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Adultery मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे
#2
मेरी बीबी की सहजता देखकर मैं दंग था. मुझे शक होने लगा था की शायद ये पहली बार नहीं था की किसी ने सोनिया की यूँ चुदाई की है. पर ये तो मैं अभी जान नहीं सकता था. जो नहीं जान सकते उसे छोडो और आगे बढ़ो.

सोनिया कप रख के वापस आई.
‘अरे तुम अभी तक उठे नहीं? चलो मैं तो नहाने चली. तुम्हारी आलस तुम जानो.’ और वो कपडे लेकर बाथरूम में चली गयी. मैं अपने ही ख्यालों में गूम कुछ सोचता सा बैठा रहा. बाथरूम के अंदर से सोनिया के के गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी. आचानक मेरे दिल में एक ख्याल आया. मैंने उठ कर ड्रेसिंग टेबल को जरा सा सेट किया की मैं बैठे बैठे ज्यादातर किचन का हिस्सा देख सकुं. मेंन दरवाजे के बगल वाले खिडकी का पर्दा कुछ सेट किया. अब शाम को मेरे ताकझांक के लिए काफी इंतजाम हो गया था.

तभी सोनिया बहार आई. मैं उसे देखता ही रह गया. लंबी लंबी चिकनी टंगे उपरी जांघों तक बिलकुल खुली थीं. शोर्ट्स में उसके कूल्हे इतने कसे कसे लग रहे थे! ऊपर उसने एक बिना बाजु की टी शर्ट पहनी थी. मैं उठा और सीधा उसे गले से लगा लिया.

वो धीरे से बोली ‘क्या सुबह ही शुरू हो रहे हो?’

पर तब तक मैं शोर्ट्स का बटन और ज़िप खोल चूका था. मेरा हाथ उसकी पैंटी के अंदर चूत का दरवाज़ा ढूढ रहा था. कितनी ही बार हमने चार साल की शादी में सेक्स किया है पर आज यूँ लग रहा था जैसे सालों बाद कोई नया मिला है. मेरा लंड मेरे शोर्ट्स में अकड कर परेशान था. शुक्र है सोनिया का की उसने बेचारे को आज़ाद कर दिया.

मैंने भी जल्दी जल्दी सोनिया नीचे के कपडे उतारे और ऊँगली चूत में डाल दी. सोनिया के मुह से निकली सिसकारी सबसे मधुर संगीत की तरह लगी. उसकी टी शर्ट तो मैं पहले ही ऊपर उठा चुका था. सोनिया ने आज ब्रा पहनने की जहमत भी नहीं उठाई थी. नीचे से वो पूरी चिकनी हो चुकी थी. तो मै उसके ऊपर आ गया.

सोनिया के साथ सेक्स में सबसे ज्यादा मज़ा ये आता है की वो कसी डीलडौल की तो है पर है पांच फूट तीन इंच की. हमेशा अहसास होता है जसे एक कमसिन मिल गयी है.

मैंने तुरंत अपना लंड अंदर डाल दिया. एक और सिसकारी के साथ सोनिया ने पूरा अपनी चूत में समा लिया. अब मैं लंबे लंबे धक्के मारने लगा. हर धक्के के साथ सोनिया की आह ऊंह मेरा जोश बढा रही थी. सोनिया के होंठ मेरे होंठों में घुल रहे थे. उसके कसे मम्मे मेरी नंगी छाती से दबे हुए थे. अचानक मैं पलट गया. अब सोनिया ऊपर थी और मैं नीचे. आम तौर पर हमारा सेक्स सामान्य होता था पर आज सोनिया ऊपर आते साथ ही सक्रिय हो गयी. वो नीचे को धक्के मार रही थी और मैं नीचे से.

आज सोनिया को चोदते हुए ऐसा लग रहा था जैसे अपनी बीबी को नहीं किसी और की बीबी को चोद रहा हूँ. में रोहित सोनिया का पति नहीं सुन्दर, फैसल और विकास का चौथा साथी हूँ जिसे ये नया माल मिला है.

मेरे अरमान कल सुबह से कैद थे सो बाँध जल्दी ही टूट गया और मैं एक तूफ़ान की तरह सोनिया की चुत में आ गया. इसी तरह सोनिया काफी देर मेरे ऊपर लेटी रही और फिर मेरे बगल में लेट गयी. धीरे से बोली ‘ तुम भी सुबह सुबह शुरू हो गए.’

क्यों सुबह कोई पाबंदी है क्या? अच्छा है न रात को पता नहीं मौका मिले न.

‘क्यों?’ सोनिया चौंक गयी

अरे ऐसे ही कल फैसल रुक गया था. आज कहीं सुन्दर रुक गया तो?

सोनिया – यार ये रोज रात किसी का रुकना ठीक नहीं है.

क्यों कल फैसल ने कुछ दिक्कत दी

सोनिया ने हैरानी से मेरी तरफ देखा ‘नहीं तो! पर घर में एक ही कमरा है और एक ही बेड. कोई जमीन पर लेटता अच्छा थोड़े ही लगता है.’

तो क्या हुआ बेड पे भी तीन लोग सो सकते हैं. – मैंने छेड़ना जारी रखा.

‘यार तुम भी कुछ समझते नहीं हो. ऐसे भी कोई एक बेड पर अपनी बीबी और दोस्त के साथ सोता है! किसी को पता लगा तो?’ सोनिया ने कहा.

‘अरे हम अपने घर में कैसे रहते हैं ये हम जिम्मेदार हैं.’ मैं बहुत खुश था की बात आगे बढ़ रही थी.

‘और रात को कहीं तुम्हारा मूड कर गया तो?’ अब सोनिया ने छेढा

तो क्या हुआ रात के अँधेरे में किसी को क्या पता.

‘और कहीं तुम्हारे दोस्त का मूड हो गया?’ पता नहीं सोनिया छेड रही थी या कुछ खास मकसद से बोल रही थी.

‘अरे तुम ऐसा कुछ होने दोगी क्या’ मैंने चालाकी से बात उसके ऊपर डाल दी.

‘नहीं वो तो ठीक है पर कहीं मुझसे अँधेरे में गलत फहमी हो गयी तो?’ सोनिया की बात निश्चित दिशा में जा रही थी.

‘तो क्या गलती से गलती होना कोई गलत काम थोड़े ही है.’

देर हो रही थी सो मैं भी नहाने चला गया. नहा कर निकला तो देखा सोनिया डायरी लिख रही थी. सोनिया ने शादी के तुरंत बाद ही डायरी लिखना शुरू किया था. वो दिन भर की छोटी बड़ी बातें डायरी में लिखती थी. पर मुझे पढ़ने नहीं देती थी. मैंने भी कभी जबरदस्ती नहीं की.

‘चलो मैं कुछ पेमेंट लेके आता हूँ.’ मैंने कपडे बदलते हुए कहा.

सोनिया बोली ‘यार कल लगा की रात में पहनने के लिए मेरा पास कुछ खास नहीं है. एक नाइटी ले आना.’
मैं बाय कह कर बाहर निकल आया. सीधा मेंन मार्केट पहुंच गया. काम निबटाते निबटाते ३ बज गए. फिर वहीँ एक अच्छी दूकान से नाइटी खरीदने की सोची. साफ़ है की मैं नाइटी लूँगा तो बोल्ड ही लूँगा. कई हनीमून स्पेशल नाइटी देखकर जो पसंद की वो २ पीस थी. ऊपर टॉप जैसा जिसमें कन्धों पर सिर्फ डोरी मात्र थी और बस लम्बाई जाँघों तक ही मुश्किल से पहुँचती थी. और नीचे एक निक्कर जैसी थी. नाइटी खरीद कर सीधा रात के लिए वोदका की बोतल खरीदी. वसे तो मै विस्की ज्यादा पसंद करता हूँ पर सोनिया ने तीन चार बार मेरे साथ वोदका पीया है. वैसे आज ऐसा होगा नहीं पर क्या पता.

घर पहुँचते पहुँचते साडे पांच बज गए. सोनिया ने अभी भी सुबह वाले कपडे पहने थे. हाँ लगा की अभी कुछ देर पहले नहाई है.

‘देखो यार सिंपल सा बना लिया है. सब्जी दाल और चावल बन गए हैं.’

सच ऐसे सिंपल बातें करती है तो लगता है की कल रात कोई और थी जिसने फैसल के नीचे पूरी रात गुजारी थी.

तभी मम्मी का फोन आ गया. उनसे बात करते करते आधा घंटा हो गया. हाँ मम्मी से बात करने में सोनिया ने होली का कोई ज़िक्र भी नहीं किया. मैं अपना शोर्ट्स और टी शर्ट लेकर बाथरूम में हाथ मुंह धोने चला गया.

कपडे बदलकर बाहर निकला तो सुन्दर सिंगल सोफे पर बैठा हुआ था. सामने सोनिया बेड पर बैठी थी.

सुन्दर के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी और सोनिया जैसे झेंप रही थी. शोर्ट्स और टी शर्ट में पहली बार किसी के सामने यूँ बैठी थी शायद इसलिए. सुन्दर की आँखों में जो चमक थी वो साफ़ कह रही थी की उसे उम्मीद से ज्यादा मिला है.

मेरे आते साथ ही सुन्दर तपाक से उठा और मुझसे गले मिलकर होली मिलन की औपचरिकता पूरी की.

‘और भाई कैसा रहा दिन.’ मैंने यूँ ही पूछा.

‘बस यार कल तो मज़ा आ गया.’ सुन्दर ने सोनिया की ओर हलके से देख कर बोला

‘हाँ यार मुझे तो पुरे दिन चढ़ी रही.’ मैंने बात आगे बढ़ाई.

इतने में सोनिया उठते हुए बोली ‘मैं चाय बनाती हूँ.’

सुन्दर – नहीं भाभी हम कहाँ चाय पीते हैं.

‘तुम बैठो’ और मैं उठकर वोदका और दो गिलास ले आया.

‘क्यों भाभी आप नहीं लेतीं’ सुन्दर बोला

सोनिया – नहीं बस टेस्ट किया है एक दो बार.

सुन्दर – तो आज भी टेस्ट कीजिये न

थोड़े न नुकर के बाद सोनिया उठी और किचेन से एक और गिलास ले आई. साथ में एक प्लेट में नमकीन भी ले आई.

मैंने गिलास में वोदका डाला तो सोनिया ने अपने गिलास में खुद ही थोडा सा डाल लिया. सोनिया ने बहुत कम बार पी थी सो मै जानता था की उसके लिए थोडा भी बहुत था.

शराब के दौर के साथ ऐसे ही बातें होती रहीं. मैंने और सुन्दर ने कई बार गिलास फिर भरे पर सोनिया ने सिर्फ एक बार और छोटा सा पेग बनाया. फिर भी सोनिया का खुलापन बढ़ता जा रहा था. निश्चित ही उसे इतना नशा हो चूका था की बहदुरी आ जाये. नशा तो हम दोनों को भी हो गया था. और मैं तो जान के कुछ ज्यादा नशे की एक्टिंग भी कर रहा था. शायद मुझे नशे में देख सुन्दर की हिम्मत बढ़ी.

सुन्दर – भाभी कल मजा आया था?

सोनिया ने चौंक कर मुझे देखा – आप लोग तो होली का फायदा उठाने की पूरी कोशिश की.

मैं भी शामिल हो गया – क्यों क्या किया भाई सुन्दर तुम लोगों ने?

सुन्दर – अरे नहीं रोहित भाई बस देवर लोगों का कुछ तो अधिकार होता है. क्यों भाभी?

सोनिया – कुछ अधिकार! आपका तो बस चलता तो देवर से कुछ और ही बन जाते

रोहित – क्यों भाई क्या बन जाते

सोनिया की ज़बान नशे में थोडा नियंत्रण से बहार थी – अरे ये आप की जगह लेना चाहते थे.

रोहित – क्यों सुन्दर ऐसा क्या किया भाई तुम लोगों ने?

सुन्दर – अरे कुछ नहीं

‘कुछ नहीं और वो जो बाथरूम में पकड़ने की कोशिश की?’ सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा

‘वो तो आप जैसी खूबसूरत भाभी होगी तो कौन देवर छोढेगा’ सुन्दर की भी कुछ हिम्मत बढ़ गयी थी.

रोहित – यार होली में तो पकड़ धकड़ चलती है.

सोनिया – नहीं आप नहीं जानते. अगर आपके दोस्त न आते तो ये तीनों बाथरूम में मेरे कपडे ही उतार देते.

सुन्दर को खुलता माहौल शायद अच्छा लग रहा था. उसने बात और आगे बढ़ाई – कपडे उतारे तो नहीं न भाभी.

सोनिया ने अपने गिलास में थोड़ी सी और डाली और बोली – हाँ और हाथ कहाँ थे आपके?

‘और आपके हाथ कहाँ थे’ सुन्दर ने तपाक से बोला.

सोनिया चुप हो गयी. उसे याद आ गया कैसे उसने सुन्दर का लंड कल बाथरूम में न सिर्फ सहलाया था बल्कि चूसा भी था.

‘मैं खाना लगाती हूँ’ उसने अपनी झेंप मिटाने के लिए वाहाँ से हटने में ही भलाई समझी. मैं भी जान कर जहाँ था वहीँ लेट सा गया

‘मैं भाभी की मदद करता हूँ’ सुन्दर ने कहा और तुरंत किचन में बढ़ गया.

मैं जहां लेटा था वहाँ से ड्रेसिंग टेबल के आइने से किचन साफ़ दिख रहा था.

सुन्दर की आहट सुनते साथ ही सोनिया पलटी

सुन्दर ने तुरंत उसे पकड़ लिया और अपने से चिपका लिया. सोनिया अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और सुन्दर उसे और चिपकाए जा रहा था. सुन्दर के हाथ सोनिया के शोर्ट्स पर थे. वो पीछे से दबाव दे रहा था और सोनिया का चुत का भाग पूरी तरह से सुन्दर के लंड से चिपका था. सुन्दर के हाथ पीछे टी शर्ट में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इस पूरी धक्का मुक्की में दोनों कोई खास आवाज़ नहीं कर रहे थे. सोनिया लगभाग छे फिट के सुन्दर के सामने काफी छोटी थी. फिर अचानक सुन्दर ने सोनिया को जाँघों से उठा लिया और होंठों पर किस करने लगा.

सोनिया को देखकर साफ़ लग रहा था की उसे सुरूर चढ़ रहा है. पर न नुकर जारी थी और जारी था सुन्दर का किस. सोनिया शायद लटके लटके थक गयी और उसने अपने पैर सुन्दर के कमर में बांध लिए. अब सोनिया सुन्दर से एक बेल की तरह चिपकी थी. सुन्दर के हाथ भी पीछे से टी शर्ट के अंदर सोनिया की पीठ सहला रहे थे. फिर मुझे सुन्दर का हाथ टी शर्ट से बहार आता दिखा और शोर्ट्स में घुसने की कोशिश करने लगा. सोनिया को कुछ ज्यादा होता लगा और वो तुरुन्त कोशिश करके सुन्दर से अलग हो गयी. दोनों में फुसफुसाहट हो रही थी पर मेरा ध्यान तो पूरा वहीँ था.

सोनिया – क्या करते हो मरवाओगे. छोडो.

‘जान ऐसे कैसे छोड़ दें.’ सुन्दर ने सोनिया का हाथ पकड़ा हुआ था. उसने तुरंत दुसरे हाथ से अपने पैंट की

ज़िप खोली और सोनिया का हाथ उसमें डालने लगा. सोनिया हाथ छुडाने की कोशिश तो कर रही थी पर उसका हाथ पैंट में घुसता ही जा रहा था. फिर सोनिया ने कोशिश छोड़ डी. शायद सोनिया का हाथ अब सुन्दर के लंड पर था. वो बड़ी अजीब नज़रों से सुन्दर को देख रही थी जैसे शायद एक बकरी शेर को देखती है. अब सोनिया के हाथ की हलकी हलकी हरकत मुझे दिख रही थी. अंदर शायद सोनिया ने सुन्दर का लंड पकड़ा हुआ था. सोनिया की चूडियों की हलकी हलकी खनखनाहट की आवाज़ आ रही थी.

फिर सोनिया जैसे नींद से उठी और तुरंत अलग हो गयी. जल्दी से उसने दो डोंगे उठाये और बहार आ गयी. मुझे लेटा सा देख संतोष तो हुआ होगा पर मुझे उठाने लगी. सुन्दर भी क्या करता. अपना पैंट दुरुस्त कर बाकी खाने का सामन ले कर बाहर आ गया.

इस गरमा गरम छेड छाड़ के बाद खाने में किसी का भी मन नहीं था. खाने के समय एक सन्नाटा सा रहा. खाने के बाद ११ बज चुके थे और सोनिया बर्तन किचेन में रख रही थी.

सुन्दर – भाई रिहित मज़ा आ गया. अब चलना चाहिए.

रोहित – अरे कहाँ जाओगे यही रुक जाओ.

अरे नहीं भाभी को तकलीफ होगी यार.

रोहित – देखो सुन्दर बोल रहा है कि वो यहाँ रुकेगा तो तुम्हें तकलीफ होगी.

अब सोनिया बोलिती भी क्या ‘अरे तकलीफ कैसी. आप ही का घर है.’

सुन्दर ने धीरे से कहा ‘यार समझा करो, हम तो ठहरे छड़े घर में खुला सोने कि आदत है. यहाँ अंडरवियर में कैसे सो जाऊं.’ सुन्दर के चेहरे पे कुटिल सी मुस्कराहट थी. या ये मेरी गलतफेहमी थी! तब तक सोनिया भी बाहर आ गयी.

रोहित – अरे यार तुम तो घर वालों कि तरह हो जैसे चाहो सो. और अँधेरे में किसे दिखता है. क्यों सोनिया?
सोनिया ने शायद सब सुन लिया था. ‘जैसा आप कहें’. उसकी नज़र मुझे बड़े असमंजस में देख रही थी जैसे पूँछ रही हो ये मामला जा कहाँ रहा है.

मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी. उससे थोडा सहजता का माहौल आ गया. मैंने अगला पासा फेंका ‘यार सो जाया जाये.’

‘मै अभी आया’ सुन्दर उठा और बाथरूम चला गया.

सुन्दर के जाते ही सोनिया भयभीत सी मुझसे बोली ‘यार कहाँ सुलाएगें. ऐसा होता है कहीं. तुम तो समझते नहीं.’

रोहित – तुम चिंता मत करो. एक तरफ बेड पर तुम सो जाने और सुन्दर मेरे बगल में सो जाएगा. तुम बस लाईट बंद कर दो नहीं तो झेंप जाएगा.

सोनिया के चेहरे से लग रहा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा. ‘अच्छा छोडो ये बताओ नाइटी लाए थे?’
मैंने लिफाफा से नाइटी निकाली और सोनिया कि ओर बढ़ा दी. सोनिया ने नाइटी देखी और फटी आखों से मेरी ओर देखा ‘तूम पागल हो गए हो. ये नाइटी मुझे पहनाओगे सुन्दर के सामने’

इसी लिए तो कह रहा हूँ लाईट बंद कर दो. फिर क्या फर्क पड़ता है. मुझे क्या पता था सुन्दर आज रुक जाएगा.

‘देखो कुछ उंच नीच नहीं होनी चाहिए’ सोनिया अजीब नज़रों से मुझे देखती रही और उसने लाईट बंद कर दी.

कूलर चल रहा था और ठंडक कुछ ज्यादा हो गयी थी. सोनिया ने बेड पर ओढने के लिए दो लिहाफ रख दिए.
बाथरूम का दरवाज़ा खुला और सुन्दर मात्र अंडरवियर में बहार आ गया. बाथरूम की और बाहर स्ट्रीट लाईट की ज़रा सी रोशनियो में भी उसका शारीर चमक रहा था. सोनिया ने सर नीचे कर रखा था. वो जल्दी से उठी और नाइटी लेकर बाथरूम में चली गयी.

‘तुम लेट जाओ’ मैंने सुन्दर को बेड के दीवार वाले छोर की ओर इशारा करते हुए कहा. सुन्दर तुरंत बेड पर लेट गया और लिहाफ पैरों पर डाल लिया. बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ हुई और सोनिया बहार आ गयी.
आप वहाँ लेटो सोनिया ने बेड के बीच की ओर इशारा किया और खुद दुसरे किनारे लिहाफ ओढ़ कर लेट गयी.
पर सुन्दर की हिम्मत काफी बढ़ चुकी थी. बोला ‘क्या भाभी देवरों पर भरोसा नहीं है लगता जो किनारे भाग गयीं. आइये बीच में आपको लेटना चाहिए.

सोनिया ने फिर अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखा. मैंने तुरंत उसे हल्का सा धकेल कर बीच में कर दिया और खुद किनारे बैठ गया. अब सबसे किनारे सुन्दर लेटा था और सुन्दर से मात्र आधा फिट दूर सोनिया लेटी थी. मै उठा और बाथरूम चला गया.

मुझे शक था की अब कुछ होगा. मैंने बाथरूम के कीहोल से देखने की कोशिश की पर दिखा कुछ नहीं. कोई आवाज़ भी नहीं आ रही थी. फिर ध्यान से सुना तो लगा की कपडे के सरसराने की और सोनिया की चूडियों की हलकी हलकी आवाज़ आ रही थी. मुझे अपना जवाब मिल गया. आज कुछ न कुछ होगा बशर्ते मैं अनजान बना रहूँ!

मैंने दरवाजा खोला तो दोनों को जैसे छोड के गया था वैसे ही थे. पर ध्यान से देखा तो जिस लिहाफ को सोनिया ने ओढा था वो सुन्दर के लिहाफ के उपर था, हल्का सा उभार से लग रहा था की शायद सोनिया का हाथ सुन्दर की तरफ है. मैं अनजान बनकर अपनी जगह लेट गया.

तीनों चुप चाप लेटे थे. ऐसे ही करीब दस मिनट बीते होंगे. अबतक मेरी आँखे अँधेरे में काफी अभ्यस्त हो चुकी थीं. अचानक सोनिया की तेज तेज सांसे चलने लगीं. ये पहली निशानी है की सोनिया गर्म हो रही है. मैंने देखने की कोशिश की. लिहाफ जरुर ओढा था हम तीनों ने पर हरकत से काफी कुछ पता लग गया मुझे. सुन्दर का हाथ सोनिया की नाइटी के अंदर था. दुसरे ओर सोनिया का हाथ सुन्दर के लंड पर था. सोनिया अपने को छुडाने की कोशिश कर रही थी पर शायद बहुत आवाज़ करते डर रही थी. मैं अपना हाथ सोनिया की ओर बढ़ाया. मेरा हाथ सोनिया की नंगी पीठ पर पहुँच गया. इसका मतलब सोनिया की नाइटी का उपरी भाग हट चुका था! सुन्दर काफी तेज चल रहा था.

सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मम्मों तक नहीं जाने दिया. मुझे समझ आ गया की सोनिया के मम्मे किसी और की सेवा में बिजी हैं. मेरा लंड खड़ा था. मैंने सोनिया का हाथ धीरे से अपनी ओर खिंचा और अपने लंड पर रख दिया. सोनिया तुरंत मेरे लंड को कस कस कर मलने लगी. मैं समझ गया की वो बहुत गर्म हो चुकी है.

अब उसकी सांसों की आवाज़ और तेज हो गयी. बीच बीच में उह आह की हलकी आवाज़ भी आ रही थी. अब सोनिया ने अपने को हालत के हवाले छोड दिया. सोनिया तो जानती थी की मै जाग रहा हूँ. मैंने सुन्दर के लिए सोने का नाटक करना ही बेहतर समझा. सोनिया के एक हाथ में मेरा लंड था और दूसरा हाथ सुन्दर के लंड की सेवा कर रहा था. सुन्दर का हाथ सोनिया के मम्मों पर टूटे पड़े थे. ये सब लिहाफ, अँधेरे और नींद की आड में हो रहा था.

इतने में सोनिया का हाथ मेरे लंड से दूर फिसलने लगा; अरे हाथ ही नहीं सोनिया को सुन्दर ने धीरे से अपने लिहाफ में खींच लिया. अब सोनिया को सुन्दर ने अपने से चपका रखा था. हलकी सी रौशनी में उसकी नंगी पीठ दिख रही थी. फिर वोह भी लिहाफ के अंदर चली गयी. जैसे सोनिया फिसल गयी मुझसे दूर.

सुन्दर ने लिहाफ मुह तक ओढ़ लिया और सोनिया उसीमें छुप गयी. हलकी आवाजों से पता लग रहा था की जबरदस्त फ्रेच किस चल रहा है. फिर कुछ ज्यादा हलचल हुई और सरकने जैसी आवाज़ आई. सुन्दर के मुह से लिहाफ हट गया पर सोनिया का चेहरा नहीं दिखा. लिहाफ सुन्दर के सीने तक पहुँच गया पर सोनिया नहीं दिखी. अचानक सुन्दर के कमर के नीचे कुछ ज्यादा हलचल लगी और पच्च पच्च की धीमी आवाजों से पता लगा की सोनिया जी सुन्दर का लंड चूस रहीं है लिहाफ के अंदर. सुन्दर का एक हाथ सोनिया के सर पर था. अब ये सोनिया से सुन्दर जबरदस्ती करवा रहा था या वो खुद कर रही थी पता नहीं.

अचानक सुन्दर ने सोनिया को ऊपर खींच लिया. कुछ सेकेण्ड को सोनिया को उपरी भाग पूरा नंगा दिखा. फिर तुरंत सोनिया ने लिहाफ ऊपर तक खींच लिया. अब फिर फ्रेंच किस शुरू हो गया. सुन्दर का हाथ सोनिया की गांड सहला रहा था. बीच बीच में नज़र आ जाता था. ऐसा लगा जैसे सुन्दर कुछ खींच रहा है और सोनिया रोक रही है. हलके से संघर्ष के बाद ख़ामोशी हुई और मैंने सुन्दर के हाथ में सोनिया की निक्कर की झलक देखी.

मतलब सोनिया अब नीचे से भी नंगी थी. सुन्दर से वो चिपकी हुई थी. आहट फिर हुई और सुन्दर का हाथ ऊपर आया. उसके हाथ में उसका अंडरवियर था. सोनिया की पीठ मेरे तरफ थी और सुन्दर सोनिया के आड में था. सोनिया के मुंह से हलकी सी उंह निकली. सुन्दर के हाथों सोनिया का उदघाटन हो गया था. ऐसे ही दो चार और धक्के लगे. फिर सुन्दर ने सोनिया को अपने नीचे ले लिया. अब सुन्दर सोनिया पर छाया हुआ था. धीर धीरे धक्के लगा रहा था. सोनिया के मुह से हलकी हलकी उंह आह निकल रही थीं. मेरी बीबी मुझसे एक फिट पर चुद रही थी और मैं सोने की एक्टिंग कर रहा था. सुन्दर तो नहीं पर सोनिया जानती थी की मैं सो नहीं रहा हूँ. पर ये सब कौन सोचे.

सोनिया की चुदाई का दौर चल रहा था. अब लिहाफ दोनों के सीना तक सरक गया था. सोनिया की गोलाईयां सुन्दर की छाती में दबी हुई थीं. नाइटी का ऊपर का भाग केवल गले में पड़ा था. बाल जो कुछ देर तक पोनी में थे खुल चुके थे. सुन्दर की चुदाई जारी थी. करीब बीस मिनट तक ये सब मैं सोने की एक्टिंग करते देखता रहा. फिर सुन्दर ने अपना माल सोनिया में डाल दिया. दो मिनट के लिए सब खामोश हो गया. फिर सोनिया लिहाफ के अंदर घुस कर कुछ निकाला. निक्कर पहन कर वो धीरे से मेरे लिहाफ में घुस गयी
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RE: मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे - by ShakenNotStirred - 05-05-2019, 12:07 PM



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