19-11-2018, 09:53 AM
आज मेरा काम में जरा सा भी मन नहीं लग रहा था, रह रह कर शालिनी के सेक्सी बदन का खयाल आ रहा था मैंने दो तीन बार फोन करके उससे बात की, और शाम को जल्दी घर आने को बोला । तभी मुझे पता चला अवध कॉलेज का कटआफ आ गया है, मैंने जाकर लिस्ट देखी,,, शालिनी का एडमिशन ओके हो गया था, मैंने फोन निकाला उसे बताने के लिए,, फिर सोचा घर चलकर शालिनी को सरप्राइज देता हूं ।
दोपहर के 3: 00 बज रहे थे और मैं जल्दी जल्दी घर की ओर चला जा रहा था रास्ते में मैंने नाश्ते के लिए नमकीन और कुछ मिठाई ले ली । घर आकर मैंने अपनी चाभी से गेट खोला, कूलर चल रहा था और कमरे का दरवाजा ऐसे ही ढलका हुआ था, मैंने दरवाजे को खोलकर जैसे ही अंदर देखा तो मेरे हाथ से नाश्ते का पैकेट छूटते- छूटते बचा....
कूलर की तेज आवाज से शालिनी को मेरे आने की आहट सुनाई नहीं पड़ी थी, मुझसे चार फुट की दूरी पर बेड के उपर दूध से गोरे बदन की मालकिन, मेरी बहन सिर्फ काली ब्रा और पैंटी पहन कर बिंदास सो रही थी । सीधे लेटने के कारण हर सांस के साथ उसकी चूचियां उठ बैठ रहीं थीं और ऐसा लग रहा था कि उसकी ब्रा कहीं फट ना जाए, सुबह मैं ठीक से देख भी नहीं पाया था तो मैं बिना कोई आवाज किए उसके सेक्सी बदन को देखने लगा और पता नहीं कब मेरा दूसरा हाथ मेरे लिंग पर आ गया और मैं पैंट के ऊपर से हीअपना लौड़ा सहलाने लगा ।
अब मैंने गौर से देखा तो शालिनी ने अपनी बगल के बाल साफ़ कर दिये थे, ये देखते ही मुझे खयाल आया कि इसका मतलब इसने अपने नीचे के बाल यानि झांटे भी साफ़ करी होंगी, ये सोच कर ही मैं बिना कुछ किए खड़े खड़े ही उसकी काली पैंटी में फूले हुए हिस्से को घूरने लगा । शालिनी के ब्रा से नीचे का पेट एक दम सपाट और चिकना था, उसकी नाभि काफी गहरी थी, और नाभि के नीचे उसकी काली पैंटी में बंद चूत...
मेरे अंदर का भाई ये मानने को तैयार ना था कि मेरी बेहन चुदाई की उमर पर पहुँच चुकी है, लेकिन मेरे अंदर का मर्द सॉफ देख रहा था कि मेरी बहन पर जवानी एक तूफान की तरह चढ़ चुकी थी।
वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में पड़ी थी।
दूधिया बदन, सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 34 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्ती कैद कर दिया हो। उसकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उसका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उसकी कमर ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख रहा था ।
शालिनी के चूतड़ों का साइज़ भी जबरदस्त था । बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…
मुझे ऐसा लगा कि एक दो मिनट अगर मैं इसे ऐसे ही देखते रहा तो मैं अभी खड़े खड़े ही झड़ जाऊंगा । मगर मैं अब करूं क्या?
मैं सोचने लगा कि अगर मैं शालिनी को इस हालत में जगाता हूं, तो कहीं वो बुरा ना मान जाए और इस कमसिन जवानी को भोगने की इच्छा अभी खत्म हो जाए । फिर मुझे लगा कि यही वो मौका है जो आगे कि राह और आसान कर सकता है... रिस्क लो और मज़ा या सजा जो मिले, ये तो शालिनी को जगाने के बाद ही पता चल पाएगा ।
मैंने सारी हिम्मत बटोर कर शालिनी के दाहिने पैर को छूकर उसे हिलाया और आवाज भी दी... शालिनी शालिनी....उठो...
एक झटके से शालिनी बेड पर उठ कर बैठ गई और सामने मुझे देखकर चौंक गई,,, कुछ सेकंड बाद उसे अपने शरीर की अर्धनग्न अवस्था का आभास हुआ और उसने पास में पड़ी हुई चादर खींच कर अपने आप को सीने से ढक लिया,,,, और हकलाते हुए बोली....
शालिनी- आप कब आये भाई ।
सागर- बस, अभी-अभी आया और तुम्हे जगाया ।
शालिनी- (उसकी आवाज कांप रही थी) जी...जी आप इतनी जल्दी, आप तो शाम को आनेवाले थे ।
(मन में सोचते हुए कि अगर मैं शाम को आता, तो तुम्हारे कातिल हुस्न का दीदार कहां होता )
सागर- वो तुम्हे खुशखबरी देनी थी, इसलिए सारा काम छोड़कर मैं जल्दी आ गया।
शालिनी- ( चादर से अपने को ढकते हुए) खुशखबरी,,,, कैसी खुशखबरी।
सागर- मेरी प्यारी बहना... तुम्हारा एडमिशन शहर के टाप के अ्वध गर्ल कालेज में हो जायेगा, आज लिस्ट जारी हो गई है और मैं देख भी आया हूं, कल चलकर तुम्हारा एडमिशन करा देंगे और अगले वीक से क्लासेज़ शुरू।।
शालिनी- वाऊ... थैंक यू भाईजी,,,, माम को बताया।
सागर- नहीं, अभी नहीं।
शालिनी चादर लपेट कर ही बेड से उठ कर मेरे पास से होती हुई पीछे कमरे में चली गई और कपड़े पहन कर बाहर आई।
मैंने तब तक नाश्ता एक प्लेट में निकाल कर रख दिया।। शालिनी से मैंने चाय बनाने को कहा,,, और चाय नाश्ता करने के बाद..
शालिनी- भाईजी,, स्वारी।
सागर- किसलिए
शालिनी- वो.. वो मैं इस तरह सो रही थी,,, और उसने नज़रें नीची कर ली।
सागर- अरे, तो इसमें क्या हुआ, मैं भी तो चढ्ढी बनयान में ही रहता हूं और यहां कौन आने वाला है मेरे सिवा।
शालिनी- नहीं, मुझे ऐसे नहीं सोना चाहिए था, प्लीज़, आप माम से मत कहना ।
सागर- अरे पागल,,, तुम फालतू में परेशान हो रही हो, मैंने पहले ही कहा था कि यहां जैसे मन हो वैसे रहो,,, घर के अंदर,,, हां बाहर निकलते हुए थोड़ा ध्यान रखना बस। और तुम ऐसा करोगी तो हम लोग कैसे रहेंगे साथ में।
शालिनी- बट भाई, किसी को पता चला कि मैं घर में ऐसे...
सागर- बच्चे, तुम क्यों ऐसे सोच रही हो कि बाहर किसी को पता चलेगा, अरे इस गेट के अंदर की दुनिया सिर्फ हम दोनों की है, किसी को कैसे पता चलेगा कि हम घर में क्या करते हैं, कैसे रहते है। और तुम्हारे आने से पहले मैं तो घर में ज्यादातर बिना कपड़ों के ही रहता था,,, सो बी हैप्पी एंड इंज्वाय योर लाइफ।
शालिनी- जी, ठीक है।
सागर- और हां , तुमने सुबह से ब्रा पहनी है ना,, तो कोई रैशेज वगैरह तो नहीं हुए तुम्हें।
शालिनी- नहीं, बिल्कुल भी नही, इसका फैब्रिक अच्छा है, कम्फ़र्टेबल है...
सागर- और क्या किया आज दिन भर में,
शालिनी- आपके जाने के बाद मैंने साफ सफाई करने के बाद थोड़ी देर टी वी देखी, फिर खाना खाकर आराम कर रही थी... फिर आप आ गये....
सागर- हां, साफ-सफाई तो अच्छी हुई है घर की भी और तुम्हारे जंगल की भी...
शालिनी- मेरे जंगल की ???
सागर- अरे, मैं वो तुम्हारे अंडरआर्म वाले जंगल की बात कर रहा हूं... और मैं हंसने लगा ।
तभी शालिनी जोर से चिल्लाई ... भाईईईईईई ,आप फिर मेरे मज़े ले रहे हैं ,प्लीज़....
सागर- अच्छा ,चलो अब मजाक बंद,,,, अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है, कुछ चाहिए हो तो बोलो....
दोपहर के 3: 00 बज रहे थे और मैं जल्दी जल्दी घर की ओर चला जा रहा था रास्ते में मैंने नाश्ते के लिए नमकीन और कुछ मिठाई ले ली । घर आकर मैंने अपनी चाभी से गेट खोला, कूलर चल रहा था और कमरे का दरवाजा ऐसे ही ढलका हुआ था, मैंने दरवाजे को खोलकर जैसे ही अंदर देखा तो मेरे हाथ से नाश्ते का पैकेट छूटते- छूटते बचा....
कूलर की तेज आवाज से शालिनी को मेरे आने की आहट सुनाई नहीं पड़ी थी, मुझसे चार फुट की दूरी पर बेड के उपर दूध से गोरे बदन की मालकिन, मेरी बहन सिर्फ काली ब्रा और पैंटी पहन कर बिंदास सो रही थी । सीधे लेटने के कारण हर सांस के साथ उसकी चूचियां उठ बैठ रहीं थीं और ऐसा लग रहा था कि उसकी ब्रा कहीं फट ना जाए, सुबह मैं ठीक से देख भी नहीं पाया था तो मैं बिना कोई आवाज किए उसके सेक्सी बदन को देखने लगा और पता नहीं कब मेरा दूसरा हाथ मेरे लिंग पर आ गया और मैं पैंट के ऊपर से हीअपना लौड़ा सहलाने लगा ।
अब मैंने गौर से देखा तो शालिनी ने अपनी बगल के बाल साफ़ कर दिये थे, ये देखते ही मुझे खयाल आया कि इसका मतलब इसने अपने नीचे के बाल यानि झांटे भी साफ़ करी होंगी, ये सोच कर ही मैं बिना कुछ किए खड़े खड़े ही उसकी काली पैंटी में फूले हुए हिस्से को घूरने लगा । शालिनी के ब्रा से नीचे का पेट एक दम सपाट और चिकना था, उसकी नाभि काफी गहरी थी, और नाभि के नीचे उसकी काली पैंटी में बंद चूत...
मेरे अंदर का भाई ये मानने को तैयार ना था कि मेरी बेहन चुदाई की उमर पर पहुँच चुकी है, लेकिन मेरे अंदर का मर्द सॉफ देख रहा था कि मेरी बहन पर जवानी एक तूफान की तरह चढ़ चुकी थी।
वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में पड़ी थी।
दूधिया बदन, सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 34 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्ती कैद कर दिया हो। उसकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। चूचियों से नीचे उसका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उसकी कमर ऐसी जैसे दोनों पंजों में समा जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख रहा था ।
शालिनी के चूतड़ों का साइज़ भी जबरदस्त था । बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…
मुझे ऐसा लगा कि एक दो मिनट अगर मैं इसे ऐसे ही देखते रहा तो मैं अभी खड़े खड़े ही झड़ जाऊंगा । मगर मैं अब करूं क्या?
मैं सोचने लगा कि अगर मैं शालिनी को इस हालत में जगाता हूं, तो कहीं वो बुरा ना मान जाए और इस कमसिन जवानी को भोगने की इच्छा अभी खत्म हो जाए । फिर मुझे लगा कि यही वो मौका है जो आगे कि राह और आसान कर सकता है... रिस्क लो और मज़ा या सजा जो मिले, ये तो शालिनी को जगाने के बाद ही पता चल पाएगा ।
मैंने सारी हिम्मत बटोर कर शालिनी के दाहिने पैर को छूकर उसे हिलाया और आवाज भी दी... शालिनी शालिनी....उठो...
एक झटके से शालिनी बेड पर उठ कर बैठ गई और सामने मुझे देखकर चौंक गई,,, कुछ सेकंड बाद उसे अपने शरीर की अर्धनग्न अवस्था का आभास हुआ और उसने पास में पड़ी हुई चादर खींच कर अपने आप को सीने से ढक लिया,,,, और हकलाते हुए बोली....
शालिनी- आप कब आये भाई ।
सागर- बस, अभी-अभी आया और तुम्हे जगाया ।
शालिनी- (उसकी आवाज कांप रही थी) जी...जी आप इतनी जल्दी, आप तो शाम को आनेवाले थे ।
(मन में सोचते हुए कि अगर मैं शाम को आता, तो तुम्हारे कातिल हुस्न का दीदार कहां होता )
सागर- वो तुम्हे खुशखबरी देनी थी, इसलिए सारा काम छोड़कर मैं जल्दी आ गया।
शालिनी- ( चादर से अपने को ढकते हुए) खुशखबरी,,,, कैसी खुशखबरी।
सागर- मेरी प्यारी बहना... तुम्हारा एडमिशन शहर के टाप के अ्वध गर्ल कालेज में हो जायेगा, आज लिस्ट जारी हो गई है और मैं देख भी आया हूं, कल चलकर तुम्हारा एडमिशन करा देंगे और अगले वीक से क्लासेज़ शुरू।।
शालिनी- वाऊ... थैंक यू भाईजी,,,, माम को बताया।
सागर- नहीं, अभी नहीं।
शालिनी चादर लपेट कर ही बेड से उठ कर मेरे पास से होती हुई पीछे कमरे में चली गई और कपड़े पहन कर बाहर आई।
मैंने तब तक नाश्ता एक प्लेट में निकाल कर रख दिया।। शालिनी से मैंने चाय बनाने को कहा,,, और चाय नाश्ता करने के बाद..
शालिनी- भाईजी,, स्वारी।
सागर- किसलिए
शालिनी- वो.. वो मैं इस तरह सो रही थी,,, और उसने नज़रें नीची कर ली।
सागर- अरे, तो इसमें क्या हुआ, मैं भी तो चढ्ढी बनयान में ही रहता हूं और यहां कौन आने वाला है मेरे सिवा।
शालिनी- नहीं, मुझे ऐसे नहीं सोना चाहिए था, प्लीज़, आप माम से मत कहना ।
सागर- अरे पागल,,, तुम फालतू में परेशान हो रही हो, मैंने पहले ही कहा था कि यहां जैसे मन हो वैसे रहो,,, घर के अंदर,,, हां बाहर निकलते हुए थोड़ा ध्यान रखना बस। और तुम ऐसा करोगी तो हम लोग कैसे रहेंगे साथ में।
शालिनी- बट भाई, किसी को पता चला कि मैं घर में ऐसे...
सागर- बच्चे, तुम क्यों ऐसे सोच रही हो कि बाहर किसी को पता चलेगा, अरे इस गेट के अंदर की दुनिया सिर्फ हम दोनों की है, किसी को कैसे पता चलेगा कि हम घर में क्या करते हैं, कैसे रहते है। और तुम्हारे आने से पहले मैं तो घर में ज्यादातर बिना कपड़ों के ही रहता था,,, सो बी हैप्पी एंड इंज्वाय योर लाइफ।
शालिनी- जी, ठीक है।
सागर- और हां , तुमने सुबह से ब्रा पहनी है ना,, तो कोई रैशेज वगैरह तो नहीं हुए तुम्हें।
शालिनी- नहीं, बिल्कुल भी नही, इसका फैब्रिक अच्छा है, कम्फ़र्टेबल है...
सागर- और क्या किया आज दिन भर में,
शालिनी- आपके जाने के बाद मैंने साफ सफाई करने के बाद थोड़ी देर टी वी देखी, फिर खाना खाकर आराम कर रही थी... फिर आप आ गये....
सागर- हां, साफ-सफाई तो अच्छी हुई है घर की भी और तुम्हारे जंगल की भी...
शालिनी- मेरे जंगल की ???
सागर- अरे, मैं वो तुम्हारे अंडरआर्म वाले जंगल की बात कर रहा हूं... और मैं हंसने लगा ।
तभी शालिनी जोर से चिल्लाई ... भाईईईईईई ,आप फिर मेरे मज़े ले रहे हैं ,प्लीज़....
सागर- अच्छा ,चलो अब मजाक बंद,,,, अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है, कुछ चाहिए हो तो बोलो....