14-11-2018, 07:03 PM
(This post was last modified: 19-11-2018, 01:11 PM by firefly. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
( ok lets start
नमस्कार,
आज लगभग दस महीने हुए हैं मेरे साथ मेरी छोटी बहन शालिनी को रहते हुए, हमारे लखनऊ के मकान में...
मैं पिछले चार साल से यहां रहता हूँ, बी.एस.सी करने के बाद मैं एक कम्पनी में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव की जाब करने लगा हूं, हमारा गांव यहां से 100 किमी की दूरी पर है, घर पर मां सरोजिनी और बहन शालिनी रहतीं हैं। मां पिता जी की जगह अनुकम्पा जाब पर बैंक में सहायिका हैं, खेती बाड़ी भी पर्याप्त है। खैर मैं नौकरी के साथ साथ इग्नू से पढ़ाई भी कर रहा हूं, मैं दो वर्ष ब्वायज हास्टल में रहने के बाद दो कमरों वाला छोटा मकान एल डी ए की गोमतीनगर स्कीम में मिल गया किस्तों पर और पिछले दो साल से मैं अपने निजी मकान में रहने लगा।
शालिनी का इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने पर मैंं घर आया तो मां ने बताया कि यह अब BSc लखनऊ से ही करना चाह रही है तो मैंने कहा अच्छी बात है फार्म तो पहले ही डाल रखें हैं, देखते हैं कि किसी अच्छे कालेज में एडमिशन मिल जाये । मां ने कहा कि इसे अपने साथ ही ले जाओ और इससे तुम्हारे खाने पीने की भी सहूलियत हो जायेगी, मैं तुम लोगों से मिलने महीने पन्द्रह दिन में आती रहूंगी ।
शालिनी ने बहुत मेहनत से पढाई की और 89% मार्क्स लायी थी, मैंने देखा कि वह बहुत खुश है और उसने लेक्चरर बनने की इच्छा जाहिर की।
मेरी उम्र इस समय 24साल और शालिनी की 19 साल है, हम लोगों का रहन सहन का स्तर गांव के अन्य परिवारों से थोड़ा बेहतर है, घर पर मां साड़ी पहनती हैं और शालिनी सलवार सूट या स्कर्ट् टाप । मैं पांच साल से लखनऊ रहता हूँ इसलिये शालिनी और मेरे बीच कभी कोई तू तू मैं मैं नहीं हुई। हर रोज हम लोगों की फोन पर बात होती थी, जब मैं घर रहता था तब शालिनी की उम्र ** साल थी और वह युवावस्था की ओर बढ़ रही थी।
घर पर खाना खाते हुये रात में,
(((सरोजिनी---Readers apni mom ko soch sakte hai yha))) :D
सरोजिनी - सागर बेटा, मैंने शालिनी की पैकिंग कर दी है, सुबह कितने बजे निकलना है।
सागर- मम्मी आज कल गर्मी बहुत हो रही है इसलिए सुबह 5 बजे वाली बस से निकलना ठीक रहेगा।
सरोजिनी- बेटा, जितने भी अच्छे कालेज हैं सभी में अप्लाई कर रखा है आनलाइन तूने पर देखना अगर अपने घर के पास ही एडमिशन मिल जाये तो बहुत ही अच्छा रहेगा।
(((शालिनी----
)))
शालिनी- दद्दा ,कालेज अच्छा हो चाहे पास हो या दूर
(((सागर--- readers apne aapko ko assume kr sakte hai)))
सागर- ठीक है इसी हफ्ते में सभी कालेजों की लिस्ट जारी होगी, देखते हैं ।
सरोजिनी- और हां सागर, शालिनी को पहले जाकर थोड़ी शापिंग करा देना, कुछ डेलीवियर और कालेज जाने के लिए...
शालिनी- मां ... वो दद्दा से वो भी...
सागर- क्या बात है बहन
सरोजिनी- अरे कुछ नहीं सागर , शालिनी काफी दिनों से जीन्स वगैरह पहनना चाह रही है, मैंने कहा था जब बाहर पढऩे जाओगी तब पहनना, इसे इसकी पसंद के ही कपड़े दिलाना..
सागर- ओ के , मम्मी कपडों के अलावा भी काफी चीजें लेनी पड़ेंगी, मेरा तो अकेले कैसे भी चल जाता था, बाथरूम भी ठीक कराना है और पीछे कमरे की साफ-सफाई भी, शालिनी पीछे वाले कमरे में रहेगी जिससे इसकी पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो।
खाने के बाद मां ने कहा बच्चों जल्दी सो जाओ सुबह निकलना भी है, हम दोनों मां के ही बेड पर दायें बायें उनको लिपटकर सो गए ।
सुबह हम लोग जल्दी ही तैयार हो कर हाईवे पर आकर बस में बैठ गए, फैजाबाद शहर से भीड़ बढ़ती गई और आस-पास काफी लोग बस में खड़े खड़े सफर कर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने देखा कि एक आदमी लगातार हमारी तरफ घूर रहा है, शालिनी विन्डो साइड बैठी बाहर देख रही थी, जब मैंने गौर से देखा तो शालिनी का दुपट्टा खिसकने की वजह से उसके सीने के उभार का काफी हिस्सा दिख रहा था, मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? उस आदमी को टोकने से कोई फायदा नहीं था वह हटता तो दूसरा आ जाता।।
कुछ देर सोचने के बाद मैंने धीरे से शालिनी के कान में कहा- अपना दुपट्टा ठीक करो बेटा... (to be continued)...