शाम को बिस्तर पर लेटे लेटे दिन में हुई घटना के बारे में ही सोच रही थी | साथ में रोहित की बारे में भी सोच रही थी | रीमा के पति शादी के बाद २ साल बाद ही मर गए थे | तब से रीमा ने न दूसरी शादी करी न किसी और मर्द के बारे में सोचा | हालाँकि कभी कभी वो रोहित के बारे में फैंटसी करती थी और उसको ये गलत भी नहीं लगता | आखिर रोहित उसका देवर जो था | रोहित तलाकशुदा था और अपने लिए लडकियों का इंतजाम कर ही लेता था | शुरू से रीमा ने अपनी छवि भी पाक साफ़ बना रखी थी और कभी वासना की नजरो से रोहित को देखा भी नहीं, न ही अन्दर की भावना कभी बाहर आने दी | इसलिए रोहित ने भी रीमा को कभी अप्रोच नहीं किया | पति की मौत के बाद एक डॉक्टर के साथ रीमा का साल भर अफेयर रहा, लेकिन उसके बाद से रीमा अकेले ही रही | अपनी सेक्सुअल डिजायर को एक कोने में दबा दिया | पिछले कुछ महीनो से उसकी सेक्सुअल उत्तेजना काफी बढ़ गयी थी | वो आये दिन चुदाई की फैतासी के बारे में सोचती रहती | फिर ये सोचकर मन मसोस लेती की ये सब उसके जिंदगीमें नहीं लिखा है | आज प्रियम वाली घटना ने रीमा को सेक्सुअली हिलाकर रख दिया | उसने सारे कपडे उतार दिए और अपने लिए दो पैग बनाये और धीरे धीरे पीने लगी और आज हुई घटना के बारे में सोचने लगी | किस तरह से प्रियम नूतन की चूची चूस रहा था, उसके शरीर को सहला रहा था | रीमा ने अपने शरीर को सोफे पर फैलाते हुए टांगे आगे को फैला दी | पैग पीकर गिलास अलग रख दिया और दोनों हाथो से अपने स्तनों को हलके हलके मसलने लगी | रीमा ने निप्पल कड़े होने लगे | रीमा ने आंखे बंद कर ली | रीमा ने स्तनों को तेजी से मसलना शुरू कर दिया और एक हाथ नाभि सहलाता हुआ, दोनों जांघो के बीच पेट के निचले हिस्से तक पहुच गया | पेट के निचले हिस्से से होते हुए फड़कती चिकनी चूत तक पहुच गया और उंगलिया चूत के दाने के पास तक पहुच गयी |
रीमा नूतन को इमेजिन करने लगी, कैसे उसके स्तनों की चुसाई दबाई हो रही थी | असल में ये रीमा की फंतैसी थी की कोई उसके स्तनों को चुसे दबाये काटे लेकिन वो नूतन के जरिये इमेजिन कर रही थी | रीमा क्या कर रही थी ये बिना सोचे चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | अब रीमा के मुहँ से सिसकारियां निकने लगी | टांगो के बीच की में लगातार रीमा का हाथ चल रहा था, उत्तेजना के मारे चूत भी गीली होने लगी, धड़कने और तेज हो गयी, जैसे जैसे चूत का दाना रीमा रगडती, उसके चुतड उछाल लेने लगे, रीमा ने दूसरा हाथ नही चूत पर रख दिया, एक हाथ से वो चूत का दाना रगड़ रही थी दूसरे से चूत को तेजी से सहला रही थी, उसके मुहँ से सिसकारियो की आवाजे तेजी से निकलने लगी, वासना से भरी चूत की दरार से पानी रिसने लगा | उसका पेट और नाभि भी इस उत्तेजना के चरम में फद्फड़ाने लगे, पेट और चुतड सोफे से उचलने लगे | रीमा के हाथो ने चूत को और तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया |
रीमा को इस समय न को लाज थी न शर्म, रीमा की आंखे बंद थी, ओठ भींचे हुए थे, उत्तेजना का सेंसेशन अपने चरम पर था | कभी निचले ओठ से ऊपर वाले को काटती, कभी उपरी ओठ से निचले वाले को | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी| चूत की दरार से निकलता गीलापन अब उंगलिया भिगो रहा था, कुछ बह कर जांघो की तरफ बढ़ चला था | रीमा नूतन को प्रियम द्वारा चोदे जाने की कल्पना कर कर के खुद की चूत दोनों हाथो से रगड़े जा रही थी | अगर इस हालत में उसे कोई भी पकड़ लेता तो उसके लिए बेहद शर्मनाक होता | वो कंफ्यूज थी जो कुछ भी हो रहा है कौन शैतान उसके शरीर को छु रहा है, कौन है जो उसके अन्दर सेक्स की सोई इक्षा जगा रहा है, इस हद तक बढाये दे रहा है की वो सारी लाज शर्म छोड़ कर, खुले कमरे में पूरी तरह नंगी होकर खुद की चूत रगड़ रगड़ कर अपने भतीजे के बारे में सोच रही है | कितना गलत है ये ? लेकिन ये सब सोचते हुए भी उंगलिया चूत पर तेजी से चल रही थी | जब कोई औरत को चुदाई में मजा आने लगता है तो वो चुतड उठा उठाकर साथ देने लगती है | इसी तरह रीमा बार बार चुतड ऊपर की तरफ उछाल रही थी | वो ये सब नहीं करना चाहती थी लेकिन शरीर की वासना के आगे बेबस थी | एक तरफ उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था दूसरी तरफ तो सही गलत के उधेड़बुन में खोयी हुई थी | उसे होश ही नहीं था की वो कहाँ है, उसका दिमाग कही और था शरीर कही और था | ऐसा लग रहा था एक शैतान उसके शरीर से खेल रहा है और उसके हाथ पाव सब उसी शैतान के कब्जे में है | वो ये सब नहीं करना चाहती है लेकिन चूत के पतले ओठो पर नाच रही उंगलियों पर उसका कोई बस नहीं है | चूत की दरार से बहते पानी को रोकने में वो लाचार है | वासना के कारन थिरकते चुतड को रोकने में असमर्थ है | उसे पता है ये सब रोकने का अब कोई रास्ता नहीं है | अगर वो अपने अन्दर की वासना को तृप्त करने के लिए कुछ नहीं करेगी तो वो सो नहीं पायेगी | सिसकारियो के बीच उसने अपने एक उंगली चूत की दरार के बीच डाली, फिर दो चार बार अंदर बाहर करने के बाद, दो हाथो से चूत के दोनों ओठ फलाये | और फिर से उंगली अन्दर घुसेड दी | दूसरे हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा |
धीरे धीरे वो सोफे पर पूरी तरह लेट गयी | दोनों जांघे ऊपर की तरह उठा दी और दो उंगलियों को कसी चूत के छेद में घुसेड के अन्दर बाहर करने लगी |
रीमा को ठीक से याद भी नहीं आखिरी बार कब लंड उसकी चूत के अन्दर गया था | इसलिए चूत की कसावट बिलकुल कुवारी चूत की तरह थी | दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था | चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उंगलियों को कस के जकड ले रही थी | उंगलियों की चुदाई उत्तेजना में चार चाँद लगा रही थी, इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी | मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उगलियाँ के चूत में अन्दर बाहर होने से शरीर भी उसी अनुसार लय में आगे पीछे हो रहा था | रीमा अपनी उंगलियों से खुद को चोद के अपनी वासना की आग बुझा रही थी | और सोच वो नूतन और प्रियम की चुदाई के बारे में रही थी | अब न कोई शर्म थी, न कोई हिचक थी, बस एक आग थी और उसे बुझाना था किसी भी तरह, उंगलिया अपनी चरम गति से चूत में आ जा रही थी और उसी के साथ दाने को भी अधिक ताकत और गति से रगड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था |
अब लग रहा था जैसे चरम अब निकट ही है, एक तूफ़ान जो अन्दर धमाल मचाये हुआ था अब बस गुजर जाने को है | अब न कोई इमेजिनेशन था, न किसी की सोच | बस वासना थी वासना थी और सिर्फ वासना थी | रीमा अब सोफे पर तेजी से उछालने लगी | उसकी कमर जोर जोर के झटके खाने लगी | उंगलिया जिस गहराई तक जा सकती थी, वहां तक जाकर अन्दर बाहर होने लगी | पहले चूत में दो उंगलिया भी बड़ी मुश्किल से जा रही थी अब तीन भी आराम से जा रही थी | रीमा का हाथ पूरी ताकत से अन्दर बाहर के झटके दे रहा था | अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, जबकि उसकी अंगुलियां अभी भी चूत की गहराई में गोते लगाकर आ जा रही थी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था लेकिन रीमा ने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था | दाने के रगड़ने से चूत के कोने कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी | चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, रीमा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है | उसने चूत से उंगलियाँ निकाल ली, चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा | सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया |
कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी | और फिर अंतिम झटके के साथ पुरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो दया |
रीमा आनंद के सागर में गोते लगाते लगाते लगभग मुर्क्षा की हालत में पंहुच गयी | धीरे धीरे सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाना की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी | अपनी उखड़ती सांसे संभाले रीमा अपने आप के स्त्रीत्व को महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास होने लगा | उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया | उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसाह पहली बार किया |उसके शरीर में होते हुए भी आज तक इनसे अनजान थी | उसके दिमाग सेक्स को लेकर जो भी दुविधा थी दूर हो गयी | अब वो खुद की सेक्स की चाह को दबाएगी नहीं | वो खुद को एन्जॉय करेगी | अपनी औरतपन को एन्जॉय करेगी | उसने इतने साल दकियानुकुसी में काट दिए, जबकि खुद में एन्जॉय करना तो कोई अपराध नहीं है | यही सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला |
रीमा नूतन को इमेजिन करने लगी, कैसे उसके स्तनों की चुसाई दबाई हो रही थी | असल में ये रीमा की फंतैसी थी की कोई उसके स्तनों को चुसे दबाये काटे लेकिन वो नूतन के जरिये इमेजिन कर रही थी | रीमा क्या कर रही थी ये बिना सोचे चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | अब रीमा के मुहँ से सिसकारियां निकने लगी | टांगो के बीच की में लगातार रीमा का हाथ चल रहा था, उत्तेजना के मारे चूत भी गीली होने लगी, धड़कने और तेज हो गयी, जैसे जैसे चूत का दाना रीमा रगडती, उसके चुतड उछाल लेने लगे, रीमा ने दूसरा हाथ नही चूत पर रख दिया, एक हाथ से वो चूत का दाना रगड़ रही थी दूसरे से चूत को तेजी से सहला रही थी, उसके मुहँ से सिसकारियो की आवाजे तेजी से निकलने लगी, वासना से भरी चूत की दरार से पानी रिसने लगा | उसका पेट और नाभि भी इस उत्तेजना के चरम में फद्फड़ाने लगे, पेट और चुतड सोफे से उचलने लगे | रीमा के हाथो ने चूत को और तेजी से रगड़ना शुरू कर दिया |
रीमा को इस समय न को लाज थी न शर्म, रीमा की आंखे बंद थी, ओठ भींचे हुए थे, उत्तेजना का सेंसेशन अपने चरम पर था | कभी निचले ओठ से ऊपर वाले को काटती, कभी उपरी ओठ से निचले वाले को | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी| चूत की दरार से निकलता गीलापन अब उंगलिया भिगो रहा था, कुछ बह कर जांघो की तरफ बढ़ चला था | रीमा नूतन को प्रियम द्वारा चोदे जाने की कल्पना कर कर के खुद की चूत दोनों हाथो से रगड़े जा रही थी | अगर इस हालत में उसे कोई भी पकड़ लेता तो उसके लिए बेहद शर्मनाक होता | वो कंफ्यूज थी जो कुछ भी हो रहा है कौन शैतान उसके शरीर को छु रहा है, कौन है जो उसके अन्दर सेक्स की सोई इक्षा जगा रहा है, इस हद तक बढाये दे रहा है की वो सारी लाज शर्म छोड़ कर, खुले कमरे में पूरी तरह नंगी होकर खुद की चूत रगड़ रगड़ कर अपने भतीजे के बारे में सोच रही है | कितना गलत है ये ? लेकिन ये सब सोचते हुए भी उंगलिया चूत पर तेजी से चल रही थी | जब कोई औरत को चुदाई में मजा आने लगता है तो वो चुतड उठा उठाकर साथ देने लगती है | इसी तरह रीमा बार बार चुतड ऊपर की तरफ उछाल रही थी | वो ये सब नहीं करना चाहती थी लेकिन शरीर की वासना के आगे बेबस थी | एक तरफ उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था दूसरी तरफ तो सही गलत के उधेड़बुन में खोयी हुई थी | उसे होश ही नहीं था की वो कहाँ है, उसका दिमाग कही और था शरीर कही और था | ऐसा लग रहा था एक शैतान उसके शरीर से खेल रहा है और उसके हाथ पाव सब उसी शैतान के कब्जे में है | वो ये सब नहीं करना चाहती है लेकिन चूत के पतले ओठो पर नाच रही उंगलियों पर उसका कोई बस नहीं है | चूत की दरार से बहते पानी को रोकने में वो लाचार है | वासना के कारन थिरकते चुतड को रोकने में असमर्थ है | उसे पता है ये सब रोकने का अब कोई रास्ता नहीं है | अगर वो अपने अन्दर की वासना को तृप्त करने के लिए कुछ नहीं करेगी तो वो सो नहीं पायेगी | सिसकारियो के बीच उसने अपने एक उंगली चूत की दरार के बीच डाली, फिर दो चार बार अंदर बाहर करने के बाद, दो हाथो से चूत के दोनों ओठ फलाये | और फिर से उंगली अन्दर घुसेड दी | दूसरे हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा |
धीरे धीरे वो सोफे पर पूरी तरह लेट गयी | दोनों जांघे ऊपर की तरह उठा दी और दो उंगलियों को कसी चूत के छेद में घुसेड के अन्दर बाहर करने लगी |
रीमा को ठीक से याद भी नहीं आखिरी बार कब लंड उसकी चूत के अन्दर गया था | इसलिए चूत की कसावट बिलकुल कुवारी चूत की तरह थी | दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाना पड़ रहा था | चूत की कसी हुई मखमली दीवारे उंगलियों को कस के जकड ले रही थी | उंगलियों की चुदाई उत्तेजना में चार चाँद लगा रही थी, इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी | मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उगलियाँ के चूत में अन्दर बाहर होने से शरीर भी उसी अनुसार लय में आगे पीछे हो रहा था | रीमा अपनी उंगलियों से खुद को चोद के अपनी वासना की आग बुझा रही थी | और सोच वो नूतन और प्रियम की चुदाई के बारे में रही थी | अब न कोई शर्म थी, न कोई हिचक थी, बस एक आग थी और उसे बुझाना था किसी भी तरह, उंगलिया अपनी चरम गति से चूत में आ जा रही थी और उसी के साथ दाने को भी अधिक ताकत और गति से रगड़ने का सिलसिला शुरू हो गया था |
अब लग रहा था जैसे चरम अब निकट ही है, एक तूफ़ान जो अन्दर धमाल मचाये हुआ था अब बस गुजर जाने को है | अब न कोई इमेजिनेशन था, न किसी की सोच | बस वासना थी वासना थी और सिर्फ वासना थी | रीमा अब सोफे पर तेजी से उछालने लगी | उसकी कमर जोर जोर के झटके खाने लगी | उंगलिया जिस गहराई तक जा सकती थी, वहां तक जाकर अन्दर बाहर होने लगी | पहले चूत में दो उंगलिया भी बड़ी मुश्किल से जा रही थी अब तीन भी आराम से जा रही थी | रीमा का हाथ पूरी ताकत से अन्दर बाहर के झटके दे रहा था | अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, जबकि उसकी अंगुलियां अभी भी चूत की गहराई में गोते लगाकर आ जा रही थी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया था लेकिन रीमा ने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था | दाने के रगड़ने से चूत के कोने कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी | चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, रीमा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है | उसने चूत से उंगलियाँ निकाल ली, चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा | सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया |
कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी | और फिर अंतिम झटके के साथ पुरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो दया |
रीमा आनंद के सागर में गोते लगाते लगाते लगभग मुर्क्षा की हालत में पंहुच गयी | धीरे धीरे सांसे काबू में आने लगी, चूत के दाना की सुजन कम होने लगी, स्तनों की कठोरता कम होने लगी | अपनी उखड़ती सांसे संभाले रीमा अपने आप के स्त्रीत्व को महसूस करने लगी, उसे अपने औरत होने का अहसास होने लगा | उसने शरीर को ढीला छोड़ दिया | उसने अपने ही चुचे और चूत का अहसाह पहली बार किया |उसके शरीर में होते हुए भी आज तक इनसे अनजान थी | उसके दिमाग सेक्स को लेकर जो भी दुविधा थी दूर हो गयी | अब वो खुद की सेक्स की चाह को दबाएगी नहीं | वो खुद को एन्जॉय करेगी | अपनी औरतपन को एन्जॉय करेगी | उसने इतने साल दकियानुकुसी में काट दिए, जबकि खुद में एन्जॉय करना तो कोई अपराध नहीं है | यही सोचते सोचते कब उसकी आंख लग गयी पता ही नहीं चला |