराई तक ले जा कर पूरा अन्दर लेती रही | रीमा ने इससे पहले कभी किसी के लंड का रस अपने मुहँ में नहीं गिराया था लेकिन वो प्रियम का लंड रस मुहँ में लेने को लेकर उसने फैसला कर लिया था और वो ये करके रहेगी| वो चाहती थी प्रियम सिर्फ और सिर्फ उसके मुंह में झड़े |
काम उत्तेजना के चरम पर बैथे प्रियम ने बेदर्दी से अपना लंड रीमा के मुहँ में पेल दिया, उसका लार से सना, खून से भरा फूला लंड रीमा के ओठो को चीरता हुआ रीमा के मुहँ में घुसता चला गया और जब तक रीमा के ओठ लंड की जड़ तक नहीं पंहुच गए, लंड सरसराता हुआ मुहँ में जाता रहा | प्रियम ने एक लम्बी कराह ली, उसने अपने लंड को पूरी तरह रीमा के हवाले कर दिया और खुद की उंगली और ज्यादा तेजी से रीमा की चूत में अन्दर बाहर करने लगा | उसे अपनी गोलियों में फट रहे ज्वालामुखी की आग साफ़ महसूस होने लगी | लग रहा था गरम धधकते लावे की एक तेज लहर उसके गोलियों को छोड़कर आगे की तरफ निकल पड़ी थी |
तभी रीमा ने अपने गीले मुहँ में प्रियम के सफ़ेद गाढे लंड रस की गरम ताजा बूँद महसूस की, जिसे वो तुरंत ही गटक गयी, ताकि इस बार दम घुटने की कोई गुंजाईश न रहे और लंड अपनी गहराई तक जाका पूरा समाये और झड़ता रहे |
जिस तरह प्रियम इस समय झड रहा था बिलकुल इसी तरह की संवेदना और करंट वो भी अपने कमर के आसपास महसूस कर रही थी जहाँ प्रियम तेजी से अपनी उंगली रीमा की चिकनी गीली चूत में अन्दर बाहर कर रहा था | रीमा की चूत में भी झड़ना शुरू होने का कम्पन महसूस होने लगा था, एक गुदगुदी भरी कंपकपी से उसकी चूत की दीवारे झनझनाने लगी थी | उसका पूरा शरीर अकड़ा पड़ा था |वह भी प्रियम के लंड पर क्रूर से क्रूरतम होती जा रही थी जिसके कारन प्रियम के नितम्ब तेजी से हिल रहे थे कांप रहे थे| रीमा के ओठो की सख्ती चरम पर थी और लंड रस के मुहँ मे झड़ने से, लंड को उसकी जड़ तक मुहँ में निगलने से रीमा के मुहँ से बस गलगल्लाने की आवाज ही आ रही थी |
प्रियम के लंड से निकलती हर बूँद को रीमा अपने मुहँ में लेकर निगलती जा रही थी, प्रियम अब तक 6-7 बार शूट कर चूका था और रीमा झट से लंड रस को निगलकर उसके लंड को अपने सख्त ओठो जकडे हुए, उस पर अपनी जीभ तेजी से फिर रही थी | प्रियम के परम आनंद की सीमा नहीं थी, झड़ते लंड पर गीले मुहँ में जब लगातार गीली खुर्खुरी जीभ आपके लंड को अपने आगोश में लेकर सहलाये तो भला कौन नहीं काम आनंद से पागल हो जायेगा | प्रियम ने चार पांच बार और अपने कुल्हो को तेज झटका दिया और पहले की तरह की पूरा लंड रीमा के मुहँ में, इसी के साथ उसके लंड रस की बची आखिरी चार पांच किस्ते भी रीमा के मुहँ में जा गिरी | रीमा का पूरा मुहँ प्रियम के लंड रस से भर गया |
pप्रियम ने भी रीमा की चूत में अपनी पूरी उंगली घुसा दी और ठहर गया | रीमा का कुल्हा जोर से कांपा, रीमा के मुहँ से लम्बी सिसकारी भरी आह निकली और कुछ देर तक रीमा का पूरे शरीर में कंपकपी होती रही, प्रियम रीमा का कम्पन महसूस कर सकता था और रीमा का अकड़ा शरीर निढाल होने लगा | प्रियम भी हांफते हुए प्रियम बिस्तर पर निढाल हो गया, रीमा सारा लंड रस गटक गयी और फिर से प्रियम का लंड चूसने लगी | अब वो धीरे धीरे लंड चूस रही थी |
कुछ देर बाद रीमा ने प्रियम का लंड चूसना छोड़ दिया और अपनी आंखे बंद कर ली और प्रियम के नाभि पर अपना सर टिका दिया, उसकी सांसे भी उखड़ रही थी | रीमा और प्रियम दोनों की ही आनंद की चरम सीमा पर पंहुचने से आंखे बंद थी |
दोनों कुछ देर अपनी सांसे काबू में आने का इन्तजार करते रहे, थोड़ी देर बाद रीमा ने धीरे से आंखे खोली, कामवासना के कारन गायब हो गयी उसकी मन की चेतना लौटने लगी, चुसाई के इस लम्बे थकावट भरे सेशन ने रीमा को पूरी तरह थका डाला था, हशीश के असर के कारन आई उत्तेजना अब गायब से होने लगी थी और शरीर अपने मूल रूप में वापस आ रहा था और इसी के साथ उसकी विचार करने की शक्ति भी लौट रही थी |
प्रियम अपने सिकुड़ते लंड की तरफ देखता हुआ, जिसमे से लंड रस वीर्य की एक आध बूँद अभी भी निकल रही-चाची मुझे बहुत मजा आया, बहुत मजा आया, मै बहुत अच्छा फील कर रहा हूँ, आप बहुत अच्छी हो दुनिया में सबसे अच्छी चाची हो | प्रियम ने तारीफों की झड़ी लगा दी |
रीमा काफी देर से बेड पर झुके हुए प्रियम का लंड चूस रही थी इसलिए उसकी गर्दन और कंधे दर्द करने लगे थे लेकिन उसको इसकी कोई परवाह ही नहीं थी | वो प्रियम के लंड को और ज्यादा कसकर पकड़कर आक्रामक और वाइल्ड तरीके से चूसने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे सालो से इस लंड की भूखी हो |
प्रियम आनद में गोते लगाते हुए- आह चाची बहुत मजा आ रहा है, क्या लंड चूसती हो आप | आह आह आह...और जोर से , और अन्दर तक लेकर चूसो आह आह अह्ह्ह्ह |
उधर वासना के जूनून में डूबी रीमा भी उत्तेजना में कुछ बडबडा रही थी लेकिन पता नहीं वो क्या बोल रही थी | प्रियम ने इसी बीच देखा की रीमा चाची की स्कर्ट अभी भी एक तरफ से कमर पर पलटी पड़ी है, जिससे उनकी पैंटी साफ साफ दिख रही है | उनकी झीनी पारदर्शी पैंटी से उनकी चूत के ऊपर के काले बालो की एक झलक मिल रही है | वासना से भरे भूखे आदमी की तरह रीमा के कसमसाते नितम्बो को देखकर प्रियम ने अपने लंड के धक्के रीमा के नरम गीले मुहँ में और तेज कर दिए | फिर खुद को न रोक पाते हुए उसने कापते हुए एक हाथ रीमा के नितम्ब की तरफ बढ़ाया |
रीमा के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी जब प्रियम ने उसके गोलाकार ठोस मांसल चुतड पर एक हलकी चपत मरी और फिर पुरे हाथ में उसके बड़े से मांसल ठोस गोल चुतड को भरने की असफल कोशिश करने लगा | उसके बाद उसने स्कर्ट को ऊपर की ओर और ज्यादा पलट दिया अब जांघो के बीच में उसकी पैंटी के अलावा कुछ नहीं था | रीमा ने फूले हुए लंड चूसते चूसते बीच में एक लम्बी साँस ली, और एक पल को ठहर सी गयी, जब उसे अहसाह हुआ की प्रियम की उंगलियाँ उसके चुतड की दरार के बीच नाच रही है | उसने खुद को पूरी तरह से परिस्थितियों पर छोड़ दिया, जो हो रहा था उसने होने दिया, जब प्रियम की उंगलियाँ उसकी जांघो के बीच जाकर नाचने लगी, तो उसके शरीर की वासना का जंगलीपन जाग उठा | रीमा ने लंड चूसने के रफ़्तार और बढ़ा दी | इस तरह का कामुक समर्पण और काम पीड़ा उसके अन्दर भी है उसे तो पता ही नहीं था | अब उसका सालो से चुदाई से दूर रहे मांसल गोरा शरीर का एक एक इंच चूमना चाटना सहलाना मसलना कुचलना रगड़ना मागने लगा | प्रियम के लंड चूसने के बदले उसके शरीर को अब कुछ चाहिए, प्रियम को झाड़ने के अलावा अब उसकी इक्षा होने लगी की उसको भी तृप्ति मिले वो भी चरम को प्राप्त करे | उसके शरीर का रोम रोम अब उसके खुद के झड़ने की मांग करने लगा | ओ नो ये क्या हो रहा है मुझे, ये नहीं होना चाहिए | उसने प्रियम के लंड को और ज्यादा आक्रामक तरीके से मुहँ में लेना शुरू कर दिया. इससे उसके मुहँ में चोट भी लग सकती थी लेकिन उसे परवाह ही नहीं थी |
उधर प्रियम की उंगलिया जांघो के अन्दर घुस कर उसकी पैंटी से नीचे की तरफ जांघो को सहला रही थी | वो कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी, कपड़ो के नाम पर एक छोटी सी झीनी सी पैंटी थी जो बड़ी मुश्किल से उसके चूतडो के आधे हिस्से को ढक पा रही थी थी इसके अलावा उसकी चिकनी गीली हो चुकी चूत को ढके हुए थे जिस पर के काले बाल इधर उधर से बाहर झांक रहे थे, इसके अलावा पैंटी के हल्की पारदर्शी होने के कारन उसकी चूत के बाल पैंटी के ऊपर से भी दिख रहे थे | लेकिन रीमा को सबसे ज्यादा डर प्रियम के उन हाथो का था जो उसकी जांघो के बीच की घाटी में जाकर उसको सहला रही थी, इससे रीमा का खुद पर से बचा खुचा नियंत्रण भी समाप्त हो रहा था | रीमा पूरी गति से प्रियम को लंड को चूस रही थी, उसका हाथ और ओठ लंड पर ऊपर नीचे तेजी से हो रहे थे, और उधर प्रियम की उंगलिया रीमा की पैंटी की इलास्टिक पार करके, चूत के घने काले जंगल में विचरण कर रही थी | जैसे जैसे वो रीमा की चूत के बाल सहला रह था वैसे वैसे चूत के ओठ उत्तेजना से कम्पित होने लगे |
उसके बाद एक तेज सिसकारी रीमा के मुहँ से निकली, प्रियम की एक उंगली ने चूत के गीले हो चुके ओठ पर से गुजरते हुए, ठोस खून से भरे लाल, उत्तेजना से फडकते, कली नुमा चूत के दाने को छु लिया | रीमा के नितम्ब अपने आप ही हिलने लगे, उसको गोरी चिकनी गुदाज जांघे कापने लगी |
रीमा ने महसूस किया की प्रियम का दूसरा हाथ धीरे धीरे पैंटी की इलास्टिक को पकड़कर नीचे खीच रहा है | उसने चूतडो पर आधी दूर तक पैंटी खिसका भी दी है |
जब प्रियम की मिडिल फिंगर रीमा के चूतडो की दारार को सहलाती हुई गांड के छेद पर से गुजरी तो प्रियम ने मिडिल फिंगर से गांड के छेद पर हल्का दबाव डाला और आगे सहलाते हुए चला गया | रीमा के शरीर में पहले से भी ज्यादा तेज सिहरन दौड़ गयी | रीमा ने अब पागलो की तरह प्रियम का लंड चूसना शुरू कर दिया | और उत्तेजना के मारे लंड पर दांत भी गड़ाने लगी, फिर और जोरदार तरीके से लंड को चूसने लगी | रीमा जिस तरह से प्रियम के लंड पर पूरी तरह झुककर तेजी से पागलो की तरह लंड को बेतहाशा मुहँ में पूरा का पूरा ले रही थी, इससे प्रियम की कराहने की आवाज और बढ़ गयी | कराहते हुए प्रियम ने एक बार फिर अपना ध्यान रीमा चाची के लगभग नंगे हो चुके चुतड और घने काले बालो से घिरी चूत की तरफ लगाया | उसकी मिडिल उंगली गांड के छेद से हटकर रीमा की चूत पर आ गयी और नीचे से ऊपर की तरफ चूत के ओठो को रगड़ने लगी | उगली रगड़ते रगड़ते चूत के फूले दाने के पास तक जाती और फिर नीचे आ जाती | कभी कभी दाने को भी छु लेती आयर तभी रीमा के पुरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती | इसके बाद प्रियम ने रीमा के चूत के ओठो अलग करते हुए, अपनी उंगली रीमा की गरम गीली मखमली गुलाबी चूत के अन्दर घुसा दी | प्रियम का पूरा शरीर चूत के स्पर्श से रोमांचित हो गया | इधर रीमा ने भी प्रियम का लंड चूसने में कोई कोर कसर बाकि नहीं रखी |
प्रियम – ओह ओह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह चाची
प्रियम ने अपने अब तक के जीवन में ऐसा कुछ कभी अनुभव नहीं किया था | उसे पता था अब कभी भी रीमा चाची के लंड चूसते मुहँ के अन्दर उसके अन्दर उबल रहे गरम लावे की शूटिंग शुरू हो सकती है | उसके लंड पर रीमा चाची के जीभ और ओठो का गीला नरम स्पर्श उसके चरम आनंद की अनुभूति करा रहा था | उसे पता था अब उसका नियंत्रण कभी भी टूट सकता है वो कभी भी रीमा चाची के मुहँ में झड़ना शुरू कर सकता है | प्रियम की टांगे तनने लगी चुतड सिकुड़ने लगे, अब उसका खुद को काबू में रखना असंभव था, फिर भी रीमा चाची की चूत से खेलने के लालच में उसने खुद को थोड़ी देर और रोकने की नाकाम कोशिश करने लगा | जितना देर वो खुद को रोक लेगा उतनी ही ज्यादा देर वो रीमा चाची की चूत से खेल पायेगा | लेकिन रीमा अपनी पूरी स्पीड से प्रियम के लंड को चूस रही थी, इसलिए उसका अब ज्यादा देर तक रुक पाना असंभव था | इससे पहले किसी भी औरत ने उसके लंड को छुवा भी नहीं था इसलिए इतनी भयानक त्रीव उत्तेजना नाजुक से बच्चे के सँभालने भर की नहीं थी | प्रियम को अहसाह होने लगा था अब गरम सफ़ेद गाढ़ा लावा बस निकलने ही वाला है और दुनिया में कोई भी तरीका ऐसा नहीं जो इसे रोक सके | अब उसे झड़ना ही है, अगर चाची ने इसी स्पीड से चूसना जारी रखा तो मै इनके मुहँ में ही झड जाऊगा | रीमा ने महसूस किया की प्रियम का शरीर अकड़ने लगा है और वो भी बेतहाशा तरीके से चूस चूस के थक चुकी थी इसलिए जल्दी से फ्री होना चाहती थी, उसको भी अब जल्दी मची थी और उसे पता था अब प्रियम को झड़ने में बस कुछ ही सेकंड बचे है | उसने भी अपनी जांघे और कुल्हे जोर जोर से झटकने शुरू कर दिए, वो प्रियम की चूत में घुसी उंगली के इर्द गिर्द अपनी कमर और कुल्हे हिलाने लगी , ताकि उसकी गीली चिकनी मखमली चूत भी साथ में झड जाये |
प्रियम- ओह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मै झड़ने वाला हूँ चाची, मै तुमारे मुहँ में झड़ने वाला हूँ | ओ गॉड गॉड ओह्ह्ह | अब मै और नहीं रोक सकता
प्रियम का कुल्हा पहले ऊपर उठा फिर नीचे गिरा | रीमा समझ गयी ये क्या करना चाहता है | प्रियम को कोई अनुभव नहीं था इसलिये उसके साथ ये सब कभी हुआ नहीं | जैसा की प्रियम से रीमा बोली की वो उसका लंड चूसेगी तो उसने पुरे तन मन और आत्मा से वो किया, अब वो प्रियम का रस अपने मुहँ में ही गिराना चाहती है ताकि एक भी बूँद बेकार न जाये तो वो ये भी करेगी | प्रियम नौसखियो की तरह इधर उधर हिल रहा था, लेकिन रीमा ने कठोरता से उसका लंड थामे रखा और मुहँ में गले की गहराई तक ले जा कर पूरा अन्दर लेती रही | रीमा ने इससे पहले कभी किसी के लंड का रस अपने मुहँ में नहीं गिराया था लेकिन वो प्रियम का लंड रस मुहँ में लेने को लेकर उसने फैसला कर लिया था और वो ये करके रहेगी| वो चाहती थी प्रियम सिर्फ और सिर्फ उसके मुंह में झड़े |
काम उत्तेजना के चरम पर बैथे प्रियम ने बेदर्दी से अपना लंड रीमा के मुहँ में पेल दिया, उसका लार से सना, खून से भरा फूला लंड रीमा के ओठो को चीरता हुआ रीमा के मुहँ में घुसता चला गया और जब तक रीमा के ओठ लंड की जड़ तक नहीं पंहुच गए, लंड सरसराता हुआ मुहँ में जाता रहा | प्रियम ने एक लम्बी कराह ली, उसने अपने लंड को पूरी तरह रीमा के हवाले कर दिया और खुद की उंगली और ज्यादा तेजी से रीमा की चूत में अन्दर बाहर करने लगा | उसे अपनी गोलियों में फट रहे ज्वालामुखी की आग साफ़ महसूस होने लगी | लग रहा था गरम धधकते लावे की एक तेज लहर उसके गोलियों को छोड़कर आगे की तरफ निकल पड़ी थी |
तभी रीमा ने अपने गीले मुहँ में प्रियम के सफ़ेद गाढे लंड रस की गरम ताजा बूँद महसूस की, जिसे वो तुरंत ही गटक गयी, ताकि इस बार दम घुटने की कोई गुंजाईश न रहे और लंड अपनी गहराई तक जाका पूरा समाये और झड़ता रहे |
जिस तरह प्रियम इस समय झड रहा था बिलकुल इसी तरह की संवेदना और करंट वो भी अपने कमर के आसपास महसूस कर रही थी जहाँ प्रियम तेजी से अपनी उंगली रीमा की चिकनी गीली चूत में अन्दर बाहर कर रहा था | रीमा की चूत में भी झड़ना शुरू होने का कम्पन महसूस होने लगा था, एक गुदगुदी भरी कंपकपी से उसकी चूत की दीवारे झनझनाने लगी थी | उसका पूरा शरीर अकड़ा पड़ा था |वह भी प्रियम के लंड पर क्रूर से क्रूरतम होती जा रही थी जिसके कारन प्रियम के नितम्ब तेजी से हिल रहे थे कांप रहे थे| रीमा के ओठो की सख्ती चरम पर थी और लंड रस के मुहँ मे झड़ने से, लंड को उसकी जड़ तक मुहँ में निगलने से रीमा के मुहँ से बस गलगल्लाने की आवाज ही आ रही थी |
प्रियम के लंड से निकलती हर बूँद को रीमा अपने मुहँ में लेकर निगलती जा रही थी, प्रियम अब तक 6-7 बार शूट कर चूका था और रीमा झट से लंड रस को निगलकर उसके लंड को अपने सख्त ओठो जकडे हुए, उस पर अपनी जीभ तेजी से फिर रही थी | प्रियम के परम आनंद की सीमा नहीं थी, झड़ते लंड पर गीले मुहँ में जब लगातार गीली खुर्खुरी जीभ आपके लंड को अपने आगोश में लेकर सहलाये तो भला कौन नहीं काम आनंद से पागल हो जायेगा | प्रियम ने चार पांच बार और अपने कुल्हो को तेज झटका दिया और पहले की तरह की पूरा लंड रीमा के मुहँ में, इसी के साथ उसके लंड रस की बची आखिरी चार पांच किस्ते भी रीमा के मुहँ में जा गिरी | रीमा का पूरा मुहँ प्रियम के लंड रस से भर गया |
pप्रियम ने भी रीमा की चूत में अपनी पूरी उंगली घुसा दी और ठहर गया | रीमा का कुल्हा जोर से कांपा, रीमा के मुहँ से लम्बी सिसकारी भरी आह निकली और कुछ देर तक रीमा का पूरे शरीर में कंपकपी होती रही, प्रियम रीमा का कम्पन महसूस कर सकता था और रीमा का अकड़ा शरीर निढाल होने लगा | प्रियम भी हांफते हुए प्रियम बिस्तर पर निढाल हो गया, रीमा सारा लंड रस गटक गयी और फिर से प्रियम का लंड चूसने लगी | अब वो धीरे धीरे लंड चूस रही थी |
कुछ देर बाद रीमा ने प्रियम का लंड चूसना छोड़ दिया और अपनी आंखे बंद कर ली और प्रियम के नाभि पर अपना सर टिका दिया, उसकी सांसे भी उखड़ रही थी | रीमा और प्रियम दोनों की ही आनंद की चरम सीमा पर पंहुचने से आंखे बंद थी |
दोनों कुछ देर अपनी सांसे काबू में आने का इन्तजार करते रहे, थोड़ी देर बाद रीमा ने धीरे से आंखे खोली, कामवासना के कारन गायब हो गयी उसकी मन की चेतना लौटने लगी, चुसाई के इस लम्बे थकावट भरे सेशन ने रीमा को पूरी तरह थका डाला था, हशीश के असर के कारन आई उत्तेजना अब गायब से होने लगी थी और शरीर अपने मूल रूप में वापस आ रहा था और इसी के साथ उसकी विचार करने की शक्ति भी लौट रही थी |
प्रियम अपने सिकुड़ते लंड की तरफ देखता हुआ, जिसमे से लंड रस वीर्य की एक आध बूँद अभी भी निकल रही-चाची मुझे बहुत मजा आया, बहुत मजा आया, मै बहुत अच्छा फील कर रहा हूँ, आप बहुत अच्छी हो दुनिया में सबसे अच्छी चाची हो | प्रियम ने तारीफों की झड़ी लगा दी |