06-05-2019, 11:22 AM
गुड्डो - अनुज
गुड्डो अनुज के देख कर जोर से मुस्करायी , सुबह दुलारी की हरकतें , फिर मेरी शिक्षा
अब वो भी बोल्ड हो गयी थी ,
" यार सुन , ... एक काम करेगी मेरा , ... जिस कमरे में हम लोग सोए थे न दुपहर में ,... तुम तो मेरे ठीक बगल में ही लेटी थी "
मैंने गुड्डो को समझाया।
" हाँ याद है मुझे ,... "
वो बोल मुझसे रही थी लेकिन निगाहें अनुज के साथ कबड्डी खेल रही थीं ,...
" तो बस वही , शायद मेरे बाल का एक काँटा वहीँ तकिये के नीचे ,
हो सकता है न भी हो , ... पर अच्छी तरह देख लेना ,.. "
फिर मैंने अनुज को बोला
" यार तू भी न ज़रा इसके साथ चले जाओ , नीचे एकदम सन्नाटा होगा ,
सब लोग तो ऊपर हैं , ... मैं जेठानी जी से चाभी उस कमरे की मांग के दे देती हूँ , "
" अब भाभी कोई बात कहें तो देवर की हिम्मत टालने की ,... "
वो मुस्कराया , बात वो अच्छी तरह समझ गया था ,
तभी उन दोनों का और फायदा हो गया , लाइट चली गयी ,
ऊपर तो जेनरेटर था नीचे घुप्प अँधेरा ,...
" अँधेरे में कैसे ,... " मैंने पूछा तो अनुज ने अपने मोबाइल की टार्च दिखा दी।
दोनों नीचे जा रहे थे की मैंने गुड्डो को बुला लिया ,...
और फुसफुसा के बोली
" दुलारी की बात याद रखना , उस कमरे में गद्दे भी है तकिया भी
और अगर तुमने जरा भी ना नुकुर किया न , ... और पौन घंटे से पहले ऊपर आयी तो समझ लेना , वैसलीन तो तेरी चुनमुनिया में मैंने शाम को लगा ही दिया था अच्छी तरह , क्या पता कब गुलाबो की लाटरी खुल जाए ,... "
वो मुस्करा रही थी ,
लेकिन उसके चलने के पहले मैंने उसे फिर रोक लिया
और अपने बाल में से काँटा निकाल के दे दिया ,
" यही कांटा है , बहुत ढूंढना पड़ा तुझे तब मिला , आधे घंटे के बाद ,...
और अब शलवार का नाड़ा न खुला न तो ,... "
मैंने उसे हड़काया।
जेनरेटर चलने में तो टाइम लगता है ,
जब तक छत पर लाइट आयी गुड्डो और अनुज नीचे ,... अँधेरे कमरे में ,...
मैं अपनी बाकी नंदों के साथ उन्हें छेड़ती , ... नन्दोई जी भी आ गए थे ,... खूब मस्ती ,...
लेकिन पौन घंटे नहीं , पूरे एक घण्टे बाद गुड्डो आयी , एकदम थकी , मेकअप हलका सा उतरा , ... टाँगे फैली ,... और उसने मेरा कांटा दे दिया।
अनुज और बाद में आया , खूब खुश ,
लेकिन तबतक मेरी सासु जी ने एक बार फिर हड़का लिया ,
मुझे नहीं ननदों जेठानियों को।
" अरे बहू को थोड़ा आराम करने दो , नौ कब का बज गया , ...जाओ बहू तुम आराम करो ,... और तुम लोग अपनी भाभी से बाकी गप्प कल मार लेना , कल वैसे भी रसोई छूने की रस्म दिन में ,... और रात में गाना बजाना , यहीं छत पर ,.. "
नौ बजने में पूरे बीस मिनट बाकी थे ,
सास की आँखे बहुत तेज थीं , नौ बजने के पहले ही वो मुझे मेरे कमरे में भेज देती थी , जब तक मैं ससुराल में रही ,...
ये भी नहीं दिख रहे थे।
मैं कमरे में घुसी तो , ...
ये पहले से रजाई में घुसे ,...
शाम की तरह इन्हे दिखा के मैंने दरवाजा अच्छी तरह अंदर से बंद किया , चूनर हटाई , मेरे दोनों जोबन कोर्सेट से बाहर छलक रहे थे।
गुड्डो अनुज के देख कर जोर से मुस्करायी , सुबह दुलारी की हरकतें , फिर मेरी शिक्षा
अब वो भी बोल्ड हो गयी थी ,
" यार सुन , ... एक काम करेगी मेरा , ... जिस कमरे में हम लोग सोए थे न दुपहर में ,... तुम तो मेरे ठीक बगल में ही लेटी थी "
मैंने गुड्डो को समझाया।
" हाँ याद है मुझे ,... "
वो बोल मुझसे रही थी लेकिन निगाहें अनुज के साथ कबड्डी खेल रही थीं ,...
" तो बस वही , शायद मेरे बाल का एक काँटा वहीँ तकिये के नीचे ,
हो सकता है न भी हो , ... पर अच्छी तरह देख लेना ,.. "
फिर मैंने अनुज को बोला
" यार तू भी न ज़रा इसके साथ चले जाओ , नीचे एकदम सन्नाटा होगा ,
सब लोग तो ऊपर हैं , ... मैं जेठानी जी से चाभी उस कमरे की मांग के दे देती हूँ , "
" अब भाभी कोई बात कहें तो देवर की हिम्मत टालने की ,... "
वो मुस्कराया , बात वो अच्छी तरह समझ गया था ,
तभी उन दोनों का और फायदा हो गया , लाइट चली गयी ,
ऊपर तो जेनरेटर था नीचे घुप्प अँधेरा ,...
" अँधेरे में कैसे ,... " मैंने पूछा तो अनुज ने अपने मोबाइल की टार्च दिखा दी।
दोनों नीचे जा रहे थे की मैंने गुड्डो को बुला लिया ,...
और फुसफुसा के बोली
" दुलारी की बात याद रखना , उस कमरे में गद्दे भी है तकिया भी
और अगर तुमने जरा भी ना नुकुर किया न , ... और पौन घंटे से पहले ऊपर आयी तो समझ लेना , वैसलीन तो तेरी चुनमुनिया में मैंने शाम को लगा ही दिया था अच्छी तरह , क्या पता कब गुलाबो की लाटरी खुल जाए ,... "
वो मुस्करा रही थी ,
लेकिन उसके चलने के पहले मैंने उसे फिर रोक लिया
और अपने बाल में से काँटा निकाल के दे दिया ,
" यही कांटा है , बहुत ढूंढना पड़ा तुझे तब मिला , आधे घंटे के बाद ,...
और अब शलवार का नाड़ा न खुला न तो ,... "
मैंने उसे हड़काया।
जेनरेटर चलने में तो टाइम लगता है ,
जब तक छत पर लाइट आयी गुड्डो और अनुज नीचे ,... अँधेरे कमरे में ,...
मैं अपनी बाकी नंदों के साथ उन्हें छेड़ती , ... नन्दोई जी भी आ गए थे ,... खूब मस्ती ,...
लेकिन पौन घंटे नहीं , पूरे एक घण्टे बाद गुड्डो आयी , एकदम थकी , मेकअप हलका सा उतरा , ... टाँगे फैली ,... और उसने मेरा कांटा दे दिया।
अनुज और बाद में आया , खूब खुश ,
लेकिन तबतक मेरी सासु जी ने एक बार फिर हड़का लिया ,
मुझे नहीं ननदों जेठानियों को।
" अरे बहू को थोड़ा आराम करने दो , नौ कब का बज गया , ...जाओ बहू तुम आराम करो ,... और तुम लोग अपनी भाभी से बाकी गप्प कल मार लेना , कल वैसे भी रसोई छूने की रस्म दिन में ,... और रात में गाना बजाना , यहीं छत पर ,.. "
नौ बजने में पूरे बीस मिनट बाकी थे ,
सास की आँखे बहुत तेज थीं , नौ बजने के पहले ही वो मुझे मेरे कमरे में भेज देती थी , जब तक मैं ससुराल में रही ,...
ये भी नहीं दिख रहे थे।
मैं कमरे में घुसी तो , ...
ये पहले से रजाई में घुसे ,...
शाम की तरह इन्हे दिखा के मैंने दरवाजा अच्छी तरह अंदर से बंद किया , चूनर हटाई , मेरे दोनों जोबन कोर्सेट से बाहर छलक रहे थे।