22-12-2018, 07:19 PM
रीमा ने अपने अन्दर की सारी ताकत इकट्ठी की और प्रियम को खुद से दूर धकेला | उसके बाद नीचे की तरफ अपने शरीर को देखने लगी | कमर के नीचे वो पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी बस वो छोटी सी झीनी पारदर्शी पैंटी ही थी जो बमुश्किल ही उसकी चूत और उसके चारो ओर के काले बालो को ढक पा रही थी | बाकि उसके पैरो से लेकर जांघो और कमर तक कुछ भी उसके तन पर नहीं था | स्कर्ट खिसक के नाभि तक पंहुच गयी थी | उसके बाद रीमा की नजर प्रियम की पेंट की तरफ गयी, पेंट के अन्दर के तने लंड के कारन बने तम्बू को देखकर उसकी साँस अटक गयी | नहीं ये सच नहीं हो सकता, ये सब रियल नहीं है, ये मै कोई सपना देख रही है, ये सब सच नहीं है |
रीमा के इस तरह अलग होने से प्रियम झुंझला गया- चाची प्लीज मुझे करने दो, मुझे इसकी सख्त जरूरत है, मेरे पैर देखो कैसे काँप रहे है| प्लीज चाची, नीचे लंड में दर्द होने लगा है प्लीज …..|
रीमा प्रियम का झुन्झुलाहट साफ साफ देख रही थी, गलती प्रियम की नहीं थी, वही तो उसको यहाँ तक लायी थी, अब बीच में कैसे छोड़ सकती है, उसको बीच में नहीं छोड़ा जा सकता, अगर बीच मझदार में प्रियम को छोड़ दिया तो आगे चलकर ये सब उसे नुकसान पंहुचा सकता है | पेंट के अन्दर खड़े लंड की तरफ देखकर उसको प्रियम पर दया आ गयी, आखिर वो इतनी कठोर कैसे हो सकती है, आखिर है तो वो उसका भतीजा ही| अभी अगर बच्चे के खड़े लंड को शांत नहीं किया तो आगे' चलकर हो सकता है इसका सेक्स से इंटरेस्ट ही खतम हो जाये, जो सकता है ये लडकियों के पास जाने से कतराने लगे, औरतो से नफरत करने लगे, कही लडको की तरफ न आकर्षित हो जाये ब्ला ब्ला........., पता नहीं कितने ख्याल उसके दिमाग में आये और निकल गए |
रीमा-एक शर्त है, तुम किसी को कुछ नहीं बतावोगे, मुझसे प्रोमिस करो |
प्रियम उत्साह से बोला- प्रोमिस |
रीमा-प्रियम मै तुम्हे प्यार नहीं कर सकती, नहीं कर सकती.........मेरी आत्मा मुझे ऐसा करने नहीं देगी |
प्रियम-लेकिन.........
रीमा- तुम्हे इस तरह की हालत में छोड़ने के लिए मै बहुत दुखी है, काश मै वो कर पाती जो तुम चाहते हो |
रीमा ने अपना हाथ नीचे की तरफ कमर पर ले गयी, और अपनी स्कर्ट ठीक की, उसे प्रियम को इस हालत में छोड़ना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो अब तक के अपने अस्तित्व के खिलाफ जाकर कुछ ऐसा भी नहीं कर सकती थी की अपनी ही नजरो में गिर जाये |जो कुछ थोड़ी देर पहले हो रहा था वो काम विक्षिप्त पागलपन था फिर भी वो खुद को न रोक सकी | लेकिन प्रियम को इस हालत में छोड़ भी नहीं सकती थी |
रीमा-क्या तुमारे पास रूमाल है ?
प्रियम- हाँ
रीमा- मुझे दो
प्रियम ने रूमाल अपनी चाची को दे दिया लेकिन उसे समझ नहीं आया वो इसका करेगी क्या |
रीमा ने रूमाल को अपने पेट पर बिछा लिया और प्रियम की पेंट की जिप खोलने लगी, और अपने अन्दर के कामुक मादक आहों को दबाने की कोशिश करने लगी | रीमा के हाथ प्रियम के लंड तक पंहुच गया था उसने लंड को कसकर पकड़ लिया |
रीमा ने महसूस किया की प्रियम का लंड पकड़ते ही उसकी कमर ने उत्तेजना की कारन झटके लगने शुरू हो गए थे, रीमा ने एक हाथ से गरम, खून से भरे मांस की गरम राड, लोहे की तरह सख्त हो चके लड़ को कसकर पकड़ा, दुसरे हाथ से प्रियम का शॉर्ट्स को किनारे करने लगी, और लंड को बाहर निकाल लिया, प्रियम का लंड ज्यादा बड़ा तो नहीं था लेकिन पत्थर की तरह कठोर हो चूका था |प्रियम के दुविधा भरे चेहरे को देखकर उसने लंड को जड़ से पकड़कर जोर से ऊपर नीचे किया और एक हल्की चिकोटी भी काट ली | प्रियम के चहरे पर उत्तेजना और संसय दोनों नजर आ रहे थे | रीमा ने जीभ से अपने ओठो को गीला किया और तेज खून के बहाव के चलते कांपते लोहे की तरह सख्त हो चुके लंड को भूखी नजरो से देखते हुए रीमा कहने लगी - मै तुमारा मुठ मारने जा रही हूँ प्रियम |
प्रियम के चेहरे पर निराशा की लकीरे तैर गयी, रीमा ने प्रियम के लंड से खेलना शुरू कर दिया, उसकी लंड की खाल को धीरे धीरे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया | रीमा की उंगलियों की मालिश से उसे बड़ा अच्छा फील हो रहा था , इतना अच्छा उसे आज तक किसी दूसरी चीज से नहीं हुआ, उसने भी कई मार मुठ मारे है इसकी उससे तुलना करना ही बेकार है, रीमा के कोमल हाथो से उसके लंड पर लग रहे झटके से इतना अच्छा प्रियम को कभी महसूस नहीं हुआ | लेकिन प्रियम सिर्फ मुठ मार के झड़ने से संतुष्ट नहीं था, वो अपनी प्यारी चाची की चिकनी चूत में अपना नया नवेला लंड डालना चाहता था | अपनी वेर्जिनिटी खोना चाहता था | लेकिन अपनी चाची को चोदने से उसे डर भी लग रहा था भले ही वो कितना भी चाहता हो लेकिन जब हकीकत में करना होता है तो अच्छे अच्छो की हवा ख़राब हो जाती है | उसने क्या क्या सपने देखे थे और यहाँ क्या हो रहा था |
प्रियम ने थोडा चिंतित होकर-लेकिन चाची !!!!
रीमा- क्या मजा नहीं आ रहा डार्लिंग? प्रियम के मायुस हो चुके चेहरे की तरफ देखते हुए |
रीमा ने फुर्ती से पास की ड्रोर से एक आयल निकाला और प्रियम के लंड पर उड़ेल दिया और उसके लंड के चारो और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी | रीमा के हाथ नीचे जाते ही तेल से सना सुपदा चमकने लगता और ऊपर आते ही अपनी ही खाल में घुस कर कही गुम सा हो जाता | तेल लगाने से अब हाथ आसानी से लंड पर फिसल रहे थे |
प्रियम सीत्कार भरते हुए-चाची मजा तो आ रहा है लेकिन मै आपको चोदना चाहता था |
चोदना शब्द सुनकर एक कामोत्तेजक कंपकपी रीमा के पुरे शरीर में दौड़ गयी | ये मै क्या सुन रही हूँ, क्या मेरे कानो ने जो सुना वही प्रियम ने बोला है या ये मेरी कल्पना है | भले ही प्रियम कुछ भी बोले लेकिन उसे अपने को काबू में रखना है| भले ही उसकी खुद का मन प्रियम की बात मानने को करे लेकिन उसे खुद को रोकना होगा, काबू में रखना होगा |
जैसे जैसे रीमा प्रियम के खून से लबालब भरे खड़े लंड पर झटको को स्मूथ और लयदार करती उसी तरह प्रियम की कमर झटके मारती रहती | धीरे धीरे रीमा ने स्ट्रोक्स की रफ़्तार बढ़ा दी, बीच बीच में हशीश के असर कारन सुख रहे ओठो पर अपनी जुबान फिराती रहती | अब उसने लंड पर हथेली की कसावट और तेज कर दी थी और अपनी पूरी स्पीड से लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी | तभी लंड के सुपारे पर उसे वीर्य के निकलने से पहले निकलने वाली कुछ बूंदे नजर आई | रीमा ने हाथो के ऊपर नीचे करने की स्पीड कम कर दी | और फिर कलात्मक तरीके से उंगलियाँ लंड पर फिराने लगी | हवस की आग में जलती रीमा की अतृप्त कामवासना उससे कुछ नए खेल खिलवाना चाहती थी जो उसकी चेतना को खत्मकर सही गलत सबका भेद मिटा दे | बस रह जाये तो वासना वासना और वासना | उसे कभी भी इस तरह से जीवन में नहीं सोचा था |
वो जानती थी की वो जो करने जा रही है उसके परिणाम और ज्यादा भयानक हो सकते है, क्योंकि जो वो सोच रही है वो भतीजे को मुठ मारने से ज्यादा पतनशील है | लेकिन वो वासना के हाथो मजबूर थी जो विचार एक बार दिमाग में आ गया अब उससे पीछे हट पाना उसके लिए बहुत मुश्किल था |नया विचार बड़ा रोमांचकारी, कामुक वासनायुक्त और उत्तेजना लाने वाला था |
रीमा की कलात्मक जादुई झटके लगाने से प्रियम बार बार आनंद में गोते लगाकर कराह रहा था और उसकी कमर भी बार बार झटका दे रही थी | रीमा ने थोडा सा आयल उसके लंड के सुपाडे पर लगाया और धीरे धीरे सुपाडे पर उंगलियों से सहलाने लगी , सुपारे को तेल में नहलाकर उंगलियों से उसकी मालिश करने लगी | इतने प्यार और जादुई तरीके से लंड की मालिश होने से प्रियम आनंद की सागर में गोते लगाने लगा, लेकिन रीमा ने उसके चेहरे की शर्म और निराशा साफ़ पढ़ ली | भले ही प्रियम किस हद तक चाची को चोदने के बारे में सोचता हो लेकिन आज उनके सामने उन्ही के हाथो द्वारा, रूमाल पर खुद को झड़ते हुए देखना उसे बड़ा शर्मिंदगी भरा लगा |अपनी चाची को सामने लंड सहलाते देख उसे अब शर्म महसूस होने लगी | रीमा को भी लग रहा था की अपने भतीजे को सिर्फ मुठ मारकर झाड़ देना उसके साथ बहुत अन्याय होगा, अगर उसे मुठ ही मारनी होती तो वो मेरे पास क्यों आता | वो इससे ज्यादा का हकदार है |
रीमा ने अब धीरे धीरे हाथो को हरकते बिलकुल बंद कर दी थी | वो प्रियम के साथ ऐसा कैसे कर सकती है | वो इस तरह से अपने छोटे से भतीजे को कैसे अपमानित कर सकती है | आखिर वो बच्चा ही तो है और सेक्स के बारे में सीखना चाहता है | तो क्या मै उसे सिर्फ मुठ मार के भगा दू, मै इतनी सेल्फिश कैसे हो सकती हूँ | प्रियम के बहाने रीमा अपने अन्दर दबी काम वासनाओं को बाहर लाने लगी | रीमा सिर्फ प्रियम की संतुष्टि के बारे में सोचने लगी | प्रियम मेरे पास एक उम्मीद लेकर आया था और एक शानदार तरीके से उसको संतुष्टि मिलनी चाहिए | उसे सिर्फ मेरे हाथो झटके खाते हुए नहीं झड़ना चाहिए | इतना सोचकर रीमा ने प्रियम के खून से भरे फडकते लंड से हाथ दूर खीच लिया |
प्रियम को कुछ समझ नहीं आया - चाची क्या हुआ …
रीमा- बेटा मुझे लगता है जो मै तुमारे साथ कर रही हूँ ये बहुत नाइंसाफी होगी | इसलिए मै कुछ और करने जा रही हूँ, मुझे इससे अच्छा तरीका पता है तुमारे फडकते तडपते खून से लबालब भरे फूले लंड की मालिश करने का | और तुमारे अन्दर सुलग रहे ज्वालामुखी के अन्दर भरे गरम सफ़ेद गाढे लावे को बाहर निकालने का |
प्रियम उत्साह से सरोबार होकर- तो क्या आप मुझे अपनी चूत मारने देगी, क्या मै आपको चोद सकता हूँ ?
रीमा के ओंठो पर हल्की मुस्कान तैर गयी, फिर सर झटकते हुए बोली-नहीं प्रियम मैंने तुम्हे पहले ही बोला है मै तुमारी चाची हूँ, तुमारी माँ के उम्र की, तुम मुझे नहीं चोद सकते | मै तुमारे लंड को चूसने जा रही हूँ | मै तुमारे लोहे जैसे सख्त कठोर तड़पते फूले लंड को अपने मुहँ में लूंगी और जैसे आइसक्रीम चूसते है वैसे चूसूंगी, समझे | मुझे चोदने का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो |
रीमा प्रियम के चेहरे पर फिर से उभर आई निराशा देखकर थोडा झिझकी, उसके बाद उसकी खुद की काम वासना हिलोरे मारने लगी , बच्चे के सुख के लिए उसके खड़े फूले हुए लंड के लिए अपना मुहँ और गुलाबी गीले ओठ ऑफर करने का ख्याल ही उसके शरीर में एक सिरहन सी दौड़ा गया | उसकी मन की चेतना में धीरे धीरे हो रही गिरावट में यह एक और कदम नीचे की ओर था | फिर से उसने फूले हुए , खून से भरे फड़कते तने लंड को पकड़ कर नीचे की तरफ झुकी और पोजीशन बनाकर ऐसे झुकी की लंड उसके मुहँ के सामने आ जाये | जब लंड का सुपाडा मुहँ से बस एक इंच दूर रहा गया तो रीमा ने थोड़े से ओठ खोले और एक हल्की सी फूंक लंड के सुपाडे पर मारी | उसकी उंगलियों ने हलके हलके फिर से लंड को रगड़ना शुरू कर दिया था |
फिर पता नहीं क्या सोचकर रीमा के लंड को कसकर पकड़कर तीन बार जोर से ऊपर नीचे किया | प्रियम दर्द और आनंन्द से कराहने लगा | उसके बाद रीमा ने थोड़ा और ओठ खोले, ओठो पर जीभ फिरा कर उसको गीला किया | फिर थोड़ा सा और झुक कर पूरी जीभ बाहर निकाल ली | जीभ का अगला हिस्सा सुपाडे के छेद तक पंहुच गया था, रीमा ने जल्दी से प्रीकम की निकल आई बूंदों को जीभ से चाट लिया |
प्रीकम की बूंदों के स्वाद ने रीमा की भूख और बढ़ा दी | अब उसकी काम वासना और ज्यादा भड़क, शर्म हया नैतिकता के लिए अब कोई जगह नहीं थी, बस वासना का खेल था, शरीर की हवस मिटाने का हर जतन हो रहा था लेकिन जितनी हवस की भूख को शांत करने की कोशिश करती उतना ही काम वासना की आग भड़कती चली जाती |
रीमा के इस तरह अलग होने से प्रियम झुंझला गया- चाची प्लीज मुझे करने दो, मुझे इसकी सख्त जरूरत है, मेरे पैर देखो कैसे काँप रहे है| प्लीज चाची, नीचे लंड में दर्द होने लगा है प्लीज …..|
रीमा प्रियम का झुन्झुलाहट साफ साफ देख रही थी, गलती प्रियम की नहीं थी, वही तो उसको यहाँ तक लायी थी, अब बीच में कैसे छोड़ सकती है, उसको बीच में नहीं छोड़ा जा सकता, अगर बीच मझदार में प्रियम को छोड़ दिया तो आगे चलकर ये सब उसे नुकसान पंहुचा सकता है | पेंट के अन्दर खड़े लंड की तरफ देखकर उसको प्रियम पर दया आ गयी, आखिर वो इतनी कठोर कैसे हो सकती है, आखिर है तो वो उसका भतीजा ही| अभी अगर बच्चे के खड़े लंड को शांत नहीं किया तो आगे' चलकर हो सकता है इसका सेक्स से इंटरेस्ट ही खतम हो जाये, जो सकता है ये लडकियों के पास जाने से कतराने लगे, औरतो से नफरत करने लगे, कही लडको की तरफ न आकर्षित हो जाये ब्ला ब्ला........., पता नहीं कितने ख्याल उसके दिमाग में आये और निकल गए |
रीमा-एक शर्त है, तुम किसी को कुछ नहीं बतावोगे, मुझसे प्रोमिस करो |
प्रियम उत्साह से बोला- प्रोमिस |
रीमा-प्रियम मै तुम्हे प्यार नहीं कर सकती, नहीं कर सकती.........मेरी आत्मा मुझे ऐसा करने नहीं देगी |
प्रियम-लेकिन.........
रीमा- तुम्हे इस तरह की हालत में छोड़ने के लिए मै बहुत दुखी है, काश मै वो कर पाती जो तुम चाहते हो |
रीमा ने अपना हाथ नीचे की तरफ कमर पर ले गयी, और अपनी स्कर्ट ठीक की, उसे प्रियम को इस हालत में छोड़ना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो अब तक के अपने अस्तित्व के खिलाफ जाकर कुछ ऐसा भी नहीं कर सकती थी की अपनी ही नजरो में गिर जाये |जो कुछ थोड़ी देर पहले हो रहा था वो काम विक्षिप्त पागलपन था फिर भी वो खुद को न रोक सकी | लेकिन प्रियम को इस हालत में छोड़ भी नहीं सकती थी |
रीमा-क्या तुमारे पास रूमाल है ?
प्रियम- हाँ
रीमा- मुझे दो
प्रियम ने रूमाल अपनी चाची को दे दिया लेकिन उसे समझ नहीं आया वो इसका करेगी क्या |
रीमा ने रूमाल को अपने पेट पर बिछा लिया और प्रियम की पेंट की जिप खोलने लगी, और अपने अन्दर के कामुक मादक आहों को दबाने की कोशिश करने लगी | रीमा के हाथ प्रियम के लंड तक पंहुच गया था उसने लंड को कसकर पकड़ लिया |
रीमा ने महसूस किया की प्रियम का लंड पकड़ते ही उसकी कमर ने उत्तेजना की कारन झटके लगने शुरू हो गए थे, रीमा ने एक हाथ से गरम, खून से भरे मांस की गरम राड, लोहे की तरह सख्त हो चके लड़ को कसकर पकड़ा, दुसरे हाथ से प्रियम का शॉर्ट्स को किनारे करने लगी, और लंड को बाहर निकाल लिया, प्रियम का लंड ज्यादा बड़ा तो नहीं था लेकिन पत्थर की तरह कठोर हो चूका था |प्रियम के दुविधा भरे चेहरे को देखकर उसने लंड को जड़ से पकड़कर जोर से ऊपर नीचे किया और एक हल्की चिकोटी भी काट ली | प्रियम के चहरे पर उत्तेजना और संसय दोनों नजर आ रहे थे | रीमा ने जीभ से अपने ओठो को गीला किया और तेज खून के बहाव के चलते कांपते लोहे की तरह सख्त हो चुके लंड को भूखी नजरो से देखते हुए रीमा कहने लगी - मै तुमारा मुठ मारने जा रही हूँ प्रियम |
प्रियम के चेहरे पर निराशा की लकीरे तैर गयी, रीमा ने प्रियम के लंड से खेलना शुरू कर दिया, उसकी लंड की खाल को धीरे धीरे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया | रीमा की उंगलियों की मालिश से उसे बड़ा अच्छा फील हो रहा था , इतना अच्छा उसे आज तक किसी दूसरी चीज से नहीं हुआ, उसने भी कई मार मुठ मारे है इसकी उससे तुलना करना ही बेकार है, रीमा के कोमल हाथो से उसके लंड पर लग रहे झटके से इतना अच्छा प्रियम को कभी महसूस नहीं हुआ | लेकिन प्रियम सिर्फ मुठ मार के झड़ने से संतुष्ट नहीं था, वो अपनी प्यारी चाची की चिकनी चूत में अपना नया नवेला लंड डालना चाहता था | अपनी वेर्जिनिटी खोना चाहता था | लेकिन अपनी चाची को चोदने से उसे डर भी लग रहा था भले ही वो कितना भी चाहता हो लेकिन जब हकीकत में करना होता है तो अच्छे अच्छो की हवा ख़राब हो जाती है | उसने क्या क्या सपने देखे थे और यहाँ क्या हो रहा था |
प्रियम ने थोडा चिंतित होकर-लेकिन चाची !!!!
रीमा- क्या मजा नहीं आ रहा डार्लिंग? प्रियम के मायुस हो चुके चेहरे की तरफ देखते हुए |
रीमा ने फुर्ती से पास की ड्रोर से एक आयल निकाला और प्रियम के लंड पर उड़ेल दिया और उसके लंड के चारो और तेजी से हाथ ऊपर नीचे करने लगी | रीमा के हाथ नीचे जाते ही तेल से सना सुपदा चमकने लगता और ऊपर आते ही अपनी ही खाल में घुस कर कही गुम सा हो जाता | तेल लगाने से अब हाथ आसानी से लंड पर फिसल रहे थे |
प्रियम सीत्कार भरते हुए-चाची मजा तो आ रहा है लेकिन मै आपको चोदना चाहता था |
चोदना शब्द सुनकर एक कामोत्तेजक कंपकपी रीमा के पुरे शरीर में दौड़ गयी | ये मै क्या सुन रही हूँ, क्या मेरे कानो ने जो सुना वही प्रियम ने बोला है या ये मेरी कल्पना है | भले ही प्रियम कुछ भी बोले लेकिन उसे अपने को काबू में रखना है| भले ही उसकी खुद का मन प्रियम की बात मानने को करे लेकिन उसे खुद को रोकना होगा, काबू में रखना होगा |
जैसे जैसे रीमा प्रियम के खून से लबालब भरे खड़े लंड पर झटको को स्मूथ और लयदार करती उसी तरह प्रियम की कमर झटके मारती रहती | धीरे धीरे रीमा ने स्ट्रोक्स की रफ़्तार बढ़ा दी, बीच बीच में हशीश के असर कारन सुख रहे ओठो पर अपनी जुबान फिराती रहती | अब उसने लंड पर हथेली की कसावट और तेज कर दी थी और अपनी पूरी स्पीड से लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी | तभी लंड के सुपारे पर उसे वीर्य के निकलने से पहले निकलने वाली कुछ बूंदे नजर आई | रीमा ने हाथो के ऊपर नीचे करने की स्पीड कम कर दी | और फिर कलात्मक तरीके से उंगलियाँ लंड पर फिराने लगी | हवस की आग में जलती रीमा की अतृप्त कामवासना उससे कुछ नए खेल खिलवाना चाहती थी जो उसकी चेतना को खत्मकर सही गलत सबका भेद मिटा दे | बस रह जाये तो वासना वासना और वासना | उसे कभी भी इस तरह से जीवन में नहीं सोचा था |
वो जानती थी की वो जो करने जा रही है उसके परिणाम और ज्यादा भयानक हो सकते है, क्योंकि जो वो सोच रही है वो भतीजे को मुठ मारने से ज्यादा पतनशील है | लेकिन वो वासना के हाथो मजबूर थी जो विचार एक बार दिमाग में आ गया अब उससे पीछे हट पाना उसके लिए बहुत मुश्किल था |नया विचार बड़ा रोमांचकारी, कामुक वासनायुक्त और उत्तेजना लाने वाला था |
रीमा की कलात्मक जादुई झटके लगाने से प्रियम बार बार आनंद में गोते लगाकर कराह रहा था और उसकी कमर भी बार बार झटका दे रही थी | रीमा ने थोडा सा आयल उसके लंड के सुपाडे पर लगाया और धीरे धीरे सुपाडे पर उंगलियों से सहलाने लगी , सुपारे को तेल में नहलाकर उंगलियों से उसकी मालिश करने लगी | इतने प्यार और जादुई तरीके से लंड की मालिश होने से प्रियम आनंद की सागर में गोते लगाने लगा, लेकिन रीमा ने उसके चेहरे की शर्म और निराशा साफ़ पढ़ ली | भले ही प्रियम किस हद तक चाची को चोदने के बारे में सोचता हो लेकिन आज उनके सामने उन्ही के हाथो द्वारा, रूमाल पर खुद को झड़ते हुए देखना उसे बड़ा शर्मिंदगी भरा लगा |अपनी चाची को सामने लंड सहलाते देख उसे अब शर्म महसूस होने लगी | रीमा को भी लग रहा था की अपने भतीजे को सिर्फ मुठ मारकर झाड़ देना उसके साथ बहुत अन्याय होगा, अगर उसे मुठ ही मारनी होती तो वो मेरे पास क्यों आता | वो इससे ज्यादा का हकदार है |
रीमा ने अब धीरे धीरे हाथो को हरकते बिलकुल बंद कर दी थी | वो प्रियम के साथ ऐसा कैसे कर सकती है | वो इस तरह से अपने छोटे से भतीजे को कैसे अपमानित कर सकती है | आखिर वो बच्चा ही तो है और सेक्स के बारे में सीखना चाहता है | तो क्या मै उसे सिर्फ मुठ मार के भगा दू, मै इतनी सेल्फिश कैसे हो सकती हूँ | प्रियम के बहाने रीमा अपने अन्दर दबी काम वासनाओं को बाहर लाने लगी | रीमा सिर्फ प्रियम की संतुष्टि के बारे में सोचने लगी | प्रियम मेरे पास एक उम्मीद लेकर आया था और एक शानदार तरीके से उसको संतुष्टि मिलनी चाहिए | उसे सिर्फ मेरे हाथो झटके खाते हुए नहीं झड़ना चाहिए | इतना सोचकर रीमा ने प्रियम के खून से भरे फडकते लंड से हाथ दूर खीच लिया |
प्रियम को कुछ समझ नहीं आया - चाची क्या हुआ …
रीमा- बेटा मुझे लगता है जो मै तुमारे साथ कर रही हूँ ये बहुत नाइंसाफी होगी | इसलिए मै कुछ और करने जा रही हूँ, मुझे इससे अच्छा तरीका पता है तुमारे फडकते तडपते खून से लबालब भरे फूले लंड की मालिश करने का | और तुमारे अन्दर सुलग रहे ज्वालामुखी के अन्दर भरे गरम सफ़ेद गाढे लावे को बाहर निकालने का |
प्रियम उत्साह से सरोबार होकर- तो क्या आप मुझे अपनी चूत मारने देगी, क्या मै आपको चोद सकता हूँ ?
रीमा के ओंठो पर हल्की मुस्कान तैर गयी, फिर सर झटकते हुए बोली-नहीं प्रियम मैंने तुम्हे पहले ही बोला है मै तुमारी चाची हूँ, तुमारी माँ के उम्र की, तुम मुझे नहीं चोद सकते | मै तुमारे लंड को चूसने जा रही हूँ | मै तुमारे लोहे जैसे सख्त कठोर तड़पते फूले लंड को अपने मुहँ में लूंगी और जैसे आइसक्रीम चूसते है वैसे चूसूंगी, समझे | मुझे चोदने का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो |
रीमा प्रियम के चेहरे पर फिर से उभर आई निराशा देखकर थोडा झिझकी, उसके बाद उसकी खुद की काम वासना हिलोरे मारने लगी , बच्चे के सुख के लिए उसके खड़े फूले हुए लंड के लिए अपना मुहँ और गुलाबी गीले ओठ ऑफर करने का ख्याल ही उसके शरीर में एक सिरहन सी दौड़ा गया | उसकी मन की चेतना में धीरे धीरे हो रही गिरावट में यह एक और कदम नीचे की ओर था | फिर से उसने फूले हुए , खून से भरे फड़कते तने लंड को पकड़ कर नीचे की तरफ झुकी और पोजीशन बनाकर ऐसे झुकी की लंड उसके मुहँ के सामने आ जाये | जब लंड का सुपाडा मुहँ से बस एक इंच दूर रहा गया तो रीमा ने थोड़े से ओठ खोले और एक हल्की सी फूंक लंड के सुपाडे पर मारी | उसकी उंगलियों ने हलके हलके फिर से लंड को रगड़ना शुरू कर दिया था |
फिर पता नहीं क्या सोचकर रीमा के लंड को कसकर पकड़कर तीन बार जोर से ऊपर नीचे किया | प्रियम दर्द और आनंन्द से कराहने लगा | उसके बाद रीमा ने थोड़ा और ओठ खोले, ओठो पर जीभ फिरा कर उसको गीला किया | फिर थोड़ा सा और झुक कर पूरी जीभ बाहर निकाल ली | जीभ का अगला हिस्सा सुपाडे के छेद तक पंहुच गया था, रीमा ने जल्दी से प्रीकम की निकल आई बूंदों को जीभ से चाट लिया |
प्रीकम की बूंदों के स्वाद ने रीमा की भूख और बढ़ा दी | अब उसकी काम वासना और ज्यादा भड़क, शर्म हया नैतिकता के लिए अब कोई जगह नहीं थी, बस वासना का खेल था, शरीर की हवस मिटाने का हर जतन हो रहा था लेकिन जितनी हवस की भूख को शांत करने की कोशिश करती उतना ही काम वासना की आग भड़कती चली जाती |