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शालिनी हमबिस्तर बहन
#22
मैं रात को घर आया और शालिनी से उसकी तबियत के बारे में पूछा तो उसने कहा,
शालिनी- जी, पेन किलर से आराम मिल गया है ।

वो इस समय बेड पर लेट कर टीवी देख रही थी, उसने आज अभी तक समीज और निक्कर ही पहन रखा था, समीज में भी ब्रा की तरह कंधों पर सिर्फ पट्टियां होने से उसके खुले कंधों के नीचे दो नारियल साइज की चूचियों के दर्शन करना एक अलग ही मजा है। मुझे लगा कि इस तरह उसके सेक्सीे शरीर का दीदार आसानी से मिलता रहेगा । वो उठने को हुई तो मैंने मना कर दिया और कहा कि तुम आराम करो, मैं चेंज करके काफी बनाता हूं । मैंने चेंज करके काफी बनायी और शालिनी के पास बेड पर बैठ कर ,हम दोनों काफी पीने लगे, 

मैं- मैं बाहर से जाकर खाना ले आता हूं, तुम आराम करो ।

शालिनी- नहीं,,, नहीं मैं बना लूंगी,ऐसी कोई प्राब्लम नही है, अभी हल्का सा दर्द हो रहा है बस,,,

मैं- अच्छा ठीक है कुछ हल्का फुल्का बना लो, बस... 

आप नहा लो तब तक मैं कुछ खाना बना लेती हूं,,,,

मैंने कुछ देर बाद नहाने के बाद फिर से बिना अंडरवियर के बरमूडा पहना, उपर बनयान भी नहीं पहनी और शालिनी के पीछे किचन में जाकर खड़ा हो गया और उसने मुझे देख कर बोला कि आप दो मिनट बाद गैस बंद कर देना, अब मैं भी जरा नहा लूं....

और वो अंदर कमरे में जाकर हाथ में एक पैड लिए हुए निकली और बाथरूम में घुस गई । मतलब शालिनी अब अपना पैड बदलेगी, शायद पहले वाला ब्लड में भीग गया हो, लड़कियां माहवारी के दौरान अपनी बुर में पैड कैसे लगाती हैं मुझे कोई आईडिया नहीं था, ये सब सोच कर ही मेरे लौड़े में गज़ब की सनसनी हुई ।

मैं पीछे से उसकी लहराती कमर को देखकर फिर से उसके पीरियड के दर्द को भूलकर अपने लिए मौके की तलाश करने लगा, कि शालिनी के साथ शारीरिक छेड़छाड़ या प्यार का कोई मौका मैं कैसे निकालूं ।

मैं गैस बंद करके टीवी देखने लगा और रोज की अपेक्षा शालिनी ने नहाने में काफी समय लगाया, 

और फिर हम दोनों ने साथ में खाना खाया और सोने की कोशिश करने लगे,,,, इस बीच काफी बातें होती रहीं इधर उधर की और मैं शालिनी की हिलती चूचियों को देख कर मजा लेता रहा ।

मैं टीवी पर चैनल बदल रहा था फिर एक म्यूजिक चैनल पर एक हाट सांग आ रहा था जिसमें हीरो पूरे सांग में हीरोइन को सिर्फ चूमता और चाटता ही रहता है,,, मैं कनखियों से शालिनी को देख रहा था और वो भी बड़े आराम से सांग देख रही थी ।। उस चैनल पर एक से एक हाट गाने आते जा रहे थे और हम दोनों देखते रहे करीब आधा घंटे तक और फिर हम टीवी आफ करके सो गए।

करीब दो बजे रात को शालिनी ने मुझे जगाया और
फिर शालिनी ने कहा भाई जी थोड़ा सा पेन बढ़ रहा है क्या मैं दूसरी पेन किलर खा लूं, तो मैंने मना कर दिया कि अब सुबह से पहले दूसरी टैबलेट नहीं खा सकते ।

और मैं शालिनी की ओर करवट बदल कर देखने लगा....

मैंने शालिनी के चेहरे को गौर से देखा तो उसके चेहरे से दर्द की रेखाएं नजर आ रही थी, शालिनी ने मुझे ऐसे देखते हुए देखा और 
उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और मेरी आंखों में देखते हुए बोली - भाई आप परेशान ना हों, थोड़ा दर्द तो होगा ही , घर पर कभी कभी रात में ज्यादा होता था तो मम्मी बाटल में गर्मपानी भरकर उससे पेट की सिंकाई कर देती थीं और फिर आराम हो जाता था । 
मैं वैसा ही करती हूं और वो उठने लगी तो मैंने उसे कहा तुम लेटो मैं लाता हुं पानी गर्म करके,,,,

पानी गर्म करके एक कांच की बोतल में भरकर शालिनी को बोला...

मैं- कैसे करना है बताओ तो मैं कर दूं ।

शालिनी- जी, जी, वो भाई मम्मी बोतल को पेट पर रख कर उसे गोल गोल घुमाया करती थी बस आराम हो जाता था,,, 

मैं- ठीक है,,,, 

और मैंने बेड पर शालिनी के साइड में बैठ कर पानी भरी बोतल उसके हाथ में छूआते हुए बोला कि देख लो ज्यादा गर्म तो नहीं है, उसने छूकर कहा - ठीक है ।

मैंने धीरे से बोतल शालिनी के पेट पर रख दी और समीज के उपर से ही बोतल को उसके पेट पर घुमाने लगा । 
मैं इस समय ऐसे बैठा था कि शालिनी की दाहिनी जांघ से मेरी जांघ छू रही थी और मैं धीरे धीरे उसके पेट पर हाथ से बोतल घुमाता रहा, इस बीच मेरा लन्ड खड़ा हो गयाशालिनी- जी, जी, वो भाई मम्मी बोतल को पेट पर रख कर उसे गोल गोल घुमाया करती थी बस आराम हो जाता था,,, 
मैं- ठीक है,,,, 
और मैंने बेड पर शालिनी के साइड में बैठ कर पानी भरी बोतल उसके हाथ में छूआते हुए बोला कि देख लो ज्यादा गर्म तो नहीं है, उसने छूकर कहा - ठीक है ।
मैंने धीरे से बोतल शालिनी के पेट पर रख दी और समीज के उपर से ही बोतल को उसके पेट पर घुमाने लगा । मैं इस समय ऐसे बैठा था कि शालिनी की दाहिनी जांघ से मेरी जांघ छू रही थी और मैं धीरे धीरे उसके पेट पर हाथ से बोतल घुमाता रहा, इस बीच मेरा लन्ड खड़ा हो गया, खैर शालिनी ने हल्का सा आंखें बंद कर रखीं थीं और वह इस तरफ देख भी नहीं रही थी, मगर अब मेरे लिए बहुत मुश्किल काम था अपने हाथों को उसकी चूचियां दबाने, सहलाने से रोकने के लिए, 
पांच मिनट बाद शालिनी ने आंखें खोली और
शालिनी- भाई जी, पानी ठंडा हो गया है अब थोड़ा सा समीज हटा कर पेट पर बोतल रखिए,प्लीज़....
अधनंगी तो वो वैसे ही थी, एक पतली सी समीज उसके अंदर ब्रा भी नहीं,,,,
मैं- ठीक है बेटा, आराम तो मिल रहा है ना,,,, मैंने धीरे से उसकी समीज को उसकी चूचियों तक उठाया जिसमें उसने हल्के से उठकर मदद की, मेरी उंगलियों से उसकी चूची का निचला हिस्सा छू गया.... और मेरे लन्ड ने झटका खाया,पूरे शरीर के रोएं खड़े हो गए,,, 
इन्ही चूचियों को मैं सहला भी चुका था मगर शालिनी के सोते हुए,, शालिनी ने आंखें फिर से बंद कर ली,, अब मैंने थोड़ा हिम्मत करके बोतल को बार बार उसकी चूचियों से लेकर नीचे उसकी निक्कर तक घुमाने लगा..... मैं बार बार हल्का सा दबाव बनाता जब मेरा हाथ उसकी चूचियों के नीचे जाता,,,, मैं अब खुल कर उसके नंगे, चिकने पेट को सहलाने लगा... मैं अब बिना डरे सिर्फ अपने हाथ से उसके पेट को सहलाने लगा... 
तभी शालिनी के मुंह से आह,,,, उंह,,,, सी,,,,सी,,,, जैसी अजीब सी आवाजें आने लगी... मैं अचानक रुक गया ।
मैं- क्या हुआ स्वीटी,,, दर्द और तेज हो गया है क्या ?
शालिनी ने हल्की सी आंख खोल कर मेरी ओर देखा और उसके चेहरे पर बहुत ही मासूमियत भरी हल्की सी मुस्कान थी ।
शालिनी- भाई जी, अब काफी आराम है, दर्द बिल्कुल कम हो रहा है, प्लीज़ थोड़ा सा और कर दीजिए ऐसे ही... 
मैं- पानी तो बिल्कुल ठंडा हो गया है मैं हल्का गर्म करके लाता हूं।
किचन में पानी गर्म करते हुए मैंने अपने लौड़े को बरमूडे से बाहर निकाल लिया और जल्दी जल्दी मुठ मारने के जैसे उसकी खाल को आगे पीछे करने लगा, मगर मेरा पानी जल्दी नहीं निकल रहा था तो मैं बोतल में पानी भर कर फिर से उसी तरह खड़े लन्ड के साथ फिर से शालिनी के खुले पेट की मालिश करने लगा । कुछ देर बाद शालिनी ने धीरे से कहा--- भाई थोड़ा सा और नीचे...
और मैं अब बोतल को उसकी निक्कर के उपर उसके पेट के नीचे तक घुमाने लगा । मैंने मौके का फायदा उठा कर अपना दूसरा हाथ उसकी पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा । मैं एक साइड से उसकी कमर को दबाकर दूसरे हाथ से बोतल घुमाता रहा,,,, बीच बीच में शालिनी हल्का हल्का ऊंह,,,, आह करती रही, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था... मैंने बोतल रख दी और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स से लेकर चूत के उपर जहां तक पैड था वहां तक सहलाने लगा..... शालिनी की आंखें वैसे ही बंद थी,,,, मैंने सारी हिम्मत बटोर कर समीज के अंदर थोड़ा सा हाथ उपर करके उसकी चूचियों को सहला दिया,,,, उपर से नीचे तक सहलाते हुए मैंने कई बार उसकी चूचियों को सहलाया और धीरे-धीरे मैं उसके पूरे खुले पेट से लेकर चूंची तक सहलाता रहा,,,,, शालिनी के मुंह से हल्की सिसकियां जैसी निकल रही थीं और मैं भी सातवें आसमान पर पहुंच गया था.... लन्ड की नसें फूल कर फटने को हो रही थी कि शालिनी ने आंखें बंद करके ही बोला-
भाई ईईई ... अब मैं ठीक हूं,आप भी अब आराम कर लो....
इस समय भी मेरा दाहिना हाथ शालिनी की बायीं चूंची पर था, समीज के अंदर ही... मैंने उसे हटाया नहीं और शालिनी से कहा- ठीक है, तुम सो जाओ मैं थोड़ा सा और सहला देता हूं ,,,
शालिनी- हूं.... और वो वैसे ही लेटी रही.....
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था कि मैंने अपनी जवानी से भरपूर , हुस्न की मल्लिका, अपनी ही बहन शालिनी की चूचियों को छुआ है और सहलाया भी है और अब तो शालिनी की तरफ से कोई रोक टोक नहीं है,,, 
मैं फिर से अपने काम में लग गया और इस बार मैं समीज को जितना उपर हो सकता था उतना उठा दिया, एक साइड की चूंची का निप्पल भी दिखने लगा । मैं अब धीरे से उठा और शालिनी के दुसरी तरफ जाकर बराबर में लेटकर उसके पेट को सहलाने लगा,बीच बीच में मैं उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबाने भी लगा,, शालिनी शायद अब धीरे धीरे नींद के आगोश में समा रही थी, 
वो कहते है ना कि जब जितना मज़ा मिल रहा हो तो भूख और बढ़ जाती है, अब मेरा मन कर रहा था कि मैं शालिनी की चूंची को मुंह में लेकर चूस डालूं, उसके भूरे रंग के निप्पल को चूसने के ख्याल से ही शरीर में चींटियां रेंग गई... 
मैंने अपने लालची मन को समझाया कि परेशान ना हो वो दिन भी जल्दी आने वाला है जब इन गुदाज चुचियों को मैं अपने होंठों से चाटूंगा,प्यार करूंगा । अब मैं इससे आगे बढ़ कर अपना काम ख़राब नहीं करना चाहता था, सो मैं बिस्तर से उठ कर बाहर आ गया और तभी मेरी नज़र शालिनी की नई ब्रा पर पड़ी जो उसने सूखने के लिए बरामदे में रही पर डाली थी, मैं उसे उतार कर बाथरूम में लेकर चूस गया और अपने लौड़े पर उसे लपेट कर रगड़ रगड़ कर आंखें बंद करके शालिनी की मादक चूचियों को याद करते हुए उसकी ब्रा में झड़ गया । झड़ने के बाद भी मेरे लौड़े में गज़ब का तनाव बाकी था, ऐसा लग रहा कि अभी फिर से खड़ा हो जाएगा । मैंने उसकी ब्रा को फिर से रही पर डाल दिया और अंदर आकर शालिनी की अधनंगी चूचियों पर हाथ रख कर सोने लगा ।
खैर, शालिनी ने हल्का सा आंखें बंद कर रखीं थीं और वह इस तरफ देख भी नहीं रही थी, मगर अब मेरे लिए बहुत मुश्किल काम था अपने हाथों को उसकी चूचियां दबाने, सहलाने से रोकने के लिए, 

पांच मिनट बाद शालिनी ने आंखें खोली और

शालिनी- भाई जी, पानी ठंडा हो गया है अब थोड़ा सा समीज हटा कर पेट पर बोतल रखिए,प्लीज़....

अधनंगी तो वो वैसे ही थी, एक पतली सी समीज उसके अंदर ब्रा भी नहीं,,,,

मैं- ठीक है बेटा, आराम तो मिल रहा है ना,,,, 

मैंने धीरे से उसकी समीज को उसकी चूचियों तक उठाया जिसमें उसने हल्के से उठकर मदद की, मेरी उंगलियों से उसकी चूची का निचला हिस्सा छू गया.... और मेरे लन्ड ने झटका खाया,पूरे शरीर के रोएं खड़े हो गए,,, 

इन्ही चूचियों को मैं सहला भी चुका था मगर शालिनी के सोते हुए,, शालिनी ने आंखें फिर से बंद कर ली,, अब मैंने थोड़ा हिम्मत करके बोतल को बार बार उसकी चूचियों से लेकर नीचे उसकी निक्कर तक घुमाने लगा..... मैं बार बार हल्का सा दबाव बनाता जब मेरा हाथ उसकी चूचियों के नीचे जाता,,,, मैं अब खुल कर उसके नंगे, चिकने पेट को सहलाने लगा... मैं अब बिना डरे सिर्फ अपने हाथ से उसके पेट को सहलाने लगा... 

तभी शालिनी के मुंह से आह,,,, उंह,,,, सी,,,,सी,,,, जैसी अजीब सी आवाजें आने लगी... मैं अचानक रुक गया ।

मैं- क्या हुआ स्वीटी,,, दर्द और तेज हो गया है क्या ?
शालिनी ने हल्की सी आंख खोल कर मेरी ओर देखा और उसके चेहरे पर बहुत ही मासूमियत भरी हल्की सी मुस्कान थी।।

शालिनी- भाई जी, अब काफी आराम है, दर्द बिल्कुल कम हो रहा है, प्लीज़ थोड़ा सा और कर दीजिए ऐसे ही... 

मैं- पानी तो बिल्कुल ठंडा हो गया है मैं हल्का गर्म करके लाता हूं।

किचन में पानी गर्म करते हुए मैंने अपने लौड़े को बरमूडे से बाहर निकाल लिया और जल्दी जल्दी मुठ मारने के जैसे उसकी खाल को आगे पीछे करने लगा, मगर मेरा पानी जल्दी नहीं निकल रहा था तो मैं बोतल में पानी भर कर फिर से उसी तरह खड़े लन्ड के साथ फिर से शालिनी के खुले पेट की मालिश करने लगा । अब उसके पेट में अजीब सी थिरकन हो रही थी, जैसे वो कांप रही हो,,,,

कुछ देर बाद शालिनी ने धीरे से कहा--- भाई थोड़ा सा और नीचे...

और मैं अब बोतल को उसकी निक्कर के उपर उसके पेट के नीचे तक घुमाने लगा । मैंने मौके का फायदा उठा कर अपना दूसरा हाथ उसकी कमर पर रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा । 
मैं एक साइड से उसकी कमर को दबाकर दूसरे हाथ से बोतल घुमाता रहा,,,, बीच बीच में शालिनी हल्का हल्का ऊंह,,,, आह करती रही, 
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था... मैंने बोतल रख दी और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स से लेकर चूत के उपर जहां तक पैड था वहां तक सहलाने लगा..... शालिनी की आंखें वैसे ही बंद थी,,,, 
मैंने सारी हिम्मत बटोर कर समीज के अंदर थोड़ा सा हाथ उपर करके उसकी चूचियों को सहला दिया,,,, उपर से नीचे तक सहलाते हुए मैंने कई बार उसकी चूचियों को सहलाया और धीरे-धीरे मैं उसके पूरे खुले पेट से लेकर चूंची तक सहलाता रहा,,,,, 
शालिनी के मुंह से हल्की सिसकियां जैसी निकल रही थीं और मैं भी सातवें आसमान पर पहुंच गया था.... लन्ड की नसें फूल कर फटने को हो रही थी कि शालिनी ने आंखें बंद करके ही बोला-
भाई ईईई ... अब मैं ठीक हूं,आप भी अब आराम कर लो....

इस समय भी मेरा दाहिना हाथ शालिनी की बायीं चूंची पर था, समीज के अंदर ही... मैंने उसे हटाया नहीं 
और शालिनी से कहा- ठीक है, तुम सो जाओ मैं थोड़ा सा और सहला देता हूं ,,,

शालिनी- हूं.... और वो वैसे ही लेटी रही.....
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था कि मैंने अपनी जवानी से भरपूर , हुस्न की मल्लिका, अपनी ही बहन शालिनी की चूचियों को छुआ है और सहलाया भी है और अब तो शालिनी की तरफ से कोई रोक टोक नहीं है,,, 

मैं फिर से अपने काम में लग गया और इस बार मैं समीज को जितना उपर हो सकता था उतना उठा दिया, एक साइड की चूंची का निप्पल भी दिखने लगा । मैं अब धीरे से उठा और शालिनी के दुसरी तरफ जाकर बराबर में लेटकर उसके पेट को सहलाने लगा,बीच बीच में मैं उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबाने भी लगा,, शालिनी शायद अब धीरे धीरे नींद के आगोश में समा रही थी, 

वो कहते है ना कि जब जितना मज़ा मिल रहा हो तो भूख और बढ़ जाती है, अब मेरा मन कर रहा था कि मैं शालिनी की चूंची को मुंह में लेकर चूस डालूं, उसके भूरे रंग के निप्पल को चूसने के ख्याल से ही शरीर में चींटियां रेंग गई... 

मैंने अपने लालची मन को समझाया कि परेशान ना हो वो दिन भी जल्दी आने वाला है जब इन गुदाज चुचियों को मैं अपने होंठों से चाटूंगा,प्यार करूंगा , पियूंगा । 
अब मैं इससे आगे बढ़ कर अपना काम ख़राब नहीं करना चाहता था, सो मैं बिस्तर से उठ कर बाहर आ गया और तभी मेरी नज़र शालिनी की नई लाल ब्रा पर पड़ी जो उसने सूखने के लिए बरामदे में रस्सी पर डाली थी, मैं उसे उतार कर बाथरूम में लेकर घुस गया और अपने लौड़े पर उसे लपेट कर रगड़ रगड़ कर आंखें बंद करके शालिनी की मादक चूचियों को याद करते हुए उसकी ब्रा में झड़ गया । 
झड़ने के बाद भी मेरे लौड़े में गज़ब का तनाव बाकी था, ऐसा लग रहा कि अभी फिर से खड़ा हो जाएगा । मैंने उसकी ब्रा को फिर से रस्सी पर डाल दिया और अंदर आकर शालिनी की अधनंगी चूचियों पर हाथ रख कर सोने लगा ।
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To be continued... - by firefly - 16-11-2018, 02:44 PM
RE: To be continued... - by firefly - 16-11-2018, 06:53 PM
RE: To be continued... - by SOFIYA AALAM NAKVI - 17-11-2018, 01:06 PM
RE: शालिनी हमबिस्तर बहन - by firefly - 19-11-2018, 04:32 PM



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