22-12-2018, 08:11 PM
रीमा के जीवन में ये पहला मौका था जब वो किसी का लंड चूसने जा रही थी | यहाँ तक की उसने अपने पति का भी लंड कभी मुहँ से नहीं लगाया था | एक दो बार सुपाडा चाटने के बाद रीमा ने थोड़े और ओठ चौड़े किये और मुहँ खोला | धीरे से प्रियम के लंड के सुपाडे के चारो ओर ओठो का घेरा बना लिया | लार से सनी लसलसी जीभ अब सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी |
प्रियम की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ रही थी, उसके नितम्ब बढ़ती उत्तेजना के कारन ऐठ रहे थे | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया | जैसे ने रीमा ने लार से भरा मुहँ से प्रियम की कमर के झटके से हिलते लंड के सुपाडे को पहली बार चूसा, प्रियम के मुहँ से हल्की सी मादक आह निकल गयी | लेकिन अभी भी रीमा ने लंड को ओठो से दूर रखा हुआ था |
रीमा की लार से सनी गुनगुनी जीभ प्रियम के फूले हुए टमाटर की तरह लाल हो चुके सुपाडे के चारो तरफ नाच रही थी बीच बीच में मुहँ खोलकर रीमा अपनी लम्बी जीभ लंड पर फिराती हुई नीचे की तरह ले जाती और फिर शरारतपूर्ण तरीके से वापस मुहँ में ले आती |
रीमा प्रियम के लंड के सुपाडे पर जीभ फिर रही थी | सुपाडे को जीभ से चाट रही थी जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |
उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लिया | ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगी ,प्रियम कामुक लम्बी कराहे भर रहा था |
कुछ देर बाद अचानक प्रियम का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं थी | उसे प्रियम का पूरा लंड गटकना पड़ा | प्रियम का लंड उसके ओठो को चीरता हुआ, खुरधुरी जीभ पर से गुजरता हुआ रीमा के गले तक पंहुच गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी |
रीमा के अन्दर विरोध और आनन्द दोनों के भाव थे, वो प्रियम को रोकना चाहती थी लेकिन इस काम पीड़ा में उसे मजा आ रहा था | प्रियम की ये आक्रामकता रीमा को अच्छी लग रही थी असल में उसे गर्व हो रहा था की बच्चा इतनी जल्दी मुहँ में चोदना सीख गया | रीमा ने मुहँ से ही लम्बी साँस ली और प्रियम के लंड की जड़ के चारो ओर सख्ती से अपने ओठ कसे दिए और रीमा चाची उसका पूरा लंड गयी, इस बात का अहसास होते ही प्रियम की मादक कराहे पूरे कमरे में गूजने लगी, उसकी हिलती कमर के साथ उसका पूरा शरीर कम्पन करने लगा |
रीमा जोर जोर से चीख कर कहना चाहती थी- हाँ बेटा इसी तरह से धक्के मार मार कर उसके मुहँ को चोद डालो, कसकर चोदो, और दम लगाकर चोदो, और चोदते रहो | लेकिन कह नहीं पाई, प्रियम की कमर जोर से धक्का मार के लंड को रीमा के मुहँ में ठेल रही था, लेकिन प्रियम का खुद पर नियंत्रण नहीं था, उसका शरीर उत्तेजना के आवेश में कांप रहा था इसलिए उसके झटको में स्थिरता की कमी थी और ये ज्यादा देर तक करना खतरनाक था | इससे रीमा के मुहँ में प्रियम का फूला हुआ कठोर लंड इधर उधर टकरा सकता था या रीमा के दांत प्रियम के लंड पर लग सकते थे ये रीमा भली भांति जानती थी | इसी बीच उसे प्रियम से कुछ मस्ती करने की सूझी |
रीमा ने अपना हाथ प्रियम के हाथ पर रखा और उसे रुकने को कहा | प्रियम फिर भी नहीं रुका और इसलिए रीमा ने झटके से से खुद को अलग किया, एक लम्बी साँस ली, जैसे किसी का कुछ देर तक गला दबाये रखो फिर छोड़ दो | रीमा की हालत भी कुछ ऐसी हो गयी थी | उसने दो तीन सांसे जोर जोर से ली फिर प्रियम पर चीखी-जब मै चूस रही हूँ तो मुझे अपने तरीके से चूसने दो समझे | तुम तो मेरा गला घोट कर मेरी जान लेने पर उतार आये हो |
प्रियम को कुछ समझ ही नहीं आया, कहाँ वो आनंद के सागर में गोते लगा रहा था और कहाँ रीमा का गुस्सा देख प्रियम ने रीमा के सर से तुरंत हाथ हटा लिया |
रीमा प्यार से -बेटा चुदाई चुसाई प्यार से करने की चीजे होती है इनमे जल्दबाजी ठीक नहीं | मुझे करने दो न | मै कर तो रही हूँ, क्या तुम्हे मजा नहीं आ रहा | अगर आ रहा है तो क्यों जल्दबाजी कर रहे हूँ | अगर तुम्हे मुहँ में चोदना है तो बता दो मै उसका तरीका बताती हूँ | पूरा का पूरा लंड मुहँ में पेलना चाहते हो तो मै तरीका बताती हूँ, मुझे कहो तो एक बार |
इतना कहकर रीमा ने लंड पकड़कर मुहँ में ले लिया और कसे ओठो के साथ पूरा अन्दर लेती चली गयी |
पहले जहाँ सिर्फ सुपाडे से खेल रही थी अब पूरा लंड मुहँ में लेकर चोद रही थी | रीमा ने प्रियम से इशारे में अपनी कमर हिलाने को कहा, प्रियम कमर को जोर जोर के झटके देने लगा| रीमा के कसे ओठो से गुजरता हुआ लंड पूरा का पूरा मुहँ में समा जाता और फिर एक झटके में बाहर आ जाता | लेकिन अब रीमा के मुहँ और प्रियम के लंड के बीच में उसका हाथ था जिससे वो ज्यादा तेज धक्के को नियंत्रित कर सकती थी | उसने अपने हाथ की उंगली और अंगूठे से एक छल्ला सा लंड की जड़ में बना लिया था | इससे वह लंड के इधर उधर भागने या तिरछा हो जाने को रोक सकती थी | जब प्रियम नितम्बो को जोर जोर से उछालने लगा तो रीमा ने अपने ओठो का कसाव थोडा कम कर दिया, और लंड की जड़ से अपने हाथ का घेराव हटा लिया ताकि प्रियम का लंड आसानी से पूरा का पूरा मुहँ में चला जाये और बच्चे को मुहँ चोदने का भरपूर आनंद मिले | दुनिया का कोई भी लंड हो वो औरत के किसी भी छेद में पूरा का पूरा समा जाने को आतुर होता है और ये बात रीमा अच्छी तरह से जानती थी | बार बार रीमा को अहसाह हो रहा था की खून के भरा, फड़कता गरम लंड उसके नरम नरम गुनगुने गीले मुहँ में ठेला जा रहा है | प्रियम के कमर को जोर जोर हिलाने से पूरी तरह से खून से लबालब भरा फड़कता सुपाडा जीभ की पूरी लम्बाई तय करके मुहँ के आखिरी छोर गले तक जा रहा है |
वासना की उत्तेजना कीप्रबलता के कारन रीमा ने अपनी आँखे बंद कर ली, वो भी प्रियम की कमर से लयमिलाकर अपना सर लंड पर ऊपर नीचे करने लगी | अब लंड जिस अधिकतम गहराई तक मुहँ में जा सकता था जा रहा था | लंड के अन्दर जाते ही रीमा अपने जीभ लंड पर फेरने लगती | इससे लंड गीला हो जाता था और आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था | कमरे में बस लंड चूसने और प्रियम के कराहने की आवाजे ही सुनाई पड़ रही थी |
प्रियम की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ रही थी, उसके नितम्ब बढ़ती उत्तेजना के कारन ऐठ रहे थे | रीमा अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा सा और मुहँ के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, खून से भरा लाल सुपाडा रीमा के गीले और गरम मुहँ में समा गया | जैसे ने रीमा ने लार से भरा मुहँ से प्रियम की कमर के झटके से हिलते लंड के सुपाडे को पहली बार चूसा, प्रियम के मुहँ से हल्की सी मादक आह निकल गयी | लेकिन अभी भी रीमा ने लंड को ओठो से दूर रखा हुआ था |
रीमा की लार से सनी गुनगुनी जीभ प्रियम के फूले हुए टमाटर की तरह लाल हो चुके सुपाडे के चारो तरफ नाच रही थी बीच बीच में मुहँ खोलकर रीमा अपनी लम्बी जीभ लंड पर फिराती हुई नीचे की तरह ले जाती और फिर शरारतपूर्ण तरीके से वापस मुहँ में ले आती |
रीमा प्रियम के लंड के सुपाडे पर जीभ फिर रही थी | सुपाडे को जीभ से चाट रही थी जैसे कोई लोलीपोप चूसता है |
उसके बाद रीमा ने उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लिया | ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगी ,प्रियम कामुक लम्बी कराहे भर रहा था |
कुछ देर बाद अचानक प्रियम का हाथ रीमा के सर तक पंहुच गया, उसने रीमा के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा | रीमा इस तरह के हमले के लिए तैयार नहीं थी | उसे प्रियम का पूरा लंड गटकना पड़ा | प्रियम का लंड उसके ओठो को चीरता हुआ, खुरधुरी जीभ पर से गुजरता हुआ रीमा के गले तक पंहुच गया | रीमा को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था | उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी |
रीमा के अन्दर विरोध और आनन्द दोनों के भाव थे, वो प्रियम को रोकना चाहती थी लेकिन इस काम पीड़ा में उसे मजा आ रहा था | प्रियम की ये आक्रामकता रीमा को अच्छी लग रही थी असल में उसे गर्व हो रहा था की बच्चा इतनी जल्दी मुहँ में चोदना सीख गया | रीमा ने मुहँ से ही लम्बी साँस ली और प्रियम के लंड की जड़ के चारो ओर सख्ती से अपने ओठ कसे दिए और रीमा चाची उसका पूरा लंड गयी, इस बात का अहसास होते ही प्रियम की मादक कराहे पूरे कमरे में गूजने लगी, उसकी हिलती कमर के साथ उसका पूरा शरीर कम्पन करने लगा |
रीमा जोर जोर से चीख कर कहना चाहती थी- हाँ बेटा इसी तरह से धक्के मार मार कर उसके मुहँ को चोद डालो, कसकर चोदो, और दम लगाकर चोदो, और चोदते रहो | लेकिन कह नहीं पाई, प्रियम की कमर जोर से धक्का मार के लंड को रीमा के मुहँ में ठेल रही था, लेकिन प्रियम का खुद पर नियंत्रण नहीं था, उसका शरीर उत्तेजना के आवेश में कांप रहा था इसलिए उसके झटको में स्थिरता की कमी थी और ये ज्यादा देर तक करना खतरनाक था | इससे रीमा के मुहँ में प्रियम का फूला हुआ कठोर लंड इधर उधर टकरा सकता था या रीमा के दांत प्रियम के लंड पर लग सकते थे ये रीमा भली भांति जानती थी | इसी बीच उसे प्रियम से कुछ मस्ती करने की सूझी |
रीमा ने अपना हाथ प्रियम के हाथ पर रखा और उसे रुकने को कहा | प्रियम फिर भी नहीं रुका और इसलिए रीमा ने झटके से से खुद को अलग किया, एक लम्बी साँस ली, जैसे किसी का कुछ देर तक गला दबाये रखो फिर छोड़ दो | रीमा की हालत भी कुछ ऐसी हो गयी थी | उसने दो तीन सांसे जोर जोर से ली फिर प्रियम पर चीखी-जब मै चूस रही हूँ तो मुझे अपने तरीके से चूसने दो समझे | तुम तो मेरा गला घोट कर मेरी जान लेने पर उतार आये हो |
प्रियम को कुछ समझ ही नहीं आया, कहाँ वो आनंद के सागर में गोते लगा रहा था और कहाँ रीमा का गुस्सा देख प्रियम ने रीमा के सर से तुरंत हाथ हटा लिया |
रीमा प्यार से -बेटा चुदाई चुसाई प्यार से करने की चीजे होती है इनमे जल्दबाजी ठीक नहीं | मुझे करने दो न | मै कर तो रही हूँ, क्या तुम्हे मजा नहीं आ रहा | अगर आ रहा है तो क्यों जल्दबाजी कर रहे हूँ | अगर तुम्हे मुहँ में चोदना है तो बता दो मै उसका तरीका बताती हूँ | पूरा का पूरा लंड मुहँ में पेलना चाहते हो तो मै तरीका बताती हूँ, मुझे कहो तो एक बार |
इतना कहकर रीमा ने लंड पकड़कर मुहँ में ले लिया और कसे ओठो के साथ पूरा अन्दर लेती चली गयी |
पहले जहाँ सिर्फ सुपाडे से खेल रही थी अब पूरा लंड मुहँ में लेकर चोद रही थी | रीमा ने प्रियम से इशारे में अपनी कमर हिलाने को कहा, प्रियम कमर को जोर जोर के झटके देने लगा| रीमा के कसे ओठो से गुजरता हुआ लंड पूरा का पूरा मुहँ में समा जाता और फिर एक झटके में बाहर आ जाता | लेकिन अब रीमा के मुहँ और प्रियम के लंड के बीच में उसका हाथ था जिससे वो ज्यादा तेज धक्के को नियंत्रित कर सकती थी | उसने अपने हाथ की उंगली और अंगूठे से एक छल्ला सा लंड की जड़ में बना लिया था | इससे वह लंड के इधर उधर भागने या तिरछा हो जाने को रोक सकती थी | जब प्रियम नितम्बो को जोर जोर से उछालने लगा तो रीमा ने अपने ओठो का कसाव थोडा कम कर दिया, और लंड की जड़ से अपने हाथ का घेराव हटा लिया ताकि प्रियम का लंड आसानी से पूरा का पूरा मुहँ में चला जाये और बच्चे को मुहँ चोदने का भरपूर आनंद मिले | दुनिया का कोई भी लंड हो वो औरत के किसी भी छेद में पूरा का पूरा समा जाने को आतुर होता है और ये बात रीमा अच्छी तरह से जानती थी | बार बार रीमा को अहसाह हो रहा था की खून के भरा, फड़कता गरम लंड उसके नरम नरम गुनगुने गीले मुहँ में ठेला जा रहा है | प्रियम के कमर को जोर जोर हिलाने से पूरी तरह से खून से लबालब भरा फड़कता सुपाडा जीभ की पूरी लम्बाई तय करके मुहँ के आखिरी छोर गले तक जा रहा है |
वासना की उत्तेजना कीप्रबलता के कारन रीमा ने अपनी आँखे बंद कर ली, वो भी प्रियम की कमर से लयमिलाकर अपना सर लंड पर ऊपर नीचे करने लगी | अब लंड जिस अधिकतम गहराई तक मुहँ में जा सकता था जा रहा था | लंड के अन्दर जाते ही रीमा अपने जीभ लंड पर फेरने लगती | इससे लंड गीला हो जाता था और आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था | कमरे में बस लंड चूसने और प्रियम के कराहने की आवाजे ही सुनाई पड़ रही थी |