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Misc. Erotica ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण
पूनम अपनी दीदी के साथ स्टेज पे खड़ी थी और अब जयमाला होनेवाला था। लड़के वालों में से हर किसी की नज़र बस पूनम पे ही थी, लेकिन पूनम अदा के साथ बिना किसी से नज़रें मिलाये खड़ी थी। उसे पता था कि सभी उसे कैसे देख रहे होंगे और क्या क्या सोच रहे होंगे। ज्योति को अजीब लग रहा था, उसकी चुत जल रही थी। उसकी जाँघें चिपचिपी हो रही थी। वो बंटी से तुरंत चुदी थी और तुरंत ही जयमाला के लिए सब उसे ले आयी थी। बिना पैंटी के उसकी चुत बह रही थी। दूल्हा दुल्हन खड़े हुए और फिर एक दुसरे को माला पहनाने की रस्म हुई। ज्योति अपनी चुत से अपने यार का वीर्य टपकाते हुए खड़ी हुई और अपने होने वाले पति की आरती की और फिर उसके गले में माला डाली। उसकी जाँघें आपस में चिपक रही थी।

स्टेज के पास काफी भीड़ थी और हर कोई फोटो खीचने और खिचवाने के लिए स्टेज के आसपास ही था। थोड़ी देर बाद पूनम स्टेज से नीचे उतर कर बगल में खड़ी हो गयी क्यों की अब लड़के वाले फोटो खिचवाने वाले थे। अचानक से उसे अपनी गांड और कमर पे एक हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो पलट कर देखी तो पीछे बंटी उसी तरह मुस्कुराता हुआ खड़ा था। वो ज्योति की पैंटी को अपने चेहरे के पास लाकर उसे अपने नाक के पास सहलाता हुआ धीरे से पूनम के कान में कहा “थंक्स साली।” एक सेकंड में पूनम की नज़रों के सामने ज्योति की चुदाई का दृश्य घूम गया। पूनम सामने देखने लगी। सामने स्टेज पे वही लड़की दुल्हन बनी हुई फोटो खिंचवा रही थी जिसकी पैंटी बंटी के हाथों में थी और जिसके चूत से बंटी का वीर्य रिस रहा था।

बंटी का हाथ अभी भी पूनम की गांड का मखमली एहसास ले रहा था। बंटी हलके हलके उसकी गांड को दबा रहा था और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहला रहा था। पूनम एक बार हाथ हटाने की कोशिश भी की, लेकिन वो ज्यादा जोर लगा नहीं सकती थी और बंटी आसानी से हट नहीं रहा था। भीड़ पूरा था और काफी शोर हो रहा था। बंटी फिर से पूनम के कान में धीरे से बोला "तुमने आज दिल खुश कर दिया। तुम नहीं होती तो ये कभी नहीं हो सकता था।" पूनम उसकी बात का कोई जवाब नहीं दी, बस धीरे से उसे बोली "छोड़ो मुझे। हाथ हटाओ।" उसे पता था कि बंटी सच कह रहा था। वो पहरेदारी करती हुई अपनी बहन को चुदवाई थी और अगर वो नहीं होती तो इसकी उम्मीद ज्यादा थी की ज्योति दुल्हन बनकर नहीं चुदती।

बंटी को हाथ न हटाना था न वो हटाया। उसका एक हाथ सामने पूनम के पेट पर था और वो पीछे से पूनम से चिपका हुआ था। इतनी भीड़ में कौन ध्यान देता और अगर कोई देख भी रहा होगा तो उसे लग रहा होगा की बंटी भीड़ में मज़े ले रहा है। वो पूनम की बात को अनसुना करते हुए बोला "ये पहली दुल्हन होगी जो अपने BF से करवा कर यहाँ है, ये पहली दुल्हन होगी जो शादी के मंडप पे अपने BF के साथ सुहागरात मना कर बैठी है। बहुत बहुत थैंक्स साली जान। अब तुम्हारी बारी।" उसने तुम्हारी बारी बोलते हुए जोर से गांड को अंदर की तरफ दबाया की पूनम चिहुँक गयी। बहुत भीड़ थी फिर भी पूनम आगे खड़ी आंटी पे गिरने लग गयी। बंटी मुस्कुराता हुआ पीछे हो गया।

फोटो शूट ख़त्म हो गया और पूनम वापस से स्टेज पे चढ़ कर ज्योति को अन्दर ले जाने लगी। रूम में पहुँचते ही ज्योति सबसे पहले बाथरूम गयी और पूनम से मांग कर एक पैंटी पहनी। उसकी चूत से अभी तक गीलापन हटा नहीं था। पूनम उसे फिर से बंटी की अभी की हरक़त बताई, तो ज्योति भी उसे गले लगाते हुए बोली "थैंक्स पूनम, सच में तू नहीं होती तो ये नहीं होता।" पूनम उसे आगे कुछ बोलती, लेकिन अभी वहाँ कई सारे लोग आ गए थे। पूनम को लगा की ज्योति को कुछ भी बोलना बेकार है। अगर बंटी मंडप पे भी उसे चोद सके तो वो चुदवा लेगी।

शादी की बाँकी रस्मे होती रही, हँसी मज़ाक चलता रहा। रात के 2 बज गए थे और खाना पीना हो चुका था। मंडप पर शादी हो रही थी। ज्यादातर लोग सोने जा चुके थे और घर के लोग और करीबी नाते रिश्तेदार बैठ कर शादी देख रहे थे। पूनम भी एक चेयर पे बैठी हुई शादी देख रही थी। उसकी आँखें भारी हो गयी थी नींद की वजह से। दिन भर भी वो बहुत काम की थी और अभी तक वो जगी हुई थी। अचानक से चेयर के बगल से उसे अपनी कमर पे हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो चौंक गयी लेकिन अगले ही पल उसे लग गया कि ये बंटी ही होगा। और किसी की हिम्मत नहीं थी की इस तरह उसके बदन से खेले। लेकिन बंटी था कि उसे किसी भी तरह पूनम रोक ही नहीं पा रही थी। रोकती भी कैसे, वो तो खुद उससे अपनी बहन को चुदवा रही थी।

पूनम धीरे से पीछे पलटी तो बंटी मुस्कुराता हुआ बैठा हुआ था और उसे देखते ही किस उछालता हुआ आँख मार दिया। पूनम धीरे से उसके हाथ को हटाई, लेकिन तुरंत पूनम के हाथ हटते ही फिर से बंटी का हाथ पूनम की चिकनी नंगी कमर पर था। बंटी धीरे से पूनम के कान में बोला "चलो न बाहर।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इसका क्या करे वो। उसे डर भी लग रहा था कि लोग उसे देख भी रहे होंगे। अब बंटी उसकी पीठ भी सहला रहा था। वो फिर से बोला तो पूनम ना में सर हिला दी।

पूनम समझ रही थी की बंटी बाहर जाने क्यों बोल रहा था। इस रात के अंधेरे में वो उसकी भी जवानी का मज़ा लूटना चाहता था। फिर से पूनम की नज़रों में ज्योति की दुल्हन वाली चुदाई का दृश्य घूम गया। उसे बंटी का लण्ड भी दिख गया और ज्योति की चुत में पड़ने वाले धक्के भी दिख गए। उसे लगा की वो बाहर गयी तो बंटी का लण्ड उसकी चुत में भी उसी तरह धक्के लगा रहा होगा। पूनम का मन ललच गया। उसकी चुत गीली हो गयी। गुड्डू का सिखाया पढ़ाया सब याद आ गया। लेकिन अगले ही पल उसे डर लगने लगा।

उसे लगा की 'कोई देख लेगा, मेरी कोई बहन तो है नहीं पहरेदारी करने के लिए। और मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ की किसी के साथ भी करवा लूँ। तो गुड्डू के साथ क्या करवा रही थी? और विक्की के साथ क्या करवाने वाली है? वो लोग कौन हैं? वो लोग भी तो वही करेंगे। चोदेंगे, मस्ती करेंगे और बस, काम खत्म। ठीक तो बोली है ज्योति, ये भी ओके टेस्टेड माल है। इसका लण्ड भी तो देखी ही। फिर क्या परेशानी है। .... लेकिन फिर गुड्डू? उसके साथ नहीं करवाई और इससे करवा लूँ? अरे तो उसके साथ तो करवाऊँगी ही न। यहाँ से जाते ही गुड्डू से चुदवाऊँगी। दोनों से। तो क्या बंटी से चुदवा लूँ? चुदवा ले यार, फिर कहाँ ऐसी मस्ती होने वाली है।..... नाह... ये ठीक नहीं है।'

पूनम अपनी सोच में मगन थी और बंटी आराम से उसकी नंगी पीठ और बगल को सहला रहा था। उसे लग रहा था कि पूनम रेडी हो गयी है। वो फिर से बोला "चल न बाहर।" पूनम फिर से न में सर हिलायी। उसे लगा की बंटी यहाँ पे उसे परेशान करता रहेगा तो वो कुर्सी से उठने लगी। अचानक से पूनम को लगा की बंटी ने उसकी चोली का हुक और बँधा हुआ डोरी खोल दिया है। पूनम शॉक्ड हो गयी। वो पीछे पलटी तो बंटी हॉल के बाहर जा रहा था। पूनम हड़बड़ा गयी। उसे समझ नहीं आया की क्या करे, किसे बोले इसे बाँधने। सभी शादी में व्यस्त थे और वो उन अंटियों को नहीं बोलना चाहती थी जो उस से 10 सवाल करती और फिर बाद में पता नहीं क्या क्या बातें करती।

पूनम अपने दुपट्टे से खुद को अच्छे से ढँकी और हॉल से बाहर आ गयी। दुपट्टा ट्रांसपेरेंट ही था, लेकिन अभी बहुत कम लोग थे जो जगे हुए थे। हॉल में जो बाथरूम था, उसमे जाने के लिए उसे सबको पार करके जाना पड़ता और सबको उसकी खुली हुई चोली दिख जाती, इसलिए पूनम दूसरे ब्लॉक में बने बाथरूम की तरफ चल पड़ी।

बंटी बाथरूम के पास ही खड़ा था और पूनम को मुस्कुराता हुआ देख रहा था। उसे देखकर पूनम गुस्सा होती हुई बोली "तुम पागल हो क्या? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की। बोली हूँ न की जो करना है ज्योति दी कि साथ करो, मुझसे दूर ....." पूनम की बात पूरी भी नहीं हुई थी की बंटी आगे बढ़ा और पूनम को गले से लगा लिया।

पूनम अपने दुप्पट्टे से खुद को ढँकी हुई थी तो वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई। जब तक वो दुप्पटे से अपने हाथ को बाहर निकाली तब तक बंटी उसके होठों को चूमता हुआ उसके पीठ को सहला रहा था और खुद से चिपका लिया था। पूनम को उम्मीद नहीं थी की बंटी कुछ ऐसा भी करेगा, लेकिन यहाँ कोई नहीं था जो उन्हें देखता।

पूनम दुप्पट्टे से अपने हाथ को आज़ाद की और खुद को छुड़ाने के लिए बंटी को धक्का देने लगी। लेकिन बंटी हाथ आये माल को छोड़ने के मूड में नहीं था। वो कस के पूनम को पकड़े रहा लेकिन तुरंत उसे लगा की लोग जग सकते हैं या कोई यहाँ आ सकता है। उसने पूनम के चोली की गले के पास वाली डोरी को भी खोल दिया और अब चोली पूनम के बदन में बँधी हुई नहीं थी।

पूनम पूरी ताकत लगा कर बंटी के बदन से खुद को छुड़ाई और तब अचानक उसे एहसास हुआ की वो ऊपर से नंगी थी। पूनम का दुप्पट्टा इस छिना झपटी में ज़मीन पे गिरा हुआ था और बंटी उसकी चोली अपने हाथ में झुलाता हुआ पीछे पलट कर मुस्कुराता हुआ सीढ़ियों पर चढ़ता जा रहा था। पूनम इस तरह खुल्ले में टॉपलेस होकर अधनंगी खड़ी थी। लाइट में उसका दूधिया बदन चमक रहा था। बंटी उसकी गोल रसगुल्लों को देखता हुआ मुस्कुराता ऊपर छत पर जा रहा था। जैसे ही पूनम को अपनी नग्नता जा एहसास हुआ, वो झट से अपने दुप्पट्टे को उठायी और जल्दी से खुद को ढँकी और बंटी को आवाज़ देती हुई उसके पीछे भागी। उसे यकीन नहीं हुआ की वो इस तरह इस हालत में ऐसी जगह पर भी हो सकती है और इस तरह किसी लड़के के पीछे जायेगी।

बंटी छत पर पहुँच चूका था और पूनम ट्रांसपेरेंट दुप्पट्टे से अपने नंगेपन को छुपाने की नाकाम कोशिश करती हुई उसके पीछे छत पर आ चुकी थी। वो हैरान परेशान सी बंटी को ढूंढने लगी, लेकिन छत बड़ा था और रात का वक़्त था। वो धीरे से आवाज़ देती हुई बोली "बंटी, प्लीज़... ऐसे मत करो। मेरी चोली दो मुझे।" वो छत की दूसरी तरफ आयी तो बंटी उसे छत के कोने में खड़ा दिखा। पूनम की चोली बंटी के हाथ में थी और छत से नीचे की तरफ लटकती हुई लहरा रही थी।

पूनम और ठीक से अपने बदन को ढँकने की कोशिश की और बोली "मेरी चोली लाओ इधर, ये तुम ठीक नहीं कर रहे। मैं बता दूँगी सबको की तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो।" बंटी उसकी तरफ पलटा और बोला "क्या बताओगी? की मैं यहाँ छत पर तुम्हे जबर्दस्ती लेकर आया हूँ। मैंने जबर्दस्ती तुम्हारी चोली को उतारा है। क्या बताओगी की मैंने ज्योति के साथ रेप किया है?" पूनम कुछ नहीं बोली। उसके पास कोई जवाब नहीं था। अगर अभी कोई उसे देख लेता तो यही समझता की वो अपनी मर्ज़ी से यहाँ बंटी के साथ जवानी की मस्ती कर रही है।

पूनम अपनी हिम्मत हारती हुई बोली "किसी को कुछ नहीं बोलूँगी। प्लीज़ मेरी चोली मुझे दे दो। कोई देख लेगा, कोई आ जायेगा। मैं कितनी मदद की तुम्हारी, प्लीज़ मेरे साथ ऐसा मत करो।" बंटी पूनम की तरफ आगे बढ़ता हुआ बोला "ठीक है दे दूँगा। बस एक बार अपने चमकते जिस्म को देख तो लेने दो। तुम्हारे जैसी परी को देखने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।" पूनम शर्मा कर अपना सर झुका ली। बंटी उसकी नंगी चुच्ची को देखना चाहता था जिसकी एक झलक वो अभी नीचे देख चुका था।

"प्लीज़ ऐसा मत करो। मैं कितनी हेल्प की तुम्हे ज्योति से मिलाने में। प्लीज़ मेरी चोली मुझे दे दो। कोई आ जायेगा।" बंटी पूनम की तरफ आगे बढ़ने लगा तो पूनम भी थोड़ी पीछे हो गयी। बंटी अपनी जगह पर रुक गया और वापस से छत की दीवाल तक जाता हुआ बोला "तो ठीक है, मैं जाता हूँ नीचे और तुम्हारी चोली को भी नीचे भेज देता हूँ।" पूनम की चोली फिर से छत के नीचे होकर बंटी के हाथों में लहरा रही थी।

पूनम डर गयी की कहीं बंटी ने सच में चोली नीचे फेंक दिया या गलती से भी उसके हाथ से अगर छूट गया तो वो क्या करेगी। वो खुद को नंगी करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार कर ली। बोली "प्लीज़ ऐसा मत करो बंटी। तुम ज्योति दी कि साथ किये न, तुम उससे प्यार करते हो न। प्लीज़...." बंटी बोला "तुम्हारी ज्योति दी तो गयी साली साहिबा, अब तो वो दूसरे के बिस्तर पे नंगी होगी। मेरे बिस्तर पे कौन नंगी होगी?"

पूनम कुछ नहीं बोली। वो तैयार हो रही थी। बंटी आगे बोला "देर मत करो साली, मुझे देख लेने दो एक बार तुम्हारा सुनहला बदन।" पूनम सर झुकाए खड़ी थी। बंटी फिर से चलते हुए उसके सामने आया और कंधे पर हाथ रखता हुआ पूनम के गर्दन को सहलाने लगा। पूनम कोई विरोध नहीं की सिवाय गर्दन हिला कर बंटी के हाथ को रोकने की। वो अपने हाथ का इस्तेमाल कर नहीं सकती थी। बंटी उसके और करीब आ गया और एक हाथ पूनम की कमर पर रखा और उसकी कमर, बगल को सहलाता हुआ पीठ को सहलाने लगा। बंटी का हाथ उसके नंगे बदन पर फिसल रहा था और पूनम की जवानी गर्म हो रही थी।

कुछ ही पल में बंटी का हाथ पूनम के बगल से रेंगता हुआ दुप्पट्टे के अंदर पहुँच गया था और पूनम की चुत गीली होने लगी थी। वो समझ गयी थी की अब उसे नंगी होना होगा और बंटी से चुदवाना होगा। बंटी ने पूनम का हाथ उसके सीने से हटाया तो पूनम धीरे से बस "प्लीज़ बंटी... नहीं..." बोलती हुई अपनी पकड़ ढीली कर दी और बंटी पूनम का हाथ उसके सामने से हटा दिया। उसकी नज़रों के सामने पूनम की दूधिया जवानी चमकने लगी। बंटी ने पूनम के दोनों हाथों को सीधा कर दिया और उसकी गोल गुदाज चुचियों को देखता हुआ दुप्पट्टे को उतार कर हटा दिया। पूनम सर झुकाए जमीन पर देखते हुए खड़ी थी। वो एक और लड़के के सामने नंगी खड़ी थी। ऐसे लड़कों के सामने जिन्हें बस उसे चोदना था, बस मस्ती करनी थी।

बंटी उसके बदन को निहारता हुआ थोड़ा पीछे होता हुआ बोला "जाओ, दरवाज़ा बंद कर दो।" पूनम को इस चीज़ की उम्मीद नहीं थी। उसे लगा था कि अब बंटी उसके बदन से खेलता हुआ उसे नंगी करेगा और फिर अपने मोटे काले लण्ड से उसकी चुदाई करेगा। पूनम चुदवाने के लिए खुद को तैयार कर ली थी, लेकिन वो तो दूसरे ही मूड में था। पूनम को तो समझ ही नहीं आया की वो क्या करे। वो बस अपने हाथों से अपनी छाती को फिर से ढँक ली। छत पर ज्यादा रौशनी नहीं थी, लेकिन नीचे शादी की जगमग रौशनी और ऊपर आसमान में मौजूद आधा चाँद इतनी रौशनी दे रहा था कि पूनम का गोरा बदन बंटी की नज़रों में चमक बिखेरता रहे।

बंटी फिर से बोला "हाथ नीचे करो और जैसे कमर मटका कर चलती हो, वैसे चल कर जाओ और दरवाज़ा बंद कर दो। अगर कोई आ गया न तो समझ लेना तुम की किसे क्या बोलोगी।" बंटी पूनम के दुप्पट्टे को छत से उठा लिया और चोली के साथ लपेट कर छत के कोने में फेंक दिया। पूनम कुछ बोलने का सोंची लेकिन फिर उसे लगा बोलने से कोई फायदा नहीं है। वो खुद को तैयार कर ली की अब चुदवा ही लेना है।

वो दरवाज़े की तरफ घूमी और अपने हाथ को नीचे करते हुए जाने लगी। वो बहुत रोमांचित महसूस कर रही थी की इस तरह छत पर अपनी चूचियाँ नंगी कर हिलाते हुए वो चल रही है। वो कभी नहीं सोची थी की इस तरह कहीं और नंगी घूमेगी, कोई लड़का इस तरह उसे नंगी घुमाएगा। पूनम दरवाज़ा बंद कर दी और वापस बंटी की तरफ घूमी तो वो न चाहते हुए भी शर्मा गयी और उसके हाथ उसके सीने पर आ गए। पूनम वापस उसी जगह पर आकर खड़ी हो गयी और बोली "अब देख लिए न, अब मेरे कपड़े वापस दो और मुझे जाने दो।" पूनम को पता था कि वो ऐसे ही बोल रही है, इसका कोई मतलब नहीं है और बंटी को अगर कपड़ा देना होता तो वो दरवाज़ा बंद नहीं करवाता। पूनम भी अब चुद जाने के लिए तैयार थी। ज्योति की बात मान ले रही थी।
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RE: ये कहाँ आ गए हम - पूनम का रूपांतरण - by Bunty4g - 06-05-2019, 10:07 PM



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