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रीमा खुद को शीशे में निहार रही थी | क्या मै बूढी हो रही हूँ? अपने चेहरे को गौर से देखते हुए, चेहरे के एक एक हिस्से की गौर से जाँच करते हुआ, जैसे कोई खूबसूरत औरत अधेड़ हो जाने के बाद खुद की खूबसूरती का जायजा लेती है | वो अभी भी जवान है और किसी भी मर्द के होश उडा देने में सक्षम है, ये उसे भी पता है लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ जिसने गंभीरतापूर्वक विचार करने पर मजबूर कर दिया, पहली बार उसे अहसास हुआ की अब वो जवानी की दहलीज से फिसलना शुरू कर चुकी है | इसी के साथ टब में डुबकी लगा देती है |
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35 साल की खूबसूरत रीमा टब से नहाकर बाहर निकलती है और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लेती है, लेकिन आईने तक आते आते तौलियाफिसल जाता है | खुद को नंगे आईने में देखते हुए अपनी हल्की भूरी चूची को रगड़ने लगती है, कुछ ही सेकंडो में उसकी चुचियाँ कड़ी हो जाती है, वो अपने उरोजो को अपने हाथ में लेकर प्यार से मसलती है, और उसके शरीर में कामसुख की एक लहर दौड़ जाती है |
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रीमा को पता है वो उत्तेजित है और उसे सेक्स चाहिए | एक खूबसूरत विधवा के लिए उच्च चरित्र का जीवन जीना आसान नहीं होता | उसके सामाजिक दायरे में किसी भी भद्र पुरुष की तरफ वो कभी आकर्षित नहीं हुई सिवाय अपने देवर के, जिसका नाम रोहित है | समाज में रीमा को लोग बेहद उच्च चरित्र की महिला मानते है और काफी सम्मान भी देते है | रीमा ने भी इस गरिमा को बनाकर रखा हुआ है, रोहित को छोड़कर आजतक किसी और पुरुष के लिए उसके मन में कभी विचार नहीं आया, हालाँकि वो रोहित को भी वो अपने दिल की बात ये सोच कर नहीं बता पाई, कि पता नहीं क्या सोचेगा |
इधर रीमा में एक नई बात महसूस करी थी कि उसको नए लड़के बहुत अच्छे लगते थे, जब भी वो किशोरवय लड़के को देखती, उसकी दबी कुचली सेक्स इच्छाए जाग उठती और इस बात को लेकर वो बहुत ही परेशान हो जाती थी | आज रोहित का जन्मदिन था इसलिए रीमा कुछ दिनों के लिए रोहित के घर आई हुई थी | वो नहाने के बाद अपने कपडे पहनकर किचन की तरफ आई, तभी उसे लगा की घर में कोई और भी मौजूद है | पहले उसे लगा, रोहित का लड़का प्रियम होगा, लेकिन वो गलत थी| उसने प्रियम के कमरे से आती आवाजो पर ध्यान दिया, उसे प्रियम के अलावा भी कुछ और आवाजे सुनाई दे रही थी, उसे लगा प्रियम के दोस्त होंगे, लेकिन जब उसके कानो में कामुक सिसकारियों की आवाज पड़ी तो उसके कदम ठिठक गए | भले ही उसको सेक्स किये सालो गुजर गए हो लेकिन सेक्स की मादकता से भरी सिसकारियां जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो समझ गयी, अन्दर जरुर कुछ चल रहा है | आश्चर्य और सतर्कता से वो प्रियम के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, जैसे जैसे वो प्रियम के कमरे की तरफ बढती जाती, सिसकारियो की आवाज तेज होती जा रही, जब वो प्रियम के कमरे के पास पंहुची, तो कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था | रीमा ने जो भी आँखों से देखा उस पर उसे यकीन नहीं हुआ | प्रियम और उसका दोस्त राजू, पड़ोस में रहने वाले मनोज शर्मा की बेटी नूतन को बिस्तर पर लिटाकर उसके स्तन चूस रहे थे | नूतन ने ऊपर सिर्फ एक लूज स्वेटर पहना हुआ था जिसे दोनों ने ऊपर खिसकाकर नूतन के चेहरे को ढक दिया था | राजू दोनों हाथो से नूतन का बाया स्तन चूस रहा था, जबकि प्रियम सिर्फ एक साथ में लेकर ही चुसाई कर रहा था |
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प्रियम का दूसरा हाथ नूतन की कमर की नीचे था और कपड़ो के ऊपर से ही कभी जांघो और कभी उसके बीच की जगह को सहला रहा था | ये द्रश्य देखकर रीमा को अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ | प्रियम तो अभी बहुत छोटा है ये कैसे कर सकता है ? ये बच्चे इस उम्र में यह सब कैसे कर सकते है ? इनको ये सब करने के बारे में कैसे पता चला ? ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में बिजली की तरह कौंध गए | वो सदमे में थी और उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था जो वो देख रही है वो सच है | तभी प्रियम ने नूतन की चूची में दांत गडा दिये | नूतन के मुहँ से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
प्रियम - तुम हमें अपनी चिकनी गोरी चूत के दर्शन का करावोगी ?
मादक नशे में तैरती उफनती नूतन ने झट से बोली - कभी और, अभी बस चूस के काम चलावो |
प्रियम – अभी क्यों नही इतना कहकर उसने नूतन के स्तन पर दांत गडा दिए
अन्दर का नजारा देख रीमा भी गरम हो चली, उसका शरीर भी उत्तेजना के आवेश में आने लगा, लेकिन तभी उसने खुद को संयत करते हुए, बच्चो को रोकने की ठानी |
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रीमा ने तेज आवाज में खाँसा और कमरे के अन्दर की तरफ बढ़ चली | रीमा के खांसने की आवाज सुनते ही नूतन ने अपना स्वेटर तेजी से नीचे किया और झट से बिस्तर से उठकर बैठ गयी और दोनों को दूर ठेल दिया | दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढ़क गए और जब तक रीमा कमरे के अन्दर आती, नूतन बाल सही करके खड़ी हो गयी | प्रियम और राजू दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढकने के बाद उठकर खड़े हो गए |
कमरे के अन्दर आते की गुस्से में रीमा पूछने लगी - प्रियम ये सब क्या हो रहा है ?
तीनो सर झुकाकर जमींन की तरफ देखने लगे | रीमा ने दुबारा जोर देकर पुछा तो प्रियम उनके पैरो की तरफ निगाह रखकर हिचकिचाते हुए कहने लगा - ओह रीमा चाची क्या सरप्राइज है ?
रीमा - मैंने पुछा यहाँ क्या हो रहा था ?
कुछ नहीं रीमा चाची, हम तो अगले शनिवार पिकनिक मनाने की प्लानिंग कर रहे थे - राजू ने बहाना बनाया | रीमा - अच्छा फिर ठीक है आने दो रोहित को और तुम दोनों के माँ बाप को | यहाँ जो कुछ हो रहा था सब बताउंगी |
इतना कहकर वो तेजी से कमरे से निकल गयी और ऊपर की मंजिल में अपने कमरे में जाकर बैठ गयी | अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब वो रोहित को बताये या नहीं | ये सब उसके लिए बहुत ही शर्मनाक था |
कुछ देर बाद उसने रोहित को फ़ोन मिलाया और कमरे में जो कुछ हो रहा था वो सब बता दिया |
रोहित ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा - रीमा तुम मजाक तो नहीं कर रही हो, क्या तुमने सच में देखा है |
रीमा - हाँ रोहित तुम्हे यकीन नहीं हो रहा मुझे भी नहीं हो रहा था, लेकिन ये सच है प्रियम नूतन की चूची चूस रहा था, उसके स्तन दबा रहा था और उसकी जांघो के बीच सहला रहा था और इसमे उसका दोस्त राजू भी साथ दे रहा था | प्रियम ने तो नूतन की चूची और स्तन पर दांत भी गडाए |
रोहित माफ़ी मागता हुआ – रीमा मै माफ़ी चाहताहूँ बात ही ऐसी है की यकीन होना मुश्किलहै
प्रियम अभी बहुत छोटा है, हो सकता है अभी उसका ठीक से खड़ा भी न होता हो |
रीमा - तुमारी बात सही है लेकिन मैंने तो की पेंट तम्बू की तरह तनी देखि है | प्रियम तो नूतन की चूत देखने के बारे में भी पूछ रहा था |
रोहित- ठीक तुमने बता दिया ये भी अच्छा कियाअब परेशान न हो मै प्रियम को समझाता हूँ लेकिन तब तक तुम इस बारे में किसी और से कोई बात नहीं करना इतनी रिक्वेस्ट है मेरी | बेवजह लोग बाते बनायेगें नहीं तो | जन्मदिन की शुभकामनाये रीमा |
रीमा - थैंक्यू रोहित, प्रियम पर कोई सख्ती मत करना, आखिर वो बच्चा ही तो है |
रीमा ने फ़ोन रखा और वो हल्की हल्की शर्म महसूस कर रही थी, आखिर चूत और चूची जैसे शब्दों के साथ उसने रोहित से बात की | लेकिन मन तो संतोष भी था, की उसने मौसी होने के नाते अपना फर्ज निभाया | अगर वो प्रियम के बारे में नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, लेकिन उसने जो भी किया उसको उसका संतोष था | इसी विचार के साथ वो खाने की लिए सामान लाने बाहर चली गयी |
रीमा खुद को शीशे में निहार रही थी | क्या मै बूढी हो रही हूँ? अपने चेहरे को गौर से देखते हुए, चेहरे के एक एक हिस्से की गौर से जाँच करते हुआ, जैसे कोई खूबसूरत औरत अधेड़ हो जाने के बाद खुद की खूबसूरती का जायजा लेती है | वो अभी भी जवान है और किसी भी मर्द के होश उडा देने में सक्षम है, ये उसे भी पता है लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ जिसने गंभीरतापूर्वक विचार करने पर मजबूर कर दिया, पहली बार उसे अहसास हुआ की अब वो जवानी की दहलीज से फिसलना शुरू कर चुकी है | इसी के साथ टब में डुबकी लगा देती है |
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35 साल की खूबसूरत रीमा टब से नहाकर बाहर निकलती है और तेजी से खुद के नंगे बदन को तौलिये से लपेट लेती है, लेकिन आईने तक आते आते तौलियाफिसल जाता है | खुद को नंगे आईने में देखते हुए अपनी हल्की भूरी चूची को रगड़ने लगती है, कुछ ही सेकंडो में उसकी चुचियाँ कड़ी हो जाती है, वो अपने उरोजो को अपने हाथ में लेकर प्यार से मसलती है, और उसके शरीर में कामसुख की एक लहर दौड़ जाती है |
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रीमा को पता है वो उत्तेजित है और उसे सेक्स चाहिए | एक खूबसूरत विधवा के लिए उच्च चरित्र का जीवन जीना आसान नहीं होता | उसके सामाजिक दायरे में किसी भी भद्र पुरुष की तरफ वो कभी आकर्षित नहीं हुई सिवाय अपने देवर के, जिसका नाम रोहित है | समाज में रीमा को लोग बेहद उच्च चरित्र की महिला मानते है और काफी सम्मान भी देते है | रीमा ने भी इस गरिमा को बनाकर रखा हुआ है, रोहित को छोड़कर आजतक किसी और पुरुष के लिए उसके मन में कभी विचार नहीं आया, हालाँकि वो रोहित को भी वो अपने दिल की बात ये सोच कर नहीं बता पाई, कि पता नहीं क्या सोचेगा |
इधर रीमा में एक नई बात महसूस करी थी कि उसको नए लड़के बहुत अच्छे लगते थे, जब भी वो किशोरवय लड़के को देखती, उसकी दबी कुचली सेक्स इच्छाए जाग उठती और इस बात को लेकर वो बहुत ही परेशान हो जाती थी | आज रोहित का जन्मदिन था इसलिए रीमा कुछ दिनों के लिए रोहित के घर आई हुई थी | वो नहाने के बाद अपने कपडे पहनकर किचन की तरफ आई, तभी उसे लगा की घर में कोई और भी मौजूद है | पहले उसे लगा, रोहित का लड़का प्रियम होगा, लेकिन वो गलत थी| उसने प्रियम के कमरे से आती आवाजो पर ध्यान दिया, उसे प्रियम के अलावा भी कुछ और आवाजे सुनाई दे रही थी, उसे लगा प्रियम के दोस्त होंगे, लेकिन जब उसके कानो में कामुक सिसकारियों की आवाज पड़ी तो उसके कदम ठिठक गए | भले ही उसको सेक्स किये सालो गुजर गए हो लेकिन सेक्स की मादकता से भरी सिसकारियां जैसे ही उसके कानो में पड़ी वो समझ गयी, अन्दर जरुर कुछ चल रहा है | आश्चर्य और सतर्कता से वो प्रियम के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, जैसे जैसे वो प्रियम के कमरे की तरफ बढती जाती, सिसकारियो की आवाज तेज होती जा रही, जब वो प्रियम के कमरे के पास पंहुची, तो कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था | रीमा ने जो भी आँखों से देखा उस पर उसे यकीन नहीं हुआ | प्रियम और उसका दोस्त राजू, पड़ोस में रहने वाले मनोज शर्मा की बेटी नूतन को बिस्तर पर लिटाकर उसके स्तन चूस रहे थे | नूतन ने ऊपर सिर्फ एक लूज स्वेटर पहना हुआ था जिसे दोनों ने ऊपर खिसकाकर नूतन के चेहरे को ढक दिया था | राजू दोनों हाथो से नूतन का बाया स्तन चूस रहा था, जबकि प्रियम सिर्फ एक साथ में लेकर ही चुसाई कर रहा था |
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प्रियम का दूसरा हाथ नूतन की कमर की नीचे था और कपड़ो के ऊपर से ही कभी जांघो और कभी उसके बीच की जगह को सहला रहा था | ये द्रश्य देखकर रीमा को अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ | प्रियम तो अभी बहुत छोटा है ये कैसे कर सकता है ? ये बच्चे इस उम्र में यह सब कैसे कर सकते है ? इनको ये सब करने के बारे में कैसे पता चला ? ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में बिजली की तरह कौंध गए | वो सदमे में थी और उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था जो वो देख रही है वो सच है | तभी प्रियम ने नूतन की चूची में दांत गडा दिये | नूतन के मुहँ से दर्द भरी सिसकारी निकल गयी - आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् |
प्रियम - तुम हमें अपनी चिकनी गोरी चूत के दर्शन का करावोगी ?
मादक नशे में तैरती उफनती नूतन ने झट से बोली - कभी और, अभी बस चूस के काम चलावो |
प्रियम – अभी क्यों नही इतना कहकर उसने नूतन के स्तन पर दांत गडा दिए
अन्दर का नजारा देख रीमा भी गरम हो चली, उसका शरीर भी उत्तेजना के आवेश में आने लगा, लेकिन तभी उसने खुद को संयत करते हुए, बच्चो को रोकने की ठानी |
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रीमा ने तेज आवाज में खाँसा और कमरे के अन्दर की तरफ बढ़ चली | रीमा के खांसने की आवाज सुनते ही नूतन ने अपना स्वेटर तेजी से नीचे किया और झट से बिस्तर से उठकर बैठ गयी और दोनों को दूर ठेल दिया | दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढ़क गए और जब तक रीमा कमरे के अन्दर आती, नूतन बाल सही करके खड़ी हो गयी | प्रियम और राजू दोनों बिस्तर पर इधर उधर लुढकने के बाद उठकर खड़े हो गए |
कमरे के अन्दर आते की गुस्से में रीमा पूछने लगी - प्रियम ये सब क्या हो रहा है ?
तीनो सर झुकाकर जमींन की तरफ देखने लगे | रीमा ने दुबारा जोर देकर पुछा तो प्रियम उनके पैरो की तरफ निगाह रखकर हिचकिचाते हुए कहने लगा - ओह रीमा चाची क्या सरप्राइज है ?
रीमा - मैंने पुछा यहाँ क्या हो रहा था ?
कुछ नहीं रीमा चाची, हम तो अगले शनिवार पिकनिक मनाने की प्लानिंग कर रहे थे - राजू ने बहाना बनाया | रीमा - अच्छा फिर ठीक है आने दो रोहित को और तुम दोनों के माँ बाप को | यहाँ जो कुछ हो रहा था सब बताउंगी |
इतना कहकर वो तेजी से कमरे से निकल गयी और ऊपर की मंजिल में अपने कमरे में जाकर बैठ गयी | अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब वो रोहित को बताये या नहीं | ये सब उसके लिए बहुत ही शर्मनाक था |
कुछ देर बाद उसने रोहित को फ़ोन मिलाया और कमरे में जो कुछ हो रहा था वो सब बता दिया |
रोहित ने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा - रीमा तुम मजाक तो नहीं कर रही हो, क्या तुमने सच में देखा है |
रीमा - हाँ रोहित तुम्हे यकीन नहीं हो रहा मुझे भी नहीं हो रहा था, लेकिन ये सच है प्रियम नूतन की चूची चूस रहा था, उसके स्तन दबा रहा था और उसकी जांघो के बीच सहला रहा था और इसमे उसका दोस्त राजू भी साथ दे रहा था | प्रियम ने तो नूतन की चूची और स्तन पर दांत भी गडाए |
रोहित माफ़ी मागता हुआ – रीमा मै माफ़ी चाहताहूँ बात ही ऐसी है की यकीन होना मुश्किलहै
प्रियम अभी बहुत छोटा है, हो सकता है अभी उसका ठीक से खड़ा भी न होता हो |
रीमा - तुमारी बात सही है लेकिन मैंने तो की पेंट तम्बू की तरह तनी देखि है | प्रियम तो नूतन की चूत देखने के बारे में भी पूछ रहा था |
रोहित- ठीक तुमने बता दिया ये भी अच्छा कियाअब परेशान न हो मै प्रियम को समझाता हूँ लेकिन तब तक तुम इस बारे में किसी और से कोई बात नहीं करना इतनी रिक्वेस्ट है मेरी | बेवजह लोग बाते बनायेगें नहीं तो | जन्मदिन की शुभकामनाये रीमा |
रीमा - थैंक्यू रोहित, प्रियम पर कोई सख्ती मत करना, आखिर वो बच्चा ही तो है |
रीमा ने फ़ोन रखा और वो हल्की हल्की शर्म महसूस कर रही थी, आखिर चूत और चूची जैसे शब्दों के साथ उसने रोहित से बात की | लेकिन मन तो संतोष भी था, की उसने मौसी होने के नाते अपना फर्ज निभाया | अगर वो प्रियम के बारे में नहीं भी बताती तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, लेकिन उसने जो भी किया उसको उसका संतोष था | इसी विचार के साथ वो खाने की लिए सामान लाने बाहर चली गयी |